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महर्षि कनादी को अपने समय के भारत के महान दार्शनिक और वैज्ञानिक कहे जा सकते हैं। कणाद ऋषि को महान वैज्ञानिक जॉन डाल्टन के साथ जोड़ कर देखा जाता है। महर्षि कणाद के बारे में कहा जाता है की इस प्राचीन ऋषि को पदार्थ के सूक्ष्म कण का ज्ञान था।
वैसे तो वर्तमान काल में जॉन डाल्टन को विश्व को परमाणु सिद्धांत से अवगत कराने का श्रेय दिया जाता है। लेकिन इस भारतीय दार्शनिक ऋषि कणाद ने पदार्थ के अविभाज्यकरण को परमाणु कहा।
महर्षि कनाद ने ही सर्वप्रथम आण्विक सिद्धांत प्रतिपादन किया था। उन्होंने ही सर्वप्रथम दुनियाँ को बतलाया की प्रत्येक पदार्थ अति सूक्ष्मतम कण से मिलकर बना है। इस सूक्ष्म कणों को परम (अत्यंत ही सूक्ष्म) अणु का नाम दिया गया।
वर्तमान में इसे ही इंग्लिश में एटम (Atom) के नाम से जाना जाता है। साथ ही उन्होंने ये भी बतलाया की इन अति सूक्ष्मतम कणों का स्वतन्त्र अवस्था में रहना नामुमकिन है। नया पदार्थ के निर्माण के लिए दो या दो से ज्यादा, भिन्न अथवा सम परमाणु का समायोजन जरूरी है।
भारत के इस प्राचीन महर्षि कनाद को परमाणु सिद्धांत के जनक या प्रणेता भी माना जाता है। कहते हैं की मनीषी कनाद को महान वैज्ञानिक न्यूटन से बहुत पहले गुरुत्वाकर्षण का ज्ञान था।
महर्षि कणाद का जीवन परिचय ( MAHARSHI KANAD IN HINDI )
महर्षि कनाद का आरंभिक जीवन (Maharshi kanada early life )
महर्षि कणाद का जन्म करीब 600 ईसा पूर्व माना जाता है। वायुपुराण के अनुसार इनका जन्म प्रभास पाटन नामक स्थल माना जाता है। कुछ विद्वान उनका जन्म स्थल द्वारका के समीप मानते हैं।
इनके पहला नाम कश्यप था। ये भगवान शंकर और गंगा माता के परम भक्त थे। कहते हैं की उनकी साधना के द्वारा इन्होंने कई दिव्य शक्तियां अर्जित कर ली थी।
इन्होंने परमाणु तत्व का सूक्ष्म विचार किया था। सूक्ष्म कण के बारे में विशेष निपुणता के कारण ही इन्हें कणाद के नाम से जाना गया। कहते हैं की अणु वैज्ञानिक जॉन डाल्टन से बहुत पहले इन्होंने सूक्ष्म कणों के राज पर से पर्दा उठाया था।
उन्होंने सबसे पहले विश्व को बताया की सिर्फ ठोस ही नहीं द्रव्य के भी परमाणु होते हैं। उनके अनुसार इस चरा-चरा जगत में जो कुछ भी दृष्टिगोचर होता है। उनके सबके पीछे परमाणु की विभिनता ही जिम्मेदार है।
महर्षि कनाद को था परमाणु का ज्ञान
परमाणु सिद्धांत के प्रतिपादक भारत के इस प्राचीन ऋषि कणाद को पता था परमाणु का नाश नहीं किया जा सकता। महर्षि कणाद का सिद्धांत से पता चलता है की उन्हें इस बात का ज्ञान था की अगर किसी पदार्थ को बार-बार दुकड़े किये जाय। तब एक बक्त ऐसा आता है जब उसे उसके आगे विभाजित नहीं किया जा सकता।
उसी अत्यंत ही सूक्ष्म कण को परमाणु कहा गया। अर्थात वह अत्यंत सूक्ष्म कण जिसका और आगे टुकड़े नहीं किये जा सकते। कणाद ऋषि का मानना था की परमाणु के अनेकों रूप हो सकते हैं।
उनके अनुसार अलग-अलग पदार्थ जैसे जल, हवा, अग्नि, मिट्टी और पत्थर के परमाणु एक समान नहीं हो सकते। इन्होंने बताया कि खास परिस्थितियों में अलग-अलग पदार्थों के परमाणु एक दूसरे से जुड़ सकते हैं।
उन्होंने आज से हजारों साल पहले ही दुनियाँ के सामने यह उजागर किया थी की द्रव्य के भी परमाणु होते हैं। सर्वप्रथम परमाणु के राज के बारे में दुनियाँ को अवगत कराने के कारण उन्हें परमाणु का जनक कहा जा सकता है।
कणाद ऋषि की रचना (Maharshi Kanada Contribution)
कणाद ऋषि ने परमाणु के रासायनिक परिवर्तन के बारें में भी अपना विचार प्रकट करते हुए बताया कि किसी पदार्थ के परमाणु को गर्म करने से उस पदार्थ के परमाणुओं के गुण में परिवर्तन आ जाता है।
उन्होंने वैशेषिका दर्शन नामक पुस्तक की भी रचना की। उन्हें परमाणु संरचना पर प्रकाश डालने वाले प्राचीन दार्शनिक और वैज्ञानिक कहा जा सकता है।
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महर्षि कनाद का निधन (Maharshi kanada death)
महर्षि कनाद के निधन (Maharshi kanada death) के बारे में कोई निश्चित समय व स्थान ज्ञात नहीं है। हजारों साल बीत जाने के बाद भी भारत के इस महान दार्शनिक को भुलाया नहीं जा सकता।
उन्हें आदिकाल के ऋषियों में अत्यंत ही अग्रणी माना जाता है। भारत के इस प्राचीन वैज्ञानिक कणाद ने आज से हजारों साल पहले बताया था कि पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों से मिलकर बना है।
इस कारण उन्हें परमाणु सिद्धांत के प्रणेता के रूप में याद किया जाता है।
महर्षि कणाद ने किसकी खोज की?
महर्षि कनाद को कई बातों का पहले ही ज्ञान था। आइये उनके खोज के बारें में जानते हैं
- महर्षि कणाद परमाणु सिद्धांत के जनक थे – कणाद को परमाणु के संबंध में अहम ज्ञान था। उनके इस सिद्धांत को आगे चलकर आधुनिक युग के अणु विज्ञानी जॉनडाल्टन ने भी स्वीकारा।
- गति के नियम – कहते हैं की कणाद को गति के नियम के बारे में भी न्यूटन से पहले ही ज्ञान था।
- गुरुद्वाकर्षण सिद्धांत के जनक – यह भी माना जाता है की कणाद को गुरुद्वाकर्षण सिद्धांत के बारें में ज्ञान न्यूटन से भी पहले प्राप्त था। जिसके बारे में उन्होंने शक्ति और गति के बीच संबंध का वर्णन करने वाले अपने वैशेषिक सूत्र में लिखा था।
- परमाणु बम – दुनियाँ का सबसे घातक हथियार परमाणु बम के बारें में भी महर्षि कनाद को पता है। लेकिन महर्षि कनाद ने आज से हजारों साल पहले ही परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया था।
- महर्षि कणाद का सिद्धांत – उन्होंने पहले ही बतलाया था की किसी भी पढ़ार्थ का एक सीमा तक ही बिभाजित किया जा सकता है। उसी अंतिम कण का नाम उन्होंने अणु रखा था।
ऋषि कणाद के बारे Maharshi Kanad in Hindi
महर्षि कणाद कौन थे ?
विद्वानों के अनुसार महर्षि कणाद भारत के एक प्राचीन ऋषि थे। उन्हें आज से हजारों साल पूर्व पदार्थ के सूक्ष्म कण अर्थात् परमाणु तत्व का ज्ञान था। इसलिए इनका नाम “कणाद” पड़ा ।
परमाणु सिद्धांत के प्रतिपादक कौन थे?
जॉन डाल्टन को परमाणु सिद्धांत के प्रतिपादक कहा जाता है। डाल्टन के पदार्थ की रचना सम्बन्धी सिद्धान्त ‘डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त’ के नाम से प्रसिद्ध है।
महर्षि कणाद ने परमाणु की जानकारी कब दी थी ?
कहा जाता है महर्षि कनाद में परमाणु की संकल्पना की जानकारी आज से हजारों साल पूर्व दे दी थी। उसी सिद्धांत को बाद में डाल्टन ने प्रतिपादित कर दुनियाँ को बताया।