Information About Ganesh Chaturthi In Hindi- गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है?
भगवान गणपती को समर्पित गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत में वृहद रूप से मनाए जाने वाले प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती के द्वितीय पुत्र गणेश जी की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
हिंदुओं धर्मशास्त्र के अनुसार, किसी कार्य के शुभ शुरुआत के लिए ईश्वर का स्मरण एवं पूजन जरूरी है। आप अक्सर सुने होंगे लोग नए काम के, प्रारंभ के पहले श्री गणेशाय नमः बोलते हैं।
इस आर्टिकल्स में आप पढ़ेंगे की गणेश चतुर्दशी क्यों मनाया जाता है?, गणेश जी का वाहन चूहा कैसे बना ?, भगबन गणेश को मोदक का भोग क्यों लगाते हैं, भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले क्यों होती है,
गणेश जी का नाम एकदंत क्यों पड़ा, भगवान शिव ने गणेश जी का गला क्यों काटा और महाराष्ट्र में गणेश महोत्सव क शुरुआत किसने की ?
कहते हैं कि भगवान गणपती की प्रार्थना करने से उनके सारे विघ्न दूर हो जाएंगे तथा कार्यों में सफलता मिलती है। क्योंकि भगवान गणपती को ज्ञान, सुख, समृद्धि और विघननाशक माना गया है।
भगवान गणपती को ज्ञान, समृद्धि और विघनहर्ता के रूप में सर्वोच्च देव की संज्ञा दिया गया है। गणेश चतुर्थी के दिन दिन चारों तरफ ganpati bappa morya की जयकारा सुनायी पड़ती है।
इस Information About Ganesh Chaturthi In Hindi शीर्षक वाले लेख में गणेश चतुर्थी के बारें में विस्तार से वर्णन किया गया है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी विस्तार से – INFORMATION ABOUT GANESH CHATURTHI IN HINDI
इस पैराग्राफ के माध्यम से गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में (essay on Ganesh chaturthi in Hindi ) पढ़ सकते हैं। आप गणेश चतुर्थी कब, कैसे और क्यों मनाई जाती है, गणेश चतुर्थी का क्या महत्त्व है,
भगवान शिव ने गणेश जी का गला क्यों काटा, क्यों गणेश जी का नाम एकदंत पड़ा, सबसे पहले गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है। गणेश जी को मोदक क्यों प्रिय हैं आदि कई सवालों का जबाव जान सकते हैं।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है – why we celebrate ganesh chaturthi in hindi
गणेश चतुर्थी का उत्सव ganpati bappa morya के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार बालक गणेश माता पार्वती के अंश से अवतरित हुए थे।
गणेश जी ( Lord ganesha ) की उत्पत्ति भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन मध्याह्न के वक्त हुआ। गणेश भगवान जी कलांतर में अपनी मातृ भक्ति से प्रथम पूजनीय देव बन गए। इस प्रका गणपति उत्सव भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है?
गणेश चतुर्थी कव मनाया जाता है- Ganesh Chaturthi information in Hindi
गणेश चतुर्थी ( Ganesh Chaturthi in Hindi ) का त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष भाद्रपद के महीने में मनाया जाता है। कहते हैं की भगवान गणपती का जन्म, भाद्र मास के शुक्ल पक्ष, चतुर्थी को मध्यान काल में हुआ था।
इसीलिए प्रतिवर्ष भाद्र मास के चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है। अंग्रेजी महीने के अनुसार गणेश चतुर्थी अगस्त और सितंबर के महीनों के दौरान पड़ता है।
यह उत्सव, भाद्रपद मास की चतुर्थी को भगवान गणेश की प्रतिमा के स्थापना के साथ शुरू होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी के प्रतिमा विसर्जन से साथ समाप्त हो जाता है।
इस प्रकार गणेश चतुर्थी लगातार दस दिनों तक पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आगे हम Information About Ganesh Chaturthi In Hindi के इस लेख के माध्यम से जनेगें की महाराष्ट्र में इस उत्सव की शुरुआत किसने की।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की गणपति बप्पा के नाम के साथ मोरया शव्द कैसे जुड़ा।
गणपती बप्पा के महान भक्त थे ‘मोरया’
कहते हैं की मोरया गोसावी भगवान गणपती के परम भक्त और सच्चे उपासक थे। संत मोरया का जन्म महाराष्ट्र में पूना से सटे, चिंचवाड़ा नामक गांव में हुआ था। संत मोरया गोसावी रोज सच्चे मन से गणपती बप्पा की पूजा करते थे।
उन्होंने गणेश मंदिर के पास ही समाधि ली थी। भगवान गणपती के सच्चे उपासक होने के कारण मोरया गोसावी का नाम मोरया हमेशा के लिए गणपती बप्पा के नाम के साथ जुड़ गया।
इस प्रकार कहते हैं की भक्त और भगवान के अट्टू संबंध को दर्शाने के लिए भक्त मोरया का नाम गणपती के नाम से जुड़ गया। कारण जो भी रहा हो लेकिन भक्त मोरया का नाम भगवान के नाम से जुड़ कर सदा के लिए अमर हो गया।
गणेश चतुर्थी तिथि व मुहूर्त – Ganesh Chaturthi kab hai
गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi 2021 में 10 सितंबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार भाद्रपद चतुर्थी का प्रारंभ 10 सितंबर को 12:15 PM पर होगा। तथा इसकी समाप्ति 10 सितंबर 2021 को शाम को 10बजकर 56 मिनट होगी।
108 name of lord Ganesha in Hindi -भगवान गणेश के 108 नाम
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान गणपती अर्थात भगवान गणेश के 108 नामों की चर्चा की गयी है। यहाँ हम भगवान गणेश के 12 नामों (ganesh twelve name in Hindi) का वर्णन कर रहें हैं जो इस प्रकार है
1. दुखहर्ता, 2. सुखकर्ता, 3. विघ्न हर्ता, 4. एकदंत, 5. मंगल मूर्ति 6. दयावंता, 7. गणपति 8. चतुर्भुजा 9. अष्ट विनायक, 10. सिद्धि विनायक, 11. श्री गणेश, 12. गजानन, 13. विनायक, 14. लंबोदर,
15 कपिल, 16. धूमकेतु 17. विकट 18. गजकर्ण, 19. विद्यादाता 20. वक्रतुंड 21. भलचंद्र के नाम से जानते हैं। अगर आप 108 नाम जानना चाहते हैं तो क्लिक करें 108 name of lord Ganesha
महाराष्ट्र में गणेश महोत्सव क शुरुआत किसने की ?
information on ganesh chaturthi in hindi
हिन्दू धर्म शस्त्रों के अनुसार सभी देवों में सवसे पहले पूजा भगवान गणेश की होती है। वैसे तो भारत में विघ्नहर्ता भगवान गणपती को पूजने की परंपरा अति पौराणिक है।
लेकिन महाराष्ट्र में सार्वजनिक रूप से गणेश-महोत्सव आयोजन सन 1892 में Ganesh Chaturthi के दिन हुया था। इसका उद्देश्य सामाजिक चेतना जागृत कर लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध एकजुट करना था।
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) ने इस महोत्सव की शुरूयात की थी।
बाल गंगाधर तिलक ने ही गणपती को लोगों के घरों से निकाल कर एक सार्वजनिक उत्सव का रूप दिया। शुरू-शुरू में यह उत्सव महाराष्ट्र तक ही सीमित था लेकिन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया।
इस प्रकार बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) सार्वजनिक गणेशोत्सव के द्वारा जनमानस में सांस्कृतिक चेतना जगाने और लोगों को एकजुट करने में सफल हुए।
उन्होंने लोगों को एकजुट करने क लिए भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से लेकर भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक इस त्योहार को मनाने का आह्वान किया। इसीलिए गणेश चतुर्थी 10 दिनों के लिए मनाया जाता है?
तभी से महाराष्ट्र सहित पूरे देश में इस उत्सव को पूरी-श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। लेकिन मुंबई और पुणे में भगवान गणपती का जन्मोत्सव पूरे भारत भर में प्रसिद्ध है।
इस दौरान चारों तरफ गणपति बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोर्या की गूंज सुनायी पड़ती है। चारों तरफ हर्ष और उल्लास का वातावरण होता है।
जानिये भगवान गणपती की जन्म की कहानी – birth story of lord ganesha in hindi
नारद पुराण में वर्णित एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव के कई गण थे। एक बार माता पार्वती को शिव के गण के आलावा अपने गण की आबश्यकता महसूस हुई।
इसीलिए माता पार्वती ने भगवान शिव के अनुपस्थिति में गणेश जी निर्माण किया। कहते हैं की माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल एवं चंदन के पेस्ट से एक बालक गणपती का निर्माण किया।
जिसे उन्होंने अपने शरीर पर उबटन के रूप में इस्तेमाल किया था। चूंकि माता पार्वती स्वयं शक्ति का अवतार मानी जाती है। इसीलिए पेस्ट से निर्मित बालक की मूर्ति में अपनी शक्ति के द्वारा प्राण डाल दिये।
माता पार्वती ने बाल गणेश से कहा की मेरे अंश से पैदा होने के कारण तुम मेरे पुत्र हुए। अतः तेरा नाम गणेश होगा और तुम अभी से मेरी ही आज्ञा का पालन करोगे।
माता पार्वती ने गणेश जी को अपना गण के रूप में नियुक्त किया। उन्होंने गणेश जी को कहा हे पुत्र, मैं स्नान के लिए भोगावती नदी जा रही हूं।
मेरे आने तक द्वारपाल के रूप मे महल की रक्षा करना और किसी को भी महल में प्रवेश नहीं करने देना। कुछ देर बाद, वहॉं शिव के गण पहुचे और अंदर जाने लगे। जिसे गणेश जी ने दरवाजे पर रोक दिया।
गणों ने गणेश जी से कहा, हम भगवान शिव के गण हैं। तुम हमारी शक्ति से परिचित नहीं हो। गणेश जी ने उत्तर दिया की मुझे मेरी मां की तरफ से आज्ञा मिला है उसी का मैं पालन कर रहा हूं।
मैं अपने माता के आज्ञा विना किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दूंगा। कहते हैं उन गणों के साथ भगवान गणपती का युद्ध हुआ। युद्ध में गणेश के हाथों सारे गण परास्त हो गए।
सभी गण भागकर भगवान शंकर के पास गये और सारी बात वताई। उन्होंने शंकर भगवान से कहा की महल के द्वार पर एक हठी बालक रास्ता रोक कर खड़ा है। वह बहुत ही महापराक्रमी है।
उसका कहना है की माँ के अनुमति बिना किसी को भी परेवेश नहीं करने देगा। कहते हैं की भगवान शिव भी बालक गणेश से अनजान थे क्योंकि उनकी उत्पत्ति के समय वे अनुपस्थित जो थे।
गणेश चतुर्थी का महत्व in hindi
जब भगवान शंकर स्वयं भवन में जाने लगे तो बालक गणेश ने उन्हें भी रोक दिया। बालक गणेश का हठ देखकर भगवान सदा शिव अति क्रोधित हो गये।
भगवान शिव गणेश जी के हठ को अपना अपमान समझा। उन्होंने अपने त्रिशूल के द्वारा बालक गणेश का सिर को धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती को यह बात पता चला तो वह अति विलाप करने लगीं।
वह भगवान शिव से नराज हो गयी। शिव जी के मनाने पर माता पार्वती एक शर्त पर राजी हुई की पहले उनके पुत्र गणेश को, किसी भी तरह वापस जिंदा किया जाय।
गणेश जी का नाम गणपती, गणनायक और एकदंत क्यों पड़ा।
इसके बाद भगवान शिव ने हाथी के बच्चे का सिर को बालक गणेश के शरीर में जोड़कर उसे जीवित कर दिया। शिव जी द्वारा हाथी अर्थात गज का सिर गणपती जी में लगाने के कारण ही भगवान गणेश का नाम गजानन पड़ा।
चूंकि भगवान गणेश माता पार्वती के अंश से उत्पन गण थे, इसलिए उन्हें गणों में श्रेष्ट स्थान प्राप्त हुआ। वे सभी गणों के नायक अर्थात गणनायक कहलाये। इस कारण उन्हें गणपति के नाम से भी जाना जाता है।
एक बार गणेश जी का परशुराम जी के साथ विवाद हो गया। परशुराम जी ने गुस्से में आकर गणेश जी का एक दाँत काट दिए। तभी से गणेश भगवान को एकदंत के नाम से जाना जाने लगा।
भगवान शिव ने अपने ही पुत्र गणपती का गला क्यों काट दिया।
आगे Information About Ganesh Chaturthi In Hindi में हम जानेंगे की भगवान शिव ने गणेश जी का सर धर से क्यों अलग किया।
एक समय की बात हैं नारद जी ने विष्णु भगवान से पूछा की हे प्रभु आप तो सर्वज्ञता हैं। कृपा कर यह वताएं की जो भगवान शंकर सभी के दुखों को हरने वाले वाले हैं।
उन्होंने क्यों स्वयं अपने ही पुत्र गणेश जी का मस्तक त्रिशूल से क्यों काट दिया। भगवान गणेश की उत्पत्ति तो खुद शक्ति के अवतार माता पार्वती के अंश से हुया है। फिर भी गणेश जी का सिर काटा जाना बहुत आश्चर्य की बात है।
तब विष्णु भगवान ने कहा, हे नारद, एक समय की बात है। एक बार भगवान शिव क्रोध में आकर सूर्य पर अपने त्रिशूल से तेज प्रहार कर दिया। भगवान शिव के प्रहार के कारण सूर्य की चेतना नष्ट हो गयी।
सारे जगत में हाहाकार मच गया, चारों दिशाओं में अंधेरा छा गया। जब कश्यप जी को इस बात की जानकारी मिली की उनका पुत्र त्रिशूल के प्रहार से तरफ रहा है तथा मरनासन की अवस्था में है।
तब कश्यप जी अपने पुत्र को लेकर विलाप करने लगे। इस प्रकार तपस्वी कश्यप जी ने भगवान शिव को शाप दिया, “जैसे आज तुम्हारे त्रिशूल के प्रहार से मेरा पुत्र तरप रहा है,
उसी त्रिशूल के प्रहार से एक दिन तुम्हारे स्वयं के पुत्र का मस्तक कट जाएगा। तब तक भगवान शिव का क्रोध शांत हो चुका था। कहते हैं की बाद में भगवान भोले शंकर ने अपनी शक्ति से सूर्य को फिर से जिंदा कर दिया।
गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा- story of lord ganesha in hindi
गणेश चतुर्थी की कहानी के अनुसार एक बार सभी देवता बहुत ही मुश्किल में फंस गये। देवताओं को अपने समस्या का कुछ समाधान नजर नहीं आ रहा था। सारे देवताओं ने मिलकर इसके समाधान के लिए भगवान शिव के पास गये।
भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय को अपने पास बुलाया और देवताओं की मुश्किल से अवगत कराया।
जब भगवान शिव ने दोनों भाई, गणेश और कार्तिकेय से पूछा की कौन देवताओं की मुश्किल हल करेगा। यह सुनकर दोनो भाई तैयार हो गये। तव भगवान शिव दुविधा में पर गये।
भगवान शिव ने दोनों भाई के बीच एक शर्त रखी। उन्होनें दोनों भाइयों को पृथिवी की परिक्रमा करने को कहा। उन्होंने कहा जो सबसे पहले पृथिवी की परिक्रमा करके वापस आएगा, जीत उसकी ही मानी जाएगी।
पृथ्वी की परिक्रमा – Information About Ganesh Chaturthi In Hindi language
और उन्हें ही देवताओं के समस्या हल करने का मौका मिलेगा। प्रतियोगिता शुरू हुई, कार्तिक जी अपनी सवारी, मोर पर सबार होकर उड़ गाए और पृथ्वी का चक्कर लगाना शुरू कर दिए।
लेकिन भगवान गणपती अपनी जगह पर खड़े-खड़े सोच में पर गये, क्योंकि उनकी सबारी मूषक जो ठहरी। वे विचार करने लगे की षक पर सबार होकर पुरे पृथ्वी का परिक्रमा कर प्रतियोगिता नहीं जीती जा सकेगी।
उसी बक्त गणेश जी के मन में एक ख्याल आया। वे अपनी सबारी मूषक पर सबार होकर माता पार्वती और पिता भगवान शिव की सात बार परिक्रमा करके वापस अपनी स्थान पर आकर खड़े हो गए।
कुछ समय पश्चात कार्तिक जी पृथ्वी का परिक्रमा कर वापस आ गये तथा स्वयं को विजेता समझने लगे। जब शिव जी ने गणेश जी से पूछा की वे क्यों नहीं पृथ्वी की परिक्रमा करने गए?
तब भगवान गणपती ने विनम्र भाव से उत्तर दिया, इस पृथिवी पर माँ-बाप से बढ़कर कुछ नहीं है। माता-पिता में ही तो पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है और में सवसे पहले माता-पिता की परिक्रमा कर अपने स्थान पर वापस आ चुका हूँ।
अतः प्रथम मैं हुआ इस कारण वजयी भी मुझे ही होना चाहिए । भगवान गणपती की बुद्धिमता भरी बात सुन कर भगवान शिव बहुत प्रसन हुए। उन्होंने भगवान गणपती को यह आशीर्वाद दिया की : –
भाद्रमास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी को जो तुम्हारी पूजा करेगा। उनकी हर मुश्किल दूर होगी एवं मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। तभी से भाद्रमास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले क्यों होती है।
भगवान गणपती ने पृथिवी के चक्कर लगाने के वजाय अपने माता-पिता का परिक्रमा किए। भगवान गणपती के बुद्धिमता से प्रभावित होकर ही शिव जी ने उन्हें आशीर्वात दिया था।
भगवान शिव ने आशीर्वाद में कहा की आज से इस दुनिया में सवसे पहले तुम्हारी ही पूजा होगी। लोग अगर तुम्हारा नाम लेकर नया कार्य की शुरूआत करेंगे तो उनके कार्य निर्विध्न रूप से सम्पन होंगे।
तभी से भगवान गणेश हिंदु समुदाय के प्रथम प्रिय आराध्य देव हो गए। निर्विध्न कार्य संपन्न के लिए, चाहे वे धार्मिक यज्ञ या अन्य मंगलकार्य हो गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है।
भगबन गणेश को मोदक का भोग क्यों लगाते हैं।
पौराणिक ग्रंथों में भी मोदक का वर्णन मिलता है। मोदक का मतलव आनंद अर्थात खुशी है। Ganesh Chaturthi के अवसर पर गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है।
मोदक को निर्माण चावल या गेहूं के आटे, कद्दूकस नारियल और घी से किया जाता जाता है। कहा जाता है की मोदक भगवान गणपतीके सवसे प्रिय है।
मान्यता है की मोदक का भोग लगाने से भगवान गणपती जल्दी प्रसन होते है। इसलिए लोग अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया जाता है।
गणेश जी का वाहन चूहा कैसे बना ?
पौराणिक कथा Information About Ganesh Chaturthi In Hindi के द्वारा हम गजमुख असुर के वारें में जानते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार गजमुख नाम का एक सुरों का राजा था। दानव-राज गजमुख ने भगबन शंकर की घोर तपस्या की। उनकी घोर तपस्या से प्रभावित होकर भगबन शिव ने उन्हें दर्शन दिए।
वरदान में गजमुख ने भगवान शंकर से असीम शक्ति प्राप्त कर ली। दानव राज गजमुख अपनी शक्ति के घमंड में चूर हो गया। वह अत्यंत अहंकारी हो गया तथा देवताओं पर आक्रमण कर परेशान करने लगा ।
उनके आक्रमण से घबराकर सभी देवगण भगवान शिव के शरण में गये। भगवान शिव ने गजमुख को रोकने के लिए गणेश जी को भेजा। कहते हैं की गणेश जी और दानव गजमुख के बीच भयंकर युद्ध हुआ।
चूँकि गजमुख एक मायावी असुर था। वह गणेश जी के साथ भयंकर युद्ध में बुरी तरह से घायल होने के बावजूद भी हार नहीं माना। गजमुख नें स्वयं को एक चूहा के रूप में बदल कर आक्रमण जारी रखा।
भगवान गणपती मौका पाकर उस मायावी चूहे के ऊपर कूद कर सबार हो गए। अंततः भगवान गणपती ने गजमुख को परास्त कर अपने वस में कर लिया। असुर राज गजमुख को अपनी गलती का अहसास हुआ।
उन्होंने भगवान गणपती से क्षमा मांगी और हमेशा के लिए इसी रूप में अपने शरण में जगह देने की प्रार्थना कि। कहते हैं की तभी से गजमुक दानव, चूहा(मूषक) के रूप में भगवान गणपती का सबारी हो गया।
कैसे मनाते हैं गणेश चतुर्थी, गणेश चतुर्थी व्रत कथा और पूजा विधि
विनायक चतुर्थी यानी गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपती की विशेष पूजा कैसे की जाती है भगवान गणपती को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है। उनकी पूजा से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त होते हैं।
इस दिन घर में या सार्वजनिक स्थानों में विधनहर्ता की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है। भगवान गणपती की मूर्ति को सवसे पहले पंचामृत से नहलाया जाता है, तत्पश्चात गंगाजल से उन्हें स्नान कराते है।
इस प्रकार पूरे विधि-विधान से गणपति मन्त्र का जाप करते हुए भगवान गणेश की पूजा की जाती है। अंत में भगवान गणपती का मोदक तथा लड्डू से भोग लगाया जाता है।
गणेश विसर्जन – Ganesh visarjan (Prayer, celebrations and the immersion of deities )
गणेश महोत्सव की अंतिम दिन गणेश विसर्जन का दिन होता है। जैसा की हम जानते हैं की गणेश चतुर्थी के दिन गणेश महोत्सव की शुरुआत होती है। इस प्रकार अगले दस दिन तक घर में उत्सव का माहौल होता है।
अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश के विदाई का दिन होता है। गणेश विसर्जनके दिन गणेश जी के प्रतिमा को पवित्र जलाशयों में बड़े ही धूम-धाम से विसर्जित किया जाता है।
मुंबई में गणेश विसर्जन के अवसर पर प्रसासन के तरफ से विशेष इंतजाम किया जाता है। इस अवसर पर ऐसा लगता है की मानो पूरा मुंबई शहर सड़कों पर उतार आया हो।
एक अनुमान के मुताबिक केबल मुंबई में लगभग 150000 भगवान गणपती के मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। लोग गणपती बप्पा से अगले बरस फिर से जल्दी आने की प्रार्थना करते है।
इस प्रकार भाद्र मास चतुर्थी को शुरू होने वाला Ganesh Chaturthi का उत्सव अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त हो जाता है।
गणेश चतुर्थी का क्या महत्व है?
हिन्दू धर्म ग्रंथ के अनुसार भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्म हुआ था। भगवान गणपती के पूजन से घर में सुख समृद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।
गणपति उत्सव क्यों मनाया जाता है?
भगवान गणपती के का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए उनके जन्म दिन मनाने के लिए गणपति उत्सव क्यों मनाया जाता है।
क्यों गणेश चतुर्थी 10 दिनों के लिए मनाया जाता है?
वाल गंगाधर तिलक ने गुलाम भारत में लोगों को एकजुट करने क लिए गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से लेकर भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक मनाने का आह्वान किया। तभी से गणेश चतुर्थी 10 दिनों के लिए मनाया जाता है?
गणेश उत्सव किसने और कब शुरू किया?
वैसे तो भारत में यह त्योहार सदियों से मनाया जाता आ रहा है। लेकिन वर्तमान में गणेश उत्सव की शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 ईस्वी में किया था।
उपसंहार – ganesh chaturthi in hindi information
जैसा की आपने देखा की होली, दिवाली, दशहरा, ईद, रमजान, क्रिसमस की तरह ही गणेश-जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
लेकिन महाराष्ट्र में इस अवसर पर एक अलग ही रौनक नजर आती है। इस त्योहार के अवसर पर मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर में भक्तों की अपाड़ भीड़ उमड़ती है।
इस लेख में वर्णित गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में विभिन पत्र-पत्रिकायों, पाठ्य-पुस्तक एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संकलित है। इसमें केवल भाषा के आवरण के द्वारा लेखक के निजी विचार है।
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इसी के साथ Ganpati bappa morya मंगल मूर्ति मोरया । Happy ganesh Chaturthi 2020.