NATIONAL ANTHEM OF INDIA IN HINDI – जानें, 1950 में, क्यों ‘जन गण मन’ को भारत का राष्ट्रीय गान बना।
Lyrics of National anthem of india in Hindi
जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत भाग्य विधाता । पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा, द्राविड़-उत्कल-बंग विंध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे, गाहे तव जय-गाथा । जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता । जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ।
भारत के राष्टगान Jana Gana Mana
भारत का राष्ट्रगन (National anthem of India in Hindi ) भारत की राष्ट्रीय पहचान है। इसे अनेक अवसरों पर गाया जाता है। इसे भारत के संविधान सभा द्वारा सन 1950 ईस्वी में राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया।
राष्ट्रगान के गायन के समय उचित शिष्टता का पालन आवश्यक है। भारत का राष्ट्रगान की रचना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की है। सन 1911 में पहली बार राष्ट्र-गान को गाया था। आइए राष्ट्रगान के बारें में विस्तार से जानते हैं।
संविधान सभा द्वार राष्ट्रगान का चयन
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित गान में पांच पद हैं। जबकि केवल इसके पहले पद को ही भारत का राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के द्वारा अंगीकार किया गया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित पांचों पद इस लेख में अंत में दिया गया है।
बंदे मातरम और Jana Gana Mana दोनो में से एक राष्ट्र-गान के रूप में चुनेने के लिए संविधान सभा के पास विकल्प था। लेकिन 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से जन-गण-मन को राष्ट्रगान के रूप में अंगीकार का लिया गया।
इसके अर्थ की वजह से ही इसे भारत का राष्ट्रगान के रूप में अंगीकार किया गया। जबकि बंदे मातरम के शुरुआत के सिर्फ चार पद ही देश को समर्पित है।
बाद की पद में माँ दुर्गा की स्तुति है। यही कारण है की जन-गण-मन को राष्ट्र-गान के रूप में चुना गया। इसके साथ ही बंदे मातरम को राष्ट्रगीत के रूप में मान्यता मिली।
जन गण मन कितने सेकंड में गाया जाता है?
पूर्ण राष्ट्र-गान को बजाने व गायन के लिए 52 सेकंड का समय निर्धारित किया गया है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान के संक्षिप्त पाठ भी बजाया और गाया जाता है। जन गण मन कितने सेकंड में गाया जाता है?
जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता । जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ।
NATIONAL ANTHEM OF INDIA IN HINDI संक्षिप्त रूप
संक्षिप्त पाठ के गायन में राष्ट्र-गान के केवल पहली और अंतिम पंक्तियां को ही गाया जाता है। इसके लिए 20 सेकंड का समय निर्धारित है।
राष्ट्र-गान के रचनाकार – who wrote the national anthem of india in Hindi
भारत का राष्ट्रगान, महान कवि व नोवेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने लिखा था। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे सन 1905 ईस्वी में बांग्ला भाषा में लिखा था। बाद में भारत का राष्ट्रगान को आबिद अली ने हिन्दी में अनुवाद किया ।
राष्ट्रगान का अग्रेजी में अनुवाद स्वयं गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने 1919 ईस्वी में मॉर्निंग सांग ऑफ इंडिया’ नामक शीर्षक से किया था। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर बांग्लादेश के National anthem ‘आमार सोनार बांग्ला’ के भी रचनाकार हैं।
राष्ट्रगान के गायन का खास अवसर
- भारत का राष्ट्रगान Jana Gana Mana कई खास मौके पर बजाने या गायन का नियम है। यहाँ राष्ट्रगान गाने के नियम का उल्लेख इस प्रकार हैं।
- राष्ट्रध्वज फहराते वक्त और राष्ट्रीय झंडे को परेड में लाते समय भारत का राष्ट्रगान के गायन और बजाने का नियम है।
- दूरदर्शन और आकाशबाणी पर राष्ट्रपति जी द्वारा राष्ट्र के सम्बोधन के ठीक पहले और बाद में राष्टगान बजाने का नियम है।
- सभी स्कूलों में दिन की शुरुआत राष्ट्र-गान के सहगान से करने का नियम है।
- सरकार द्वारा आयोजित या औपचारिक राज्य कार्यक्रमों और अन्य कार्यक्रमों में राष्ट्रपति के आगमन पर राष्ट्र-गान के गायन का नियम है।
- संबंधित राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों के अंदर राज्यपाल या लेफ्टिनेंट गवर्नर के आगमन जैसे अवसरों पर राष्ट्रीयगान बजाया जाता है।सिनेमा हॉल में भी फिल्म के शुरू होने से पूर्व राष्ट्रगान बजाने का नियम है।
राष्ट्रगान का सम्मान हर भारतबासी का कर्तव्य
हमारे राष्ट्रध्वज की तरह ही भारत का राष्ट्रगान भी हमारे देश के सम्मान का प्रतीक है। राष्ट्रगान का उचित सम्मान देना हर भारतीय का परम धर्म है।
इसीलिए सभी भारत बासियों से अपेक्षा की जाती है की राष्ट्र-गान गायन के समय अपनी जगह पर सावधान की मुद्रा में खड़े होकर राष्ट्रगान के प्रति उचित सम्मान व्यक्त करना चाहिए।
भारत का राष्ट्रगान से संबंधित आदेशों का कड़ाई से अनुपालन हेतु भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर गाइड लाइन भी जारी की जाती है। हमें उन आदेशों का कड़ाई से अनुपालन कर राष्ट्रगान को उचित सम्मान देना जरूरी है।
राष्ट्रगान के अपमान पर सजा
भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ का गायन हर भारत वासी के दिल में देश के प्रति सम्मान को प्रगाढ़ करता है। राष्ट-गान का अपमान करने या सरकार द्वारा राष्ट्रगान को लेकर जारी आदेश का ठीक से अनुपालन नहीं करने पर उचित कानूनी कारबाई का भी प्रावधान है।
प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नेशनल ऑनर एक्ट-1971 की धारा–3 के अंतर्गत भारत का राष्ट्रगान के नियमों का उलँघन करने तथा अपमान के आरोप में पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
अगर कोई राष्ट्रीय कार्यक्रमों में राष्ट्रगान के गायन के समय जान बूझकर व्यवधान उत्पन्न करता है। तब इसके तहद तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
जन गण मन पहली बार कब गाया गया?
भारत का राष्ट्रगान जन गण मन पहली बार 27 दिसम्बर 1911 ईस्वी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकता अधिवेशन में गाया गया था। कलकता अधिवेशन में पहली वार इसे बांग्ला और हिन्दी भाषा में गाया गया।
भारत का राष्ट्रगान पहली बार सन 1912 ईस्वी में तत्व-बोधनी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। इस पत्रिका में राष्ट्र-गान को “भारत विधाता” नामक शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित किया गया था।
सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान
राष्ट्रगान Jana Gana Mana को साल 2016 से सिनेमा हॉल में बजाना अनिवार्य कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए थे ।
राष्ट्रगान, के बजते समय सिनेमा के पर्दे पर राष्ट्र-ध्वज दिखाया जाना है। भारत का राष्ट्रगान के बजते समय सिनेमा हॉल के दरवाजे बंद होना चाहिए। राष्ट्रगान के समय सिनेमा हॉल में मौजूद लोग इसके सम्मान में खड़े हों। राष्ट्रगान को काट-छांट कर बजाने की इजाजत नहीं होगी।
कहते हैं की सन 1960 के दौरान भी सभी सिनेमा घरों में फिल्म समाप्ति के बाद राष्ट्रगान बजाने का नियम था। लेकिन कुछ लोग फिल्म खत्म होने के बाद राष्ट्रगानके मध्य ही निकलने लगते थे, इसलिए इसे बंद किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2017 के फैसले के तहद सिनेमा घरों मे राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता को फिर से खत्म कर दिया है। अब यह सिनेमा हॉल के मालिक पर छोड़ दिया गया है।
आगे हम national anthem of India in Hindi के लेख में आगे जानेंगे कईसे राष्ट्रगान को विवाद के धेरे में लाया गया।
राष्ट्रगान पर विवाद
राष्ट्रगान को विवाद का भी सामना करना पड़ा। किसी भी व्यक्ति को कानूनी तौर पर राष्टगान के गायन के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में 1986 में ‘बिजोए एम्मानुएल वर्सेस केरल राज्य’ नाम के वाद के जरिये सामने आया।
जब केरल के एक स्कूल के कुछ छात्रों को स्कूल से इसीलिए निकाल दिया गया था। क्योंकि उन्होंने राष्ट्रगान को गाने से मना कर दिया था। वे छात्र स्कूल में राष्ट्रगान के गायन के समय इसके सम्मान में खड़े तो होते थे, लेकिन गाते नहीं थे।
तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था की यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय गान के समय खड़ा होता है, लेकिन गायन में भाग नहीं लेता है, तो इसका मतलव यह नहीं है की वह राष्ट्रगान का अपमान कर रहा है। इसलिए उस व्यक्ति को दंडित नहीं किया जा सकता।
रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘जन गण मन अधिनायक जय है इन हिंदी‘
जन-गण-मन अधिनायक जय हे भारत भाग्यविधाता! पंजाब, सिन्धु, गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग, विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधितरंग तव शुभनामे जागे, तव शुभ आशिष मागे, गाहे तव जय गाथा। जन-गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्यविधाता! जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी, हिन्दु बौद्ध शिख जैन पारसिक मुसलमान खृष्टानी, पूरब पश्चिम आसे, तव सिंहासन-पाशे, प्रेमहार हय गाँथा। जन-गण ऐक्य विधायक जय हे भारत भाग्यविधाता! जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
पतन-अभ्युदय-वन्धुर पन्था, युग युग धावित यात्री। हे चिरसारथि, तव रथचक्रे मुखरित पथ दिनरात्रि। दारुण विप्लव-माझे, तव शंखध्वनि बाजे, संकटदुःखत्राता। जन-गण पथ-परिचायक जय हे भारत भाग्यविधाता! जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
घोर तिमिरघन निविड़ निशीथे, पीड़ित मूर्छित देशे जाग्रत, छिल तव अविचल, मंगल नतनयने अनिमेषे। दुःस्वप्ने आतंके रक्षा करिले अंके, स्नेहमयी तुमि माता। जन-गण दुःखत्रायक जय हे भारत भाग्यविधाता! जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि पूर्व-उदय गिरि भाले, गाहे विहंगम, पुण्य समीरण नव-जीवन रस ढाले। तव करुणारुणरागे निद्रित भारत जागे, तव चरणे नत माथा। जय जय जय हे जय राजेश्वर भारत भाग्यविधाता! जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
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