सदाबहार हीरो देवानंद की जीवनी (Indian actor Dev Anand Biography)

सदाबहार हीरो देवानंद की जीवनी (Indian actor Dev Anand Biography)

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देवानंद की जीवनी – सिनेमा जगत में सदाबहार हीरो के नाम से प्रसिद्ध देवानंद ने करीब 6 दशक तक राज किया। उनके एक्टिंग के करोड़ों लोग दीवाने थे। उनके दमदार आवाज, और एक्टिंग का हर कोई दीवाना था।

देवानंद साहब अपने जमाने के सुपर मॉडल माने जाते थे। कहा जाता है की उनके फेन्स उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार किया करते थे। देव आनंद अपने पहनावे को लेकर भी सुर्खियां में बने रहते थे।

खासकर उनके ऊपर काले कोट खूब जमते थे। कहा जाता है की जब वे काला कोट(black coat) पहनकर पब्लिक प्लेस में निकलते थे तब लोग उनका एक झलक पाने के लिए दीवाने हो जाते थे। कहा जाता है की उनके दीवाने लड़कियां अपनी छत से कूदने को भी तैयार रहती थीं।

कहा जाता है की कोर्ट ने देवानंद पर प्रतिबंध लगा दिया की पब्लिक पलेस पर के इसे ने पहने। ऐसे थे सदाबहार हीरो देवानंद जी। उनकी आत्मकथा का नाम Romance with life है। आइये इस लेख में देवानंद जी की जीवनी, उनके फिल्मों का सफर परिवार और बच्चों के बारें में जानते हैं।

सदाबहार हीरो देवानंद की जीवनी (Indian actor Dev Anand Biography)
सदाबहार हीरो देवानंद

सदाबहार हीरो देवानंद की जीवनी (Dev Anand Biography in Hindi)

आरंभिक जीवन

सदाबहार हीरो देवानंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को वर्तमान पाकिस्तान के पंजाव प्रांत के गुरुदासपुर में हुआ था। देवानंद का असली देवदत्त पेशोरिमल आनंद था। वे सदावहार हीरो और देव साहब के नाम से मशहूर थे।

उनके पिता का नाम पिसोरी लाल आनंद अपने जमाने के जाने माने वकील थे। देवानंद ने सरकारी लाहौर कॉलेज से अंग्रेजी विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की थी।

कहते हैं की देवानंद शुरू में सेना के सेंसर ऑफिस में बतौर किरानी 200 रुपया महीने पर काम करते थे। बचपन से ही उनकी रुचि गायन और अभिनय में थी।

गायक बनने के लिए मुंबई आना

परिवार की आर्थिक दशा भी कुछ खास नहीं थी। उन्हें संगीत में बहुत रुचि थी इस कारण देव साहब अपने बड़े भाई चेतन आनंद के साथ गायक बनाने के ख्याल से मुंबई जाने का फैसला किया।

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इस प्रकार सन 1943 में उन्होंने फिल्मी दुनियाँ मे अपने भाग्य को आजमाने मुंबई आ गये। यहाँ उन्होंने एक छोटे से किराये के मकान में रहकर अपनी जिंदगी गुजारी।

काफी संधर्ष के बाद उन्हें संगीत में नहीं बल्कि अभिनय में ब्रेक मिला। इस प्रकार वे मुंबई आये तो थे गायक बनने के लिए लेकिन हीरो बन गये।

देबानद की पहली फिल्म

कहते हैं की फिल्मों में लाने का श्रेय उनके बड़े भाई चेतन आनंद को जाता है। उनकी फिल्मी कैरीयर की शुरुआत प्रभात स्टूडियो के बैनर तले हुई। सन 1946 में निर्मित फिल्म ‘हम एक हैं’ देबानद की पहली फिल्म थी।

यह एक ब्लैक एण्ड व्हाइट फिल्म थी। हालांकि यह फिल्म नहीं चली और फ्लॉप रही। इसी दौरान उनकी मुलाकात देवदत्त साहब से हुई। उन्होंने इनका काफी सहयोग किया।

देवानंद की पहली रंगीन फिल्म

कई फिल्मों में काम करने के बाद देवानंद की पहली सफल फिल्म ‘गाइड’ थी। इस फिल्म का निर्माण उनके भाई विजय आनंद ने किया था। सन 1966 में निर्मित गाइड उनकी पहली रंगीन फिल्म थी।

इस फिल्म में उनके अभिनय को खूब सराहा गया। इस प्रकार फिल्मी दुनियाँ में फिल्म गाइड से उन्हें असली पहचान मिली।  

देवानंद की पहली सुपर हिट फिल्म

उसके बाद बॉम्बे टाकीज़ प्रोडक्शन की फिल्म ज़िद्दी में उन्हें हीरो का किरदार निभाने का मौका मिला। इस फिल्म में हीरो बनने का मौका अशोक कुमार ने दिया। यह उनकी पहली सबसे सफल फिल्म थी।

फिल्म सुपर-डुपर हिट रही। इस प्रकार फिल्म जिद्दी ने देवानंद साहब रातों रात सुपर स्टार बना दिया। देवानंद साहब ने न केवल हीरो का रोल किया। बल्कि उन्होंने विलेन का रोल भी बखूबी निभाया।

उन्होंने विलेन के रूप में पहली बार जाल में अपना किरदार निभाया था। उनकी प्रसिद्ध अभिनेत्री जीनततमान के साथ पहली फिल्म हरे राम हरे कृष्णा थी। इस फिल्म में जीनत तमन ने देवानंद की बहन की किरदार निभायी। यह फिल्म भी सुपर हिट रही।

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तब्बू और अभिनेता अमरीश पूरी देवानंद की देन

उन्होंने 1949 में नवकेतन इंटरनेशनल फिल्म कंपनी बनाई। देव साहब ने कई नवोदित कलाकारों को मौका दिया जो आगे चलकर सिनेमा जगत के प्रसिद्ध कलाकार बने। अभिनेत्री तब्बू और अभिनेता अमरीश पूरी का नाम प्रमुख है।

उनके खुद की डायरेक्शन में बनी पहली फिल्म प्रेम पुजारी था। अपने फिल्म कंपनी में उन्होंने खुद के निर्देशन में 35 से ज्यादा फिल्मों का निर्माण किया।  

देव आनंद का परिवार (family, wife, children)

देवानंद की पत्नी का नाम कल्पना कार्तिक थी। कल्पना कार्तिक भी अपने समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री थी। कल्पना कार्तिक ने उनके साथ फिल्म टैक्सी ड्राइवर में काम किया है। देवानंद के बेटे का नाम  सुनील आनंद है। वहीं देवानंद की बेटी का नाम देबीना आनंद है।

राजनीतक सफर

देव आनंद और राजनीति की बात करें तो कहते है की देश में आपातकाल के दौरण उन्होंने सरकार का विरोध किया। उन्होंने चुनाव प्रचार में भी हिस्सा लेते हुए जनता पार्टी का साथ दिया। कहा जाता है की उन्होंने नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया नमक एक पार्टी का भी गठन किया था।

सम्मान व पुरस्कार

  • उन्होंने अपनी फिल्मी कैरियर में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इसके लिए उन्हें कई सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • देवानंद साहब को सन 1958 में बनी फिल्म कालापानी के लिए बेस्ट ऐक्टर का खिताब मिला।
  • उन्हें कालापानी (1958) और गाइड (1966) के लिए फिल्म फेयर अवार्ड प्रदान किया गया।  
  • सन 2002 में देवानंद साहब सीने जगत के प्रसिद्ध दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित हुए।  
  • साथ ही 1991 में उन्हें लाइफ टाइम achievement अवॉर्ड प्रदान दिया गया।

देवानंद का पहला प्यार

देव आनंद-सुरैया प्रेम कहानी भी किसी फिल्मी कहानी से काम नहीं है। देवानंद साहब का पहला प्यार मशहूर अदाकारा सुरैया को माना जाता है। वर्ष 1948 में फिल्म विद्या में पहली बार सुरैया उनकी हीरोइन बनी।

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कहते है की इस फिल्म से ही देवानंद और सुरैया की बीच प्यार पनपा और नजदीकियाँ बढने लगी। आगे चलकर उन्होंने सुरैया के साथ कई फिल्मों में काम किया। उनके सभी फिल्म सुपर हिट रही।

देव साहब और सुरैया के रिश्ते उस बक्त के पत्र पत्रिकाओं में छाये रहते थे। यहाँ तक की दोनों की शादी की चर्चे तक होने लगे थे। लेकिन कहते हैं की यह रिश्ता सुरैया की नानी को मंजूर नहीं था। माना जाता है की इस कारण से वे दोनों शादी के बंधन में नहीं बन्ध पाये।

देवानंद की फिल्मे (Devanand ki filmen)

उनके प्रसिद्ध फिल्मों के नाम थे – विद्या (1948), जीत (1949), शहर (1949), अफसर (1950), नीली (1950), दो सितारे (1951), सनम (1951), बाजी (1951), टैक्सी ड्राइवर (1954), सीआइडी  (1956), फंटूस (1956),पेइंग गेस्ट(1957), काला पानी (1958), हम दोनों (1961), तेरे घर के सामने (1963), गाइड (1965), तीन देवियां (1965), ज्वैल थीफ (1967), जॉनी मेरा नाम (1970), प्रेम पुजारी (1970), हेरा-फेरी (1971), तेरे मेरे सपने (1971), हीरा पन्ना (1973), छुपे रुस्तम (1973), आनंद और आनंद (1984) आदि।

देवानंद का निधन

देव आनंद की मृत्यु 88 साल की उम्र में हार्ट अटैक से लंदन में मृत्यु हो गई। हिन्दी फिल्म जगत में करीब 6 दशक तक अपने अदाकारी का जादू विखेरने वाले देव साहब ने 2011 में दुनियाँ को अलविदा कह दिया।

मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को भारत नहीं लाया गया। उनके परिवार ने लंदन में ही उनका अंतिम संस्कार किया।

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Q. देव का असली नाम क्या है?

Ans. सदाबहार हीरो देव आनंद का असली नाम (Dev Anand Real Name) धर्मदेव पिशोरीमल आनंद था ।

आपको देव आनन्द जीवन परिचय (Dev Anand Biography in Hindi) से संबंधित हमारे द्वारा संकलित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी।

Amit

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मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

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