पी. माहेश्वरी (P. MAHESHWARI) भारत के प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक( Indian botanist) थे। भारतीय पादप भ्रूणविज्ञान के जनक (Father of Indian Plant Embryology) पी. माहेश्वरी का पूरा नाम पंचानन माहेश्वरी था।
उन्हें प्रमुखतः एंजियोस्पर्मों के टेस्ट-ट्यूब निषेचन की तकनीक को विकसित करने के लिए जाना जाता है। उनके इस आविष्कार से नए संकर पौधों के विकास में मदद मिली जीसे पहले स्वाभाविक रूप से क्रॉसब्रेड नहीं किया जा सकता था।
उनका सबसे प्रिय विषय वनस्पति विज्ञान रहा और उनका सबसे महत्वपूर्ण खोज थी परखनली में बीजों की उत्पत्ति। उन्होंने अपने प्रयोग के द्वारा सिद्ध किया की परखनली के अंदर पोषक पदार्थ की मौजूदगी में परागकण और बीजाणु के संयोग से बीजाणु को गर्भित किया जा सकता है।
विज्ञान का हर छात्र पी.माहेश्वरी के नाम से अवगत होंगे। प्रयागराज विश्वविध्यालय में एक प्रतिभावान छात्र के रूप में उनका बड़ा नाम था। उन्होंने जीवन के प्रारंभ अर्थात छात्र जीवन में ही अहम उपलब्धियां प्राप्त कर ली थी।
तो चलिये हैं पंचानन माहेश्वरी की जीवनी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पंचानन माहेश्वरी की जीवनी – Panchanan Maheshwari Biography In Hindi
महान वनस्पति वैज्ञानिक पंचानन महेश्वरी का जन्म 9 नवम्बर 1904 को राजस्थान के पिंक सिटी के नाम से प्रसिद्ध जयपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम विजयपाल था जो पेशे से एक क्लर्क थे।
यदपि घर की हालत उतनी अच्छी नहीं थी। फिर भी पंचानन महेश्वरी साहब के पिता चाहते थे कि इनकी शिक्षा-दीक्षा में किसी प्रकार की कमी न हो।
विवाह
वनस्पति वैज्ञानिक पंचानन महेश्वरी का विवाह सन 1923 ईस्वी में सम्पन्न हुआ। महेशरी जी के पत्नी का नाम शांति थी। उनके तीन पुत्र और तीन पुत्रियाँ थी।
शिक्षा दीक्षा
उनकी प्रारम्भिक शिक्षा जयपुर में ही सम्पन्न हुई। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उनका नामांकन प्रयागराज के इविंग क्रिश्चयन कॉलेज इलाहाबाद में हुई। इस कॉलेज से इन्होंने बी. एस. सी की परीक्षा उत्तीर्ण की।
तत्पश्चात वे प्रयागराज विश्वविध्यालय से M.Sc की डिग्री प्राप्त की।
प्रो विनफील्ड डडगन से मुलाकात
M.Sc के दौरान उनका संपर्क इंडियन बोटोनिकल सोसाइटी के संस्थापक प्रो विनफील्ड डडगन से हुआ। एक छात्र के रूप में पंचानन महेश्वरी प्रो विनफील्ड डडगन से बहुत प्रभावित हुए। प्रो विनफील्ड डडगन ने भी महेश्वरी साहब के प्रतिभा को पहचान लिया।
M.Sc की परीक्षा पास करने के बाद पंचानन ने डुडगन के नेतृत्व में अपना अनुसंधान शुरू किया। इस प्रकार पंचानन महेश्वरी, प्रोफेसर डडगन के नेतृत्व में 1927 से 1930 ईस्वी तक शोध किया।
इन्हीं के मार्गदर्शन में इन्होंने एन्जियोस्पर्म पर रिसर्च करते हुए सन् 1931 ईस्वी में डी.एस-सी. की उपाधि प्राप्त की। इस दौरान उनके अनुसंधान की विषय शरीर रचना, भुरण विज्ञान और आकृति विज्ञान रहा।
प्रोफेसर डडगन से दोस्ती
कहते हैं की पढ़ाई के दौरान पंचानन महेश्वरी और प्रोफेसर डडगन की दोस्ती प्रगाढ़ होती गई। उन्होंने पंचानन को वनस्पति विज्ञान के प्रति रुचि जागृत की। धीरे-धीरे उनका संबंध एक गुरु शिष्य से भी ऊपर उठकर पिता और पुत्र की तरह हो गया।
प्रोफेसर डडगन, महेशरी को पुत्र की तरह चाहते थे। कहते हैं की जब महेशरी साहब ने डी एस सी की डिग्री हासिल की तब उन्होंने इस डिग्री को अपने गुर प्रोफेसर डडगन के चरणों में रख दिया था।
उन्होंने अपने गुरु को गुरु दक्षिणा का प्रस्ताव दिया। तब प्रोफेसर डडगन बोलो महेशरी, तुम मेरे पुत्र के समान हो। मेरे लिए गुरु दक्षिणा यही होगी की जिस तरह मैंने तुम्हारे प्रति व्यवहार रखा ठीक उसी तरह तुम भी अपने विधार्थी के साथ पेश आयोगे।
यहीं मेरे लिए तुम्हारे तरफ से गुरु दक्षिणा होगी। आज तुम्हें देखकर मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है की मेरे मार्गदर्शन में तुमने इस मुकाम को हासिल किया। अब तुम मेरे सपनों के मशाल को आगे ले जाने के लिए तैयार हो।
करियर
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद माहेश्वरी साहब की नियुक्ति आगरा कॉलेज में एक लेकचरर के रूप में हुई। बाद में उन्हें प्रोफेसर बनाया गया। कुछ दिन उन्होंने इविंग क्रिश्चयन कॉलेज, प्रयागराज तथा लखनऊ विश्वविध्यालय में भी अपनी सेवाएं दी।
उसके बाद सन 1939 में वे ढाका चले गये जहाँ इनकी नियुक्ति रीडर के रूप में हुई। उसके बाद सन 1949 में वे दिल्ली विश्वविध्यालय के वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष बनाये गये। यहीं पर वे जीवन-प्रयत्न वनस्पति विज्ञान की सेवा करते रहे।
उन्होंने अपने गुरु प्रोफेसर डडगन को दिया गया बचन निभाया। वे आगरा, ढाका, लखनऊ और दिल्ली जहाँ भी रहे अपने विद्यार्थियों के साथ हमेशा अच्छा व्यवहार रखते थे।
डॉ पंचानन माहेश्वरी का वनस्पति विज्ञान में योगदान
डॉ पी. माहेश्वरी का वनस्पति विज्ञान में अहम योगदान माना जाता है. पादप क्रिया और भ्रूण विज्ञान के संयोग से उहोने वनस्पति विज्ञान की एक नई शाखा विकसित की।
टिशू कल्चर लैब की स्थापना और टेस्ट ट्यूब कल्चर पर अहम शोध के कारण लंदन की रॉयल सोसाइटी ने इन्हें एफ आर एस की उपाधि से सम्मानित किया। इस प्रकार टेस्ट ट्यूब शिशु के जन्म का आधार प्रस्तुत करने वाले शायद पहले वैज्ञानिक बने।
अंतर्राष्ट्रीय पादप आकृति विज्ञान संध की स्थापना में महेशरी जी का उल्लेखनीय योगदान माना जाता है। आगे चलकर उन्होंने सन् 1951 ईस्वी में प्लांट मोरफोलाजिस्ट नामक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना की।
सम्मान व पुरस्कार
सन् 1965 ईस्वी में वनस्पति विज्ञान के पिता (vanaspati vigyan ke pita) डॉ पी. माहेश्वरी को लंदन की रॉयल सोसाइटी द्वारा अपना सदस्य(फैलो) नियुक्त किया गया। इन्हें 1959 में भारतीय वनस्पति संध द्वारा बीरबल साहनी पदक प्रदान किया गया। इसके अलाबा
भारतीय विज्ञान संस्थान द्वारा सुन्दर लाल होरा मैमोरियल पदक से सम्मानित किया गया। वे सन 1951 में भारतीय वनस्पति संध के अध्यक्ष बनाये गये। इसके अलाबा वे अंतर्राष्ट्रीय वनस्पति कांग्रेस स्टॉकहोम के उपाध्यक्ष भी रहे।
महेशरी जी द्वारा लिखित पुस्तक
महान वनस्पति विज्ञानी महेशरी जी की प्रिय विषय वनस्पतिशास्त्र का आकृति विज्ञान और भुरण विज्ञान था। उन्होंने अपने अनुसंधान को लिपिबद्ध किया। उनका 200 से ज्यादा अनुसंधान विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकासित हुआ।
उन्होंने एंब्रीयोलोजी ऑफ एंजियोस्पमर्स और नीटम नामक पुस्तक की रचना की। अपने जीवन के अंतिम दिनों में वे मॉफोंलॉजि ऑफ जिमनोस्पमर्स नामका पुस्तक की रचना कर रहे थे।
माहेश्वरी का निधन
पी. माहेश्वरी का निधन 18 मई सन् 1966 को दिल्ली में मस्तिसक शोध के कारण हो गया। जीवन-प्रयत्न वे फाइटोमोरकोलाजी की शोध पत्रिका का सम्पादक बने रहे। वनस्पति विज्ञान में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
F.A.Q
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पंचानन माहेश्वरी के परिवार में कौन-कौन थे ? (panchanan maheshwari family)
उनके पत्नी का नाम शांति थी। पी. माहेश्वरी को तीन पुत्र और तीन पुत्रियाँ थी।
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भारतीय पादप भ्रूणविज्ञान के जनक किसे कहा जाता है ?(father of indian embryology )
महान वनस्पति वैज्ञानिक पी. माहेश्वरी को भारतीय पादप भ्रूणविज्ञान के जनक कहा जाता है।
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पी. माहेश्वरी का पूरा नाम क्या था ?
भारतीय पादप भ्रूणविज्ञान के जनक पी. माहेश्वरी का पूरा नाम पंचानन माहेश्वरी था।
आपको पंचानन माहेश्वरी की जीवनी ( Panchanan Maheshwari Biography In Hindi ) जरूर अच्छी लगी होगी। अपने सुझाव से अवगत करायें।
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