10 lines on Mahatma Gandhi in Hindi – महात्मा गांधी पर 10 पंक्तियां
10 lines on mahatma Gandhi in Hindi – महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंरता सेनानी थे। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य से भारत की आजादी दिलाने के लिए अनेकों बार अंग्रेजों से अहिंसात्मक आंदोलन किया।
गांधी जी का जन्म 1869 में भारत के गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा लंदन में पाई थी। उन्होंने पूरे भारत में धार्मिक सहिष्णुता, हिंदू-मुस्लिम एकता और अस्पृश्यता के उन्मूलन के जोरदार आवाज उठाई।
महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके आंदोलन के फलस्वरूप ही 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ। अहिसा के डगर पर चलते हुए वे राष्ट्र पिता (फादर ऑफ नेशन) कहलाये।
उन्होंने उन्होंने भारत की आजादी के लिए अहिंसा का सहारा लिया। गांधीजी अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले से देश की परिस्थितियों को को भलीभांति समझा। इसके लिए उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया।
वह बंगाल में शान्ति निकेतन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर से मुलाकात की। महात्मा गाँधी ने उन्हें गुरुदेव कहकर संबोधित किया। रवीन्द्रनाथ टैगोर भी इतने प्रभावित हुए की वे गाँधी जी को महात्मा कहकर सम्बोघित किया।
इस प्रकार गाँधी जी ने देश में घूम-घूम कर गुलामी की गहरी नींद से भारत की जनता को अपने आंदोलन से जगाया। उन्होंने करो या मरो का नारा से देश की जनता को अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की।
उन्होंने देश की आजादी के लिए कई आंदोलन चलाए। महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान का प्रारंभ बिहार के चंपारण से माना जाता है। की।
उसके बाद उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन, असहयोग आंदोलन, चम्पारण सत्याग्रह, रालेट एक्ट का विरोध, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, पूर्ण स्वराज की मांग जैसे कई आंदोलन के अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। आइये जानते हैं उनके कुछ प्रमुख आंदोलन के बारें में : –
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चम्पारण का सत्याग्रह आन्दोलन
महात्मा गांधी सत्याग्रह आनंदेलन की शुरात देश में पहली बार सन 1917 में बिहार के चंपारन से किया। बिहार के चंपारण में उस दौरान किसानों से नील की खेती के लिए बाध्य किया जाता था।
किसान की हालत दैनिय हो चली थी। उन्होंने अपने उपज का समुचित दाम नहीं मिलता था। गाँधी जी को जब चंपारण के किसानों के बारे में पता चला तो बिहार के चंपारण में सत्याग्रह शुरू कर दिया।
किसान की विशाल जन समूह उनके साथ हो गई। बिहार का चंपारण का यह आंदोलन उनका आजादी का पहला आंदोलन कहा जाता है। अंत में अंग्रेजों को उनकी बात माननी पड़ी। आजदी की लड़ाई में गाँधी जी का योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
गुजरात के खेड़ा का सत्याग्रह आन्दोलन में भी वे किसानों के साथ खड़े हुए। अंत में अंग्रेजों को वहाँ के किसानों पर लादी गई अपने कर को वापस लेना पड़ा।
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रालेट एक्ट का विरोध
उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा लागू किये गये रालेट एक्ट का जबरदस्त विरोध किया। इस दौरान प्रेस की आजादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस एक्ट में लोगों को शक के आधार पर बिना मुकदमा के कारागार में डाला जा सकता था।
असहयोग आंदोलन
गाँधी जी को पता चल चुका था की भारतीय के सहयोग के कारण ही अंग्रेज भारत पर राज्य कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध असहयोग की नीति अपनाने की देशवासियों से अपील की।
गांधी जी के इस आहवाहन से अंग्रेजों के विरुद्ध देशव्यापी असहयोग आंदोलन शुरू हो गया। इसी दौरान बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में बैठक चल रही थी। तभी जरनल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलबाई।
काफी संख्या में निर्दोष बच्चे, स्त्रियों व पुरुषों अंग्रेजों के गोली से छलनी हो गये। इस घटना से वे बहुत ही दुखी हुए। इस प्रकार उन्होंने अंग्रेज सरकार का खुलकर विरोध किया।
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खिलाफत आंदोलन –
इसी दौरन अंग्रेजों ने तुर्की के खलीफा की उपाधि छिन ली। इस कारण भारत के भी मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गये। अंग्रेज सरकार के इस व्यवहार से कई मुस्लिम नेताओं ने खिलाफत कमेटी बनाकर आंदोलन शुरू कर दिया।
इस आंदोलन को देशव्यापी बनाने के लिए लखनऊ में एक समझौता हुआ। जो लखनऊ समझौते के नाम से जाना जाता है। इस समझौते के तहद हिन्दू और मुस्लिम नेताओं ने एक मंच पर आकार खिलाफत आंदोलन को देश व्यापी बनाया।
गाँधी जी ने इस आंदोलन का समर्थन किया। इस आंदोलन को महात्मा गांधी जी हिंदू- मुस्लिम एकता से जोड़ कर देखा।
विदेशी बस्तुओं का वहिष्कार –
उन्होंने विदेशी विदेशी बस्तुओं का बहिष्कार किया। विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। लोगों को उन्होंने अपने देश में चरखे से निर्मित खादी वस्त्रों को अपनाने पर जोड़ दिया। उन्होंने खुद भी विदेशी सुटू-बूट छोड़ धोती धारण कर लिए। खुद भी चरखा से सूत काट कर कपड़ा बनाते थे।
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दांडी मार्च –
नामक कानून के विरोध में गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन कर दांडी तक पैदल यात्रा की। भारत के स्वतंरता के इतिहास में यह घटना दांडी मार्च के नाम से जाना जाता है।
इसमें उन्होंने पैदल ही अपने सहयोगी के साथ करीव 150 किलोमीटर की यात्रा कर नमक के कानून को तोड़ा। गाँधी को जी गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन बाद में गांधी इरविन समझौते के बाद अंग्रेजों ने नामक कानून को वापस लिया।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942)-
गाँधी जी ने पूर्ण स्वराज की मांग करते हुए सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने कांग्रेस कमेटी की बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन का निर्णय लिया। उन्होंने देशवासी से करो या मरो का नारा दिया।
उनके इस घोषणा के बाद पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन तेज हो गया। आक्रोशित क्रांतिकारियों ने सरकारी संस्थानों में तोड़-फोड़ शुरू कर दी। इस आंदोलन से अंग्रेजों के पैर तले की जमीन खिसक गई।
उन्हें यकीन हो गया की अब भारत की जनता जाग चुकी है। अब ज्यादा दिनों तक भारत को गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता। इस प्रकार गाँधी जी के आंदोलन के फलस्वरूप हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजद हुआ।
फलतः महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान कभी भूलने लायक नहीं है।
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