गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद क्या होता है (WHAT HAPPENS AFTER DEATH AS PER GARUDA PURANA IN HINDI)
गरुड़ पुराण (Garuda Purana) सनातन धर्म का पवित्र ग्रंथ माना जाता है। कुल अठारह महापुराणों में गरुड़ पुराण का अपना विशेष महत्व है। गरुड़ पुराण भगवान विष्णु को समर्पित है। इस पुराण में विष्णु भक्ति का विशेष रूप से वर्णन मिलता है।
मृत्यु के वाद कर्मों के अनुसार जीव को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है। मनुष्य के परलोक में जाने के बाद कर्मों के अनुसार स्वर्ग का सुख या नरक की यातना को भुगतना पड़ता है। मृत्यु के वाद स्वर्ग का सुख या नरक का भोग किस प्रकार भोगना है,
इसका विस्तृत विवेचन गरुड़ पुराण मे दिया गया है। मौत से पहले और उसके बाद की स्थिति के बारे में गरुड़ पुराण में विस्तारपूर्वक बताया गया है। चौरासी लाख योनियाँ के बारें में जो हम सुनते हैं उसका भी जिक्र इस गरुड़ पुराण में उपलबद्ध है।
यह संसार नश्वर है, इसका विश्लेषण गरुड़ पुराण में मिलता है। इसके अलावा गरुड़ पुराण में इहलोक और परलोक का भी जिक्र किया गया है। इसमें जन-जन्मांतर के बंधन से मुक्ति पाकर वैकुंठ प्राप्ति के बारें में भी वर्णन मिलता है। तो चलिये गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा हिंदी में जानते हैं।
इसका नाम क्यों गरुड़ पुराण पड़ा।
वास्तव में गरुड़ पुराण, विष्णु भगवान द्वारा गरुड को दिए गये ज्ञानमय उपदेश का विवेचन है। भगवान विष्णु का वाहन गरुड जी को माना जाता है। कहते हैं की एक वार गरुड़ जी ने भगवान विष्णु से जन्म-मरण से छुटकारा पाने का मार्ग जानना चाहा।
साथ ही उन्होंने विष्णु जी से स्वर्ग, नरक, मृत्यु और मोक्ष से संबंधित गूढ प्रश्न के उत्तर जानने की जिज्ञासा प्रकट की।भगवान विष्णु ने गरुड जी की जिज्ञासा शांत करने के लिए इन गूढ रहस्यों पर से पर्दा उठाया।
चूंकि गरुड जी के प्रयास से ही भगवान विष्णु के श्री मुख से आत्मा-परमात्मा, जीवन मरण जैसे गूढ व हितकारी वचन प्रकट हुए। इसलिए इस पुराण को गरुड़ पुराण के नाम से जाना गया।
गरुड़ पुराण के भाग
Garud Puran मुख्यतः 2 खंडों में विभाजित है। पूर्वखंड (आचार खंड ), उत्तरखंड (धर्म काण्ड -प्रेत कल्प )
पूर्वखंड (आचार खंड )
गरुड़ पुराण अध्याय 1 पहले भाग में भगवान विष्णु की भक्ति की विस्तृत विवेचन किया गया है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार मृत्यु पश्चात ‘गरूड़ पुराण’ के श्रवण का शुभ माना गया है।
इसमें भक्ति ज्ञान, वैराग्य, सदाचार एवं निष्काम कर्म की महिमा, यज्ञ, दान, ताप, तीर्थसेवन, देव पूजन, आदि वर्णन है। इसके साथ इसमे व्याकरण, छंद, ज्योतिष , आयुर्वेद, रत्न सार , नीति सार का उल्लेख है।
गरुड़ पुराण में 19000 (उन्नीस हजार) श्लोक माने जाते है। गरुड़ पुराण के 3 भागों में से दो भाग मुख्य हैं- पूर्वखण्ड तथा उत्तरखण्ड। पूर्वखण्ड में कुल 229 अध्याय हैं।
उत्तरखंड (धर्म काण्ड -प्रेत खंड )
गरुड़ पुराण के उत्तरखंड में प्रेतकल्प का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। इसमें मृत्यु का स्वरूप, मरनासन व्यक्ति की अवस्था, तथा उनके कल्याण के लिए अंतिम समय में किए जाने वाले क्रिया-कृत्य का विधान है।
गरुड़ पुराण के पाठन या श्रवण से मृत्यु के बाद जीव की गति क्या होती है इसका पता चलता है। इसके पढ़ने से ज्ञात होता है की मृत्यु पश्चात आत्मा किस तरह अपने कर्मों के अनुसार स्वर्गीय सुख अथवा नारकीय यातनाएं भोगता है।
इसके अलावा गरुड़ पुराण में जन्म-जन्मांतर से मुक्ति का मार्ग भी वर्णित है। गरुड़ पुराण के इस खंड में मृत्यु के बाद श्राद्ध क्रम एवं पिंडदान के साथ पापों से प्रयश्चित का मार्ग बताया गया है।
स्वर्ग,नरक और प्रभु के परमधाम बैकुंठ का वर्णन भी गरुर पुराण में ही निहित है। इसके साथ इसमें धर्म काम व मोक्ष के वारें में बताया गया है।
गरुड़ पुराण का महत्व
कहते हैं की कश्यप ऋषि ने इस इस महापुराण का श्रवण कर गारुड़ी विद्या हासिल कर ली। इस गारुड़ी विद्या के बल से उसने एक जले हुए वृक्ष को हरा भरा कर दिया। गरुड जी इस विद्या के द्वारा कई प्राणियों की रक्षा की।
गरुड़ पुराण का महत्व सनातन धर्म में सर्वोपरी होने के बावजूद आम जन इसके विषय बस्तु से अनजान हैं। गरुड़ पुराण का पठन-पाठन व श्रावण यश आरोग्य तथा लक्ष्मी प्रदायक माना गया है। कहते हैं की जो मनुष्य एकाग्रचित होकर गरुड़ पुराण का पाठ करता है।
उसे धर्म काम व मोक्ष तीनों की प्राप्ति संभव है। गरुड़ पुराण को शास्त्र-सम्मत पुराण माना गया है। माना जाता है की इस पुराण के मात्र एक श्लोक के पाठ से भी शत्रु का विनाश संभव है।
गरुड पुराण का पाठ आकाल मृत्यु के भय को खत्म करता है। जैसे देवों में जनार्दन, शस्त्रों में सुदर्शन चक्र वैसे ही पुराणों में गरुड़ पुराण को श्रेष्ट माना गया है।
गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा – garud puran katha in hindi
इस पुराण में वर्णित कथा के अनुसार प्राचीन काल में पक्षीराज गरुड ने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की। फलस्वरूप भगवान विष्णु उनके तपस्या से खुश होकर गरुड जी वरदान मांगने को कहा।
गरुड जी ने कर वद्ध प्रार्थना कर भगवान विष्णु से वरदान मांगे। हे प्रभु मेरी माता विनीता को नागों ने दासी बना लिया है। इसीलिए मुझे वरदान दें की मेरे अंदर विषों को शमन करने की शक्ति आ जाय।
ताकि में नागों का विदीर्ण कर अपने माता को उनकी दासता से मुक्त करा सकूँ। इसके साथ मुझे अपना वाहन बनाने के साथ पुराण रचनाकार हो सकूँ ऐसा ही वर दें। भगवान विष्णु ने कहा तथा अस्तु।
भगवान विष्णु ने गरुड जी को वरदान देते हुए कहा की आप सर्वशक्ति सम्पन होकर मेरे वाहन होंगे। साथ ही विषों के शमन करने की शक्ति आपके अंदर मौजूद होगी। मेरे ही कृपा से तुम, मेरे ही महात्म का वर्णन करने वाली पुराण संहिता का प्रणयन करेंगे।
इस कारण तुम्हारा नाम गरुड़ पुराण के नाम से जगत प्रसिद्ध होगी। भगवान द्वारा यह वरदान दिए जाने के वाद कश्यप ऋषि के आग्रह पर गरुड जी ने इसे कश्यप ऋषि को सुनाया।
इस पुराण से संबंधित ज्ञान सवसे पहले ब्रह्माजी भगवान विष्णु से सुनी। ब्रह्मा जी ने इस ज्ञान को महर्षि वेद व्यास को दिया था। व्यासजी से यह ज्ञान सूतजी के पास गया। सुतजी से यह ज्ञान शौनक ऋषि-मुनियों तक आया।
गरुड़ पुराण से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
Garuda Purana के अनुसार सत्य के पालन से ही धर्म की रक्षा होती है। सतत अभ्यास से विद्या की रक्षा होती है।
गरुड़ पुराण के अनुसार शुद्धि दो प्रकार की होती है। पहली बाहरी शुद्धि और दूसरी आंतरिक शुद्धि। जल व मिट्टी से की जाने वाली शुद्धि बाहरी शुद्धि कहलाती है। जबकि भावों की शुद्धि को आंतरिक शुद्धि माना गया है।
गरुड़ पुराण में वर्णित तथ्य के आधार पर जलदान से तृप्ति, अन्न दान से अक्षय सुख और तिल दान से अभीष्ट संतान की प्राप्ति होती है। सभी प्राचीन ग्रंथों में व्रत, अनुष्ठान, दान, एवं श्राद्ध क्रम के लिए पर्युक्त मूल श्लोक गरुड़ पुराण से ही संदर्भित है।
गरुड़ पुराण में जीवन के कई गूढ रहस्य पर से पर्दा हटाया गया है। इस पुराण का श्रवण मृत्यु पश्चात सद्गति प्रदायक माना गया है। इसमें मृत्यु पश्चात जीवों के गति का वर्णन है। गरुड़ पुराण में, मृत्यु के पहले तथा उसके बाद की अवस्था के बारे में विस्तृत विवेचन मिलता है।
भगवान श्री हरी की भक्ति और उनके परम ज्ञान पर आधारित गरुड़ पुराण प्रत्येक व्यक्ति अवश्य पढ़ना चाहिए। गरुड़ पुराण सार भी इसी तरफ इशारा करता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार स्त्रियों को कभी 4 काम नहीं करने चाहिए। स्त्रियों को दीर्घकाल तक अपने जीवनसाथी से दूर नहीं रहना चाहिए। सम्मानित और सुरक्षित जीवन यापन के लिए अपने पार्टनर के दूर नहीं रहना चाहिये।
दुष्ट चरित्र के लोगों से स्त्रियों को दूर रहना चाहिए । स्त्रियों को घर के सभी बड़े सदस्य को सदा सम्मान देना चाहिए। अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए अकारण घर से बाहर न जायें तो अच्छा है।
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