MAHA SHIV PURAN IN HINDI – शिव पुराण भगवान भोले शंकर को समर्पित हिन्दू समुदाय का पवित्र धर्मग्रंथ है। क्या आप जानते हैं 18 पुराणों में से 6 पुराण केवल भगवान शिव को समर्पित है। इन सभी पुराणों में शिव पुराण का महत्व विशेष रूप से माना गया है।
जिसमें उन्हें योगीराज, तपस्वी और करुणा का अवतार बताया गया है। भगवान शिव सहज ही प्रसन्न होने और त्वरित फल देने वाले देवों के देव महादेव के रूप में जाने जाते हैं।शिव पुराण में भगवान शिव के महत्ता और उनके जीवन से जुड़ी हुई बिभिन घटनाओं क वर्णन मिलता है।
इसमें शिव और पार्वती विवाह, गणेश और कार्तिक की के रूप में पुत्र की उत्पत्ति, और कैलाश पर्बत पर उनके वास करने की चर्चा की गई है। इस प्रकार शिव पुराण में शिव महिमा और शिव भक्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है।
यह ग्रंथ मूल रूप में संस्कृत भाषा में लिखी गयी है जिसमें भगवान शिव की सहस्र नाम की भी चर्चा की गयी है। शैव भक्तों के लिए शिव पुराण गीता से कम नहीं है। इसी पुराण में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन मिलता है।
जानिए शिव पुराण में क्या है – MAHA SHIV PURAN IN HINDI
शिव पुराण में शिव महिमा का वर्णन
शिव की आराधना मूर्ति और ज्योतिर्लिंग, दोनो रूपों में की जाती है। शिव पुराणों के अनुसार भगवान शिव जहाँ-जहाँ प्रकट हुए हैं। उस स्थान पर उनकी पूजा ज्योतिर्लिंग के रूप में की जाती है।
शिव पुराण सनातन धर्म के लोगों के लिए पवित्र ग्रंथ है। हिन्दू धर्म के मान्यता के अनुसार शिव पुराण का पाठ करने से सर्व मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। जैसे की हम जानते हैं की शिव पुराण में शिव के महिमा का बखान किया गया।
कहते हैं की Shiv Puran का सच्ची आस्था और पूर्ण श्रद्धा से पाठ करने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। वैवाहिक जीवन से जुड़ी सारी अर्चन दूर होकर जीवन में खुशहाली आती है। इसके पाठ से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते है।
इस प्रकार शिव पुराण मानव के समस्त पाप को हरने वाला एवं मोक्ष परदायक माना गया है। शिव पुराण के पठन-पाठन से मन भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाता है और अंत में भगवान शिव के परमधाम की प्राप्ति होती है।
सावन के महीने में, सोमवार के दिन और महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव पुराण का पाठ करने से भोले शंकर अति प्रसन्न होते हैं। इस दौरान इच्छित फल प्राप्ति के लिए पूरी विधि विधान से शिव पुराण का पाठ करना चाहिए।
जानिए शिव पुराण में कहाँ क्या है – ABOUT MAHA SHIV PURAN IN HINDI
भगवान शिव की लीलाओं एवं कथाओं का शिव पुराणमें विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। इसके साथ ही शिव पुराण में शिव की पूजा व आराधना का भी विस्तारित रूप में वर्णन है।
इस पुराण में भगवान शिव के विभिन अवतारों के साथ 12 ज्योतिर्लिंगों का विशद् वर्णन दिया गया है।
शिव पुराण में करीव पचीस हजार श्लोक वर्णित है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से 6 संहिता में विभक्त है। इन संहिता के नाम हैं – विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता, कैलास और वायु संहिता।
1. विद्येश्वर संहिता : शिव पुराण के इस संहिता में महा शिवरात्रि व्रत, ओंकार का महत्त्व, शिवलिंग की पूजा विधि का विस्तार से उल्लेख किया गया। है। इसके साथ इसमें रुद्राक्ष के महत्व को भी दर्शाया गया है।
2. रुद्र संहिता– रुद्र संहिता में Shankar Bhagwan का जीवन-चरित्र उल्लेख किया गया है। इसमें पार्वती विवाह, कार्तिकेय और गणेश का जन्म, पृथ्वी परिक्रमा की कथा आदि का विस्तार से उल्लेख है।
3. कोटिरुद्र संहिता– शिव पुराण के इसी संहिता में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों का वर्णन मिलता है। इसी पुराण मे भगवान शिव के सहस्त्र नामों का भी जिक्र मिलता है। इसकी चर्चा नीचे दी गयी है। कृपया आप इस लेख को एक वार पूरा पढ़ें।
4. उमा संहिता – इसमें शिव पार्वती के कथा का सविस्तर से वर्णन किया गया है। उमा संहिता में ही देवी पार्वती के लीलाओं का उल्लेख किया गया है। Shiv Puran के इस संहिता में भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप का भी वर्णन मिलता है।
5. कैलास संहिता – इस संहिता में ओंकार के महत्व का वर्णन है। इसके साथ इसमें योग का विस्तार से उल्लेख मिलता है।
6. वायु संहिता– यह संहिता दो भाग में विभक्त है। पूर्व और उत्तर। इन दोनों भागों में मोक्ष के लिए शिव की आराधना, योग और शिव-ध्यान का महत्व को समझाया गया है।
शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंग – JYOTIRLING AND MAHA SHIV PURAN IN HINDI
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिव पुराण के कोटिरुद्र संहिता में वर्णित है। ये बारह शिव लिंग अति प्राचीन हैं। कहते हैं की इसमें Shiv Shankar का साक्षात वास है। भारत वर्ष में इस 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन का विशेष महत्व है। इन 12 ज्योतिर्लिंग के नाम इस प्रकार हैं।
1- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग -भारत के गुजरात में स्थित यह ज्योतिर्लिंग सबसे प्राचीन माना जाता है। शिवपुराण के आधार इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्र भगवान ने की थी। जीसे भगवान शिव ने उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया।
2 – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग– यह ज्योतिर्लिंग भारत के आन्ध्र प्रदेश राज्य के श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है।
3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी में स्थित है।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में इंदौर के पास स्थित है। ऊं के आकार होने के कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5 – केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – यह ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। जो उत्तराखंड में स्थित है।
6 – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे के पास सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है।
7 – काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का खास महत्व है।
8 – त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है।
9 – वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – यह स्थान झारखण्ड राज्य के देवघर में स्थित है।
10 – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका में स्थित है।
11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग – यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित है।
12 – घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग – यह महाराष्ट्र के दौलताबाद के पास स्थित है। है।
इस प्रकार हमने भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के नामों का संक्षेप में वर्णन किया है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।
शिव पुराण में भगवान शिव के सहस्त्र नाम – 108 nAMES oF sHIVA iN MAHA SHIV PURAN IN HINDI
Shiv Puran के कोटिरुद्र संहिता में ही भगवान विष्णु द्वारा प्रदत भगवान शंकर के सहस्त्र नामों का उल्लेख मिलता है। भगवान शिव के 108 नाम हैं –
1. शिव 2. महेश्वर 3. शंभू 4. शशिशेखर 5. जटाधर 6. वामदेव 7. महादेव 8. कपर्दी 9. शंकर 10. नीललोहित 11. शूलपाणी 12. खटवांगी 13. विष्णुवल्लभ 14. शिपिविष्ट 15. अंबिकानाथ
16. श्रीकण्ठ 17. भक्तवत्सल 18. भव 19. शर्व 20. त्रिलोकेश 21. शितिकण्ठ 22. शिवाप्रिय 23. उग्र 24. कपाली 25. कामारी 26. सुरसूदन 27. गंगाधर 28. ललाटाक्ष 29. महाकाल 30. कृपानिधि
31. भीम 32. परशुहस्त 33. मृगपाणी 34. पिनाकी 35. कैलाशवासी 36. कवची 37. कठोर 38. त्रिपुरांतक 39. वृषांक 40. वृषभारूढ़ 41. भस्मोद्धूलितविग्रह 42. सामप्रिय 43. स्वरमयी 44. त्रयीमूर्ति 45. अनीश्वर
46. सर्वज्ञ 47. परमात्मा 48. सोमसूर्याग्निलोचन 49. हवि 50. जगद्गुरू
MAHA SHIV PURAN IN HINDI language – इसके साथ शिव के नाम हैं-
51. दिगम्बर 52. पंचवक्त्र 53. सदाशिव 54. विश्वेश्वर 55. वीरभद्र 56. गणनाथ 57. प्रजापति 58. हिरण्यरेता 59. दुर्धुर्ष 60. गिरीश 61. सोम 62. अनघ 63. भुजंगभूषण 64. भर्ग 65. गिरिधन्वा
66. यज्ञमय 67. कृत्तिवासा 68. पुराराति 69. भगवान् 70. प्रमथाधिप 71. मृत्युंजय 72. सूक्ष्मतनु 73. परमेश्वर 74. गिरिप्रिय 75. व्योमकेश 76. महासेनजनक 77. चारुविक्रम 78. रूद् 79. भूतपति
80. स्थाणु 81. अहिर्बुध्न्य 82. पशुपति 83. अष्टमूर्ति 84. अनेकात्मा 85. सात्त्विक 86. शुद्धविग्रह 87. शाश्वत 88. खण्डपरशु 89. अज 90. पाशविमोचन 91. मृड 92. गिरिश्वर 93. देव 94. विरूपाक्ष
95. अव्यय 96. हरि 97. अनंत 98. अव्यग्र 99. दक्षाध्वरहर 100. पूषदन्तभित् 101. भगनेत्रभिद् 102. अव्यक्त 103-सहस्राक्ष 104. सहस्रपाद 105. अपवर्गप्रद 106. अनंत 107. तारक 108. जगद्व्यापी
उपसंहार
शिव पुराण का पाठ के लिए सावन का महिना और सोमवार का दिन शुभ माना गया है। भगवान शिव के आराधना के लिए यह समय सवसे अच्छा होता है
कहते हैं की इस दिन भगवान शिव की आराधना से चंद्रमा का कायाकल्प हो गया था। और भगवान शिव ने खुश होकर उन्हें अपने जटाओं में स्थान दिया। हम सबों को शिव पुराण का श्रवण करना चाहिए।
‘जानिए शिव पुराण में क्या है‘ (MAHA SHIV PURAN IN HINDI ) शीर्षक वाला यह लेख आपको जरूर अच्छा लगा होगा। अपने सुझाव से अवगत करायें।
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