जानिये क्या है महाशिवरात्रि का महत्व – About Mahashivratri festival in Hindi
About Mahashivratri festival in Hindi – महाशिवरात्रि (Mahashivratri )का पर्व हिन्दू समुदाय का प्रमुख त्योहार है। महाशिवरात्रि का त्योहार वर्ष में सिर्फ एक बार फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। जबकि शिवरात्री (shivratri )हर महीने मनाते हैं। हिंदू समुदाय प्रत्येक देवी-देवताओं का त्योहार भव्य तरीके से मनाते हैं।
ऐसा ही एक त्योहार है महाशिवरात्रि जिसे आध्यात्मिक रूप से शिव और शक्ति की मिलन की रात के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी अथवा मार्च के दौरान आता है। इस लेख में हम जनेगें की हिन्दू समुदाय में महाशिवरात्रि का क्या महत्व है। महाशिवरात्रि का त्योहार क्यों मनाया जाता है।
इस दिन नर और नारी दिनभर उपवास और व्रत रखकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। किस तरह प्रति वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी को शिव मंदिरों में शिवलिंगों पर जलाभिषेक के साथ विशेष पूजा अर्चना होती है।
महाशिवरात्रि क्यों मनायी जाती है – why do we celebrate mahashivratri in hindi
हिन्दू पंचांग (Panchang) के आधार पर महाशिवरात्रि अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि इस दिन महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और क्यों इस दिन शिव पूजा होती है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि मनाने की पीछे अलग-अलग कहानियाँ कही जाती है। कुछ लोग कहते हैं कि, महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के दिन का प्रतीक है। कुछ लोगों का मानना है कि इस शुभ रात्रि में, भगवान शिव ने ‘तांडव’ नृत्य का प्रदर्शन किया।
यह नृत्य उन्होंने प्राण निर्माण, संरक्षण और विनाश का नृत्य के रूप में जाना जाता है। अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव का लिंग के रूप में प्रकटिकरण हुआ था। एक अन्य मान्यता के आधार पर सृष्टि के आरंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा जी से रुद्र के रूप में प्रकटीकरण हुआ था।
शिवपुराण में वर्णन मिलता है की महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का शिवलिंग स्वरुप में प्रकटिकरण हुआ था। चूंकि उस दिन हिन्दी पंचांग के फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का दिन था। यही कारण है की महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है।
इसके पीछे जो पौराणिक कथा प्रचलित है। उस कथा के अनुसार महाशिवरात्रि दरअसल शिव और शक्ति का महामिलन की रात है। कहते हैं की इसी दिन भगवान शिव और शक्ति एक दूसरे से परिणय बंधन में बंधे थे। इसी दिन वैरागी भगवान शंकर ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।
यही कारण है की महाशिव रात्री के अवसर पर कई स्थानों पर शिव की बारात की झांकी निकाली जाती है। इस दिन शिव भक्त भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी संपन्न कराते हैं। कहा जाता है की इस दिन भगवान शिव की आराधना से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव की अति कृपा प्राप्त होती है।
महाशिवरात्रि से जुड़ी हैं इस पौराणिक घटनाएं के माध्यम से पता चलता है की क्यों यह त्योहार पूरे भारत में बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है
महाशिवरात्रि से जुड़ी कहानी – history of mahashivratri in hindi
हिन्दू धर्म शस्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। तब सबसे पहले सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु उनका दर्शन किया और पूरे विधि विधानपूर्वक शिव आराधना की थी।
कहते हैं की तभी से महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन 64 जगहों पर भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में प्रकट लिया था। लेकिन उन 64 जगहों में से मात्र 12 जगह की चर्चा प्रमुखता से मिलती है।
यह जगह 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से भारत में प्रसिद्ध है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के खुशी के रुप में भी महाशिवरात्रि का त्योहार मनाई जाती है। जिनके नाम इस प्रकार हैं : –
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग,
- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग,
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग,
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग,
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग,
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग,
- घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग।
महाशिवरात्रि का महत्व – importance of mahashivratri in hindi
शिव और शक्ति के मिलन की रात्री होती है महाशिवरात्रि। इस अवसर पर पूरी रात शिवभक्त रात्री जागरण करते हैं। मान्यता हैं की महाशिवरात्री की रात्री जागरण से भगवान भोले शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कहते हैं की माता पार्वती और भगवान शिव की शादी फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष चतुर्दशी तिथि को सम्पन हुई थी।
भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन भगवान शिव वैराग्य जीवन को त्यागकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इस कारण महाशिवरात्रि का त्योहार शिव और शक्ति के महामिलन के रूप में मनाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना करने से वे शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं।
महाशिवरात्रि के अवसर पर कई स्थानों पर रात्रि में शिव बारात भी निकाली जाती है। भारत के समस्त शिव और पार्वती मंदिर को इस दिन विशेष रूप से सजाया जाता है। यह दिन अविवाहित लोगों के लिए खास होता है, कहते हैं की महाशिवरात्रि का व्रत रखने और इस दिन शिव पूजन से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होकर शीघ्र ही मनवांछित वर-वधू की प्राप्ति होती है।
विषपान कर निलखंड कहलाये और संसार को संकट से उबारा
जब अमृत पाने के लिए समुन्द्र का देवताओं और असुरों ने मिलकर मंथन किया था। तब उसमें से 14 रत्नों में से एक हलाहल अर्थात विष भी निकला था। तब भगवान शंकर ने उस विष को अपने शंख में भरकर भगवान विष्णु का स्मरण का पी गए थे। इस प्रकार उन्होंने विष पीकर संसार को संकट से रक्षा की थी।
विष को उन्होंने अपने गले में ही रोककर उसे निष्क्रिय कर दिया। उस विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया था, जिस कारण उनको नीलकंठ भी कहा जाता है। कहते हैं उस दिन फाल्गुन महीने की चतुर्दशी का दिन था तभी से महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
महाशिवरात्रि महोत्सव कैसे मनाते हैं भक्त?
भगवान शिव के भक्त महाशिवरात्रि मनाते समय कुछ पौराणिक रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हैं। यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करती है।
जबकि अविवाहित लड़कियाँ अपने लिए सुंदर और मनपसंद वर के लिए प्रार्थना करती हैं।
महाशिवरात्रि व्रत – mahashivratri vrat
महाशिवरात्रि का व्रत शिव भक्त द्वारा भक्ति में लीन होकर शिव और शक्ति दोनों के प्रति सच्ची श्रद्धा और आस्था प्रकट करने का दिन होता है। हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन नर और नारी उपवास करते हैं। भगवान शंकर की पूरी विधि-विधान से पूजा की जाती है।
परंपरा के अनुसार ‘महाशिवरात्रि व्रत’ रखने भले भक्त-जन पूरे दिन उपवास के बाद रात में महाशिवरात्रि मनाने के बाद अपना व्रत तोड़ते हैं।
महाशिवरात्रि पूजा – mahashivratri puja vidhi in hindi
इस दिन दुनिया भर में फैले विभिन्न शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कुछ भक्त पूरी रात शिव मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते हैं। रात में शिवलिंग की विशेष पूजा की जाती है और भगवान शिव को भोग चढ़ाया जाता है।
इस अवसर पर भगवान शिव से संबंधित विभिन्न किंवदंतियों और कथाओं के पाठ का आयोजन भी किया जाता है। मान्यता है की इस दिन शिवजी की कथा का श्रवण और मनन करने से शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
भगवान राम ने भगवान शिव की भक्ति के महत्व के बारे में कहा है, ‘शिवद्रोही मम दास कहावा, सो नर सपनेहु मोहि नहिं भावा।’ अर्थात जो शिव से द्रोह करके मुझको (राम) प्राप्त करने की कामना करता है। वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकेगा। कहते हैं की शिव आराधना के साथ रामचरित-मानस पठन-पाठन विशेष फलदायी होता है।
भगवान शिव जी तो औघड़दानी हैं।
भगवान शिव (Devon Ke Dev Mahadev) वेशभूषा और अलंकारों से रहित हैं। उनका रूप बड़ा ही अजब है, जटाओं में पतित पावन गंगा, गले में रुद्राक्ष और नाग की माला, शरीर पर चिता की भस्म, कंठ में विष, बैल की सवारी और माथे पर चंद्रमा लगाए औघड़ दानी हैं।
अन्य देवताओं की पूजा में जहाँ सुगंधित पुष्प और मिष्ठानों की जरूरत होती है वहीं भगवान शिव प्राकृतिक चीज जैसे केवल पवित्र जल, धूतरा के फूल व बिल्व पत्र से ही खुश हो जाते हैं। उनका रूप अमंगल (अजीव) होने के बाद भी वे सदा भक्तों का मंगल करते हैं।
जो भक्त महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धा और भक्ति से शिव जी की पूजा करते है। उनकी सारी मनोकामना की पूर्ति शिव कृपा से शीघ्र संभव होती है।
उपसंहार (Disclaimer)
भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देव हैं। महाशिवरात्रि पर उनका पूजन विशेष फलदायी माना गया है। इस लेख में वर्णित समस्त जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। हमारी वेबसाईट किसी भी तरह से इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।
इन सब चीजों पर अमल करने से पहले एक बार संबधित विशेषज्ञ से जरूर सलाह लेना चाहिये। आपको About Mahashivratri festival in Hindi शीर्षक के लिए संकलित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी, अपने कमेंट्स से जरूर अवगत करायें।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?
शिवरात्रि हर माह में कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को पड़ती है। शिवरात्री साल में 12 बार आते हैं। जबकि महाशिवरात्रि साल में सिर्फ एक बार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।
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