मकर संक्रांति पर तिल का महत्व, इस दिन तिल व गुड़ क्यों चढ़ाये व खाये जाते हैं।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व, इस दिन तिल व गुड़ क्यों चढ़ाये व खाये जाते हैं।

Facebook
WhatsApp
Telegram

जानिये मकर संक्रांति पर तिल का महत्व, इस दिन तिल व गुड़ क्यों चढ़ाये व खाये जाते हैं।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व – मकर संक्रांति भारत के सभी राज्यों में मनाया जाने वाला विशेष महत्व वाला त्योहार है। जब सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है तब वह मकर संक्रान्ति नाम से जाना जाता है।

14 जनवरी 2023 के दिन भगवान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। इस दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी। लेकिन भारत के कुछ स्थानों पर मकर संक्रांति 2023, 15 जनवरी को मनाया जायेगा।

उत्तर भारत में यह पर्व कही मकर सक्रान्ति और खिचड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है। वहीं गुजरात में उत्तरायण और पंजाब तथा हरियाणा में लोहडी कहा जाता है। यह पर्व उतराखंड में उतरायणी, केरल और तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मनाया जाता है।

मकर संक्रान्ति के शुभ अवसर पर गंगा सागर, हरिद्वार, काशी, प्रयागराज आदि स्थानों पर स्नान व दान का विशेष महत्व माना गया है। लोग इस दिन स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं और उन्हें नारियल आदि अर्पण किया जाता है।

शास्ततों के अनुसार इस दिन सूर्य की उपासना के बक्त श्वेतार्क तथा लाल रंग के पुष्पों का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य और उसके बाद दान करने का विशेष महत्व महत्व माना गया है।

इन्हें भी पढ़ें : मकर संक्रांति पर अपने दोस्तों को हिन्दी में संदेश भेजने के लिए क्लिक करें

READ  मकर संक्रांति के दिन कुम्भ मेले की शुरुआत होती है क्यों?

मकर संक्रांति पर तिल का क्या महत्व है

इस दिन गरीब को अन्न, तिल व गुड का दान भी श्रेषकर माना गया है। लोग इस दिन तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ का दान व सेवन करते हैं।

मकर संक्रान्ति के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। सूर्य का दक्षिणायन से उतरायन में प्रवेश के कारण इस दिन को विशेष कार्य के शुभ माना गया है। इसी दिन से देवताओं के दिनों की गणना की जाती है।

क्योंकि जब सूर्य दक्षिणायन में रहते है तो वह काल देवताओं की रात्री का काल माना जाता है। साथ ही जब सूर्य मकर संक्रांति के दिन उतरायण में प्रवेश करता है तब अगला छ माह देवताओं के दिन कहलाता है।

महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने मकर संक्राति को हो अपने देह त्यागने का दिन चुना था। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी राज भगीरथ के पीछे-पीछे चलते हुए कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समाहित हुई थी।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व
मकर संक्रांति पर तिल का महत्व

जिससे उनके 60 हजार पूर्वजों को मुक्ति मिली थी। यही कारण है की मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है।

क्यों खाया जाता है मकर संक्रांति का तिल

हमारे स्वास्थ्य की दृष्टिकोन से तिल का विशेष महत्व माना गया है। तिल की तासीर गर्म होती है। इसे खाने से शरीर में गर्मी का संचार होती है कड़ाके के ठंड से राहत मिलती है। प्राणियों में नई चेतना और कार्यशक्ति का विकास दुनित होने लगता है।

READ  भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था, क्यों

मकर संक्रान्ति के दिन खाई जाने वाली चीजों में भरपूर मात्रा में तिलों का प्रयोग किया जाता है। मकर संक्रान्ति के दिन हर घर से तिल से बने व्यंजनों की खुशबू महसूस की जा सकती है। इस दिन तिल, गुड़, चावल और तिल से बने लड्डू का सेवन करना शुभकारक होता है।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व

पौराणिक शस्त्रों के अनुसार एक बार सूर्य देव ने अपने पुत्र शनि देव का घर कुंभ क्रोध आकार भष्म कर दिया। क्योंकि कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं। लेकिन कहा जाता है मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव नाराजगी त्याग कर अपने पुत्र शनि से मिलने आए थे।

उनके पास काले तिल के अलावा सब कुछ जलकर राख हो चुका था। तब शनि देव ने अपने पिता सूर्य देव कि पूजा काले तिल से पूजा की थी। अपने पुत्र के भक्ति भाव को देखकर सूर्य देव बहुत प्रसन्न हुए।

फलतः प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने अपने पुत्र शनि को उनका दूसरा घर मकर प्रदान किया। चूंकि तिल से पूजा करने से शनि देव के घर में सुख शांति आई। इस कारण से मान्यता है की इस दिन तिल से पूजा करने से सनी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

शास्त्रों के अनुसार यह भी मान्यता है की मकर संक्रांति के दिन, तिल का तेल उबटन के रूप में लगाकर स्नान करने से रोग, दोष और भय से छुटकारा मिलता है। भगवान सूर्य देव की कृपा से घर में सुख शांति आती है।

READ  14 जनवरी को मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं | Makar sankranti 14 January ko kyu manate hai

यही कारण हिय की हमारे धार्मिक और मांगलिक कार्यों में, चाहें वह पूजा अर्चना हो या हवन हर स्थान पर तिल की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है।

F.A.Q

Q. मकर संक्रांति पर तिल का क्या महत्व है?

आध्यात्मिक महत्व – तिल से इस दिन पूजा करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घर मे सुख और समृद्धि आती है।
वैज्ञानिक महत्व – तिल कई विटामिन और मिनरल से भरपूर होता है, साथ ही तिल की तासीर गर्म होती है। इसे खाने से शरीर में ठंढक से लड़ने की अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है।

इन्हें भी पढ़ें :

मकर संक्रांति के दिन गंगा जी का घरती पर अवतरण क्यों हुआ था? 

मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला क्यों लगता है जानिये धार्मिक महत्व की बातें ,

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा जैसी पवित्र नदियों मे स्नान किया जाता है, क्यों

मकर संक्रांति के दिन पतंग क्यों उड़ाया जाता है। जानिये रोचक तथ्य

मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को ही मनाया जाता है क्यों ?

मकर संक्रांति को खिचड़ी और कहीं दही-चुरा क्यों खाया जाता है?

भीष्म पितामह ने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन को क्यों चुना था?

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है जानिये मकर संक्रांति 10 लाइन में

Amit

Amit

मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

Leave a Comment

Trending Posts