सालिम अली को भारत में पक्षियों के मसीहा के रूप में जाना जाता है। बचपन से ही उन्हें पक्षियों से बड़ा ही लगाव था। उन्होंने उम्रभर पक्षियों के सेवा में लगे रहे और हमेशा से ही पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक रहे।
भारत के महान प्रकृतिवादी और पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली को ‘भारत का बर्डमैन‘ भी कहा जाता है। पक्षी विज्ञानी सलिम अली का पूरा नाम सलिम मोयजुद्दीन अब्दुल अली था। पक्षियों के प्रति असीम लगाव के कारण ही इन्हें पक्षियों का मसीहा कहा जाता है।
छोटे उम्र से ही इन्हें पक्षियों के बारे में जानने की बेहद उत्सुकता रहती थी। बड़े होने के बाद वे पक्षियों का सेवा और बचाव करना ही अपना परम कर्त्तव्य समझा। फलस्वरूप वे भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी, प्रकृतिवादी और वन्यजीव संरक्षणवादी के रूप में प्रसिद्ध हुए।
उन्होंने पक्षी सर्वेक्षण हेतु व्यवस्थित रूप से कई कदम उठाये। पक्षियों के संरक्षण हेतु उन्होंने राजस्थान के भरतपुर पक्षी उधान को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। पक्षियों की सेवा ही वे अपना धर्म मानते थे।
पक्षी विज्ञान में अहम योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने कई सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित किया। आइये इस लेख में डॉक्टर सलीम अली का जीवन परिचय विस्तार से जानते हैं।
भारत का बर्डमैन सालिम अली कौन थे – Information about Salim Ali in Hindi
सलीम अली का पूरा नाम | -सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली, |
जन्म की तारीख | -12 नवंबर 1896, |
जन्म स्थान | -मुंबई, भारत |
निधन | -20 जून 1987, मुंबई, भारत |
सम्मान | -पद्म विभूषण, पद्म भूषण |
सलीम अली का जीवन परिचय– Biography of Salim Ali in Hindi 30
डॉक्टर सलीम अली का जन्म मुंबई के पास खेतबाड़ी इलाके में 12 नवम्बर 1896 ईस्वी को हुआ था। उनका पूरा नाम सलिम मोयजुद्दीन अब्दुल अली था। सलीम अली के पिता का नाम मोइज़ुद्दीन और माता का नाम ज़ीनत-उन-निस्सा थी।
इनका परिवार सुलेमानी बोहरा मुस्लिम परिवार से तालुक रखता था। सलीम साली अपने 9 भाई-बहन में सबसे छोटे थे। बचपन में इनके माता-पिता का देहांत हो गया।
फलतः सलीम अली का लालन-पालन अपने मामा और मामी के हाथों में हुआ। उनके मामा अमिरुद्दीन तैयाबजी और मामी हमिदा बेगम ने उन्हें बड़े ही लाड़-प्यार से पाला था।
शिक्षा (Education Salim Ali in Hindi)
उनकी प्रारम्भिक शिक्षा बंबई के सेंट जेविएर स्कूल में हुई। सन 1913 ईस्वी में उन्होंने मेट्रिक की परीक्षा पास की। बचपन से ही वे हमेशा अस्वस्थ रहते थे। वे अक्सर भयंकर सिरदर्द से पड़ित रहते जिस कारण उनकी पढ़ाई में अक्सर कठिनाई होती थी।
किसी रिस्तेदार के सुझाव के बाद की शायद शुष्क हवा के प्रभाव से उनका तबीयत ठीक हो जाए। उन्हें सिंध (वर्तमान में पाकिस्तान का एक राज्य) में अपने किसी रिस्तेदार के पास भेज दिया गया। वहाँ से कुछ दिनों के बाद वे अपने भाई के साथ म्यांमार (तत्कालीन बर्मा) चले गये।
बर्मा के जंगलों में पक्षी को देखकर बड़े प्रभावित हुए। उन्हें पक्षी को बड़े ही गौर से निहारना बडा ही अच्छा लगता था। वे हमेशा उनके बारे में ही हमेशा सोचते रहते थे।
कैरीयर
सन 1920 में वे वर्मा से बंबई वापस आ गये। वापस आने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और जन्तु विज्ञान में एक कोर्स पूरा किया। लेकिन वे डिग्री हासिल नहीं कर सके। आगे चलकर उनकी नियुक्ति ‘बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ के संग्रहालय में एक गाइड के रूप में हुई।
वे इस संग्रहालय में आने वाले लोगों को पक्षियों को दिखाते और उनके बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते। बाद में किसी कारण से उनकी गाइड की नौकरी छुट गई, फिर भी वे बिना विचलित हुए पक्षियों पर अनवरत शोध जारी रखा।
इसी क्रम में की मुलाकात विश्व के महान पक्षी विज्ञानी इरविन स्ट्रासमैन के साथ हुई। इरविन स्ट्रासमैन से मिलकर सलीम अली बहुत प्रभावित हुए। उन्हें जर्मनी के महान पक्षी विज्ञानी डिपलॉन रिप्ले के साथ भी काम करने का मौका मिला।
सलीम अली का प्रमुख खोज
कहा जाता है की मुंबई में उनके घर के पास ही एक पेड़ पर बया पक्षी के ढेर सारे घोंसले थे। वे दिनभर पेड़ के नीचे बैठकर बया पक्षी के कार्यकलापों को बड़े ध्यान से देखते रहते थे। इस दौरान वे उन पक्षी के कार्यकलापों को अपने डायरी में नोट करते रहते थे।
कहते हैं की उन्होंने पक्षियों को पकड़ने के लिए सैकड़ों तरीके की खोज की थी। जिसका इस्तेमाल अक्सर वे बिना कष्ट पहुचाये बड़ी ही आसानी से पक्षी को पकड़ने में किया करते थे। कहते हैं की पक्षियों को पकड़ने के लिए उनके द्वारा खोज की गई विधि ‘गोंग एंड फायर’ और डेक्कन विधि’ के नाम से जानी जाती है।
उनके द्वारा खोजी गई दोनों विधि आज भी प्रचलित है। वे पक्षी के ऊपर जो भी अनुसंधान करते उनका एक नोट बनाते रहते थे। धीरे-धीरे इन्होंने पक्षी के ऊपर अपना एक विस्तृत शोध पत्र तैयार कर लिया।
इस प्रकार पक्षी के ऊपर अनुसंधान करते-करते उन्हें पक्षी के बारे में निपुणता हासिल हो गई थी। उन्हें इतना अनुभव हो गया था की पक्षी के आव-भाव से उनके बारे में वे बहुत कुछ पता कर लेते थे। मानो वे पक्षी की भाषा को समझते हों।
सालिम अली का पारिवारिक जीवन
सन 1918 ईस्वी में सलीम अली की शादी तहमीना अली के साथ सम्पन्न हुई। शादी के बाद वे अपनी पत्नी तहमीना अली के साथ बंबई में एक छोटे से मकान में रहने लगे। लेकिन उन्होंने पक्षी पर शोध को अनवरत जारी रखा।
उनके इस कार्य में उनकी पत्नी ने भी मदद की। लेकिन दुर्भाग्य से सलीम अली साहब की पत्नी का सन 1939 ईस्वी में एक सर्जरी के उपरांत देहांत हो गया। अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद सलीम बुरी तरह अंदर से टूट गये। फिर भी उन्होंने अपना अनुसंधान जारी रखा।
सलीम अली ने कौन से पक्षी को खोज निकाला
सलीम अली ने भारत के पक्षियों की अनेकों प्रजातियों का अध्ययन किया। इसके लिए उन्हें भारत के कई दुर्गम इलाकों और जंगलों में भ्रमण करना पड़ा। कहते हैं की उतराखंड के कुमाऊँ में अपने भ्रमण के दौरान उन्होंने लुप्त हो चुकी बया पक्षी की एक अनोखी प्रजाति की खोज की थी।
साइबेरियन सारस के ऊपर भी उन्होंने गहन शोध किया। उन्होंने पहली बार अपने अध्ययन से साबित किया की साइबेरियन सारस शाकाहारी होता है। राजस्थान के भरतपुर पक्षी अभ्यारण की नींव रखने में भी उनका अहम योगदान रहा।
सलीम अली द्वारा लिखित पुस्तक (Salim Ali ki pustak ka naam)
सलीम अली की पुस्तक भारतीय पक्षी के शोध पर आधारित है। जब उनका शोधपत्र प्रकाशित हुआ तब उनकी ख्याति दूर तक फैल गई। उन्होंने पक्षियों के बारे में जो अनुभव प्राप्त किये उनके एक नोट बनाये। उनका यह नोट एक पुस्तक के रूप में सन् 1941 ईस्वी में प्रकाशित हुआ।
उनकी प्रसिद्ध पुस्तक का नाम ‘द बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स सालिम अली’ है। इस किताब की अब तक लाखों प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इस किताब में उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर भारतीय पक्षियों का विस्तार से वर्णन किया है।
इस पुस्तक के अलाबा उन्होंने ‘हैन्डबुक ऑफ द बर्ड्स ऑफ इंडिया एण्ड पाकिस्तान‘ नामक दूसरी पुस्तक की रचना की थी। उनकी एक और पुस्तक ‘द फाल ऑफ़ ए स्पैरो’ भी प्रकाशित हुई जो काफी पोपुलर साबित हुई।
सालिम अली की मृत्यु कैसे हुई?
विश्व विख्यात पक्षी-विज्ञानी सालिम अली ने अपने उम्र का 65 वर्ष पक्षियों की सेवा में समर्पित कर दिया। जीवन के अंत समय मे वे प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी से ग्रसित हो गए। वे काफी लंबे समय तक इस बीमारी से लड़ते रहे।
इस प्रकार महान पक्षी विज्ञानी सलीम अली की मृत्यु 91 साल की उम्र में 20 जून 1987 को मुंबई में हुई। भारत के महान सपूत, ‘परिंदों के मसीहा’ सलीम अली को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
सलीम अली को परिंदों का चलता फिरता विश्वकोष कहा जाय तो कोई अतिसयुक्ति नहीं होगी। एक पक्षी विज्ञानी के रूप में इन्हे हमेशा याद रखा जायेगा।
सम्मान व पुरस्कार
पक्षी विज्ञान में अहम योगदान के लिए पक्षी शास्त्री सालिम अली को कई पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने सलीम अली को सन 1958 ईस्वी में पद्म भषण से अलंकृत किया।
सन 1976 में उन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया गया। भारत सरकार के डाक विभाग ने सालिम अली को सम्मान देने हेतु डाक टिकट भी जारी किया। भारत के कई विश्वविध्यालय द्वारा उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई।
उनके सम्मान में कोयम्बटूर के पास अनाइकट्टी’ नामक जगह पर ‘सलीम अली पक्षीविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केन्द्र’ की स्थापना की गई है।
एक बार इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में 5 लाख की राशि मिली थी जिसे उन्होंने ‘बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ को दान कर दिया था।
राष्ट्रीय पक्षी दिवस
पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली ने पक्षियों के संरक्षण से संबंधित कई पुस्तकों की रचना की। उनके पुस्तकों में वर्णित जानकारी से भारत में पक्षी विज्ञान का अध्ययन करने में काफी मदद मिली।
जीवन का 65 वर्ष उन्होंने पक्षी की सेवा में समर्पित कर दिया। भारत के इस महान पक्षी विज्ञानी की याद में हर वर्ष उनके जन्म दिवस 12 नवम्बर’ को ‘राष्ट्रीय पक्षी दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है।
सलीम अली पक्षी विज्ञान केंद्र
‘सलिम अली सेंटर फॉर ओर्निथोलोजी एंड नेचुरल हिस्टरी’ (SACON) अर्थात सलीम अली पक्षी-विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र तमिलनाडु के कोयम्बटूर में स्थित है।
भारत सरकार द्वारा वितपोषित इस संस्थान की स्थापना 5 जून 1990 ईस्वी में पक्षी के शोध स्थल के रूप में हुई थी।आपको भारत का ‘बर्डमैन’ सालिम अली का जीवन परिचय जरूर होगा अपने कमेंट्स से जरूर अवगत करायें।
F.A.Q
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प्रश्न – सलीम अली को कौन सा पुरस्कार मिला था?
उत्तर भारत के इस पक्षी विज्ञानी को भारत सर ने सन 1958 में पद्म भषण और सन 1976 में देश के दूसरे बड़े अलंकार पद्म विभूषण से अलंकृत किया।
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प्रश्न – सलीम अली की पत्नी का क्या नाम था?
उत्तर -भारत के महान पक्षी विज्ञानी सालिम अली की पत्नी का नाम तहमीना थी। उनकी पत्नी तहमीना ने उनका भरपूर साथ दिया। यदपि असमय उनकी पत्नी मई मृत्यु होने के बाद वे टूट से गये थे।
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प्रश्न – सालिम अली को बर्डमैन ऑफ इंडिया क्यों कहा जाता हैउत्तर – सालिम अली उम्रभर पक्षियों के सेवा में लगे। पक्षियों के प्रति असीम लगाव के कारण ही इन्हें पक्षियों का मसीहा तथा बर्डमैन ऑफ इंडिया कहा जाता है।
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प्रश्न –सलीम अली पक्षी अभ्यारण कहां स्थित है
उत्तर – ‘सलीम अली पक्षी अभ्यारण‘ भारत के खूबसूरत राज्य गोवा में स्थित हैं। यह प्रसिद्ध अभ्यारण गोवा की राजधानी पणजी से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रश्न – सलीम अली का जन्म कब हुआ था
उत्तर – सलीम अली का जन्म 12 नवंबर 1896 ईस्वी में मुंबई में हुआ था।
प्रश्न – सलीम अली का पूरा नाम क्या है? उत्तर – पक्षी विज्ञानी सलीमअली का पूरा नाम सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली था।
प्रश्न – सलीम अली की आत्मकथा का क्या नाम है?
उत्तर – उन्होंने सं 1985 में अपनी आत्मकथा लिखी। उनके आत्मकथा का नाम ‘द फॉल ऑफ स्पैरो‘ है।
प्रश्न – डॉक्टर सलीम अली पक्षी अभ्यारण कहां है?
उत्तर – डॉ सलीम अली पक्षी अभ्यारण गोवा में मंडोवी नदी के त्यात पर अवस्थित है।
प्रश्न – सलीम अली की मौत का कारण कौन सी बीमारी थी?
उत्तर – सलीम अली के जीवन का अंतिम समय कष्टों में बीता। सालिम अली की मृत्यु लंबे समय तक प्रोस्टेट कैंसर से जूझते हुए 1987 में हुई।
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प्रकाशन तिथि – 28 फरवरी 2021