malik muhammad jayasi in hindi – मलिक मोहम्मद जायसी जीवन परिचय

Malik Muhammad Jayasi In Hindi - मलिक मोहम्मद जायसी

Malik Muhammad Jayasi In Hindi – मलिक मोहम्मद जायसी जीवन परिचय व रचनायें

मलिक मोहम्मद जायसी जीवन परिचय (Malik Muhammad Jayasi In Hindi ) एक सूफी संत एवं प्रेमाश्रयी कवि थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में सूफी सिद्धान्तों को बड़े ही मनोरम और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।

Contents

जायसी जी का  काव्य रचना भारतीय जीवन की पृष्ठ भूमि पर आधारित है। जिन सूफी संतों की प्रेमसिक्त वाणी ने भक्तिकाल के काव्य धारा को एक नई दिशा प्रदान की, उनमें से Malik Muhammad Jayasi का नाम अग्रणी है।

सांप्रदायिक विद्वेष और आपसी मतभेद की खाई को पाटने, सहज प्रेम और धार्मिक सहिष्णुता स्थापित करने एवं प्रेम को ही, प्रेम तत्व की प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन मानने वाले मोहम्मद जायसी एक जाने माने फकीर थे।

उन्होंने हिन्दू समुदाय के घरों की कहानी उन्ही की जबान में रचकर हिन्दू मुस्लिम सौहार्द्य को बढ़ाने का काम किया। कहते हैं की मालिक मुहम्मद जायसी अपने समय के पहुंचे हुए फकीर थे। अमेठी का राजा उनका विशेष सम्मान करते थे।

कविदंती है की जायसी की आशीर्वाद से अमेठी नरेश को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है की जायसी की मृत्यु के बाद अमेठी के राजा ने उनकी कब्र का निर्माण अपने महल के सामने कराई।

Malik Muhammad Jayasi In Hindi - मलिक मोहम्मद जायसी
Malik Muhammad Jayasi In Hindi

उन्होंने अपनी रचना पद्मावत में रानी पद्मावती और राजा रतन सिंह के प्रेम कथा को बड़े ही मनोरम ढंग से प्रस्तुत किया है। आइए जानते हैं मलिक मोहम्मद जायसी जीवन परिचय विस्तार से : –

मलिक मोहम्मद जायसी जीवनी – Malik Muhammad Jayasi in hindi

जन्म सन 1477 ईस्वी
उपनामजायसी  
जन्मस्थानजायस, रायबरेली, उत्तरप्रदेश
मृत्यु 1542
मुख्य रचनाएँपद्मावत, अखरावट आदि
भाषा अवधि
माता का नामज्ञात नहीं

मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म और बचपन (Malik Muhammad Jayasi Birth and Early Life)

महान सूफी संत मलिक मुहम्मद जायसी का जन्म सन 1492 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के जायस नामक स्थान में हुआ था। जायस में पैदा होने के कारण उनके नाम के साथ ‘जायसी’ शब्द का प्रयोग उनके उपनाम की भांति किया जाता है।

Malik Muhammad Jayasi In Hindi

लेकिन जार्ज ग्रीयर्सन ने इनके जन्म स्थान ‘जायस’ को इनका जन्म स्थान नहीं बल्कि इनका कर्म स्थान माना है। इनके समर्थन में वे मालिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित पद्मावत का हवाला देते हैं।

जायसी की ‘आखिरी कलाम’ नामक एक छोटी सी पुस्तक फारसी भाषा में छपी है। यह सन् 1528 ईस्वी के आसपास संभवतः बाबर के शासन के समय में लिखी गई थी।

इसमें मुगल बादशाह बाबर की प्रशंसा की गयी है। इस पुस्तक में मुहम्मद जायसी ने अपने जन्म के बारें में वर्णन किया है – “भा अवतार मोर नव सदी। तीस बरस ऊपर कवि बदी”।

इन पंक्तियों का भावार्थ यही निकलता हैं की उनका जन्म काल 900 हिजरी अर्थात सन् 1492 ईस्वी के आसपास ठहरता है। दूसरी पंक्ति से अर्थ यही निकलता ही की, जन्म के 30 वर्ष के बाद जायसी कवि बन गये।

डॉक्टर ग्रियर्सन के अनुमान के अनुसार मलिक मुहम्मद किसी अन्य स्थान से आ कर जायस में बसे थे। लेकिन इस विषय पर विद्वानों में मतान्तर है। कुछ विद्वानों के अनुसार मलिक मुहम्मद जायस ही के ही वासी थे।

जायस के कंचाने मुहल्ले में उनके घर का स्थान बताया जाता है। कहते हैं की ‘पद्मावत’ में जायसी ने अपने जिन चार दोस्तों यूसुफ मलिक,  सलोने मियाँ, सालार कादिम तथा बड़े शेख के नाम का वर्णन किए हैं, ये चारों जायस ही के थे।

Malik Muhammad Jayasi क्या सचमुच में कुरूप थे

कहा जाता है की मोहम्मद जायसी बचपन से ही कुरूप और काने थे। कुछ विद्वानों के अनुसार उनकी शक्ल जन्म से ही ऐसी थी। लेकिन ज्यादातर विद्वानों के अनुसार शीतला या अर्धांग रोग के प्रभाव से उनका शरीर इस तरह विकृत हो गया था।

अपने विकृति (काने) होने का उल्लेख कवि ने स्वयं ही इस तरह किया है – ‘एक नयन कवि मुहम्मद गुनी’। मुहमद बाईं दिसि तजा, एक सरवन एक ऑंखि।

इस दोहे से लगता है की उन्हें एक ही आँख थे अर्थात वे काने थे और उन्हें बाएँ कान से भी कम सुनाई पड़ता था।

जब शेरशाह ने जायसी जी का उड़ाया मजाक  

कहते हैं की एक बार जायसी, शेरशाह के दरबार में गए। शेरशाह सूरी को उनके भद्दे चेहरे को देखकर हंसी आ गयी। लेकिन जायसी ने बड़े ही शांत भाव से उत्तर दिया की आप मुझ पर हँसे, या उस कुम्हार पर अर्थात उस ईश्वर पर जिन्होंने हमारी रचना की।

जिन्होंने इस कयामत के साथ-साथ हम सबको बनाया। उनकी बातों को सुनकर शेरशाह शर्मिंदा हो गये और जायसी जी से क्षमा मांगी। कुछ विद्वानों के अनुसार शेरशाह स्वयं ही इनकी यशोगाथा सुनकर जायसी से मिलने गये थे।

जायसी के जीवन से जुड़ी अद्भुत घटना – Malik Muhammad Jayasi Biography in hindi

मलिक मुहम्मद जायसी का जन्म एक गृहस्थ किसान परिवार में हुआ था। वे शुरू से ही दयालु और फकीर प्रकृति के थे। वे कभी भी अकेले खाना ग्रहण नहीं करते। एक बार वे खेत में काम कर रहे थे। वे अपना खाना साथ ही लेकर गये थे।

जब खाने के समय हुआ तो इधर-उधर नजर दौड़ाने लगे की कोई नजर आए तो उन्हें अपने साथ बिठाकर खाना ग्रहण करें। लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं पड़ा, बहुत देर इंतजार के बाद उन्हें एक कोढ़ी व्यक्ति दिखाई दिया। जिनके कोढ़ से पिव टपक रहा था।

जायसी जी ने बड़े आदरपूर्वक उन्हें बुलाकर अपने साथ खाने पर बिठाया। दोनो एक ही बरतन में भोजन करने लगे। उस कोढ़ व्यक्ति के शरीर के कोढ़ से पानी निकल रहा था। खाते समय उस कोढ़ व्यक्ति के शरीर के कोढ़ से मवाद निकलकर भोजन में गिड़ गया।

जायसी ने उस अंश को खाने के लिए उठाया तब कोढ़ी वयक्ति ने उनका हाथ पकड़ लिया। उस कोढ़ी व्यक्ति ने रोकते हुए बोला की इसे आप मत खाइये। इसे मैं खाऊँगा,आप साफ वाला हिस्सा खाइए’ पर जायसी जी ने झट से उसे खा गए।

कहते हैं की इसके बाद वह कोढ़ी व्यक्ति अदृश्य हो गया। इस घटना के बाद जायसी की मनोवृत्ति में बहुत बड़ा बदलाव आया और ईश्वर भक्ति की ओर प्रबल रूप से उन्मुख हो गये।

मोहम्मद जायसी का गृह त्याग

कहा जाता है की जायसी जी के पुत्र किसी दुर्घटना के शिकार हो गये और उनकी मृत्यु हो गयी। तब से उन्हें संसार से और भी अधिक वरक्ति हो गई।

उन्होंने गृह त्याग कर दिया और फकीर बनकर इधर-उधर घूमने लगे। कहते हैं की कलांतर में वे एक सिद्ध फकीर बन गये तथा उनकी यश और कृति चारों ओर फैल गयी।

जायसी का निधन – death of Malik Muhammad Jayasi

कहते हैं की अमेठी के राजा राम सिंह के दिल में उनके लिए विशेष आदर और श्रद्धा का भाव था। जायसी जी जीवन के अंतिम दिनों में अमेठी के पास एक जंगल में रहा करते थे। उनकी मृत्यु के बारें में एक विचित्र कथा प्रसिद्ध है।

कहते हैं की जब जायसी का मृत्य का समय निकट आया तब उन्होंने अमेठी के राजा को संदेश भेज का सूचित कर दिया। उन्होंने अमेठी के राजा राम सिंह को संदेश दिया की उनकी मृत्यु किसी शिकारी के बान से होगी।

इस पर अमेठी के राजा राम सिंह ने आसपास के जंगलों में शिकार करने पर रोक लगा दी। जिस जंगल में जायसी रहते थे, उस जंगल में एक दिन एक बड़ा बाघ दिखाई पड़ा। शिकारी ने डर कर उस पर गोली छोड़ दी।

लेकिन पास जा कर देखा तो बाघ के स्थान पर जायसी मरे पड़े थे। कहते हैं कि जायसी अपने योगबल से किसी भी रूप को धारण करने में सक्षम थे।

कुछ विद्वान जायसी जी का मृत्युकाल सन् 1542 ईस्वी के आसपास मानते हैं। जायसी की कब्र अमेठी के राजा के वर्तमान महल से लगभग एक मील की दूरी पर है।

इन्हें भी पढ़ें – सूरदास का जीवन परिचय कबीर दास क जीवन परिचय

मलिक मोहम्मद जायसी का साहित्यिक परिचय

मालिक मोहम्मद जायसी की रचनाओं में शृंगार और भक्तिरस रस की प्रधानता है। पद्मावत उनकी उत्कृष्ट रचना है जिसमें उन्होंने प्रेम-तत्व का व्यापक रूप से बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया है। आइये उनकी कुछ प्रमुख रचना के बारें में जानते हैं।

मलिक मोहम्मद जायसी की प्रमुख रचनाएँ – Malik Muhammad Jayasi ki rachnayen

मलिक मोहम्मद जायसी की पद्मावत कहानी – जायसी का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ पदमावत माना जाता है। जिसका रचना काल सन 1520 ईस्वी से लेकर सन 1540 ईस्वी के बीच माना जाता है। मोहम्मद जायसी एक महान सूफी संत व कवि थे।

शायद सूफी सिद्धान्तों को सुंदर रूप से दर्शाने के लिए ही जायसी ने पद्मावती की कथा को अपने काव्य का आधार बनाया। उन्होंने पद्मावत में काव्य के द्वारा बताया की जैसे ईश्वर की प्राप्ति के लिए भक्त भगवान की साधना करता है।

ठीक वैसा ही राजा रतन रानी पद्मावती को पाने के लिए करता है। जायसी ने पद्मावत के द्वारा जीवात्मा का परमात्मा के प्रति प्रेम का सुंदर वर्णन किया है। नागमनी का विरह-वर्णन पद्धमवात का अमूल्य निधि कहा जा सकता है।

रक्त के आँसू परे भुई टूटी। रेंग चली जनु बीर बहूटी” ।।

अखरावट – अखरावट मोहम्मद जायसी कृत एक सिद्धांत प्रधान ग्रंथ माना जाता है। इस काव्य में कुल 54 दोहे 54 सोरठे तथा 317 अर्द्धलिया हैं। इसमें दोहा, चौपाई और सोरठा छंदों का प्रयोग किया गया है।

अखरावट में मूलरूप से गुरु और शिष्य संवाद को स्थान दिया गया है। अखरावट में वर्णमाला के एक-एक अक्षर को लेकर जायसी ने ईश्वर, सृष्टि और जीव से सम्बद्ध अपने आध्यात्मिक विचार खुलकर प्रकट किए हैं। 

अन्य रचनायें –  सखरावत, चंपावत, इतरावत, मटकावत, चित्रावत, सुर्वानामा, मोराईनामा, मुकहरानामा, मुखरानामा, पोस्तीनामा, होलीनामा, आखिरी कलाम, बारहमासा, धनावत, सोरठ, जपजी, मैनावत, मेखरावटनामा, कहारनामा, स्फुट कवितायें, लहतावत, सकरानामा, मसला या मसलानामा आदि प्रमुख हैं।

मलिक मोहम्मद जायसी की काव्यगत विशेषताएँ

Malik Muhammad Jayasi ने अपनी रचना में शृंगार रस के संयोग व वियोग दोनो ही पक्षों को बड़े ही अद्भुत रूप से समायोजित किया है। सिंहलद्वीप -वर्णन, चित्तौड़गढ़ का वर्णन, गोरा-बादल, युद्ध वर्णन, षडऋतु का वर्णन में उनकी विस्तृत प्रतिभा परिलक्षित होती है।

मलिक मोहम्मद जायसी की भाषा शैली

उनकी रचनाओं में ठेठ अवधि के शब्द, छंद, दोहा, और चौपाई की बहुतायत है। अलंकारों में उन्होंने उपमा, रुपक, उत्प्रेक्षा आदि का प्रयोग मिलता है।

मलिक मुहम्मद जायसी का जन्म कब हुआ?

मालिक मोहम्मद जायसी का जन्मसन 1477 ईस्वी में हुआ था।

मलिक मोहम्मद जायसी के गुरु कौन थे?

मालिक मोहम्मद जायसी ने अपने गुरु के रूप में शेख बुरहान और सैयद अशरफ को माना है।

मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म स्थान कहां है?

मालिक मोहम्मद जायसी का जन्म स्थान जायस, रायबरेली, उत्तरप्रदेश माना जाता है।

Q. मलिक मुहम्मद जायसी किस धारा के कवि हैं? (malik muhammad jayasi ko kis dhara ka kavi mana gaya hai)

Ans. मालिक मोहम्मद जायसी प्रेम धारा के कवि माना गया है। उनकी रचनाओं में प्रेम, भक्ति एवं साधना के द्वारा जीवात्मा और परमात्मा के संबंध का सुंदर वर्णन मिलता है।

Q. आखिरी कलाम में किसका वर्णन है?

Ans. मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित ग्रंथ में आख़िरी कलाम प्रमुख है। इस ग्रंथ में इस्लामी मान्यता के अनुरूप प्रलय का वर्णन जिक्र मिलता है। इस ग्रंथ का सबसे पहले फारसी में प्रकाशन हुआ था।

दोस्तों मलिक मोहम्मद जायसी जीवन परिचय (Malik Muhammad Jayasi In Hindi )आपको कैसा लगा अपने कमेंट्स से जरूर अवगत करायें।

बाहरी कड़ियाँ (External links)

मालिक मोहम्मद जायसी – विकिपीडिया

Share This Article
Leave a comment