कल्पना चावला का जीवन परिचय (kalpana chawla ka jivan parichay)अद्भुत और प्रेरणादायक है। कल्पना चावला एक भारतीय अमरीकी अन्तरिक्ष यात्री थी जो वर्ष 1997 में नासा द्वारा अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी।
कल्पना चावला की जीवनी न केवल एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में उनकी उपलब्धियों को दर्शाती है। बल्कि यह उनके अदम्य इच्छा शक्ति को भी बताती है कि कैसे एक साधारण परिवार से उठकर उन्होंने एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में अपने सपनों को साकार किया।
कल्पना चावला ने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। कल्पना चावला की अंतरिक्ष यात्रा ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपने सपनों को सकार करने के लिए प्रेरणा स्रोत बनी।
उनकी सफलता ने साबित किया कि लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार की सीमाएँ नहीं होतीं। उन्होंने दिखाया की लड़कियां भी अंतरिक्ष विज्ञान में उच्चतम स्तर पर पहुँच सकती हैं। चावला ने अपने दो मिशनों के दौरान अंतरिक्ष में कुल 30 दिन, 14 घंटे और 54 मिनट बिताए।
आइए कल्पना चावला का जीवन परिचय शीर्षक वाले इस लेख में कल्पना चावला के प्रारंभिक जीवन, परिवार, शिक्षा, करियर, अंतरिक्ष मिशन, सम्मान और मान्यता, विरासत आदि के बारें में विस्तार से जानते हैं।
मुख्य आकर्षण
- कल्पना चावला हरियाणा के करनाल में जन्मी भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं।
- उन्होंने 1988 में नासा के साथ जुड़ी और 1995 में पहली बार अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुनी गईं।
- कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा 1997 में हुई जिससे वह भारत सहित पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गई।
- उनकी दूसरी यात्रा 2003 में हुई जो उनकी आखरी अंतरिक्ष यात्रा साबित हुई।
- उनकी दूसरी यात्रा अंतरिक्ष यान कोलंबिया की त्रासदी के साथ समाप्त हुई, जिसमें कल्पना चावला सहित कई उसमें सवार सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
कल्पना चावला का जीवन परिचय – Kalpana Chawla Biography in Hindi
पुरा नाम | कल्पना चावला (Kalpana Chawla) |
उपनाम | मोंटू |
जन्म | जन्म 17 मार्च 1962 |
जन्म स्थान | करनाल, हरियाणा |
मृत्यु | 1 फ़रवरी 2003 |
मृत्यु स्थान | टेक्सास, यू.एस. के ऊपर अंतरिक्ष शटल कोलंबिया पर सवार। |
माता | बनारसी लाल चावला |
पिता | संज्योति चावला |
शिक्षा | एम. ए. (एरोस्पेस इंजीनियरिंग), पी.एच.डी |
नागरिकता | भारतीय, अमेरिकी |
प्रसिद्धि | एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में |
कल्पना चावला का जीवन परिचय व प्रारंभिक जीवन
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को भारत के हरियाणा राज्य के करनाल शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय परिवार जन्मी कल्पना चावला के पिता का नाम बनारसी लाल चावला था। उनकी माता जी का नाम संज्योति चावला थी।
अपने चार भाई-बहनों में कल्पना सबसे छोटी थीं। उनकी बहन का नाम सुनीता चावला और दीपा चावला है जबकि भाई का नाम संजय चावला है। कल्पना को उनके माता पिता बचपन में मोंटू कहकर बुलाते थे।
बचपन से ही उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान और विमानों के प्रति उत्सुकता और गहरी रुचि थी। कल्पना चावला बचपन से ही अंतरिक्ष के बारें में जानने और वहाँ जाने की सपने संजोया करती थी। उन्हें फ्लाइंग, ट्रेकिंग, बैकपैकिंग के बारें में जानना और पढ़ना काफी पसंद था।
यही कारण रहा ही उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान को ही अपना करियर चुना जिसे आगे बढ़ने में उनके परिवार का हमेशा समर्थन मिला।
कल्पना चावला का जीवन परिचय व शिक्षा-दीक्षा (Kalpana Chawla education)
कल्पना चावला की प्रारंभिक शिक्षा करनाल से पूरी हुई। करनाल के टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने आरंभिक पढ़ाई के बाद पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया।
जहाँ से उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए 1980 के दशक में वह संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं । अमेरिका का आर्लिंगटन में टेक्सास विश्वविद्यालय में नामांकन लिया।
करीब दो साल की कई पढ़ाई के बाद कल्पना चावला ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर की प्राप्त की। तत्पश्चात आगे चलकर 1988 में अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पी एच डी प्राप्त की।
उनकी विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति जुनून ने कड़ी मेहनत और अपने लक्ष्य पर अडिग रहने के लिए प्रेरित किया। यही कारण रहा इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद उनका नासा में अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित किया गया।
क्योंकि वह अब तक वह एक सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर बन चुकी थीं।
परिवार पति व बच्चे (Kalpana Chawla family)
कल्पना चावला का विवाह दिसंबर 1983 हुआ था। उनके पति का नाम जीन-पियरे हैरिसन है, जो एक जो एक उड़ान प्रशिक्षक हैं। कल्पना चावला को बच्चे नहीं थे। कहा जाता है की कल्पना चावला की टेक्सास में अपने पढ़ाई की दौरान फ्रांस मूल के जीन पियर से मुलाकात हुई।
जीन भी वहाँ फ्रांस से टेक्सास पायलट की ट्रेनिंग लेने आए थे। दोनों की मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई और बाद में उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही 1983 में शादी कर ली।
कल्पना चावला का जीवन परिचय व नासा तक का सफर
कल्पना चावला का नासा तक का सफर उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और वैज्ञानिक जिज्ञासा का परिणाम था। उन्होंने अपनी शैक्षिक यात्रा के दौरान विमानन और अंतरिक्ष विज्ञान में गहरी रुचि विकसित की।
यही कारण रहा की उन्हें नासा में एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित होने की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने विमानन और अंतरिक्ष विज्ञान में मास्टर्स और पीएचडी पूरी की। 1995 में कल्पना चावला की पहली बार नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्रा के लिए चयन किया गया।
कल्पना ने 1988 में नासा एम्स रिसर्च सेंटर में पावर्ड-लिफ्ट कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स के क्षेत्र में गहन शोध क किया। मार्च 1995 में 15 अंतरिक्ष यात्रियों के एक समूह में उनका भी चयन हुआ।
इस प्रकार उन्होंने एक अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में जॉनसन स्पेस सेंटर में प्रशिक्षण के लिए रिपोर्ट किया।
अंतरिक्ष में पहली उड़ान (Kalpana Chawla Space mission)
करीब एक वर्ष का गहन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वे अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ बन गई। फलतः बर्ष 1997 में कल्पना चावला का नाम अंतरिक्ष उड़ान के सदस्य दल में शामिल हुआ। इस प्रकार 1997 मे पहली बार अंतरिक्ष यात्रा पर जाने का सपना साकार हुआ।
उन्होंने अंतरिक्ष शटल कोलंबिया (STS-87) में सवार होकर 19 नवंबर 1997 अमेरिका की कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अपने शटल ने पृथ्वी की 252 बार परिक्रमाएँ कीं।
इस मिशन के दौरान कल्पना ने स्पेस में 15 दिन और 16 घंटे व्यतीत किए। इस मिशन के दौरान, चावला और उनकी टीम ने अंतरिक्ष में कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए।
इन प्रयोगों का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में मानव जीवन को समझने और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई जानकारियाँ जुटाना था। इसके अलावा उनके और उनके टीम द्वारा इन प्रयोगों के माध्यम से भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण डेटा भी एकत्रित करना शामिल रहा।
इन प्रयोगों में शामिल थे: –
- अंतरिक्ष प्रयोगशाला में विभिन्न प्रकार के परीक्षण
- अंतरिक्ष विज्ञान में नवीन तकनीकों का परीक्षण
- अंतरिक्ष यान के भीतर जीवन समर्थन प्रणालियों का अध्ययन
भारत सहित विश्व भर में सराहना:
कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में एक नई उम्मीद और प्रेरणा की लहर उत्पन्न की। उनकी सफलता ने अनेक युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान की ओर आकर्षित किया और विशेष रूप से महिलाओं के लिए नए द्वार खोले।
भारत सहित कई देशों में उनकी उपलब्धियों को लेकर विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ और उनके योगदान की सराहना की गई। इस ऐतिहासिक मिशन के बाद कल्पना चावला ने विश्वभर में भारतीयों के लिए गर्व का क्षण उत्पन्न किया।
उन्होंने न सिर्फ महिलाओं बल्कि युवाओं के लिए अंतरिक्ष विज्ञान अपने कैरियर को लेकर एक नई दिशा प्रदान की। यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक गौरवशाली क्षण था, जिसने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई।
अपने पहले अंतरिक्ष मिशन के बाद उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष से सितारों और आकाशगंगा को देखने से लगता है कि आप सिर्फ जमीन के किसी विशेष टुकड़े से नहीं, बल्कि सौरमंडल से हैं।”
कल्पना चावल की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा:
कल्पना चावला को वर्ष 2000 में अंतरिक्ष में उन्हें दूसरी यात्रा के लिए चयन किया गया। उन्होंने शटल यान एसटीएस-107 के लिए एक मिशन विशेषज्ञ के रूप में कड़ी मेहनत की। कई बार इस मिशन में देरी हुई लेकिन अंततः वर्ष 2003 में इसे लॉन्च किया गया।
कल्पना चावला ने दूसरी बार 16 जनवरी 2003 को अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत की, जो उनकी आखिरी अंतरिक्ष यात्रा साबित हुई। क्योंकि अपने दूसरे मिशन के दौरान अंतरिक्ष से लौटते समय उनका यान त्रासदी का शिकार हो गया।
जिसके बारे में आगे जानेंगे। अंतरिक्ष यान कोलंबिया में सवार क्रू के 7 सदस्यों में प्रमुख नाम थे: –
- कल्पना चावला (मिशन स्पेशलिस्ट)
- रिक हसबैंड (कमांडर)
- विलियम मैककूल (पायलट)
- माइकल एंडरसन (कमांडर)
- इलान रामोन (स्पेशलिस्ट)
- डेविड ब्राउन (मिशन स्पेशलिस्ट)
- लॉरेल क्लार्क (मिशन स्पेशलिस्ट)
अपने दूसरे मिशन में 16 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान कल्पना चावला और उनके टीम ने 80 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए। जिससे जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, द्रव भौतिकी से जुड़ी प्रयोग शामिल था, इस प्रयोग द्वारा अंतरिक्ष विज्ञान को समझने में एक नई दिशा मिली।
इस मिशन के दौरान चावला तथा उनकी टीम ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई नवीनतम जानकारी भी जुटाई। जिससे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करने में मदद मिल सके। इस मिशन की कुछ मुख्य उपलब्धियाँ निम्नलिखित थी: –
- अंतरिक्ष में जीवन की संभावना की तलाश
- अंतरिक्ष में माइक्रोग्रेविटी के प्रभाव पर शोध
- नई तकनीकों और प्रयोगों का सफल परीक्षण
कल्पना चावला के अंतरिक्ष यान कोलंबिया का हादसा:
नमस्कार दोस्तों! 1 फरवरी 2003 को नासा का कोलंबिया स्पेस शटल पृथ्वी पर लौट रहा था। इस शटल में 7 अंतरिक्ष यात्री बैठे थे, जिनमें से एक भारत के लिए बेहद खास था. मिशन विशेषज्ञ कल्पना चावला. ये अंतरिक्ष यात्री वापस लौट रहे थे
अंतरिक्ष में 2 सप्ताह बिताने के बाद पृथ्वी पर। उनके परिवार और दोस्त थे
सांसें थाम कर उनका इंतजार कर रहा हूं. ये फ्लाइट उन सभी के लिए खास थी. लेकिन नासा के लिए यह एक नियमित उड़ान थी। क्योंकि ये 28वीं उड़ान थी
अपने 16 दिन की अंतरिक्ष यात्रा पूरी करने के बाद उनका शटल 01 फरवरी 2003 की सुबह पृथ्वी की तरफ रवाना हो गया। अंतरिक्ष शटल कोलंबिया सुबह करीब 08:44 मिनट पर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया। कहते हैं की सिस्टम उम्मीद के मुताबिक काम कर रहा था और सब कुछ ठीक-ठाक लग रहा था। शटल कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र में लेंड करने के इरादे से उतर रहा था।
उनके परिवार और दोस्त सांसें थाम कर उन सभी का नीचे उतारने के इंतजार कर रहे थे। लेकिन कहा जाता है की ब्रीफकेस के आकार का इंसुलेशन का एक टुकड़ा टूटकर शटल के विंग से टकराने के कारण शटल का थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम क्षतिग्रस्त हो गया।
यह एक प्रकार से ढाल थी जो वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उसे गर्मी से रक्षा करने में सहायक होती है। कहते हैं की जैसे ही शटल धरती के वायुमंडदल में प्रवेश किया विंग गर्मी के कारण टूट गया, जिससे यान अस्थिर हो गया। धरती पर बैठे वैज्ञानिकों ने उनका संपर्क टूट गया।
तब तक देखते ही देखते शटल में आग लग गई और कल्पना चावल सहित सभी सातों अंतरिक्ष यात्री के सदस्य जान चली गई।
कहा जाता है की ज़मीन पर गिरने से पहले शटल टेक्सास और लुइसियाना के ऊपर टूट गया था। मारे गये चालक दल में रिक हस्बैंड, लॉरेल क्लार्क, इलान रेमन, डेविड ब्राउन, विलियम मैकुलम, माइकल एंडरसन और कल्पना चावला शामिल थी।
इस घटना के कारणों की जांच में पता चला कि उड़ान के दौरान अंतरिक्ष यान के बाएं पंख पर थर्मल इंसुलेशन क्षतिग्रस्त हो गया था। जिससे वायुमंडल में प्रवेश करते समय यान विनाश हो गया।
इस त्रासदी ने अंतरिक्ष यात्रा के खतरों को फिर से सामने लाया और अंतरिक्ष यात्रा की सुरक्षा में सुधार के लिए नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया।
अंतरिक्ष यान की हादसे की वजह:
जब इस हादसे की जांच की गई तो जांच में पाया गया कि फोम का एक बड़ा टुकड़ा शटल के बाहरी टैंक से टूट गया था। यह टुकड़ा टूटकर अंतरिक्ष यान के पंख से टकराकर उसे तोड़ दिया।
जांच में यह भी पाया गया कि टकराने से बाएं पंख पर होल हो जाने से बाहर की हवा शटल के अंदर प्रवेश करने लगीं। फलतः इसके चलते सेंसर खराब हो गए और सभी अंतरिक्ष यात्री को पहले सांस लेने में तकलीफ हुई।
उसके बाद उनका शटल के विस्फोट के साथ दो दुकड़ों में बंट गया। इस प्रकार सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
क्या नासा को पहले से हादसा के बारें में पता था?
आजतक में प्रकाशित एक लेख के अनुसार पहले ही तय हो गई थी कल्पना चावला की मौत। क्योंकि इसके इस हादसे के करीब 10 साल बाद 2013 में कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर Wayne Hale ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया था।
Wayne Hale के अनुसार कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरने के तुरंत बाद ही पता चल गया था कि ये शटल सुरक्षित जमीन पर वापस नहीं आ पाएगा। लेकिन फिर भी इस बात को सातों अंतरिक्ष यात्री और उनके परिवार वालों से छुपाकर रखी गई।
कल्पना चावला और उनके साथी को इसकी थोड़ी सी भी भनक तक नहीं लगने दी गई कि वो सुरक्षित धरती पर वापस नहीं आ सकेंगे। सभी अंतरिक्ष दल अपने मिशन में रात-दिन लगे रहे, वो हर पल की जानकारी को नासा से साझा करते रहे।
लेकिन सबाल उठता है की आखिर नासा ने ऐसा क्यों किया? क्यों उसने अंतरिक्ष यात्रियों और उनके परिवार वालों से यह जानकारी छुपाई। इसमें कहा गया की नासा के वैज्ञानिक दल यह नहीं चाहते थे कि अंतरिक्ष मिशन पर गये सभी सदस्य अपनी आखरी जिंदगी को घुटघुट कर जिएं।
उन्होंने बेहतर यही समझा होगा की मौत हो वैसे भी संभावित है की तो क्यों न वे सभी हादसे का शिकार होने से पहले तक मस्त रहे।
कल्पना चावला की मृत्यु:
इस प्रकार कल्पना चावला की 01 फरवरी 2003 को मृत्यु हो गई। उनकी निधन से भारत सहित विश्वभर में गहरा शोक छा गया।
कल्पना चावला का जीवन परिचय : सम्मान व पुरस्कार
कल्पना चावला को मरणोपरांत कई सम्मान व पुरस्कार प्रदान किए गए। उनके प्रमुख पुरस्कारों में:
- कांग्रेसनल स्पेस मेडल ऑफ ऑनर,
- नासा स्पेस फ्लाइट मेडल
- नासा विशिष्ट सेवा मेडल
इसके अलावा कल्पना चावला के सम्मान में वर्ष 2010 में, टेक्सास विश्वविद्यालय ने आर्लिंगटन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कल्पना चावला के नाम पर एक स्मारक समर्पित किया।
उनके नाम पर 2020 में एक अंतरिक्ष यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए लॉन्च किया गया था। इसके अलावा कल्पना चावला के सम्मान में NASA ने एक सूपर कंप्यूटर तथा मंगल ग्रह पर एक पहाड़ी का नाम भी उनके नाम पर रखा है।
भारत में कल्पना चावला के सम्मान में:
हमारे देश भारत में कल्पना चावला के सम्मान में कई स्कूल और कालेज का नाम रखा गया। कल्पना चावला की उपलब्धियों ने न केवल विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन किया।
बल्कि युवा पीढ़ी, विशेषकर महिलाओं को अपने सपनों का साकार करने के लिए प्रेरित किया। भारत में कल्पना चावला की याद में हरियाणा के करनाल में कल्पना चावला प्लैनेटेरियम बनाया गया।
इन स्थलों के माध्यम से उनकी उपलब्धियों और योगदान को हमेशा याद किया जाता रहेगा। विभिन्न विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों द्वारा उनके नाम पर छात्रवृत्तियाँ और फैलोशिप प्रोग्राम प्रदान करने की शुरूआत हुई।
उनके सम्मान में भारत ने 5 फरवरी, 2003 को घोषणा की कि ISRO मौसम संबंधी जितने भी उपग्रह स्पेस में भेजेगी, उनके नाम कल्पना के नाम पर रखा जायेगा।
निष्कर्ष:
उनकी जीवनी हमें यह बताती है कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम के बल पर कोई भी अपने सपनों को पूरा कर सकता है। उनकी पुण्यतिथि पर दुनियाँ भर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर उनसे प्रेरणा लेते हैं।
उनकी जीवनी केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।
F.A.Q
कल्पना चावला का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था।
कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा कब हुई थी?
कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा 19 नवंबर 1997 से लेकर 5 दिसंबर 1997 तक चली थी।
कल्पना चावला की पुण्यतिथि कब है?
कल्पना चावला की पुण्यतिथि गुरुवार, 1 फरवरी 2024 को मनाई गई थी।
कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा कब हुई थी?
कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा की सटीक तारीख उपलब्ध नहीं है, लेकिन उन्होंने दो बार अंतरिक्ष में यात्रा की थी।
कल्पना चावला के कितने बच्चे थे
कल्पना चावला के बच्चे नहीं थे।
इन्हें भी पढ़ें: सम्राट अशोक की मृत्यु कैसे हुई जानिये सम्राट अशोक का जीवन परिचय व कार्य