दिल्ली लाल किला का इतिहास(History of Lal kila) में झाँके तो पता चलता है की इसका असली नाम ‘लाल कोट’ था। जिसका निर्माण महाराज अनंगपाल द्वितीय ने सन् 1060 ईस्वी में करवाया था।
बाद में यहाँ मुगल बादशाह शाहजहाँ ने यहाँ नए सिरे से निर्माण करवाया। हालांकि इसमें इतिहासकारों में मतांतर है और अभी भी शोध का विषय है।
लाल किला (Lal Kila) सिर्फ दिल्ली की नहीं बल्कि पूरे भारत की पहचान है। इस किले की भव्यता और आकर्षण के कारण देश-विदेश से लाखों पर्यटक प्रति वर्ष लाल किला को देखने आते हैं। लाल किला की गिनती विश्व के सुंदर और भव्य किलों में की जाती है।
मुगल सम्राट के द्वारा बनवाया गया यह भव्य किला अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए जगत प्रसिद्धहै। विश्व धरोहर की लिस्ट में सम्मिलित इस आकर्षक किले के निर्माण का कार्य मुगल सम्राट शाहजहां ने 1638 ईस्वी में शुरू करवाया था।
शाहजहाँ ने इस भव्य किले के निर्माण के अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट करने के बाद किया था। उसके बाद उन्होंने अपनी राजधानी दिल्ली का नाम शाहजहांनाबाद रखा था।
कालांतर में यह अंग्रेजों के अधीन रहा। आजादी के बाद प्रति वर्ष 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा लहराते हैं, तथा इसके प्राचीर से देश को संबोधित करते हैं।
सर्वप्रथम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले के प्राचीर पर 15 अगस्त 1947 में तिरंगा फहराया था।
इस लेख में आप लाल किला का इतिहास, लाल किला कितने साल पुराना है, लाल किला का टिकट, लाल किला की खशियत, लाल किला तक कैसे पहुंचे आदि के बारें में विस्तार से जानकारी पा सकते हैं।
लाल किला का इतिहास संक्षिप्त परिचय (Information about Lal Kila in Hindi )
निर्माण वर्ष | – 1638-1648 |
निर्माणकर्ता | – मुगल बादशाह शाहजहाँ |
वास्तुकार | – अहमद लाहौरी |
वास्तु शैली | – मुगल, हिन्दू और फारसी शैली |
निर्माण लागत | – 1 करोड़ (उस बक्त) |
प्रमुख इमारत | – मोती मस्जिद, रंग महल, मुमताज महल, दीवाने आम, दीवाने खास आदि |
दिल्ली लाल किला का इतिहास – Lal Kila Red fort History In Hindi
भारत की पहचान बन चुकी इस किले का इतिहास बहुत ही दिलचस्प है, लाल किले का गौरवशाली इतिहास 350 बर्ष से भी अधिक पुराना है। लालकिले का निर्माण महान मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने सन 1638 ईस्वी में शुरू करबाया था।
इस किले के निर्माण में लगभग 10 साल का समय लगा, इस प्रकार यह किला सं 1648 ईस्वी में बनकर तैयार हुआ। 250 एकड़ से अधिक की विस्तृत भु-भाग में फैले इस किले का निर्माण शाहजहाँ ने यमुना नदी के किनारे कराया।
यह किला तीन तरफ से यमुना नदी से घिरा हुआ है। लाल किले (Lal Kila ) के निर्माण के बाद शाहजहाँ ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानतरण किया था। यह किला मुगल सम्राट शाहजहाँ की राजधानी थी।
शाहजहाँ ने अपनी नई राजधानी का नाम शाहजहाँनाबाद रखा था। विश्व प्रसिद्ध इस किले के निर्माण में कहते हैं की उस बक्त लगभग 1 मिलियन रुपये खर्च कीय गये थे। शाहजहाँ ने इस किले को किला-ए-मुबारक नाम दिया था।
इतिहासकार के अनुसार 17वीं शताब्दी के अंतिम दशक आते-आते मुगलवंश का पतन होने लगा। मुगलवंश का अंतिम शक्तिशाली शासक औरंगजेब ने इस किले में मोती मस्जिद का निर्माण कराया था। औरंगजेब के पतन के बाद यह किला करीब 30 वर्षों तक खाली रहा।
तत्पश्चात इस किले पर जहंदर शाह ने 1712 में अपने आधिपत्य में कर लिया। फर्रुखसियर ने जहंदर शाह को एक युद्ध में हरा दिया और जहंदर शाह मारा गया। उसके बाद फर्रुखसियर ने इस किले में जबरदस्त लूट मचाई और किले से वेशकीमती समान लूट लिए।
बाद में यह किला मुहम्मद शाह के कब्जे में आ गया। 20 वर्षों तक लाल किला पर मुहम्मद शाह का अधिकार रहा। लेकिन फारसी बादशाह नादिर शाह ने मुहम्मद शाह को हरा कर लाल किले को अपने अधिकार में कर लिया।
इस दौरान नादिर शाह ने भी इस किले को खूब लूटा और वापस चला गया। उसके बाद यह किला सिक्खों और मराठों के अधीन में भी रहा। बाद में बहादुर शाह ज़फर जो मुगल बंश के अंतिम शासक थे उनक निवास स्थान यह किला बना।
बहादुर शाह जाफ़र 1857 ईस्वी में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में भाग लेने के कारण उन्हें वंदी बना लिया गया। अंग्रेजों ने उनके नजर के सामने ही उनके पुत्रों को बहुत ही बेरहमी से मार दिया। बहादुर शाह जफर को रंगून के जेल में बंद कर दिया गया, जहॉं उनकी मृत्यु हो गयी।
इस प्रकार यह किले पूरी तरह अंग्रेजों के अधीन हो गया। अंग्रेजों ने भी इस किले को जमकर लूटा। कहते हैं की कोहिनूर हीरा, मयूर सिंहासन और न जाने कितने वेशकीमती समान अंग्रेजों ने लालकिला से निकालकर इंगलेंड ले गये। कहते हैं की आज भी कोहिनूर ब्रिटिश सरकार के पास है।
एक लंबें संघर्ष और लाखों कुर्बानी के बाद जब 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। तब यह किला भारत सरकार के नियंत्रण में आ गया और इस किले को इंडियन आर्मी के हवाले कर दिया गया। अब यह किला भारतीय पुरातत्व विभाग के हवाले है।
आजादी के समय से ही हर साल 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले (Lal Kila ) के प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं।
लाल किला की खासियत
लाल बलुआ पत्थर से निर्मित होने के कारण ही इस किले को लाल किला के नाम से जाना जाता है। लगभग 1.5 किमी की radius में फैले और अष्टकोणीय आकार में बने भारत का यह खूबसूरत किला अपनी अद्भुत कारीगरी और नक्काकाशी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
मुगलकालीन वास्तुकला के द्वारा इस किले में सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। कहते हैं की इस किले के दीवारों को कई बहुमूल्य पत्थरों और रत्नों से सजाया गया था।
इस किले के अंदर मुगल शासक ने अपने लिए वेशकीमती प्रसिद्ध मयूर राज सिंहासन का निर्माण कराया था। जिसे बाद में अंग्रेजों ने इसे इंगलेंड ले कर चले गये।
भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित यह विशाल किला चारों ओर से लगभग 11 मीटर गहरी खाई से घिरी हुई है। इस खाई में पानी यमुना नदी से भरा जाता था। इसके अलाबा Lal Kila की सुरक्षा के लिए इसके चारों तरफ लगभग 33 मीटर ऊंची दीवार बनी हुई है।
इस कारण सुरक्षा की दृष्टि से यह किला अभेद माना जाता था। किले में दो प्रवेश द्वारा उपलब्ध हैं। एक गेट का नाम लाहौरी गेट और दूसरे गेट का नाम है दिल्ली गेट है। लाहौरी गेट का नाम पाकिस्तान के लाहौर के नाम पर रखा गया था।
इस प्रसिद्ध लाल किले के अंदर कई और भी सुंदर ऐतिहासिक इमारते का निर्माण किया गया है। जिसमें नौबत खाना, मोती मस्जिद, मुमताज महल, दीवाने खास, रंग महल, दीवानेआम और हमाम आदि प्रसिद्ध हैं।
उस बक्त पाकिस्तान भारत से अलग नहीं था। जबकि दूसरा गेट का नाम दिल्ली के नाम पर ही दिल्ली गेट रखा गया था।
लाल किला के वास्तुकार – Who Built The Red Fort Or Lal Qila In Hindi
लाल किला करीब 250 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इस भव्य किले के अंदर कई महल और मस्जिद बने हुए हैं। इस किले के परिसर में हर चीज बहुत ही सोच समझकर बनायी गयी थी।
इस किले के वास्तुकार के रूप में मुगल बादशाह शाहजहां ने उस बक्त के प्रसिद्ध वास्तुकार अहमद लाहौरी को चुना था। उन्होंने ने अपने अद्भुत कल्पना शक्ति का उपयोग कर इस बृहद और आकर्षक किले का निर्माण किया। जो सुरक्षा की दृष्टि से अभेद माना जाता था। मुगल, फारसी और भारतीय शैली का मिश्रण lal kila को श्रेष्ठ बनाती है।
यहाँ पर एक बाद और बताना जरूरी है की दुनियाँ के सातवाँ अजूबा में से एक ताजमहल का निर्माण भी अहमद लाहौरी ने कराया था। आम पब्लिक का इस किले में लाहोरी द्वार से ही प्रवेश होता है। इस किले के दिल्ली गेट को वीआईपी प्रवेश के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
दिल्ली का लाल किला: एक विश्व धरोहर स्थल
अपनी भव्यता और आकर्षण के कारण लाल किले को 2007 में उनेस्को ने विश्व विरासत की सूची में सम्मिलित किया। आज Lal Kila भारत की पहचान बन चुकी है। जिसे देखने लाखों पर्यटक देश व विदेश से दिल्ली पहुचते हैं। इस किले के दो मुखय द्वार दिल्ली और लाहौर द्वार के नाम से जाना जाता है।
लाल किला के परिसर में बनी अन्य दर्शनीय स्थल – Red Fort Information
छाबरी बाजार – भारत के एतिहासिक स्थल लाल किला (Lal Kila ) के परिसर में स्थित यह बाजार पर्यटक का पहली पसंद है।
लाहौरी गेट – लाहौरी गेट लाल किले के मुख्य गेट में से एक है। आम पर्यटक का लाल किले के अंदर इसी द्वार से प्रवेश होता है।
दिल्ली गेट – लाल किले के दक्षिण भाग में बना यह द्वार भी बेहद आकर्षक दिखाई पड़ता है। इस द्वार से वीआईपी और वीवीआईपी लोगों का प्रवेश होता है। ।
रंग महल – लालकिले के परिसर में बना यह महल, मुगल बादशाह की रानियों का निवास स्थान था। इस महल में की गयी आकर्षक नक्काकासी पर्यटक का ध्यान सहज ही अपनी ओर खिचता है।
इस रंग महल के बीचों-बीच होकर एक नहर की भी रचना की गयी है। जिसमें पानी की आपूर्ति यमुना नदी के द्वारा की जाती थी। नहर का शीतल जल, रंग महल के तापक्रम को गर्मियों में नियंत्रित रखता था।
दीवान–ए–आम – इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने राज दरबार के रूप में तौर पर निर्मित कराया था। इसके निर्माण में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है। इस जगह पर दरबार लगता था।
जहॉं पर सम्राट अपने दरबारी के साथ विचार-विमर्श किया करते थे। उस वक्त सभी महत्वपूर्ण फैसले इसी दरबार में लिए जाते थे।
दीवाने खास – कहते हैं कीभारत की इस ऐतिहासिक किले के अंदर निर्मित दीवान-ए-खास मुगल शासक का शयन कक्ष हुआ करता था। इस स्थल पर सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगों को ही जाने की अनुमति होती थी। इस महल की दीवार भी कई वेशकीमती पत्थरों और रत्नों से सुसज्जित की गयी थी।
मोती मस्जिद – लाल किले के विशाल परिसर में मौजूद यह मोती मस्जिद इस किले की शोभा को और बढ़ा देती है। इस अद्भुत शाही मस्जिद को कई छोटी-छोटी गुंबद और मेहराब से सजाया गया है।
सफेद संगमरमर से निर्मित यह मस्जिद मुगल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण पेश करता है। मोती-मस्जिद का निर्माण साल 1659 में औरंगजेब के द्वारा कराया गया था। जहाँ मुगल शासक प्रतिदिन नमाज अदा करते थे।
मुमताज महल – इस महल का नाम मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी प्यारी बेगम मुमताज महल के नाम पर रखा था। इस महल का निर्माण में भी ताजमहल की तरह सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था। इनके दीवारों और पिलर पर आकर्षक और सुंदर आकृति बनी हुई है।
खस महल – लाल किले परिसर में मौजद इस महल की भी नक्काकासी बेहद सुंदर है। इसे भी बनाने में सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया है। जिसपर फूलों की सुंदर नक्काकासी की गयी है। कहते हैं की यह महल, मुगल सम्राट का निजी आवास हुआ करता था। जिसके अंदर में तीन कक्ष बने हुए हैं।
हमाम – लाल किले के अंदर जब आप रंग महल की तरफ जाएंगे तब आपको सामने हमाम दिखाई देगा। हमाम का मतलब होता है स्नान की जगह। सफेद संगमरमर और सुंदर डिजाइन में निर्मित इस हमाम का उपयोग राजा और रानिओं के द्वारा स्नान के लिए किया जाता था।
हीरा महल – इस महल कोबहादुरशाह द्धितीय ने बनवाया था। कहते हैं की इस महल में कोहिनूर से भी अधिक वेशकीमती चीजों को छुपाकर रखा गया था।
चट्टा चौक – लौहोर गेट से अंदर प्रवेश करते ही सामने चट्टा बाजार है। यहाँ मुगलों साम्राज्य के समय में हाट लगा करता था।
लाल किला का टिकट और खुलने का समय (Red fort timings and Ticket price)
जैसा की हम जानते हैं की लाल किला भारत के दिल्ली में यमुना के किनारे स्थित प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। इस किले का दर्शन के लिए प्रति वर्ष लाखों की संख्या में लोग आते है।
लाल किला सप्ताह में सोमवार को छोड़कर बाकी 6 दिन आम जनता के लिए खुला रहता है। आप लाल क़िला के दर्शन के लिए टिकट इसके प्रशासनिक भवन में या मुख्य द्वार के पास बने काउंटर से प्राप्त कर सकते हैं।
लाल किला टिकट की कीमत
टिकट | अनलाइन एण्ड ऑफ लाइन |
टिकट शुल्क व्ययक (भारतीय) | 35 रुपये |
विदेशी नागरिक (वयस्क) | 550 रुपये |
खुलने का समय | सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 5 :30 तक |
आधिकारिक वेबसाईट | https://indiaculture.gov.in/ |
निकटतम मेट्रो स्टेशन | लाल किला मेट्रो |
निकटतम रेलवे स्टेशन | पुरानी दिल्ली |
उपरोक्त दरों में समय के साथ बदलाव हो सकते हैं फलतः इसके अधिक जानकारी केलिए आप आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
लाल किले में लाइट व साउन्ड शो का आयोजन
लाल किले (Lal Kila ) में हर रोज शाम के समय साउंड व् लाइट शो का आयोजन कीया जाता है। इस लाइट शो और साउन्ड शो के द्वारा मुगलवंश के इतिहास के बारे में बताया जाता है।
यह लाइट शो पर्यटक के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। इस लाइट शो को देखने के लिए दर्शक को अलग से टिकट लेना पड़ता है। लाइट एण्ड साउन्ड शो में आप किले से जुड़ी रोचक जानकारी पा सकते हैं। यह शो शाम के 7:30 से 8:30 और 09:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक होता है।
F.A.Q
रेड फोर्ड किसने बनवाया (delhi ka lal kila kisne banaya tha)
इस किले को स्थापत्य कला का राजकुमार कहे जाने वाले महान मुगल बादशाह शाहजहाँ ने बनवाया था। भारत की आजादी का गवाह रहा दिल्ली का Lal kila मुगलकालीन वास्तुकला का अद्भुत मिसाल है।
लाल किला कब बना था – lal kila kab bana tha
इस किले का निर्माण कार्य मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने 1638 ईस्वी में शुरू कराया था। इसके निर्माण में लगभग 10 साल का वक्त लगा और यह किला 1648 ईस्वी में बनकर पूरा हुआ।
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