female freedom fighters of India in Hindi – भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का योगदान अहम रहा है। भारतीय क्रांतिकारी महिला ने देश की आजादी में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। आइये आज़ादी की 25 वीरांगनाएं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
भारत की वीरांगनाओं के नाम – Names of female freedom fighters of India in Hindi
1. कित्तूर रानी चेनम्मा |
2. झांसी की रानी लक्षमीवाई |
3. रानी अवंतीबाई लोधी |
4. वीरांगना भीमाबाई |
5. झलकारी बाई |
6. बेगम हज़रत महल |
7. कस्तूरबा गांधी |
8. सरोजिनी नायडू |
9. लक्ष्मी सहगल |
10. एनी बेसेंट |
11. मैडम भिकाजी कामा |
12. रानी गाइदिन्ल्यू |
13. राजकुमारी अमृत कौर |
14. बिना दास |
15. कमला नेहरू |
16. विजया लक्ष्मी पंडित |
17. सुचेता कृपालनी |
18. अरुणा आसफ अली |
19. दुर्गा भाभी (दुर्गावती देवी) |
20. कमला देवी चट्टोपाध्याय |
21. सुहासिनी गांगुली |
22. कल्पना दत्त |
23. मातंगिनी हाजरा |
24. बसंती देवी |
25. प्रीतिलता वादेदार |
Female freedom fighters of India in Hindi language – महिला स्वतंत्रता सेनानी के नाम
1. कित्तूर चेनम्मा – freedom fighters Womens in Hindi
(जनम: 23 अक्टूबर 1778 – मृत्यु: 2 फरवरी 1829)
भारतीय क्रांतिकारी महिला में रानी कित्तूर का नाम भी आता है। रानी कित्तूर चेनम्मा कर्नाटक के महान कित्तूर राज्य की रानी थीं। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के करीब तीन दशक पहले 1824 में रानी ने अंग्रेजों से सशस्त्र विद्रोह किया था।
रानी कित्तूर चेनम्मा साहस एवं वीरता की प्रतिमूर्ति थी। रानी और अंग्रेजों के बीच भयंकर युद्ध हुआ लेकिन एक सड़यंत्र के कारण रानी की पराजय हुई और उन्हें कैद कर लिया गया।
अंग्रेजों के कैद में ही उस महान भारत के महिला स्वतंत्रता सेनानी का निधन हो गया। भारत की वीरांगनाओं के नाम की सूची में इन्हें ऊपर रखा जा सकता है।
इन्हें भी पढ़ें : दक्षिण की लक्षमीवाई ‘कित्तूर रानी चेनम्मा का इतिहास और जीवन परिचय
2. रानी लक्ष्मी बाई – Indian female freedom fighters in Hindi language
(जन्म : 19 नवंबर 1828 – मृत्यु : 20 जून 1858)
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम प्रसिद्ध है।
1857 में झांसी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बना हुआ था। उन्होंने झांसी के सेना का कुशल नेतृव करते हुए सर ह्यू रोज़ के नेतृत्व में ब्रिटिश सैनिकों को मुह तोड़ जवाव दिया।
ग्वालियर की लड़ाई उनका अंतिम युद्ध साबित हुआ। ग्वालियर मे अंग्रेजों के साथ भयंकर युद्ध लड़ी। लेकिन युद्ध के क्रम में ही में उनका नया घोड़ा सामने नाला देखकर अड़ गया।
इतने में ही अंग्रेजों ने उनके शरीर में गोली मार दी। इस प्रकार मात्र 29 वर्ष की अवस्था में अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए उस महान वीरांगनाने रणभूमि में वीरगति को प्राप्त की। वीर महिलाओं के नाम में झांसी की रानी का स्थान सर्वोपरि है।
इन्हें भी पढ़ें –
झांसी की रानी वीर मनु की कहानी
लक्ष्मीबाई कविता – खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
3. रानी अवंतीबाई लोधी – Women freedom fighters of India in Hindi
(जन्म : 16 अगस्त 1838 : मृत्यु : 20 मार्च 1858 )
रानी अवंतीबाई लोधी को रानी लक्ष्मी बाई की तरह ही 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए जाना जाता है। इनका जन्म 16 अगस्त 1838 को हुआ था। 1857 के सवधीनता आन्दोल में शहीद होने वाली वे प्रथम महिला वीरांगना थीं।
इसके वाद रानी लक्ष्मी बाई शाहिद हुई थी। जब रानी अवंतीबाई लोधी अंग्रेजों से युद्ध में घिर गयी। तब उन्होंने अपनी तलवार से खुद को मौत के घाट उतार कर देश के लिए शाहिद हो गई। इस प्रकार Women freedom fighters of India रानी आवंतीबाई भारत के इतिहास में अमर हो गयी।
4. वीरांगना भीमाबाई – lady freedom fighters of india in hindi
(जन्म : 02 फरवरी 1898 – मृत्यु : 27 मई 1935 मुंबई )
भारत के महिला स्वतंत्रता सेनानी भीमाबाई होल्कर का नाम भी उस वीरांगना के साथ लिया जाता है जिन्होंने अपने देश के लिए अंग्रेजों के साथ विद्रोह किया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में छापामारी नीति अपनाकर अंग्रेजों को परास्त किया।
भीमा बाई होल्कर की बहादुरी और वीरता सर्व विदित थी। भीमा बाई होल्कर एक महान वीरांगना थी। वे अहिल्या बाई होल्कर की पौत्री थी।
भीमा बाई ने अपनी दादी अहिल्या बाई होल्कर के पद चिन्हों पर चलते हुए बड़ी समझदारी और कुशलता पूर्वक अपने राज्य का संचालन किया।
5. झलकारी बाई – lady freedom fighters of India in Hindi
(जन्म : 22 नवंबर 1830 झांसी – मृत्यु : 1858 ग्वालियर )
भारत के महिला स्वतंत्रता सेनानी झलकारी बाई का जन्म बुंदेलखंड में 22 नवंबर को एक निर्धन परिवार में हुआ था। झलकारी बचपन से ही निडर और साहसी थी।
झलकारी बाई, लक्ष्मीबाई के सेनानायकों में से एक थी। वे हमेशा ढाल की तरह लक्ष्मी बाई के साथ खड़ी रहती थी।उनका शक्ल सूरत झांसी की रानी लक्ष्मी बाई से मिलती थी। इसीलिए अंग्रेज भी युद्ध में धोखा खा जाते।
महान भारत के महिला स्वतंत्रता सेनानी झलकारी बाई ग्वालियर में अंग्रेजों के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई।
6. बेगम हज़रत महल
(जन्म : 1820 – मृत्यु : 7 अप्रैल 1879)
मुस्लिम महिला स्वतंत्रता सेनानी में वेगम हजरत महल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
बेगम हज़रत महल ने वाजिद अली शाह के अनुपस्थिति में खूबसूरती से अवध सल्तनत का राजकाज संभाला। उ
न्होंने हिन्दू और मुस्लिम नेताओं से मिलकर लखनऊ में 1857 की क्रांति का नेतृत्व किया।
रानी अपने दम तक लड़ी लेकिन प्रबल अंग्रेजों की विशाल फौज के सामने ज्यादा दिनों तक टिकना मुश्किल था। उन्होंने नेपाल में शरण ले ली जहाँ उनकी मृत्यु हो गई।
7. कस्तूरबा गांधी
(जन्म : 11 अप्रैल 1869 – मृत्यु : 22 फरवरी 1944)
कस्तूरबा गांधी का नाम भारत की महान Women freedom fighters में शामिल है। उनका जन्म गुजरात के काठियावाड में हुआ था।
‘बा’ के नाम से प्रसिद्ध कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी की धर्म पत्नी थी। कस्तूरबा गांधी ने गांधी जी के साथ कदम से कदम मिलकर चलते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान दिया।
महात्मा गांधी के गिरफ़्तारी के वाद उन्होंने भारत के आजादी लड़ाई जारी रखी। भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पुना के आगा खा महल में कैद कर दिया गया। 1944 में इसी आगा खा में इनकी मृत्यु हो गई।
8. सरोजिनी नायडू – female freedom fighters of india in hindi language
(जन्म : 13 फरवरी 1879 : मृत्यु : 02 मार्च 1949 लखनऊ )
सरोजिनी नायडू की पहचान प्रमुख Women freedom fighters of India के रूप में की जाती है। उन्होंने महिलाओं की मुक्ति और जनता के अधिकार के लिए अंग्रेजों से लड़ती रही।
सरोजिनी नायडू गांधी जी से बहुत प्रभावित थी । सरोजिनी नायडू नमक आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी चुनी गयी। 1947 में आजादी के बाद वे देश की पहली महिला गवर्नर बनी। सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) बाद में ”द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया” अर्थात “भारत कोकिला” के नाम से प्रसिद्ध हुई।
9. लक्ष्मी सहगल – female freedom fighter in Hindi
(जन्म : 24 अक्टूबर 1914 – मृत्यु : 23 जुलाई 2012)
लक्ष्मी सहगल पेशे से डॉक्टर और महान Women freedom fighters of India थी। उनकी सोच थी की सिर्फ शांतिपूर्ण आंदोलन के जरिये अंग्रेज भारत छोड़ने वाला नहीं है।
इसलिए वे सुभाष चंद्र वोस से प्रभावित होकर आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गयी। लक्ष्मी सहगल के अंदर वीरता और साहस कूट-कूट भरा था। उन्हें आजाद हिन्द फौज की पहली महिला कप्तान के रूप में भी जाना जाता है।
10. एनी बेसेंट – Indian women freedom fighters in Hindi language
(जन्म : 1 अक्टूबर 1847 – मृत्यु : 20 सितंबर 1933)
Women freedom fighters of India एनी बेसेंट एक थिऑसोफीस्ट और समाज सुधारक थी। मानवता की सेवा ही उनका परम धेयय था।
भारत की सवधीनता की उन्होंने वकालत की और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय रूप से शामिल हो गयी। उन्हें 1917 ईस्वी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाली वे पहली महिला थी।
वे होमरूल लीग की स्थापना सदस्यों में से एक थी। ब्रिटिश सरकार की आलोचना के कारण उन्हें कई वार जेल जाना पड़ा।
11. मैडम भिकाजी कामा – female freedom fighters of India in Hindi language
(जन्म : 24 सितंबर 1861 – मृत्यु : 13 अगस्त 1936)
मैडम भीखाजी रुस्तम कामा भारत के महानतम Women freedom fighters of India में से एक थी। उन्होंने बढ़-चढ़कर अपने देश की सवधीनता के आंदोलन में भाग लिया।
भीखाजी कामा विदेश में पहली बार 1907 में भारत का ध्वज को फहरायी थी। भीकाजी कामा द्वारा फहराए गये झंडे पर ‘बंदे मातरं’ लिखा था।
12. रानी गाइदिन्ल्यू – Indian female freedom fighters in Hindi
(जन्म : 26 जनवरी 1915 – मृत्यु : 17 फरवरी 1993)
महिला क्रांतिकारी के नाम में मणिपुर की रानी गाइदिन्ल्यू का नाम आता है। रानी गाइदिन्ल्यू का जन्म 26 जनवरी 1915 को मणिपुर के तमेंगलोंग जिले में हुआ था। मात्र 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपनी आबाज बुलंद कर दिया था।
उन्होंने मणिपुर में ईसाई मिशनरियों के द्वारा आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का भी जमकर विरोध किया। उन्होंने अपने चचेरे भाई जदोनांग के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति में कूद गयी। उसकी बगावत से अंग्रेज घबराकर गये।
अंग्रेज उसके भाई जदोनांग को गिरफ्तार करके 29 अगस्त 1931 को फांसी पर चढ़ा दिया। 17 अप्रैल 1932 को रानी गाइदिन्ल्यू को भी गिरफ्तार कर लिया गया। महज १६ साल की उम्र में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी।
लेकिन गिरफ्तार होकर भी वे अन्य युवा क्रांतिकारी के लिए प्रेरणास्रोत बन गयी। 14 साल तक जेल में रहने के बाद 15 अगस्त 1947 को आजादी के साथ ही उनकी रिहाई हुई। रानी गाइदिन्ल्यू पूरे उम्र तक जनता की सेवा करती रहीं। Women freedom fighters of India रानी गाइदिन्ल्यू की 17 फरवरी 1993 को निधन हो गया।
13. राजकुमारी अमृत कौर – Indian female freedom fighters information in Hindi
(जन्म : 2 फरवरी 1889 – मृत्यु : 2 अक्टूबर 1964)
Women freedom fighters of India राजकुमारी अमृत कौर का संबंध कपूरथला के शाही परिवार से था। वे एक महान सामाज सेविका, स्वतंत्रता सेनानी और अत्यंत ही विदूसी महिला थीं। उनका जन्म 2 फरवरी 1889 को उत्तरप्रदेश के लखनऊ में हुआ था।
Women freedom fighters of India राजकुमारी अमृत कौर, गांधी जी से बहुत प्रभावित थी। उन्होंने सभी सुख सुविधा को त्याग कर महिला अधिकारों के लिए वे सतत प्रयत्नशील रही। इसके लिए उन्होंने 1926 में ऑल इंडिया महिला कांफ्रेंस की नीव रखी। उन्होंने असहयोग आंदोलन और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय रूप से भाग ली। उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया।
आजादी के बाद उन्हें देश का पहली महिला कैबिनेट मंत्री होने का गौरव प्राप्त है। आजादी के बाद वे 10 वर्षों तक स्वास्थ्य मंत्री रहीं। उन्होंने नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान’ की स्थापना के लिए काम किया। राजकुमारी अमृत कौर खेल प्रेमी थी उन्हें खेलों से बड़ा लगाव था।
नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑव इंडिया की स्थापना का श्रेय इन्ही को जाता है। Women freedom fighters of India राजकुमारी अमृत कौर को टाइम्स मगज़ीन ने दुनिया की 100 ताकतवर महिलाओं में स्थान दिया है। राजकुमारी अमृत कौर की सम्पूर्ण जीवन परिचय के लिए क्लिक करें।
14. बीना दास – female Indian freedom fighters in Hindi
(जन्म : 24 अगस्त 1911 – मृत्यु : 26 दिसंबर 1986)
क्रांतिकारी महिलाओं के नाम में बीना दास को भुलाया नहीं जा सकता। वे भारत के महान क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी महिला के रूप में जानी जाती है। बीना दास का जन्म 24 अगस्त, 1911 ईस्वी को बंगाल के कृष्णानगर में हुआ था। बीना दास की पिता बेनी माधव दास बहुत ही प्रसिद्ध शिक्षक थे।
बीना दास की वीरता और साहस किसी गाथा से कम नहीं है। बचपन से ही बीना दास के अंदर देशप्रेम की भावना उबल रही थी। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय मे दीक्षांत समारोह के दौरान वह बंगाल के तत्कालीन गवर्नर स्टेनली जैक्सन पर पांच राउंड गोलियों चलियी। उनका अदम्य साहस मातृभूमि के प्रति अतुल्य निष्ठा को दर्शाता है। लगभग 9 साल तक जेल में रहने के बाद 1937 में कांग्रेस की सरकार गठन के बाद कई राजबंदियों के साथ इन्हें भी रिहा कर दिया गया।
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण एक बार फिर से इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान उन्हें 3 साल के लिए नजरबंद कर दिया गया था। वर्ष 1946 ईस्वी में बीना दास को बंगाल विधान सभा का सदस्य चुना गया।
7 नवंबर 1946 को नोआखाली सांप्रदायिक दंगे के दौरान बीना दास ने गांधी जी के साथ मिलकर लोगों के पुनर्वास के लिए बढ़कर भाग लिया था। इस महान क्रांतिकारियों बीना दास का 26 दिसंबर 1986 को ऋषिकेश में निधन हो गया।
15. कमला नेहरू – Indian women freedom fighters in Hindi
(जन्म : 1 अगस्त 1899 – मृत्यु : 28 फरवरी 1936)
महान महिलाओं के नाम की सूची में कमला नेहरू का नाम आता है। वे एक महान देशभक्त थी। यद्यपि उन्हें मुख्य रूप से नेहरू जी के पत्नी के रूप में जाना जाता है। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
सन 1921 में उन्होंने महिलाओं के समूह को इकट्ठा कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़ी। 1930 में गांधी जी द्वारा नमक आंदोलन के दौरान गांधी जी के साथ दांडी मार्च में सक्रिय रूप से भाग लिया।
कहते हैं की चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु के बाद उन्होंने इलाहाबाद में अंग्रेजों के खिलाफ विरोध मार्च का नेतृत्व भी किया था। आजादी के आंदोलन के दौरान वे कई बार जेल गयी। 28 फरवरी 1936 को भारत के महान महिला स्वतंत्रता सेनानी कमला नेहरूकी मृत्यु हो गयी।
इन्हें भी पढ़ें – कमला नेहरू का जीवन परिचय और आजादी में योगदान
16. विजय लक्ष्मी पंडित
(जन्म : 18 अगस्त प्रयागराज – मृत्यु : 01 दिसंबर 1990)
भारत के महिला स्वतंत्रता सेनानी विजय लक्ष्मी पंडित, जवाहर लाल नेहरु जी की बहन थीं। उन्होंने भारत के आजादी की लड़ाई में अपना अमूल्य योगदान दिया। विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को इलाहाबाद में में हुआ था।
उनकी शादी 1921 में काठियावाड़ के प्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पण्डित के साथ हुआ था। गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने आज़ादी के लिए आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने आजादी के हरेक आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लेती।
विजया लक्ष्मी पंडित एक कुशल भारतीय राजनीतिज्ञ थीं। संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष होने का श्रेय विजया लक्ष्मी पंडित को जाता है।
17. सुचेता कृपालनी – ladies freedom fighters of india in hindi
(जन्म : 25 ज 1908 अंबाला, – मृत्यु : 01 दिसंबर 1974 दिल्ली )
भारत के प्रसिद्ध महिला स्वतंत्रता सेनानी सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को अंबाला, हरियाणा में हुआ था। सुचेता कृपलानी एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थीं।
गांधी जी के सानिध्य में रहकर सुचेता कृपलानी ने आजादी के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। आजादी के बाद वे उत्तरप्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गई। 1946 में वे संविधान सभा के सदस्य के रूप में चुनी गयी थी।
18. अरुणा आसफ अली (Women Freedom Fighters of India in Hindi)
(जन्म : 16 जुलाई 1909 पंजाव – मृत्यु : 29 जुलाई 1996 नई दिल्ली )
महान महिला स्वतंत्रता सेनानी अरुणा का जन्म 16 जुलाई 1909 में कालका, पंजाब में हुआ था। इनका पूरा नाम अरुणा गांगुली था। इनके पिता का नाम उपेन्द्रनाथ गांगुली था। अरुणा आसफ अली की गिनती महान स्वतंत्रता सेनानी में की जाती है।
आजादी के आंदोलन के समय वे कई बार जेल गयी। वे बंबई के गोवालिया टैंक मैदान में तिरंगा फहराने वाले क्रांतिकारी के रूप में चर्चा में आई। अरुणा आसफ अली को भारत छोड़ो आंदोलन की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है।
उन्हें आजादी के संघर्ष में सक्रिय भागीदारी के लिए ग्रैंड ओल्ड लेडी के रूप में भी याद कियाजाता है। आजादी के बाद उन्हें दिल्ली के पहली मेयर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
19. दुर्गा भाभी (दुर्गावती देवी)
(जन्म : 07 अक्टूबर 1907 – मृत्यु : 15 अक्टूबर 1999)
दुर्गावती देवी(दुर्गा भाभी) को स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वे कट्टर देशभक्त थी तथा भारत की आजादी के लिए हमेशा क्रान्तिकारियों की मदद करती थी।
दुर्गावती देवी महान क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की पत्नी थी। 18 दिसम्बर 1928 को दुर्गा भाभी ने वेश बदलकर भगत सिंह को कलकता पहुचाने में मदद की। दुर्गावती देवी गुमनाम रहकर हमेशा सक्रिय रूप से क्रांतिकारी गतिविधि में भाग लिया।
20. कमला देवी चट्टोपाध्याय
(जन्म : 03 अप्रेल 1903 मंगलोर – मृत्यु : 29 अक्टूबर 1988 )
कमलादेवी चट्टोपाध्याय एक महान स्वतंत्रता सेनानी थी। कमला देवी चट्टोपाध्याय गांधी जी से बहुत प्रभावित थी वे भारतीय हस्तकला के क्षेत्र में नवजागरण लाने वाली महान समाजसेवी के रूप में याद की जाती है। ।
उन्हे समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 1955 में पदम भूषण से सम्मानित किया गया। इनका जन्म 3 अप्रैल 1903 को मंगलोर कर्नाटक में हुआ था।
उनकी शादी हरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्यायइस के साथ हुई। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा तथा संगीत नाटक अकेडमी की स्थापना में इनका अमूल्य योगदान रहा। इस महान महिला क्रांतिकारी की मृत्यु 29 अक्टूबर 1988 को बंबई में हुई।
21. सुहासिनी गांगुली
(जन्म : 03 फरवरी 1909 – 23 मार्च 1965 कलकता )
महिला क्रांतिकारी सुहासिनी गांगुली महान देशभक्त थी। सुहासिनी गांगुली का जन्म 03 फ़रवरी 1909 को ढाका (अव बांग्लादेश) में हुआ था। भारत की आजादी के लिए उन्होंने गुप्त रूप से क्रांतिकारी गतिविधि में सक्रिय रूप से शामिल रही।
जब अंग्रेज अधिकारी को उनपर संदेह हो गया। तब उन्हें 1930 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। आठ साल तक जेल की सजा कटने के बाद 1938 में जेल से छूटीं। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और उन्हें फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। साल 1945 में उनकी रिहाई हो गयी।
22. कल्पना दत्त – Women freedom fighters of India
(जन्म : 27 जुलाई 1913 – मृत्यु : 08 फरवरी 1995 नई दिल्ली )
किसी ने अहिंसा का रास्ता चुना और किसी ने हाथ में बंदूक थाम ली लेकिन सबका मकसद एक ही था भारत की आजादी। उसी में से एक नाम आता है महान Women freedom fighters कल्पना दत्त की। उन्होंने भारत के आजादी के लिए अपने हाथ में बंदूक उठाई।
इस महान महिला क्रांतिकारी का जन्म 27 जुलाई, 1913 को चटगांव के श्रीपुर (अब वांगलदेश ) में हुआ था। भारत के स्वाधीनता की लड़ाई में उन्होंने अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
चटगांव शास्त्रागार लूट काण्ड के बाद अंग्रेजों ने इन्हें गिरफ्तार कर ली गयी। उनको आजीवन कारावास की सजा हुई। उनकी वीरता और साहस के लिए इस महान क्रांतिकारी को ‘वीर महिला’ के सम्मान से नबाजा गया।
सन 1995 में नई दिल्ली में उनका देहांत हो गया। सन 2010 में आशुतोष गोवारिकर ने कल्पना दत्त के जीवन पर आधारित एक फिल्म ‘खेलें हम जी जान से’ बनाई। इस फिल्म में दीपिका पादुकोण ने मुख्य भूमिका निभाई।
23. मातंगिनी हाजरा – female freedom fighter in Hindi,
(जन्म : 19 अक्टूबर 1870 – मृत्यु : 29 सितंबर 1942)
महान महिला क्रांतिकारी मातंगिनी हाजराका जन्म बंगाल के मेदनीपुर में हुआ था। मातंगिनी एक साहसी और निडर क्रांतिकारी थी। सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जब वे हाथ में तिरंगा लेकर जुलूस का नेतृत्व कर रही थी।
तब अंग्रेजों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन वे हाथ में तिरंगा लेकर आगे बढ़ती रही। अंततः अंग्रेजों ने उन्हें गोली से उड़ा दिया।
गोली लगने के बाद भी मरते दम तक उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को हाथ से नहीं छोड़। इस प्रकार 71 वर्षीय महान Women freedom fighters मातंगिनी हाजरा ने देश के लिए अपना सर्वस बलिदान दे दिया।
24. बसंती देवी
(जन्म : 23 मार्च 1880 – मृत्यु : 07 मई 1974 )
बसंती देवी का नाम भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी और वीर महिलाओं के नाम की सूची में शामिल है। वे महान स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास की पत्नी थी। इनका जन्म 23 मार्च 1880 को कलकता में हुआ था।
सवधीनता के आंदोलन में महान महिला क्रांतिकारी बसंती देवी ने पति के साथ कंधे से कंधे मिलकर चली।
खादी के प्रचार और प्रसार के जुर्म में अंग्रेजों ने इसे गिरफ्तार कर लिया था। बसंती देवी असहयोग आंदोलन में भी बढ़कर भाग लिया।
25. प्रीतिलता वादेदार
(जन्म : 05 मई 1911 – मृत्यु : 23 सितंबर 1932 )
महिला क्रांतिकारी के नाम में प्रीतिलता वादेदार का नाम प्रसिद्ध है। एक निर्भीक लेखिका और महान देशभक्त थी। उनका जन्म 05 मई 1911 को चटगाँव (अब बांगलादेश) में हुआ था।
युरोपियन क्लब पर हमला के दौरान वे अंग्रेज सिपाही से घिर गयी थी। उन्होंने जीते जी अंग्रेजों के हाथ मरने से बेहतर देश के लिए शहीद हो जाना अच्छा समझा।
कहते हैं की उन्होंने अंग्रेजों से घिरने के बाद साइनाइड खाकर स्वतंत्रता की वलिवेदी पर चढ़ गयी। वे बंगाल की पहली महिला क्रांतिकारी के नाम से जानी जाती है।
उपसंहार
आपको Top 25 famous names of female freedom fighters of India in Hindi शीर्षक वाला यह लेख जरूर अच्छा लगा होगा।
लिखा गया – 8 जून 2020