भारतीय ध्वज तिरंगा का इतिहास, भारत में झंडा नियम, भारतीय ध्वज का अर्थ, Information about National flag of India in Hindi
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भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा कहते हैं। हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश की गौरव का प्रतीक है। आन-बान और शान का प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज का महत्व का अंदाजा इसी बाद से लगाया जा सकता है।
इस भारतीय ध्वज के आन-बान और शान के लिए भारत माता के कितने वीर सपूत अपने प्राण न्योछावर कर दिए। लेकिन मरते दम तक भी तिरंगा को झुकने नहीं दिया।
भारतीय ध्वज के वर्तमान पारुप को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा के द्वारा अंगीकार किया गया। आइये जानते है राष्ट्रीय ध्वज के बारे में विस्तार से ,
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किसने किया – Who invented national flag of india Tiranga in Hindi
क्या आप जानते हैं भारतीय तिरंगा किस व्यक्ति ने बनाया था। तिरंगा झंडा कब और किसने बनाया आईए जानते हैं। भारत के राष्ट्र ध्वज का डिजाइनर पिंगली वेंकैया को माना जाता है।
पिंगली वैंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876, को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के पास हुआ था। उन्होंने 5 साल तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया। फलतः उन्होंने भारतीय ध्वज का डिजाइन तैयार किया था।
पिंगली वेंकैया ने लाल और हरे रंग का इस्तेमाल कर भारतीय ध्वज का पारुप तैयार किया। इसमें लाल रंग हिन्दू धर्म के लिए और हरा रंग मुस्लिम समुदाय के प्रतीक के तौर पर थे।
गांधी जी के सुझाव के बाद इसमें अन्य धर्मों के प्रतीक के रूप में सफेद रंग की पट्टी को जोड़ा गया। बाद में सफेद पट्टी के बीच में चरखा को लगाया गया था। झंडे में चरखा स्वावलंबन के प्रतीक के तौर पर लगाया गया था।
1921 में महात्मा गांधी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विजयवाड़ा अधिवेशन में पिंगली वेंकैया के डिजाइन किए गये झंडे को राष्ट्रध्वज के तौर पर मंजूरी प्रदान की गयी। साल 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने Tiranga को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया।
राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जानकारी – information about national flag of india in hindi
भारत का राष्ट्रीय ध्वज का आकार आयताकार है। राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। तिरंगा में तीन रंगों की समान चौराई में आयताकार पट्टियां होती हैं। ये तीन पट्टियां का रंग केसरिया, सफेद, और हरा होता है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग होने के कारण ही इसे तिरंगा कहते हैं। तिरंगा में सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद और सवसे से नीचे, हरे, रंग की पट्टी होती है।
अशोक चक्र को कब अपनाया गया
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के बीच वाली पट्टी पर नीले रंग का चक्र होता है जिसका व्यास, सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग समान होता है। इस चक्र में 24 तीलियां होती है। इस चक्र का पारुप सारनाथ में निर्मित सम्राट अशोक के द्वारा निर्मित सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है।
राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का अर्थ – indian flag colors meaning in Hindi
राष्ट्रीय ध्वज के रंगों और उनके बीच स्थित चक्र के महत्व का वर्णन सर्वप्रथम डा एस राधाकृष्ण द्वारा संविधान सभा में किया गया था। तिरंगे के तीन रंग का मतलब इस तिरंगा है। में सबसे ऊपर प्रयुक्त केसरिया या भगवा रंग भारत की बल, त्याग और साहस का सूचक है।
इसके बीच में प्रयुक्त सफेद पट्टी सच्चाई के पथ पर चलने और अच्छे आचरण की प्रेरणा प्रदान करता है। झंडे के सबसे नीचे प्रयुक्त हरा रंग भारत की धरती की हरियाली, मिट्टी और वनस्पतियों के साथ संबंधों को व्यक्त करता है।
राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र किसका प्रतीक है
राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र गतिशीलता का प्रतीक है। अशोक चक्र में 24 तिलिया होती है। अशोक चक्र में बनी 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाती हैं। राष्ट्रध्वज में प्रयुक्त धर्म-चक्र शांति और सत्य के संदेश देता है।
साथ ही यह प्रगति के पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा भी देता है। यह धर्म-चक्र बताता है की गतिशीलता ही जीवन है और रुकने का अर्थ है मृत्यु। इस प्रकार यह चक्र शांतिपूर्ण परिवर्तन की गतिशीलता की निशानी है।
आसमान में तिरंगा – indian flag Tiranga in space in Hindi
संसार की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तेनजिंग नोर्गे ने 29 मई 1953 में पहली बार भारत का राष्ट्रध्वज फहराया था।
भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में पहली बार अपोलो-15 से अंतरिक्ष में गए थे। उस दौरन उन्होंने स्पेस सूट पर तिरंगा को एक पदक के तौर पर लगा था।
झंडा गीत
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा। सदा शक्ति बरसाने वाला, वीरों को हर्षानेवाला ।। प्रेम सुधा सरसाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा।।
श्यामलाल गुप्त द्वारा लिखित झंडा गान
भारत के Tiranga के गौरव-गान में झंडा-गीत की रचना की गयी थी। झंडा-गीत 14 अप्रैल 1924 को गणेश शंकर विधार्थी के आग्रह पर श्री श्यामलाल गुप्त द्वारा लिखी गयी थी। यह झंडा-गान इतना प्रसिद्ध हुआ की झंडा स्थापन के समय इस गीत को गया जाने लगा।
इसी कारण इसे झंडा गीत के नाम से जाना जाता है। श्यामलाल गुप्त द्वारा लिखित झंडा गान में टोटल 7 पद थे। लेकिन ज्यादा लंबा होने के कारण पुरुषोत्तमदास टंडन द्वारा इसमें से दो पद निकाल दिए गये।
भारतीय झंडा संहिता 2002 – national flag of india rules in hindi
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के नियम में 2002 में संशोधन किया गया। आजादी के कई दशक बाद भारत के लोगों को अपने घरों, दफ्तरों और कारखानों में, राष्ट्रीय दिवस के साथ-साथ अन्य दिन भी बिना किसी रुकावट के राष्ट्रध्वज को फहराने की अनुमति मिल गई।
‘भारतीय झंडा संहिता 2020’ को 26 जनवरी 2002 से ‘झंडा संहिता-भारत’ के स्थान पर लागू किया गया। अब भारत का नागरिक Indian flag को शान के साथ किसी भी जगह और कभी भी फहरा सकता है।
लेकिन इसके लिए उन्हें राष्ट्र ध्वज के लिए बनाए गये नियमों(भारतीय झंडा संहिता 2020) का कठोरता से पालन करना होगा। ताकि राष्ट्रध्वज की आन-बान और शान में कोई कमी न आने पाये।
ध्वज संहिता, 2002 के भाग – Part of national flag sanhita 2002 in Hindi
सुविधा के दृष्टिकोण से भारतीय ध्वज संहिता 2002 के तीन भाग में विभाजित किया गया है।
पहला भाग – पहले भाग में राष्ट्रध्वज के बारें में सामान्य जानकारी का वर्णन दिया गया है। इसके अंतर्गत तिरंगा के मानक आकार और रंग आदि के बारें मे विस्तार से बताया गयासे है।
दूसरा भाग – झंडे के दूसरे भाग में भारत की आम जनता, गैर सरकारी संगठनों तथा शैक्षिनिक संस्थानों के द्वारा तिरंगा के फहराये जाने का नियम का वर्णन दिया गया है।
तीसरा भाग – इसके तीसरे भाग में केन्द्र और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और एजेंसीयों के द्वारा तिरंगा के प्रदर्शन से संबंधित जानकारी दिया गया है।
राष्ट्रीय ध्वज संहिता की कुछ बातें।
तिरंगे के साथ भूल कर भी ऐसा ना करें।
- भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को तकियों, रूमालों, नेपकिनों अथवा किसी ड्रेस सामग्री पर इसे मुद्रित नहीं किया जाएगा।
- राष्ट्रीय ध्वज ( National flag of India) पर कुछ भी लिखा या मुद्रण नहीं किया जाएगा।
- फूलों का गुच्छा या बन्दनवार बनाने या किसी अन्य प्रकार की सजावट के लिए Tराष्ट्रध्वज का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
- राष्ट्रध्वज का प्रयोग व्यवसायिक प्रयोजन के लिए नहीं किया जाएगा।
- जब राष्ट्रध्वज ( National flag of India) फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।
- राष्ट्रध्वज का प्रयोग किसी भवन पर परदा लगाने के लिए नहीं होगा।
राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम
- राष्ट्रध्वज को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उन्हें उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
- जब झंडा को किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे को बिगुल की ध्वनि के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
- अगर राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है, तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो, झंडा उनके दाहिने ओर हो।
- राष्ट्रध्वज को जानबूझकर “केसरिया रंग” को नीचे प्रदर्शित करके नहीं फहराया जाएगा। साथ ही फटा और मैला-कुचैल झंडा नहीं फहराया जाय।
- केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झंडा झुकाया जाता है। किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए तिरंगा को झुकाया नहीं जाएगा।
- जब भी झंडा फहराया जाए तो, उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
- झंडा को आधा झुकाकर नहीं फहराया जाएगा। सिवाय उन अवसरों के जब सरकारी भवनों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश पारित किए गये हों।
राष्ट्रीय झंडे के अपमान पर सजा
राष्ट्रध्वज के अपमान पर कानूनी कारवाई का प्रावधान है। अगर कोई तिरंगा के अपमान का दोषी पाया जाता है तो उस पर राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहद कारवाई हो सकती है। जिसमें 3 साल तक की सजा या जुर्माना अथवा दोनो का प्रावधान है।
तिरंगा झंडा का इतिहास – history of national flag of india in Hindi
भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास बड़ा ही गौरवपूर्ण रहा है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज का वर्तमान रूप में स्वीकार करने के पहले अनेक दौरों में से गुजरा। आइए जानते हैं इसके तिरंगा का रोचक इतिहास।
पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया – first national flag of india in Hindi
क्या आप जानते हैं पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब फहराया गया था । भारत के प्रथम गैर आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज को कलकता के पारसी बागान चौक पर फहराया गया था। इस प्रकार भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार 1906 ईस्वी में प्रदर्शित किया गया?
इसमें तीन कलर हरा, पीला, और लाल रंग की आयताकार पट्टी थी। इसके ऊपरी हरी पट्टी में कमल, बीच वाले पीली पट्टी में वन्दे मातरम लिखा था, इसके निचली पट्टी में चाँद और सूरज का प्रतीक बना था।
भारत का दूसरा राष्ट्र ध्वज – second national flag of India of india in Hindi
भारत के द्वितीय गैर आधिकारिक राष्ट्रध्वज को 1907 ईस्वी में जर्मनी के स्टटगार्ट में मैडम भीकाजी कामा द्वारा फहराया था। कहते हैं की बाद में इसे बर्लिन के एक सम्मेलन में भी फहराया गया था।
यह ध्वज भी पहले ध्वज से ही मिलता जुलता था। लेकिन इसमें लाल रंग की पट्टी की जगह पर केसरिया रंग की पट्टी का इस्तेमाल किया गया था।
भारत का तीसरा गैर आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज – third national flag of India in Hindi
भारत का तीसरा गैर आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज पिछले ध्वज के ठीक 10 साल वाद 1917 ईस्वी में सामने आया। इस ध्वज को डॉक्टर एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने कोलकाता में होम रूल आंदोलन के दौरान फहराया था। यह ध्वज पहले के दोनो ध्वज के डिजाइन से बिल्कुल ही अलग था।
भारत के चौथे राष्ट्र ध्वज 1921 का पारुप – fourth national flag of India
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विजयवाड़ा अधिवेशन के दौरान सन 1921 में इस झंडे का डिजाइन आंध्र प्रदेश के एक युवक पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था।
इसमें हरा रंग मुस्लिम समुदाय और लाल रंग हिन्दू समुदाय को सूचित करता था। कहते हैं की बाद में गांधी जी के कहने पर इसमें चरखा जोड़ा गया।
वर्ष 1931 में भारत के राष्ट्र ध्वज का पारुप – national flag of India in 1931 in Hindi
1921 में पिंगली वेंकैया के द्वारा डिजाइन किए गये ध्वज में 10 साल के बाद 1931 में कुछ संशोधन किया गया। इस Tiranga को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित हुआ।
फलतः 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा इसे औपचारिक रूप से राष्ट्र ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को संविधान सभा द्वारा कब अपनाया गया – national flag of India since 1947 in Hindi
भारत का वर्तमान तिरंगा के स्वरूप को आजादी के ठीक पहले 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा के द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया। लेकिन पिछले झंडे में प्रयुक्त चरखे के स्थान पर चक्र लगा दिया गया। यह तिरंगा हमारे देश भारत की राष्ट्रीय पहचान बन चुकी है।
उपसंहार
भारत का ध्वज हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। इस तिरंगा के शान के लिए अनगिनत भारत के देश भक्तों ने अपने प्राणों को माँ भारती के चरणों में न्यौछावर कर दिए।
भारतवासी होने के नाते हमारा भी कर्तव्य है की भारत की झंडा संहिता का पूरी तरह से पालन कर तिरंगे के आन-बान और शान को हमेशा बनाए रखें। इसे पूर्ण सम्मान दें।
अगर आप National flag of India history and information in Hindi अथवा भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर निबंध पढ़ना चाहते हैं तो राष्ट्रीय ध्वज के बारे में 10 लाइन का यह आर्टिकल्स आप की मदद कर सकता है।
F.A.Q
अशोक चक्र में कितनी तिलिया है?
अशोक चक्र में कुल 24 तिलिया है।
अशोक चक्र में 24 तिलिया क्यों होती है?
अशोक चक्र में निर्मित 24 तीलिया मनुष्य के 24 गुणों को प्रदर्शित करती हैं। राष्ट्रध्वज में प्रयुक्त अशोक चक्र जो धर्म-चक्र भी कहलाता है, शांति और सत्य के संदेश देता है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किसने किया?
भारत के राष्ट्रध्वज तिरंगे का डिजाइनर पिंगली वेंकैया को माना जाता है।
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