National emblem of India Ashok stambh in Hindi के माध्यम से हम जानेंगे की कैसे किसी देश का राष्ट्रीय चिन्ह उस देश की पहचान होती है। दोस्तों भारत के राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक चिन्हों में भारत का राष्ट्र चिन्ह Ashok Stambh का स्थान सर्वोपरि है।
आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे की भारत का राष्ट्र चिन्ह के रूप में सारनाथ के अशोक स्तम्भ को ही क्यों चुना गया। इस चिन्ह को कब अपनाया गया। भारत के राष्ट्रीय चिन्ह का इतिहास किया है। किसी भी देश के राष्ट्रीय चिन्ह का क्या महत्व है।
इस लेख के द्वारा हमने कोशिस है की भारत के राष्ट्रीय चिन्ह के बारें में व्यापक और सटीक जानकारी प्रस्तुत किया जाय। ताकि भारत के राष्ट्रीय चिन्ह से संबंधित समस्त जानकारी आपको हमारी वेबसाइट से मिल जाय। तो चलिए शुरू करते हैं।
भारत के राष्ट्रीय चिन्ह का इतिहास History of National emblem of India Ashok stambh in Hindi
भारत का राष्ट्रीय चिन्ह जिसमें तीन शेर दिखाई पड़ता है। जो भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का हिस्सा है। जिसे भारत की मुद्रा पर भी अंकित किया जाता है। यह राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ के अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
वर्तमान में यह सिंह-स्तम्भ सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। आजादी के लगभग 3 साल के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र बना।
इस गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही 26 जनवरी 1950 को अशोक स्तम्भ को राष्ट्र चिन्ह के रूप में अंगीकार कर लिया गया। उसी समय से यह प्रतीक चिन्ह भारत सरकार के राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में जाना जाता है।
तभी से यह भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का हिस्सा बना। तत्पश्चात इसका अंकन भारत के मुद्रा पर भी शुरू किया हुआ।
अशोक स्तम्भ के निर्माणकर्ता
वराणसी से कुछ ही किमी दूर सारनाथ में, मौर्यवंश के शासक सम्राट अशोक ने इस सिंह-स्तम्भ का निर्माण कराया था। सम्राट आशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था और इस धर्म के प्रचार प्रसार के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने अपने पुत्र महेंद्र को श्री लंका इस धर्म के प्रचार के लिए भेजा था।
अशोक स्तम्भ की बनावट और संरचना
तभी से National symbols of India का यह प्रतीक चिन्ह भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का हिस्सा बना। उसके बाद से ही भारत के मुद्रा पर भी इसका मुद्रण शुरू हुआ।
कहा जाता है की इस स्थान पर महात्मा बुध ने अपना पहला उपदेश दिया था। इसीलिए सम्राट अशोक ने इस स्थान को चिन्हित करने के लिए 300 ईस्वी पूर्व इस सिंह स्तम्भ का निर्माण कराया था।
इस सम्पूर्ण स्तम्भ का निर्माण एक ही पत्थर को काटकर किया गया गया है। सारनाथ में अवस्थित यह अशोक का सिंह स्तम्भ वास्तु कला की दृष्टि से अनुपम है। अशोक स्तंभ के शिखर पर चार शेर एक दूसरे की तरफ पीठ किए खड़े हैं। यह चारों शेर एक गोलाकार अबेकस पर बनाये गए है।
यह अबेकस एक अधोमुख कमल की आकृति पर उद्धृत है। लेकिन अधोमुख कमल की आकृति को राष्ट्र चिन्ह में नहीं दर्शाया गया है। इसमें 3 शेर ही दिखायी पड़ता है। चौथा नजर नहीं आता। इसके साथ अबेकस पर बहुत ही सूक्ष्मता से सुन्दर आकृति उकेरी गयी है।
हम जब भारत के मुद्रा या सरकारी लेटेर हेड में देखते हैं तो उसमें तीन शेर ही दिखाई पड़ता है। चौथा शेर पीछे की तरफ होने के कारण दिखाई नहीं पड़ता है।
आशोक स्तम्भ पर शेर के आलवा कई अन्य आकृति
इस अशोक स्तम्भ (Ashok Stambh) में चार शेर के आलवा कई अन्य आकृति भी बनी हुई है। अबेकस के ऊपर बहुत ही बारीकी से अत्यंत ही सुन्दर और आकर्षक आकृति उकेरी गयी है।
इस आकृति में चौकड़ी भरता हुआ घोड़ा, सांड तथा शेर आदि दिखाई पड़ती है। इन आकृति के मध्य में चक्र का निशान बना हुआ है। यह चक्र सतत चलते रहने अर्थात प्रगतिशीलता का प्रतीक है।
इस चक्र में 24 तीलियाँ हैं। इसी से प्रेरित होकर भारत के राष्ट्रीय झंडा, तिरंगा के मध्य में चक्र का निशान बनाया गया है। इस स्तम्भ के फलक पर देवनागरी लिपि में “सत्यमेव जयते” लिखा हुआ है। यह वाक्य ‘मुंडको उपनिषद’ से अपनाया गया है। जिसका मतलव सत्य की विजय से है।
बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थस्थली सारनाथ
कहा जाता है की सारनाथ के इसी जगह पर भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। इस कारण सम्राट अशोक ने इस जगह को चिन्हित करने के उद्देश्य से 300 ईस्वी पूर्व इस स्थान पर सिंह स्तम्भ का निर्माण कराया।
यही अशोक स्तम्भ (Ashok Stambh) कालांतर में National emblem of India के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जो भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है। दोस्तों भारत के राष्ट्रीय चिन्ह के बारें में मेरा यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। इस अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।
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