भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जिसे दुनियाँ में विविधताओं में एकता वाला देश कहा जाता है। यहॉं अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ रहते है। भारत की भूमि पर कई धर्मों को उद्भव हुआ लेकिन यहाँ सभी धर्मों का सम्मान होता है। भारत के सभी धर्मों के लोगों ने दुनियाँ में शांति और सद्भावना का पाठ सिखाया।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते हैं। भारतीय संविधान में भी धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है। यहाँ सभी को अपनी आस्था के अनुसार अपना धर्म पालन करने की स्वतंत्रता है।
धर्म शव्द धृ धातु से मिलकर बना है, जिसका मतलब होता है धारण करना। हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत में भी धर्म को धारण करने वाला ही कहा गया है। वस्तुतः धर्म कर्तव्यों का संग्रह है। भारत के लोगों का अपने अपने धर्मों के प्रति अट्टू आस्था है।
कहते हैं की धर्म, व्यक्ति के कर्तव्यों, आचरण और व्यवहार की संहिता है। धर्म जीवन को दशा, दिशा और उद्देश्य तय करता है। धर्म हमें सन्मार्ग पर चलना सिखाता है। यह जीवन को एक अर्थ और उद्देश्य देते हैं।
आगे इस लेख में भारत में प्रचलित उन सभी धर्मों का वर्णन किया गया है जो भारत में विविधता में एकता का संदेश को जगजाहिर करता है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है : All religions are equal in India in Hindi
हिंदू धर्म (The oldest religion)
भारत का प्राचीन धर्म हिन्दू धर्म को सनातन धर्म के नाम से भी जाना जाता है। आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती ने हिन्दू धर्म को वैदिक धर्म की संज्ञा दी है। इस धर्म की शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है।
हिन्दू धर्म में पुनर्जन्म की सिद्धान्तों को माना जाता है। हिंदु धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण, महाभारत, वेद, पुराण, उपनिषद और भगवद गीता हैं। इनके पूजा स्थल को मंदिर या देवालय के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में स्वास्तिक का चिन्ह मंगल प्रतीक है जबकि ॐ को परम ब्रह्म का प्रतीक माना गया है। इस धर्म में सबसे बड़ा मंत्र गायत्री मंत्र को माना गया है। इस धर्म के प्रसिद्ध त्यौहार होली, दशहरा, दीपावली, दुर्गा पूजा, मकर संक्रांति, छठवर्त, बीहू आदि हैं।
इस्लाम धर्म
इस्लाम धर्म, भारत का सबसे बड़ा दूसरा धर्म है। भारत में इस धर्म का प्रचार प्रसार सन 712 ईस्वी से मानी जाती है। सल्तनत काल से लेकर मुगल काल तक भारत में इस धर्म के अनुयायियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई।
यह धर्म दो वर्गों में बंटा हुआ है जिनमें एक वर्ग शिया और दूसरा सुन्नी कहलाते हैं। इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब को माना जाता है। मुहम्मद साहब का जन्म मक्का में हुआ था।
इसीलिए मक्का मुसलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। मक्का में की जाने वाली बार्षिक तीर्थयात्रा को हज के नाम से जाना जाता है। इस धर्म में अल्लाह को ही सर्वोपरि माना गया है।
मुस्लिमों की पवित्र धार्मिक ग्रंथ कुरान शरीफ को माना गया है। भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख इस्लाम धर्म के त्यौहारों में ईद, बकरीद और मुहर्रम प्रसिद्ध हैं।
ईसाई धर्म:
इतिहासकारों के अनुसार भारत में ईसाई धर्म की शुरुआत लगभग 2000 साल पहले हुआ। ईसाई (christian )धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह को माना जाता है। ईसाई लोग उन्हें परमेश्वर के दूत मानते थे।
ईसाई समुदाय के लोग ईसा मसीह को प्रभु यीशु के नाम से पुकारते हैं। इनकी पवित्र धार्मिक ग्रंथ बाइविल कहलाती है। ईसाई धर्म के पूजा स्थल को गिरजाघर या चर्च कहा जाता है। इस धर्म के लोग रविवार के दिन गिरजाघर जाते हैं।
वहाँ बाइबिल का पाठ किया जाता है और प्रभु यीशु की सामूहिक प्रार्थना की जाती है। ईसाई का प्रमुख त्यौहार क्रिसमस, गुड फ्राइडे और ईस्टर हैं।
सिख धर्म –
सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव ने 15 वीं सदी में इस धर्म की स्थापना की थी। कुछ विद्वानों के अनुसार इस धर्म को हिन्दू धर्म का ही अभिन्न अंग माना जाता है। उनके अनुसार सिक्ख धर्म कोई धर्म न होकर एक पंथ है।
सिखों की पवित्र धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को माना जाता है। सन् 2011 ईस्वी की जनगणना के अनुसार भारत में इस धर्म की आवादी 2 प्रतिशत के लगभग है। सिख धर्म का प्रमुख त्यौहार में गुरुओं का जन्मदिन, उनकी शहादत दिवस, बैसाखी, होला मौहल्ला आदि हैं।
अमृतसर का स्वर्णमन्दिर सिक्खों के प्रसिद्ध पवित्र धर्मिल स्थल माना जाता है।
बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने की थी। उनका जन्म लुम्बिनी नामक स्थान पर राजा शुद्धोदन के घर हुआ था। उन्होंने तरुणावस्था में गृह त्याग कर सन्यासी हो गये। वे ज्ञान की खोज में दर-दर भटकते रहे।
अंत में बिहार के बौद्ध गया में एक पीपल पेड़ के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बौद्ध धर्म में दुखों का मुखय कारण में तृष्णा को, प्रमुख माना गया है। इस धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ को त्रिपिटक कहा जाता है।
इसमें संसार के दुखों से मुक्ति के लिए अष्टांग मार्ग का उपदेश दिया गया है। भगवान गौतम बुद्ध के उपदेश के जाननें के लिए क्लिक करें।
जैन धर्म
भारत में जैन धर्म 7-5वीं सदी के मध्य बीच शुरु हुआ। अहिंसा प्रमो धर्मः इस धर्म का मूल मंत्र हैं। जीव हत्या इस धर्म में पाप माना गया है। इस धर्म के संस्थापक भगवान महावीर थे। महावीर स्वामी को जैन धर्म का 24 वें तीर्थकर कहा जाता है।
इस धर्म के पहले तीर्थकर ऋषभदेव थे। जैन धर्म के पांच प्रतिज्ञाएं में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रहम्चर्य और अपरिग्रह शामिल हैं।
जैन समुदाय के लोग बहुत ही सरल जीवन जीते हैं और जीवन का लक्ष्य मोक्ष को मानते हैं। महावीर जयंती जैन धर्म के प्रमुख त्यौहार हैं।
पारसी धर्म
भारत में पारसी धर्म के लोग भी रहते हैं यदपि इनकी संख्या बहुत कम है। इस धर्म का जन्म फारस (वर्तमान नाम ईरान) में हुआ था। इस धर्म की शुरुआत जोरोस्टर नामक पैगंबर ने की थी।
आहुरा-मजदा को पारसी धर्म में सवसे बड़ा देवता माना गया है। पारसी धर्म के पूजा स्थल को फायर टेम्पल के नाम से जाना जाता है। पारसी धर्म की कुछ बातें ईसाई और हिन्दू धर्म से मिलती हैं।
यहूदी धर्म
यहूदी धर्म का पालन करने वाले लोगों को यहूदी के नाम से जाना जाता है। भारत में यहूदी धर्म को मानने वाले की आबादी अत्यंत ही कम है। भारत में इतने धर्मो के लोग होने के बावजूद सभी मिलकर रहते हैं। क्योंकि All religions are equal in India अर्थात यहॉं सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है।
उपसंहार –
भारत की धर्मनिरपेक्षता और संप्रभुता को बरकरार रखने में सभी धर्मों का बराबर का योगदान है। सभी धर्मों के लोग मिलकर भारत में विविधता में एकता की विचार धारा को सबल बनाते हैं। आपको भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है शीर्षक वाला यह जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी।