भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां के बारे में Powers of president of India in Hindi
Powers of president of India in Hindi – भारत के संविधान में भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य का विस्तार से वर्णन किया गया है। हमारे संविधान के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति को कई अधिकार प्राप्त हैं। भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक और तीनों सेना का कमांडर होता है।
हमारे देश का राष्ट्रपति देश का औपचारिक प्रधान होता है तथा उन्हें औपचारिक रूप से कई तरह की शक्तियां प्राप्त है। जिसका इस्तेमाल समय आने पर राष्ट्रपति कर सकता है। इस लेख में power of president in Hindi विस्तार से जानेंगे।
हमारे देश में राष्ट्रपति का वही स्थान है जिस प्रकार इंग्लैंड में महारानी का होता है। इस लेख में critically evaluate powers & functions of president of India अर्थात भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य विस्तार से वर्णित है।
1. भारत के राष्ट्रपति की कार्यपालक शक्तियां (Executive powers of president of India in Hindi )
संबिधान के अनुच्छेद-53 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति अपने देश के कार्यकारिणी अध्यक्ष होते है। संघीय सरकार के सभी कार्यकारिणी निर्णय राष्ट्रपति के नाम में ही लिए जाते हैं।
संघ-सरकार के सभी प्रमुख पदों पर नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा किए जाते हैं। कुछ प्रमुख पद जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति होती है-
- भारत के प्रधानमंत्री और उनके सलाहकार
- मंत्री परिषद् के सदस्य
- भारत का मुख्य न्यायाधीश
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- उच्च न्यायालायों के न्यायाधीश
- संघ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष
- विभिन्न राज्यों के राज्यपाल
- भारत का नियन्त्रक एवं महा लेखा परीक्षक
- भारत का महान्यायवादी (अटर्नी जेनेरल ऑफ इंडिया )
- वित्त आयोग के सदस्य
2. भारत की राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां (Legislative power of president in Hindi)
भारत के संविधान के अनुच्छेद-79 के अनुसार राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग होता है। इस कारण राष्ट्रपति को आवश्यक विधायिकी शक्तियां प्राप्त हैं।
वह संसद के दोनों सदनों अर्थात राजसभा और लोकसभा को आमंत्रित और स्थगित कर सकता है। राष्ट्रपति चाहे तो लोकसभा को भी भंग कर सकता है। वह दोनों सदनों को एक साथ या अलग-अलग संबोधित कर सकता है।
देश में आम चुनाव के बाद संसद के पहला अधिवेशन को राष्ट्रपति सम्बोधित करता है। राष्ट्रपति के पास राज्यसभा के 12 ऐसे सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार है जो विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, साहित्य, समाज सेवा, तथा विज्ञान आदि क्षेत्र में अनुपम ख्याति प्राप्त की हो।
वह लोकसभा में दो एंग्लो इण्डियन सदस्यों को भी मनोनीत कर सकता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना संसद द्वारा पारित विधेयक कानून का रूप नहीं ले सकता। इस पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
राष्ट्रपति चाहे तो संसद के किसी भी विधेयक को पुनः विचार के लिए वापस कर सकता है। लेकिन यदि संसद पुनः विचार के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजता है तो राष्ट्रपति को उस पर हस्ताक्षर करना पड़ता है।
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3. भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्तियां (Veto power of president of India in Hindi)
भारत के राष्ट्रपति को वीटो का अधिकार प्राप्त है। इस ‘स्थगन वीटो’ अर्थात Suspensive Veto का अधिकार कहा जा सकता है। राष्ट्रपति वीटो का प्रयोग केवल गैर-वित्तीय विधेयकों पर ही कर सकता है।
यहाँ एक बात और जानना जरूरी है की संवैधानिक संशोधन से जुड़े मामलों में राष्ट्रपति अपने वीटो के अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता। उन्हें इस प्रकार के विधेयकों पर अपना साइन करने पड़ते हैं। वीटो का अधिकार तीन तरह का होता है आईये समझते हैं।
आत्यंतिक वीटो (Ultimate veto)– जब कोई विधेयक संसद में पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया हो और इस बीच किसी कारण से संसद भंग हो जाय तो वैसे विधेयक को राष्ट्रपति अगर जरूरी समझता है तो अपने वीटो पावर का उपयोग कर पास कर सकता है।
निलंबनकारी वीटो (Suspension veto) – राष्ट्रपति इस वीटो के अधिकार के तहद किसी भी विधेयक को संसद के पास दुबारा बिचार के लिए भेज सकता है।
जेबी या पॉकेट वीटो (JB veto)– जब संसद द्वारा भेजी गयी विधेयक को राष्ट्रपति न ही लौटता है और न ही साइन करता है। अर्थात पेंडिंग अर्थात पॉकेट में पड़ा रहता है। इस ही जेबी या पॉकेट वीटो कहा जाता है।
4. राष्ट्रपति शासन लगाने की शक्तियाँ (Powers of president of India in Hindi )
राष्ट्रपति को किसी भी प्रदेश में संवैधानिक मशीनरी असफल हो जाने की अवस्था में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार है। राज्य में राष्ट्रपति शासन राज्यपाल के रिपोर्ट के आधार पर लगया जाता है।
किसी भी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अवधि अधिकतम 3 वर्षों की होती है। इसके साथ ही हरेक 6 माह में संसद द्वारा अनुमोदन प्रस्ताव पारित करना जरूरी है।
5. भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां वित्तीय क्षेत्र में (Financial powers of president of India in Hindi )
संसद में सभी वित्तीय-विधेयक का प्रस्तुतीकरण केवल राष्ट्रपति की सिफारिश पर ही किए जाते हैं। वित्त-विधेयक को संसद पटल पर रखने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति जरूरी होता है। हमेशा संसद में बजट सत्र राष्ट्रपति के संबोधन के बाद ही ही शुरू होती है।
भारत की आकस्मिक निधि (Contingency Fund of India) का नियंत्रण राष्ट्रपति के ही पास होता है। वह इस निधि का प्रयोग आकस्मिक कार्य के लिए कर सकता है। लेकिन बाद में संसद में स्वीकृति के पश्चात आकस्मिक निधि में वापस डालना पड़ता है।
संविधान के अनुच्छेद-280 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति हर पाँच वर्ष बाद वित्त-आयोग का गठन करता है। यह आयोग केंद्र और राज्यों के मध्य राजस्व के बंटवारे का अनुमोदन करता है। इस प्रकार भारत के राष्ट्रपति के पास कई वित्तीय शक्तियां मौजूद हैं।
6. भारत के राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां (Judicial powers of the president of India in Hindi)
हमारे देश भारत के संविधान के तहद राष्ट्रपति को कई महत्त्वपूर्ण न्यायिक शक्तियां प्राप्त हैं। राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति करता है। इसके अलाबा वह हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीशों व अन्य न्यायाधीशों की भी नियुक्ती करता है।
राष्ट्रपति के पास अधिकार है की वह किसी भी व्यक्ति को, जिसे देश के कानून के तहद सजा दिया गया है उसे क्षमा कर सकता है। राष्ट्रपति को न्यायिक शक्तियां के अधीन किसी व्यक्ति के सजा को कम करने अथवा खत्म करने का भी अधिकार प्राप्त है।
वह सुप्रीम कोर्ट से राय ले सकता है लेकिन उसे मानने के लिए बाध्य नहीं है। भारत के राष्ट्रपति के पास अधिकार है की वह फांसी की सजा प्राप्त दोषी को जीवन दान दे सकता है।
7. भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों (Emergency power of president of India in Hindi)
राष्ट्रपति किसी भी आपातकालीन स्थिति में देश के अंदर आपातकाल की घोषणा कर सकता है। हमारे संबिधान में rashtrapati ki aapatkalin shaktiyan का विसद वर्णन है।
संविधान के अंतर्गत राष्ट्रपति को आपातकालीन परिस्थितियों से छुटकारा पाने के लिए असाधारण शक्तियां (extraordinary power ) प्रदान की गई है। भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां जर्मनी की देन है।
भारत में राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल का सिध्दांत जर्मनी के संविधान से लिया गया है। राष्ट्रपति की यह शक्तियां भारत के संविधान के भाग 18 में वर्णित है। राष्ट्रीय आपातकाल संविधान का वर्णन अनुच्छेद 352 से 360 के बीच किया गया है।
राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियां की बात करें तो अर्थात आपातकालीन परिस्थितियों में राष्ट्रपति के पास बहुत अधिक पावर होती है। इस कारण कुछ विद्वान इसे लोकतंत्र के लिए खतरा भी मानते हैं।
हमारे संविधान में कुल तीन प्रकार की आपातकालीन परिस्थितियों की परिकल्पना मिलती जो इस प्रकार है। भारतीय राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां में राष्ट्रीय आपात, राष्ट्रपति शासन और वित्तीय आपातकाल के नाम हैं, जैसे : –
- बाहरी देश के द्वारा आक्रमण अथवा देश के अंदर आन्तरिक विद्रोह के कारण उत्पन्न संकट के दौरान।
- राज्य में संवैधानिक रूप से चुने हुए सरकार विफल होने से उत्पन्न होने वाला संकट के समय ।
- देश की वित्तीय स्थिरता अथवा साख के खतरे से उत्पन्न होने वाला संकट के समय।
8. सर्वोच्च सेनापति होते हैं राष्ट्रपति (Military powers of president of India in Hindi )
भारत के राष्ट्रपति तीनों सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है। वह तीनों सेना के सेना प्रमुख की भी नियुक्ति करता है। राष्ट्रपति के पास युद्ध की घोषणा करने और युद्ध समाप्त करने की घोषणा का भी अधिकार प्राप्त है।
9. भारत के राष्ट्रपति की राजनयिक शक्तियां (diplomatic powers of president of India in Hindi )
भारत के राष्ट्रपति अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करता है। उन्हें दूसरे देशों में भारत के राजदूत भेजने तथा उन देशों के राजदूतों को स्वीकार करने का अधिकार प्राप्त है।
किसी भी देश के साथ संधियाँ तथा समझौते राष्ट्रपति की ओर से किए जाते हैं। लेकिन इन संधियों तथा समझौतों को संसद द्वारा पास किया जाना भी जरूरी है।
10. अध्यादेशों पास कर कानून बनाने की शक्तियां (Powers and functions of president of India)
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ के अंतर्गत अध्यादेश के द्वारा कानून बनाने की शक्ति भी सम्मिलित है। जब संसद का अधिवेशन न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेशों अर्थात or-dinances पास कर कानून बना सकता है।
राष्ट्रपति इस प्रकार के अध्यादेश को केवल संभीय तथा समवर्ती सूची में दिए विषयों पर ही जारी कर सकता है। यदि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हो उस दौरान राष्ट्रपति राज्य सूची में दिए गये विषयों के साथ शेष विषयों पर भी अध्यादेश जारी कर सकता है।
अगर राष्ट्रपति के द्वारा जारी अध्यादेशों का अनुमोदन संसद द्वारा सत्र के 6 सप्ताह के भीतर कर दिया जाता है। तब राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए अध्यादेशों को कानूनी मान्यता प्राप्त हो जाती है।
यहाँ इस बात को भी समझना जरूरी है कि राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया अध्यादेश संसद द्वारा पारित अधिनियम से कई तरह से अलग है। इसके कई कारण हैं पहला, इसका प्रयोग संविधान में संशोधन के लिए नहीं हो सकता।,
दूसरा यह अस्थाई होता है, तीसरा अध्यादेश भले ही एक अस्थाई दस्तावेज है लेकिन संसद कानून बनाकर बदल भी सकती है। हमें आशा है की भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां के बारे में (Powers Of President Of India In Hindi ) जानकारी अच्छी लगी होगी।
इन्हें भी पढ़ें –
- भारत के राष्ट्रपतियों की सूची और कार्यकाल
- भारत रत्न पुरस्कार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
- भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है |
Q.आपातकाल किस देश से लिया गया है?
भारत में आपातकाल का सिद्धांत जर्मनी से लिया गया है।
Q.संविधान संशोधन किस देश से लिया गया है?
संविधान में संशोधन का प्रावधान दक्षिण अफ्रीका के संविधान से लिया गया है।
Q.राष्ट्रपति को कितने प्रकार के आपातकाल की घोषणा के अधिकार है ?
भारतीय राष्ट्रपति को मुख्य रूप से तीन प्रकार के आपातकाल की घोषणा के अधिकार प्राप्त हैं। उनके आपातकालीन शक्तियां में राष्ट्रीय आपात, राष्ट्रपति शासन और वित्तीय आपातकाल शामिल हैं।