महावीर चक्र(Mahavir Chakra) को परमवीर चक्र के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य अलंकरण माना जाता है। यह सम्मान हमारे वीर जवानों को युद्ध के दौरान दुश्मन के सामने, चाहे ज़मीन पर, समुद्र में या हवा में उनके अदम्य साहस और असाधारण वीरता के प्रदर्शन के लिए प्रदान किया जाता है।
इसकी स्थापना 26 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हुई थी। यह पदक चांदी से निर्मित आकार में गोलाकार होता है। इस पदक के पीछे वाले भाग में हिंदी और अंग्रेजी में “महावीर चक्र” शब्द अंकित होता है।
वरीयता क्रम की बात करें तो परमवीर चक्र के बाद दूसरे स्थान पर महावीर चक्र का नाम आता है। पहली बार इस अवॉर्ड से 15 अगस्त 1950 में ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह को प्रदान किया गया। तब से लेकर अव कुल 218 लोगों को इस सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
इसे जीवित और मरणोपरत्न दोनों अवस्था में प्रदान किया जा सकता है। आइए इस ब्लॉग पोस्ट में इस अवॉर्ड के इतिहास, डिजाइन, महत्व, प्राप्तकर्ताओं की सूची आदि के बारें में विस्तार से जानते हैं।
महावीर चक्र क्या है
जैसा की हम जानते हैं की महावीर चक्र (MVC) भारत का दूसरा सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है। जिसे दुश्मन के विरुद्ध जल, थल अथवा वायु में असाधारण वीरता, अदम्य साहस को प्रदर्शित करने के लिए दिया जाता है। इस आवर्ड को जीवित अथवा मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है।
महावीर चक्र का महत्व
यह एक अत्यधिक प्रतिष्ठित सैन्य अलंकरण है जो दुश्मन के सामने असाधारण बहादुरी, अदम्य साहस को मान्यता देता है। यह पुरस्कार सशस्त्र बल कर्मियों की वीरता और बलिदान को सम्मान करने का एक तरीका है।
साथ ही यह हमारे बहादुर जवानों का देश के प्रति भक्ति, अटूट प्रतिबद्धता, वतन के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण के प्रति एक उपयुक्त श्रद्धांजलि भी है।
स्थापना व इतिहास
हमारे देश के सैनिक भारत माता की रक्षा की खातिर अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं। कोई भी पुरस्कार उनके बलिदान के समतुल्य नहीं हो सकता। परंतु यह दुश्मन के सामने अदम्य साहस, असाधरण वीरता अथवा आत्म बलिदान देने वाले उन बहादुर वीर जावनों के प्रति सम्मान दिखाने का एक तरीका है।
देश की आजादी के बाद इस चक्र की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गई थी। 1950 में स्थापित इस पुरस्कार को भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 1947 से प्रभावी माना गया था। जिसे भारत के वीर जावनों को दुश्मन की उपस्थिति में, ज़मीन, सागर अथवा हवा में विशिष्ट वीरता के कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है।
बनावट
महावीर पदक की बनावट गोलाकार है जो मानक चांदी से निर्मित होता है। इसके अग्र भाग पर एक सितारा बना होता है जिसमें पांच नुकीले उभरा रहता है, इस सितारे के केंद्र में हमारे देश का राष्ट्रीय चिन्ह अंकित होता है।
पदक के पीछे की तरफ हिंदी और अंग्रेजी में “महावीर चक्र” शब्द उभरा हुआ अंकित होता है। यह मेडल जीस रिबन में बंधा होता है उस रिबन का रंग आधा सफेद और आधा नारंगी होता है। इस अलंकरण को प्राप्तकर्ता द्वारा अपनी बायीं छाती पर घारण किया जाता है।
महावीर पुरस्कार के लिए पात्रता
इस चक्र को सेना, वायु सेना, नौ सेना अथवा प्रादेशिक सेना में किसी भी रैंकों के जवान व अधिकारी, प्रादेशिक सेना, रिजर्व बल और अन्य सशस्त्र बल से जुड़े लोगों को लिंग के भेदभाव किए बिना प्रदान किया जा सकता है।
यह पदक सैनिकों के साथ असैनिकों को भी असाधारण वीरता अथवा देश के लिए बलिदान के लिए जीवित अथवा मरणोपरान्त प्रदान किया जा सकता है।
इस प्रकार यह पदक दुश्मनों के सामने युद्ध के दौरान जमीन पर, हवा में या समुद्र में असाधरण वीरता के लिए सुरक्षा बलों में से संबंधित किसी भी व्यक्ति को प्रदान किया जा सकता है।
चयन प्रक्रिया
दुश्मनों के सामने अपने अदम्य साहस और शौर्य का करते हुए देश की रक्षा में अतुलनीय योगदान के लिए यह पुरस्कार भारत के वीर जवानों को प्रदान किया जाता है। सबसे पहले सेना के जवानों और अधिकारियों के नामों का चयन किया जाता है उसके बाद उनके नाम रक्षा मंत्रालय के पास भेजा जाता है।
रक्षा मंत्रालय में एक विशेषज्ञ केंद्रीय सम्मान एवं पुरस्कार समिति द्वारा उन नामों पर विचार होती है। कई मानकों के आधार पर अंत में चयनित नामों को लिस्ट राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजी जाती है। उसके बाद उनके नामों को सार्वजनिक कर दिया जाता है।
मिलने वाली सुविधाएं व भत्ते
महावीर चक्र पुरस्कार विजेता को उनके पेंशन के अलावा कुछ मासिक भत्ता भी प्रदान किया जाता है। वर्ष 2017 के बाद मासिक रूप से 10,000 रुपया इस चक्र पाने वाले वीर जवानों अथवा उनके विधवाओं को मिलता है।
इसके अलावा राज्य सरकार भी कुछ खास रकम इन वीरता पुरस्कार पाने वालों को प्रदान कर सम्मानित करती है।
महावीर चक्र विजेताओं के नाम
महावीरचक्र पुरस्कार विजेता लिस्ट की बात करें तो 26 जनवरी 1950 को शुरुआत की गई इस आवर्ड को वर्ष 2023 तक कुल 218 वीर जाबांजों को प्रदान किया जा चुका है।
आकडे के अनुसार सबसे अधिक यह अवार्ड भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के दौरान प्रदान किया गया था। उस युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना को कुल 11 अवॉर्ड प्राप्त हुए थे।
कुछ महा वीर चक्र पुरस्कार विजेता
1988 | लेफ्टिनेंट | अरविन्द सिंह |
1971 | एल/एस (सीडी2) | सी सिंह |
1971 | कमांडर | मोहन नारायण राव सामंत |
1971 | लेफ्टिनेंट कमांडर | जेपीए नरोनहा |
1971 | लेफ्टिनेंट कमांडर | एसके गुप्ता, एनएम |
1971 | कैप्टन | प्रकाश स्वराज, एवीएसएम |
1971 | एजी. कैप्टन | एम.एन. मुल्ला (मरणोपरांत) |
1971 | कमांडर | बीबी यादव |
1971 | कमांडर | केपी गोपाल राव, वीएसएम |
1971 | ब्रिगेडियर | आनंद सरूप |
1971 | ब्रिगेडियर | ब्रिगेडियर. कैलास प्रसाद पांडे |
1971 | लेफ्टिनेंट कर्नल | अरुण भीमराव हरोलिकर |
2020 | कर्नल | बिल्कुमल्ला संतोष बाबू |
1988 | लेफ्टिनेंट | अरविन्द सिंह |
महावीर चक्र विजेता लिस्ट – Mahavir Chakra Winners list in Hindi
- मेजर अनुप सिंह गहलौत
- सिविलियन कुली मोहम्मद इस्माइल
- स्क्वाड्रन लीडर जेएम नाथ
- ब्रिगेडियर जोगिंदर सिंह बख्शी
- सूबेदार अजीत सिंह
- सूबेदार गुरदयाल सिंह
- सिपाही अमर सिंह
- ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह
- एनके प्रेम बहादुर गुरुंग
- ब्रिगेडियर (तत्कालीन, लेफ्टिनेंट कर्नल) संपूर्ण सिंह, वीआरसी
- लेफ्टिनेंट कर्नल अनंत सिंह पठानिया
- विंग कमांडर (तत्कालीन स्क्वाड्रन लीडर) जग मोहन नाथ
- लेफ्टिनेंट कर्नल कुलवंत सिंह पन्नू
- नायक चैन सिंह
- सिपाही पांडु रंग सालुंखे
- लांस नायक रण बहादुर गुरुंग
- हवलदार सैटिंगियन फुंचोक
- जनरल अरुण श्रीधर वैद्य, एमवीसी, एवीएसएम
- मेजर भूपिंदर सिंह
- जेईएम संपूर्ण सिंह
F.A.Qs
अब तक कितने महावीर चक्र दिए गए हैं?
भारत के दूसरे सर्वोच्च सैन्य पदक को 2023 तक 218 लोगों को प्रदान किया जा चुका है।
प्रथम महावीर चक्र विजेता कौन थे?
भारत के पहले महावीर चक्र विजेता दीवान सिंह दानू , ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह सहित कई लोगों के नाम शामिल हैं।
महावीर चक्र विजेता को कितनी राशि दी जाती है?
महा वीर चक्र विजेता को प्रतिमाह 10 हजार रुपये प्रदान किए जाते हैं। इसके अलावा राज्य सरकार की तरफ से भी कुछ राशि प्रदान की जाती है।
राजस्थान के किस वीर को सर्वप्रथम महावीर चक्र प्राप्त हुआ
राजस्थान के सूबेदार चुनाराम फागडिया को 1948 ईस्वी में भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस और वीरता के लिए सर्वप्रथम महा वीर चक्र प्राप्त हुआ।