Essay about Jawaharlal Nehru in Hindi – पंडित जवाहर लाल नेहरू एक महान देशभक्त और कुशल राजनेता के साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। जहॉं वे एक कुशल वक्ता व प्रशासक थे, वहीं दूसरी तरफ वे दूरदर्शी और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के प्रखर चिंतक थे।
एक सम्पन परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने सारी सुख सुविधा को परित्याग कर अपने समस्त जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया। वे गुटनिरपेक्ष आंदोलन के जनक में से एक है।
आजादी की वाद वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और देश को एक नई दिशा दी। 17 वर्षों तक इस पद पर रहते हुए उन्होंने सिर्फ देश पर ही नहीं बल्कि भारत के जनता के दिल पर भी राज किया।
जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्यार करते थे। बच्चे प्यार से उन्हने चाचा कहकर बुलाते थे। इस कारण उनके जन्म दिवस 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है।
Jawaharlal Nehru Essay In Hindi शीर्षक के इस लेख के माध्यम से हम उनके जीवन के बारें में विस्तार से जानेंगे।
जवाहर लाल नेहरू जीवनी – Essay about Jawaharlal Nehru in Hindi
- पूरा नाम – पंडित जवाहर लाल नेहरू
- जन्म बर्ष – 14 नवंबर 1889 ईस्वी को
- जन्म स्थान – प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तरप्रदेश
- माता क नाम – स्वरूप रानी
- पिता का नाम – मोतीलाल नेहरू
- प्रसिद्धि – भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में
- सम्मान – भारत रत्न
- निधन – 27 मई 1964 ईस्वी
- समाधि स्थल का नाम – शांति वन
- रचनायें – डिस्कवरी ऑफ इंडिया, माई ऑटो बाइआग्रफी और ग्लिम्पसज ऑफ द वर्ल्ड हिस्ट्री।
जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल का जन्म 14 नवंबर 1889 ईस्वी को प्रयागराज (पुराना नाम इलाहाबाद) में हुआ था। उनके माता का नाम स्वरूप रानी था। उनके पिता का मोतीलाल नेहरू एक विख्यात बैरिस्टर थे।
उनका पूरा परिवार सुखी सम्पन था, घर में किसी चीज की कमी नहीं थी। कहते हैं की उनकी प्रारम्भिक शिक्षा ही प्रयागराज में ही सुयोग्य शिक्षक के देख रेख में हुई। उनके बाद उन्हें 1914 ईस्वी में पढ़ने के लिए लंदन के एक स्कूल में दाखिला कर दिया गया।
लंदन में ही उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज से स्नातक की परीक्षा पास किया। उसके वाद 1912 ईस्वी में उन्होंने बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त कर वापस भारत आए। स्वदेश वापस आने के चार साल बाद 1916 में उनकी शादी दिल्ली के कारोबारी जवाहरलालमल की पुत्री कमला नेहरू से सम्पन हुआ।
आजादी की लड़ाई में योगदान
इंगलेंड के स्वतंत्र माहौल में पलने और पढ़ने लिखने के बाद वापस भारत में उन्हें एक अलग ही वाताबरण देखने को मिला। गुलामी की जंजीर में जकड़ी भारत की दयनीय दशा को देखकर वे विचलित हो उठे।
लोग अंग्रेजों के गुलामी से तंग आ चुके थे। अक्सर अंग्रेज, भारत की जनता को अपनी बर्बरता का शिकार बनाते। बचपन से ही पंडित जवाहरलाल नेहरू में देश भक्ति की भावना भरी हुई थी।
1919 ईस्वी में जब पंजाव के अमृतसर में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ था। तब वे गांधी जी के संपर्क में आए और गांधी जी से बहतू ही प्रभावित हुए। वे सारे सुख सुविधाओं को छोड़कर पिता मोतीलाल नेहरू के इच्छा के विरुद्ध आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।
उन्होंने independent नामक समाचार पत्र के द्वारा ब्रिटिश सरकार की कटु आलोचना की। फलतः ब्रिटिश सरकार ने जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और उस पत्र को बंद करा दिया।
सन 1921 ईस्वी में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण फिर से उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। विदेशी बस्तु के बहिष्कार के फलस्वरूप भी उन्हने 9 माह तक जेल की सजा कटनी पड़ी।
उन्हें सन 1929 ईस्वी में लाहौर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में उन्हें अध्यक्ष चुना गया। वे पाँच बार कांग्रेस के प्रेसीडेंट चुने गये। लाहौर के अधिवेशन में उन्होंने ‘पुर्ण स्वराज की घोषणा’ की।
इस घोषणा से ब्रिटिश सरकार की आँखों की नींद उड़ गयी। एक बार जब वे रूस की यात्रा पर गये तब समाजवादी विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए। सन 1936 ईस्वी के लखनऊ अधिवेशन में उन्होंने समाजवाद अपनाने की अपील की।
उन्होंने सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने आजादी की लड़ाई की राह पर अनवरत चलते रहे जब तक भारत अंग्रेजों की दासता से मुक्त नहीं हो गया।
आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ
जब 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ तब वे सर्वसम्मति से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री चुने गये। इस पद पर वे मृत्यु-पर्यंत सन 1964 ईस्वी तक आसीन रहे। उन्होंने भारत को उन्नत और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने के लिए जी जान से प्रयास किए।
उन्होंने भारत की चहुमुखी विकास के लिए पंचवर्षीय योजना को लागू किया। भारत को परमाणु सम्पन राष्ट्र बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सामाजिक बुराइयों को खत्म करने और नारी की दशा को सुधारने के लिए ‘हिन्दू कोड बिल’ बनाया। उन्होंने कई अधोगिक और वैज्ञानिक संस्थान की स्थापना की।
गांधी जी ने नेहरू के बारें में एक बार कहा था
“जवाहरलाल तो हीरा है। वीरता, साहस और देशभक्ति में कोई उसकी समानता नहीं कर सकता। भारत का भाग्य उसके हाथों में सुरक्षित है।“
जवाहरलाल नेहरू जी की रचनायें
Jawaharlal Nehru Essay In Hindi में आगे हम जानेंगे की वे एक कुशल राजनेता ही नहीं बल्कि बहुत ही विद्वान आदमी थे। उन्हें अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था। वे जब जेल में थे तब वहाँ से उन्होंने अपनी पुत्री इंदु (इंदिरा गांधी ) के नाम पत्र लिखा करते।
उनका लिखा हुआ पत्र ‘पिता का पत्र पुत्री के नाम’ से बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में भी अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने ‘Discovery of India’, ‘My autobiography’ और ग्लिम्पसज ऑन द हिस्ट्री ऑफ वर्ल्ड नामक विश्व प्रसिद्ध पुस्तक लिखी।
जवाहर लाल नेहरू पुण्यतिथि
जीवन पर्यंत प्रधानमंत्री के पद पर आसीन रहते हुए उन्होंने भारत को विकास की राह पर खड़ा किया। गौरव तथा यश की असीम शिखर पर पहुँचकर उन्होंने 27 मई 1964 को अंतिम सांस ली।
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उपसंहार – conclusion
Jawaharlal Nehru Essay In Hindi के निष्कर्ष में यही कहा जा सकता है की नेहरू जी भले ही अपने नश्वर शरीर को छोड़कर चले गये हों, लेकिन उनके त्याग और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
वे अपने योगदान के फलस्वरूप सदा-सदा के लिए भारतवासी के दिल में अमर रहेंगे। आने वाली पीढ़ी सदा के लिए उनके ऋणी रहगीं। दोस्तों Jawaharlal Nehru Essay In Hindi आपको कैसा लगा अपने सुझाव से जरूर अवगत करायें।