आज के इस अर्थ युग में किसी के पास इतना समय नहीं है की वे पुराण के मोटी ग्रंथ को पढने के लिए समय निकाल सकें। लेकिन हमें भारत के इस पवित्र ग्रंथ के बारें में जानना भी चाहिये। आखिर क्या है इस ग्रंथ में। हिन्दी धर्म में इस ग्रंथ का इतना महत्व क्यों है।
इसलिए Summary of Vishnu Puran in Hindi के इस पुराण सीरीज में विष्णु पुराण के वारे में विस्तार से जानेंगे। इसके द्वारा अल्प समय में विष्णु पुराण की कहानियाँ और इसके महत्व को समझा जा सकता है।
विष्णु पुराण को हिन्दू धर्म ग्रंथ के अठारह महापुराणों में से एक है। अठारह महापुराणों में विष्णु पुराण का महत्व सर्वोपरि है। यह पुराण भगवान विष्णु को समर्पित है। इस पुराण में भगवान विष्णु के महिमा का विस्तार पूर्वक बखान किया गया है।
विष्णु पुराण भले ही आकार में सबसे छोटा पुराण है लेकिन पौराणिक काल से ही इस पुराण को विशेष मान्यता दी गयी है। इस पुराण को पुराणरत्न अर्थात पुराणों का रत्न भी कहा गया है।
विष्णु पुराण में मुख्यतः श्रीकृष्ण के चरित्र का वर्णन मिलता है। लेकिन संक्षेप में भगवान राम के कथा का भी उल्लेख किया गया है। इस पुराण में ज्ञान और भक्ति की विवेचना अत्यंत ही सरल और सुबोध भाषा में की गयी है।
विष्णु पुराण में भूगोल, ज्योतिष, कलयुग और सूर्यवंशी तथा चंद्रवंशी राजाओं के इतिहास के वारें में बड़े ही तार्किक ढंग से वर्णन किया गया है। इसके साथ विष्णु पुराण में मुख्य रूप से श्री कृष्ण के जीवन चरित्र का व्यापक वर्णन मिलता है।
विष्णु पुराण में ही भगवान विष्णु के परम भक्त ध्रुव और प्रह्लाद की कथा, सात सागरों के वर्णन और कल्पान्त में प्रलय का भी जिक्र किया गया है। यद्यपि विष्णु पुराण भगवान श्री हरी को समर्पित है।
लेकिन भगवान शिव के लिये भी इसमें समादर का भाव प्रकट किया गया है। चलिये जानते हैं विष्णु पुराण के बारे में विशेष –
विष्णु पुराण में शलोंको की संख्या – Vishnu Puran in Hindi
विष्णु पुराण में भी ब्रह्मांड के सृष्टि से लेकर उसके महा-विनाश तक की कहानी है। विष्णु पुराण में कुल श्लोकों की संख्या सात हजार के करीव बताई गयी है।
कुछ पुराणों के अनुसार विष्णु पुराण के शलोकों की संख्या तेईस हजार के करीव बताई गयी है। विष्णु पुराण छह भागों अथवा अंशों में विभक्त है।
विष्णु पुराण के 6 खंडों का विवरण
इस पुराण के पहले भाग में सृष्टि की उत्पत्ति, काल का स्वरूप, ध्रुव और प्रह्लाद की कथाओं का वर्णन है। इसके दूसरे भाग में पृथ्वी के नौ खण्डों, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष और पृथ्वी के तीनों लोक का स्वरूप आदि का वर्णन है।
तीसरे भाग में मन्वन्तर, ग्रंथों का विस्तार, गृहस्थ धर्म, श्राद्ध कर्म आदि का उल्लेख मिलता है। विष्णु पुराण के चौथे भाग में राजवंशों और उनकी वंशावलियों का सविस्तर वर्णन है।
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र और उनके लीलाओं का वर्णन विष्णु पुराण के पांचवें भाग में दिया गया है। इस छठे भाग में सृष्टि का महाप्रलय, कलयुग और मोक्ष आदि का वर्णन मिलता है।
विष्णु पुराण के रचनाकार – Vishnu Puran in Hindi
इस पुराण के रचीयता महर्षि वेदव्यास के पिता पराशर ऋषि को माना जाता है। महर्षि पराशर महर्षि वसिष्ठ के पौत्र थे। श्री विष्णु पुराण का ज्ञान परासर ऋषि द्वारा अपने शिष्य श्री मैत्रेय ऋषि जी सुनाया गया।
महर्षि पराशर ने मैत्रेय ऋषि को बताया हे मैत्रेय जो ज्ञान आज में तुम्हें सुनाने जा रहा हूँ । वह प्रसंग दक्षादी मुनि ने राजा पुरुकुटस को सुनाया था। राजा पुरुकुटस से होते हुए यह ज्ञान मेरे पास पहुंचा। इस प्रकार पराशर ने विष्णु पुराण की रचना की।
परासर ऋषि कैसे विष्णु पुराण के रचियाता बने।
एक समय की बात है मेरे पिता को जब असुरों ने वध कर दिया तो में अत्यंत क्रोधित हो गया। क्रोधावेश में आकार मैंने असुरों का विनाश करने की ठान ली। मैंने असुरों के विनाश मे लिए एक यज्ञ का आयोजन किया।
यज्ञ के आहुति में अनगिनत राक्षस गिरकर और जलकर मरने लगे। तव मेरे दादा महर्षि वशिष्ठ ने मुझे समझाया की अपने क्रोध को शांत करो। इन असुरों का कोई दोष नहीं है।
तुम्हारे पिता के भाग्य का लेख कुछ ऐसा ही था। ज्ञानी पुरुष को क्रोध शोभा नहीं देता। मृत्यु और जीवन दोनो ईश्वर के अधीन है। यज्ञ को यहीं रोक दो और एक क्षमाशील की तरह उन्हें क्षमा कर दो।
उनकी आज्ञा मान कर मैंने यज्ञ बंद कर दिया। उस बक्त पुलसत्य जी वहाँ उपस्थित थे। उन्होंने प्रसन होकर मुझे आशीर्वाद दिया की सम्पूर्ण शस्त्रों का ज्ञान मुझे सहज ही प्राप्त हो जाएगा। जिससे तुम पुराण संहिता की रचनाकार बनोगे।
कहते हैं की उनकी कृपा से पराशर ऋषि को ईश्वर के यथार्थ रूप का ज्ञान हो गया। उन्हें ज्ञात हो गया की सृष्टि के रचियाता भगवान विष्णु हैं, वही इनके पालक है और सृष्टि के अंत में सव कुछ उसी में विलीन हो जाएगा।
इससे पता चलता है की पराशर ऋषि ने श्रुति के आधार पर विष्णु पुराण की रचना की। क्योंकि वास्तविक ज्ञान परम पिता परमात्मा ने सृष्टि के आदि में ही ब्रह्मा जी को दिया था।
विष्णु पुराण में महर्षि पराशर द्वारा मैत्रेय ऋषि को सुनाए गये संवाद को 6 अंशों में बांटा गया है। आइए इसे विस्तार से जानते हैं।
विष्णु पुराण की कथाएँ
इस पुराण के पूर्व भाग को 6 अंशों में विभक्त कर वर्णन किया गया है। आइए जानते है किस अंश में किया लिखा गया है।
विष्णु पुराण पूर्व भाग-प्रथम अंश – Vishnu Puran
इस पुराण के पूर्व भाग के प्रथम अंश में अवतरणिका दी गयी है। इसमें देवताओं और असुरों के द्वारा सागर मंथन की कथा, पृथु का चरित्र, दक्षादी के वंश का वर्णन, श्री विष्णु के परम भक्त ध्रुव और प्रह्लाद की कथा का वर्णन बहुत ही रोचक ढंग से की गयी है।
पूर्व भाग-द्वितीय अंश
स्वर्गों, नरक और पाताल का वर्णन विष्णु पुराण के पूर्व भाग-द्वितीय अंश में किया गया है। इसके अलावा इसमें, प्रियव्रत के वंश, सूर्यादि ग्रहों की गति, भरत चरित्र, निदाघ और ऋभु का संवाद दिए गये है।
पूर्व भाग-तीसरा अंश
विष्णु पुराण मे इसी अंश में मन्वन्तरों का वर्णन, वेदव्यास का जन्म, नरकों से उद्धार का वर्णन मिलता है। तीसरे अंश में ही सगर और और्ब का संवाद, श्राद्धकल्प,वर्णाश्रम तथा महामोह के बारें में चर्चा की गयी है।
पूर्व भाग-चतुर्थ अंश
राजवंशों का वर्णन अर्थात विष्णु पुराण के पूर्व भाग के चतुर्थ अंश में सूर्यवंश और चन्द्रवंश के वर्णन के साथ नाना प्रकार के राजाओं के वृतान्त का जिक्र है।
पूर्व भाग-पंचम अंश
विष्णु पुराण के पंचम अंश में भगवान श्री कृष्ण का जन्म, बाल्यावस्था में कान्हा द्वारा पूतना नामक राक्षसी का वध, गोकुल की कथा, कालिया नाग की कथा, कंस का वध कर अपने माता पिता को कारागृह से मुक्ति दिलाना, अनेकों दुराचारी का वध का वर्णन किया गया है।
इसके साथ ही इसमें जरासंध का वध, द्वारका में रहकर शत्रुओं के वध के और राधा कृष्ण का प्रेम इत्यादि का वर्णन किया गया है।
पूर्व भाग-छठा अंश – Vishnu Puran in Hindi
कलियुग के चरित्र, महाप्रलय आदि के बारें में इस पुराण के छठा अंश में विस्तार के साथ बताया गया है। इस पुराण में कलयुग के अंत में सृष्टि के विनाश की चर्चा की गयी है। विष्णु पुराण के अनुसार कलयुग का अंत जैसे-जैसे निकट आते जाएगा पृथ्वी बिनाश की तरफ अग्रसर होती जायेगी।
गर्मी बढ़ती चली जायेगी। बारिश बंद हो जाएगी। प्रचंड गर्मी के कारण पेड़ पौधे सूखने लगेंगे। धरती में पानी के विना दरारें पड़ जाएंगी। जीव मात्र पानी के बूंद बूंद को तरसेंगे।
अंततः प्रचंड गर्मी से पृथिवी के हिमशंड पिघल जायेंगे और प्रलय आ जाएगा। इस प्रकार पुराण हमें indirectly जल संरक्षण की तरफ भी इशारा करती है।
विष्णु पुराण के उत्तर भाग का विवरण – Vishnu Puran in Hindi
विष्णु पुराण के प्रथम भाग के 6 अंश के समाप्ति के वाद इसके उत्तरभाग का प्रारम्भ होता है। इसमें सनातन विष्णुधर्मोत्तर नामसे प्रसिद्ध अनेकों धर्म कथाओं का वर्णन है।
इसके साथ इसमें यम, नियम, धर्मशास्त्र, वेदान्त व ज्योतिष से संबंधित विद्यायें का वर्णन मिलता है। वास्तब में विष्णुपुराण सब शास्त्रों के सिद्धान्त का संग्रह है।
विष्णु पुराण के पाठन व श्रवण का महत्व
इसमे महर्षि वेदव्यास ने वाराह कल्प के वारें में कहा है। कहते हैं की जो मानव पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ विष्णु पुराण का पाठ व श्रवण करते हैं। उनके सारे पाप कर्मों का नाश होकर सर्वमनोकामना की पूर्ति होती है।
विष्णु पुराण के श्रवण व पाठ से आयु, यश, धन-धान्य और विद्या की प्राप्ति होती है। सारे सुखों को भोगने के बाद अंत में श्री विष्णु के परमधाम विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। इस प्रकार विष्णु पुराण भगवान विष्णु के दस अवतारों के साथ उनकी सम्पूर्ण कहानियों का वर्णन है।
विष्णु पुराण को सबसे महत्वपूर्ण पुराणों में से एक माना गया है। प्रत्येक सनातन धर्मी को इस पुराण को इस बार जरूर पाठन या श्रवण करना चाहिए।
आपको विष्णु पुराण की कहानियाँ (SUMMARY OF VISHNU PURAN IN HINDI ) शीर्षक के द्वारा इस आर्टिकल्स में विष्णु पुराण के बारे में बताने को एक छोटा सा प्रयास किया गया है। आशा है यह आर्टिकल्स आपको पसंद आया होगा।
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