जानिए भगवान विष्णु के 7 नाम और उनके नाम का रहस्य (About Vishnu Bhagwan)
भगवान विष्णु के दशावतार की चर्चा पुराणों में मिलती है। जिनमें उनका 9 अवतार हो चुका है। उनका अंतिम अवतार होना बांकी है। इस लेख में भगवान विष्णु के 7 नाम और उनके मतलब क्या हैं उनके बारें मे जानेंगे, जैसे श्री हरि को विष्णु क्यों कहते हैं।
विष्णु का मतलब क्या है। उन्हें नारायण क्यों कहा जाता है, उनके नाम हरि का क्या मतलव है। तो चलिए पहले हम जानते हैं की भगवान विष्णु कौन हैं उनकी उत्पत्ति से जुड़ी कुछ रोचक बातें:-
भगवान विष्णु की उत्पत्ति
शिव पुराण के आधार पर कहा जाता है की एक बार भगवान शिव जब अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु उत्पन्न हुए थे। वहीं विष्णु पुराण के अनुसार शिव, भगवान विष्णु के माथे के तेज से और ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की नाभि कमल से उत्पन्न हुए माने जाते हैं।
सनातन धर्म के मान्यताओं के अनुसार त्रिदेव में Vishnu bhagwan को जगत के पालनहार कहे जाते हैं। अपने दशवातार के माध्यम से श्री हरि ने धर्म की रक्षा के लिए बार-बार इस धरा पर अवतरण लिया।
भगवान विष्णु के बारें में
चतुर्भुज धारी Vishnu bhagwan श्याम वर्ण के हैं। इनका वाहन गरुड़ है। विष्णु भगवान अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा और पदम धारण करते है। इनका निवास क्षीर सागर माना गया है। जहॉं वे शेषनाग की शैया पर लक्ष्मी जी के साथ सदा विराजमान रहते हैं।
भगवान विष्णु का अमोघ अस्त्र सुदर्शन चक्र कहलाता है। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए सतयुग से लेकर अवतक 9 बार अवतार ले चुके है। उनके अंतिम अवतार कलयुग के अंत में कल्कि के रूप में होना बाकी माना जाता है।
भगवान विष्णु के नाम ‘नारायण’ और ‘हरि’ का रहस्य
हिन्दू धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के 1000 नाम की चर्चा मिलती है, साथ ही उनके 24 अवतार का उल्लेख किया जाता है। भगवान विष्णु के 7 नाम जो प्रमुखता से ली जाती है ये नाम हैं – अनंत, पद्मनाभ, श्री हरी, मधुसूदन, केशव, नारायण, विष्णु। आइये उनके नाम विष्णु, नारायण और श्री हरी का मतलव जानते हैं।
भगवान विष्णु के ‘नारायण’ नाम का रहस्य
जल को नीर या नर के नाम से भी जाना जाता है। विष्णु भगवान का शेषनाग की शैया पर जल में निवास है। जल अर्थात नीर में निवास करने के कारण ही विष्णु भगवान का नाम नारायण हुआ। यही कारण है की विष्णु भगवान को उनके भक्त नारायण कहकर पुकारते हैं।
भगवान विष्णु के हरि नाम का रहस्य
पुराणों में विष्णु भगवान को श्री हरी भी कहा गया है। हरी का मतलव होता है हरण करने वाला। विष्णु भगवान जगत के पालनहार हैं। वे अपने भक्तों की पीड़ा को तुरंत हर लेते हैं अर्थात दूर कर देते है।
अपने अवतार के क्रम में उन्होंने पापियों का सर्वनाश किया, धर्म की रक्षा की और अपने भक्त के दुखों का हरण किया। यही कारण है की Vishnu bhagwan को श्री हरी भी कहा जाता है।
उन्हें विष्णु क्यों कहते है?
अव हम जानेंगे की विष्णु का क्या मतलब है और श्री हरी को विष्णु क्यों कहा जाता हो। विष्णु अर्थात जो ब्रह्मांड के कण-कण में निवास करता हो, यानी जिसका विश्व के प्रत्येक अनु में वास हो वही तो विष्णु है।
आइये एक पौराणिक कथा के द्वारा Vishnu के मतलब को जानते हैं। जब विष्णु जी अपने दशावतार में नर सिंह रूप में अवतार लिया था। जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा की तुम्हारा विष्णु कहाँ है।
तब प्रह्लाद ने सहज भाव में उत्तर दिया की वे तो ब्रह्मांड के कण-कण में विराजमान हैं। वे हर जगह और हर बस्तु में मौजूद है। तब असुर राज हिरण्यकश्यप ने पूछा की क्या तेरा विष्णु इस खंभे में भी है तब प्रह्लाद ने जवाव दिया हाँ।
हिरण्यकश्यप ने खंभे में एक लात मारा और उस खंभे से विष्णु भगवान नर सिंह रूप में प्रकट हुए। इस बात से सिद्ध होता है की विश्व के हर अनु में निवास के कारण हो वे विष्णु कहलाये।
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