मेजर रामास्वामी परमेश्वरन को भारतीय सैन्य इतिहास में साहस और बलिदान का प्रतिमूर्ति हैं। मेजर रामास्वामी परमेश्वरन एक भारतीय सेना अधिकारी थे जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
अपने सैन्य करियर के दौरान मेजर परमेश्वरन ने कई अभियानों और ऑपरेशनों में भाग लिया। उन्होंने श्रीलंका में शांति के लिए चलाए गए ऑपरेशन पवन में भारतीय शांति रक्षा बल (आईपीकेएफ) में भाग लिया।
जब वे अपने दल के साथ एक तलाशी अभियान से वापस लौट रहे थे, जब एलटीटीई के आतंकवादि समूह ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में उनके सीने में आकार गोली लग गई और वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने दल का नेतृत्व करते हुए लड़ना जारी रखा। उन्होंने कई आतंकवादियों को मार गिराया। उनकी बहादुरी और दृढ़ संकल्प ने उनके दल के लोगों में और भी उत्साह के साथ लड़ने के लिए प्रेरित किया और अंततः उग्रवादी को मार गिराया गया।
लेकिन अंत में मेजर रामास्वामी परमेश्वरन बुरी तरह से घायल होने के कारण शहीद हो गए। भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया। मेजर रामास्वामी परमेश्वरन एक समर्पित असाधरण बहादुरी और अदम्य साहस के धनी सैन्य अधिकारी थे।
वह अपने असाधारण नेतृत्व कौशल और सबसे कठिन परिस्थितियों में भी अपने लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करने की क्षमता के लिए याद किए जाते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में मेजर परमेश्वरन के जीवन परिचय और ऑपरेशन पवन के दौरान उनके योगदान के बारें वर्णन किया गया है।
“आने वाली पीढ़ी इन महान योद्धा के महान बलिदान को हमेशा याद रखे, इस लेख में मेरे द्वारा यह एक छोटा सा प्रयास किया गया है, जो उन महान परम वीरों के प्रति एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि होगी। ”
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मेजर रामास्वामी परमेश्वरन – Major Ramaswamy Parameswaran Information in Hindi
पूरा नाम | मेजर रामास्वामी परमेस्वरन |
जन्म | 13 सितम्बर, 1946, मुम्बई), महाराष्ट्र |
कैरियर | भारतीय थल सेना |
रैंक | मेजर |
सेवा काल | 1972-1987 |
सम्मान | (परमवीर चक्र (1987) भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान |
नागरिकता | भारतीय |
परमवीर चक्र विजेता मेजर रामास्वामी परमेश्वरन जीवनी
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन का जन्म 13 सितंबर 1946 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री के.एस. थे जो रामास्वामी, भारतीय सिविल सेवा के एक सम्मानित सदस्य।
मेजर परमेश्वरन छोटी उम्र से ही अपनी बुद्धिमत्ता, दृढ़ संकल्प और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। उनकी आरंभिक शिक्षा मुंबई के प्रतिष्ठित साउथ इंडियन एजुकेशन सोसाइटी हाई स्कूल से पूरी की।
उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उनका दाखिला मुंबई विश्वविद्यालय में हुआ जहाँ से उन्होंने विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपनी स्नातक पूरी करने के बाद उन्होंने सैन्य सेवा को अपना कैरियर चुना।
सैन्य कैरियर:
उन्होंने 1972 में भारतीय सेना में कमीशंड हासिल किया तथा उनकी पहली नियुक्ति 15वीं महार रेजिमेंट में किया गया। उस बक्त वे अपने रेजीमेंट के साथ मिजोरम और त्रिपुरा के पहाड़ी इलाकों में घुसपैठियों से लड़ाई लड़ी।
उसके बाद उनका 8वीं महार रेजिमेंट में ट्रांसफर किया गया। इस रेजीमेंट को श्रीलंका में शांति सेना के रूप में कार्य करने के लिए ऑपरेशन पवन में भाग लेने श्रीलंका भेजा गया।
इस प्रकार वे श्रीलंका आने वाली भारतीय शांति सेना की पहली बटालियन के हिस्सा बने। उनके अदम्य साहस, जज्बा और कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण उनके साथी प्यार से उन्हें ‘पेरी साहब‘ कहकर संबोधित किया करते थे।
ऑपरेशन पवन: श्रीलंका में भारतीय शांति मिशन (1987-1990):
बर्ष 1987 में श्री लंका में शांति और सामान्य स्थिति स्थापित के लिए ऑपरेशन पवन नामक एक अभियान चलाया गया। उन्होंने अपने उग्रवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) के लड़ाके के बल पर श्री लंका में अशान्ति का माहौल बना दिया था।
भारतीय सेनाओं को श्री लंका (एक विदेशी भूमि) में एक अपरिचित इलाके और शत्रुतापूर्ण विरोध के साथ एक चुनौतीपूर्ण कार्य का सामना करना पड़ा। इन चुनौतियों के बावजूद वे श्रीलंका में शांति बहाल करने के अपने मिशन के लिए प्रतिबद्ध रहे।
श्रीलंका में उन्होंने लिट्टे के ख़िलाफ़ उसके संगठन को निष्क्रिय करने के लिए कई ऑपरेशनों में हिस्सा लिया। इस आपरेशन के दौरान उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए।
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन का शहीद होना:
लेकिन 25 नवंबर 1987 की रात मेजर परमेश्वरन जब अपने सैन्य टुकड़ी के साथ एक तलाशी अभियान से वापस लौट रहे थे, तब पहले से घात लगाये आतंकवादियों के एक समूह ने जोरदार हमला कर दिया। दोनों ओर से जबरदस्त मुठभेड़ होने लगी।
उन्होंने अकेले ही कई आतंकवादियों को मार गिराया लेकिन सीने में गोली लगने से वे गंभीर रूप से घायल हो चुके थे। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी तथा लड़ना जारी रखा।
उनकी बहादुरी और दृढ़ संकल्प ने उनके बाकी साथियों को भी पूरे ताकत से लड़ने के लिए प्रेरित किया और उग्रवादी को मार गिराया गया। लेकिन सीने में गोली लगने से गंभारी रूप से घायल उन्होंने अंत में शहीद हो गए।
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन परमवीर चक्र से सम्मानित:
उनकी अदम्य साहस, असाधारण वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। श्रीलंका में शांति सेना के रूप में कार्य करते हुए एक मुठभेड़ के दौरान मेजर परमेश्वरन के सीने में गोली लग गई।
लेकिन घायल होने के बावजूद उन्होंने लड़ना और अपने लोगों का नेतृत्व करना जारी रखा। गंभीर रूप से घायल होने के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया।
लेकिन मेजर परमेश्वरन ने अपना बलिदान देकर न केवल अपने साथी की जान बचाई बल्कि आतंकवादियों को भी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया।
भारत सरकार द्वारा उन्हें भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र प्रदान किया जाना उनके साहस और कर्तव्य के प्रति समर्पण का प्रमाण है।
उनके उद्धरण में लिखा है, “मेजर रामास्वामी परमेश्वरन ने दुश्मन के सामने विशिष्ट वीरता और नेतृत्व का प्रदर्शन किया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, उन्होंने लड़ना जारी रखा और अपने लोगों को दुश्मन को हराने के लिए प्रेरित किया। उनके कार्य भारतीय सेना की उच्चतम परंपराओं को दर्शाता है।“
युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत:
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन का बलिदान भारतीय सेना की बहादुरी और निस्वार्थता की याद दिलाता है। 1987 में ऑपरेशन पवन के दौरान उनके कार्यों ने श्रीलंका में शांति बहाल करने में मदद की तथा वैश्विक शांति के क्षेत्र में भारत की प्रतिबद्धता को जगजाहिर किया।
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन को एक सच्चे नायक के रूप में हमेशा प्रतिबद्ध थे। वह न केवल अपनी बहादुरी और बलिदान के लिए याद किए जाएंगे, बल्कि अपने देश और कर्तव्य के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प के लिए चीर-स्मरणीय रहेंगे।
उनकी अदम्य साहस और वीरता आने वाली भारतीयों पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
निष्कर्ष(Conclusion)
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन का बलिदान भारतीय सेना का वैश्विक शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है। ऑपरेशन पवन के दौरान उनके अभूतपूर्व कार्य और भारतीय सैनिकों की बहादुरी और निस्वार्थता की याद दिलाते हैं जो दूसरों की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन एक असाधारण सैनिक और सच्चे नायक थे, जिनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा। भारतीय सैन्य इतिहास मेजर रामास्वामी परमेश्वरन का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है।
1987 में भारत के बहादुर सैन्य अधिकारी मेजर परमेश्वरन को दुश्मन के सामने उनके असाधारण साहस और वीरता के लिए भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।