Table of Contents
- चंपानेर पावागढ़ का इतिहास – Pavagadh History in Hindi
- पावागढ़ का इतिहास – Pavagadh History in Hindi
- चंपानेर पावागढ़ का इतिहास – Pavagadh ka itihas hindi mein
- पावागढ़ महाकाली का इतिहास – Mahakali Mataji Mandir Pavagadh in hindi
- पावागढ़ का प्राचीन इतिहास
- पावागढ़ शक्तिपीठ का इतिहास – Pavagadh mandir history in hindi
- पावागढ़ मंदिर का रहस्य
- पावागढ़ का गरबा से जुड़ी कहानी
- पावागढ़ का इतिहास और महत्व
- पावागढ़ दरगाह
- पावागढ़ का इतिहास और इससे जुड़ी रोचक बातें
- पावागढ़ कैसे पहुंचे – How to reach Pavagadh in Hindi
चंपानेर पावागढ़ का इतिहास – Pavagadh History in Hindi
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हिन्दू समुदाय के लिए यह बड़ा ही धार्मिक स्थल है। पर्यटन के दृष्टि से पावागढ़ गुजरात में बेहद खास स्थान बेहद रखता है। पर्यटकों के घूमने के लिए सबसे खूबसूरत स्थल पावागढ़ को गुजरात का हिल स्टेशन भी कहा जाता है।
गुजरात के पंचमहल जिले में सुंदर पहाड़ी पर स्थित पावागढ़ हिन्दी धर्म के पवित्र शक्तिपीठों में से एक है। पावागढ़ के इस रमणीक और दर्शनीय स्थल को देखने लाखों लोग प्रतिवर्ष आते हैं।
सुंदर झीलों और चारों ओर मनोरम पहाड़ी से घिरा यह स्थल बड़ा ही मनोरम दिखता है।
पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में स्थित पावागढ़ की दूरी वडोदरा से करीब 46 कि मी, अहमदाबाद से 15 किमि दक्षिण स्थित है।
यहाँ स्थित काली मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त माँ काली का दर्शन कर अपने मनोकामना पूर्ति की कामना करते हैं। गुजरात के इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व विरासत की सूची में सम्मिलित किया है।
गुजरात की प्रसिद्ध पर्यटक स्थल पावागढ़ पर्वत की ऊंचाई पर बसा यह शक्तिपीठ सबसे जाग्रत शक्तिपीठ माना जाता है।यह स्थल ऋषि विश्वामित्र की तपोस्थली भी रही है जिन्होंने यहाँ माँ काली की मूर्ति की स्थापना किए थे।
साथ ही इस स्थल का संबंध महान संगीतकार तानसेन के समकालीन बैजु बावरा से भी जुड़ा हुआ है। बैजु बावरा का जन्म यहीं पर हुआ था। अगर आप पावागढ़ के बारें में विस्तार से जानना चाहते हैं तो यह लेख आपको जरूर पढ़ना चाहिये।
पावागढ़ का इतिहास – Pavagadh History in Hindi
कहा जाता है भगवान शिव के द्वारा तांडव के दौरान सती के अंग गिरने से ही इस स्थल का नाम पावागढ़ पड़ा। पावागढ़ के नाम के पीछे दूसरी मान्यता है भी है। पावागढ़ का होता है जहाँ पवन का वास हो।
इस दुर्गम पर्वत पर चढ़ाई करना बेहद मुश्किल काम था। क्योंकि चारों तरफ खाइयों से घिरे होने के कारण यहाँ हवा का वेग अत्यंत ही तीव्र और चौतरफा था। इसलिए इसे पावागढ़ नाम पड़ा।
पावागढ़ का प्राचीन इतिहास की बात की जाय तो इस स्थल से कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है। पावागढ़ का इतिहास (Pavagadh History in hindi ) अति प्राचीन माना जाता है। गुजरात का पावागढ़ एक अति प्राचीन धार्मिक स्थल है।
एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में पावागढ़ का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है। इस स्थल की अस्तित्व त्रेता और द्वापर युग के समय में माना जाता है।
इस स्थान के बारें में मान्यता है की यहाँ माँ सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। इस प्रकार यह हिन्दू समुदाय के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है।
यही कारण है की यह स्थल हिन्दू धर्म के लिए बेहद ही पूजनीय और पवित्र माना जाता है। इस पवित्र स्थल का प्रतिवर्ष लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। इसके साथ ही पावागढ़ महाकाली मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है।
चंपानेर पावागढ़ का इतिहास – Pavagadh ka itihas hindi mein
चांपानेर को प्राचीन काल में गुजरात की राजधानी भी माना जाता है। चम्पानेर पावागढ़ पर्वत की तराई में अवस्थित था। अभी भी यहाँ प्राचीन मंदिर, मस्जिद और दीवारें इस बात का प्रमाण है।
कहा जाता है प्राचीन नगर चंपानेर को बसाने का श्रेय महाराज वनराजा चावड़ा को दिया जाता है। उन्होंने अपने प्रिय मंत्री चम्पा के नाम पर इस नगर की स्थापना 746 ईस्वी के दौरन किया और इसका चांपानेर रखा था।
पावागढ़ का जिक्र जैन धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। जैन धर्म में भी इसका उल्लेख चांपानेर के नाम से मिलता है। पावागढ़ के पर्वत शिखर पर माँ काली का प्राचीन भव्य मंदिर बिराजमान है।
पावागढ़ महाकाली का इतिहास – Mahakali Mataji Mandir Pavagadh in hindi
पावागढ़ वाली माता का मंदिर गुजरात की प्राचीन राजधानी चांपानेर के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। पावागढ़ का प्रसिद्ध महाकाली मंदिर (Kalika Mata Temple Pavagadh) मां काली की आराधना के लिए प्रसिद्ध माना जाता है।
माँ काली को देवी दुर्गा का ही रौद्र रूप माना जाता है। महाकाली मंदिर पावागढ़ का इतिहास से कई कहानी जुड़ी हैं। पावागढ़ में माँ काली की दक्षिणमुखी मंदिर 1525 फीट उंची पहाड़ी पर स्थित है।
यहाँ नवरात्र और खास अवसर पर विशेष तांत्रिक पूजा सम्पन्न की जाती है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों लोग देवी काली की पूजा अर्चना हेतु आते हैं।
पावागढ़ का प्रसिद्ध महाकाली मंदिर
कहा जाता है की इस मंदिर में पूजा अर्चना से लोगों की मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति होती है। भारत के महान संत और युग पुरुष स्वामी विवेकानंद भी माता काली की उपासना के लिए जाने जाते हैं।
पर्वत शिखर की ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक पहुँचने के लिए रोपवे और सीढ़ियाँ बनी हुई है। करीब 250 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माँ काली मंदिर तक दर्शनार्थी पहुंचते हैं।
कालिका माता मंदिर का इतिहास – Kalika Mata Temple History
कालिका माता का मंदिर (Kalika Mata Temple Pavagadh) भारत के गुजरात के पंचमहल जिले स्थित एक पहाड़ी की चोटी पर बना है। इतिहासकारों के अनुसार इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था।
लेकिन इस मंदिर शिखर को 15 वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारी सुल्तान महमूद बेगडा ने ध्वस्त कर दिया था। जिसे बाद में पुनर्निर्माण किया गया।
पावागढ़ का प्राचीन इतिहास
पावागढ़ वाली माता का मंदिर में मान्यता है की इस स्थल पर जगतजननी माता सती के दक्षिण पैर का अङुठा गिरा था। इस कारण इस स्थल का नाम पावागढ पड़ा।
इसके अलावा इस पहाड़ी को प्राचीन ऋषि विश्वामित्र से भी जोड़कर देखा जाता है। ऐसी मान्यता है की महर्षि विश्वामित्र ने यहाँ माता काली की कठोर तपस्या की थी।
पावागढ़ शक्तिपीठ का इतिहास – Pavagadh mandir history in hindi
पावागढ़ स्थित काली माता मंदिर की गिनती एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल में होती है। पावागढ़ गढ़ का प्राचीन इतिहास और धार्मिक कथाओं से पता चलता है की इस स्थल का संबंध शक्तिपीठों से है।
पावागढ़ शक्तिपीठ (pavagadh temple history in hindi) से ज्ञात होता है की यह स्थान 52 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के अनुसार शक्तिपीठ वह जगह होता है।
इस स्थान पर माता सती के अंग गिरे थे। हिन्दू धार्मिक ग्रंथ में वर्णित कथा के अनुसार माता सती ने पिता दक्ष द्वारा अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं की।
फलतः उन्होंने गुस्से में अग्नि कुंड में कूदकर जान दे दी। तब भगवान शंकर अत्यंत क्रोधित होकर सती के अधजले शरीर को लेकर तांडव करने लगे। इससे पूरे संसार में हाहाकार सा मच गया। धरती पर उथल पुथल होने लगी।
धरती की प्राणियों की रक्षा के लिए विष्णु भगवान ने अपना सुदर्शन चला दिया, जिससे सती के शरीर के कई टुकड़े हो गए। उनके शरीर के अंग जहाँ-जहाँ गिरे वहीं शक्तिपीठ बन गए।
मान्यता है की पावागढ़ में माँ सती के दाहिने पैर की अंगुली गिरे थे। इस कारण से यह प्रमुख शक्तिपीठ बन गया।
पावागढ़ मंदिर का रहस्य
गुजरात के पावागढ़ का मंदिर रहस्यों से भरा है। 52 शक्तिपीठों में से एक गुजरात के पावागढ़ पर्वत पर स्थित मां कालिका का शक्तिपीठ की गिनती सबसे जाग्रत शक्तिपीठों में की जाती है।
मान्यता के अनुसार इस पर्वत पर माँ सती के दाहिने पैर की अंगुलियां गिरी थी।
पावागढ़ का गरबा से जुड़ी कहानी
जैसा की हम जानते हैं की वडोदरा से करीब 46 किमी दूर पावागढ़ एक पहाड़ पर स्थित है। जहाँ एक उच्च चोटी पर माता काली का मंदिर विराजमान हैं।
धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस स्थल को ‘रावल वंश के शासक से भी जुड़ा है। इस स्थान पर कभी रावल वंश के राजा राज्य करते थे।
पावागढ़ की कहानी (pavagadh story in hindi)
लोक कथाओं के अनुसार एक बार नवरात्र उत्सव के दौरान गरबा में माँ काली एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर शामिल हो गई।
वहाँ के राजा ने गरबा करते हुए उस सुंदर स्त्री के ऊपर कुदृष्टि डाली। परिणाम स्वरूप माँ ने उन्हें शाप दे दिया। जिसके कारण उसका राज्य छिन्न भिन्न हो गया।
पावागढ़ का इतिहास और महत्व
गुजरात का पावागढ़ अपने पौराणिक और धार्मिक महत्त्व के कारण एक अलग स्थान रखता है। त्रेता युग में भी इस मंदिर का आस्तित्व माना जाता है। कहते हैं की उस समय में इसको शत्रुंजय मंदिर’ से नाम से जाना जाता था।
कहते हैं की पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित प्राचीन प्रसिद्ध काली मंदिर की मूर्ति की स्थापना प्रसिद्ध ऋषि विश्वामित्र ने किया था। मान्यता है की ऋषि विश्वामित्र के नाम पर भी यहाँ बहने वली नदी को विश्वामित्री के नाम से जाना जाता है।
कहते हैं की इस स्थल पर लव और कुश के अलावा अनेकों बौद्ध भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया।
पावागढ़ दरगाह
पावागढ़ में काली मंदिर के पास ही एक दरगाह है जो मुस्लिमों का पवित्र स्थल माना जाता है। कहते हैं की यह दरगाह अदानशाह पीर की है। इस प्रकार पावागढ़ हिन्दू और मुस्लिम दोनों संप्रदाय के लिए बेहद खास है।
पावागढ़ का इतिहास और इससे जुड़ी रोचक बातें
- पावागढ़ गुजरात का एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है।
- पावागढ़ पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में से एक हैं।
- पावागढ़ की पहाड़ी पर माँ काली का प्राचीन मंदिर स्थित है।
- यहाँ पर प्राचीन ऋषि विश्वामित्र ने माता काली की कठोर तपस्या की थी।
- पावागढ़ की ऊंचाई समुंद तल से करीब 762 मीटर है।
- इस शक्तिपीठ तक पहुँचने के लिए रोपवे और सीडियाँ दोनों सुविधा उपलबद्ध है।
- यहाँ प्रतिवर्ष माध महीने के शुक्ल पक्ष त्रियोदशी को भव्य मेला का आयोजन होता है।
- कहा जाता है की यहाँ लव और कुश ने मोक्ष की प्राप्ति की थी।
- पावागढ़ जैन संप्रदाय के लिए भी काफी महत्व रखता है।
- पावागढ़ के गोद में बसा चंपानेर नगर को प्राचीन गुजरात की राजधानी माना जाता है।
- इस स्थल को विश्व प्रसिद्ध संस्था यूनेस्को ने सं 2004 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।
- करीब 500 साल बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर पर फहराया ध्वज।
पावागढ़ कैसे पहुंचे – How to reach Pavagadh in Hindi
यह प्रसिद्ध मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। मंदिर तक पैदल चढ़ाई कर पहुचा जा सकता है। वर्तमान में दर्शनार्थी के लिए मंदिर तक पहुंचने के लिए रोप-वे की सुविधा भी उपलब्ध है। उसके बाद मात्र करीब 250 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माँ काली मंदिर पहुचा जाता है।
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प्रश्न – पावागढ़ का नाम पावागढ़ क्यों पड़ा?
उत्तर – एक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के द्वारा तांडव नृत्य के दौरान माँ सती के पॉव के अंग यहाँ गिरने से ही इसका नाम पावागढ़ पड़ा। दूसरा पावागढ़ का अर्थ होता होता है जहाँ पवन का वास गढ़ हो। यह स्थान चारों तरफ गहरी खाइयों से घिरे होने के कारण हवा का वेग अत्यंत ही तीव्र और चौतरफा होने के कारण ही इसका नाम पावागढ़ पड़ा।
प्रश्न- पावागढ़ मंदिर तक जाने के लिए कितनी सीढ़ियां हैं?
उत्तर – पावागढ़ मंदिर पर पहुचने के लिए चढ़ाई की शुरुआत प्राचीन गुजरात की राजधानी चंपानेर से आरंभ होती है। चंपानेर से करीब 1500 फुट की ऊंचाई पर ‘माची हवेली’ नामक स्थान है। यहाँ से पैदल करीब 250 सीढ़ियाँ चढ़कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
पावागढ़ की ऊंचाई कितनी है?
पावागढ़ की ऊंचाई 762 मीटर के करीब है।
पावागढ़ में माता जी का कौन सा अंग गिरा था?
कहा जाता है की यहाँ सती के पैर के अंग गिरे थे, इस कारण से इस स्थल का नाम पावागढ़ पड़ा।
प्रश्न – इंदौर से पावागढ़ कितने किलोमीटर है? उत्तर – 341 किलोमीटर के करीव है।
प्रश्न – उज्जैन से पावागढ़ कितना किलोमीटर है? उत्तर – उज्जैन से पावागढ़ की दूरी करीब 305 किलोमीटर है।
प्रश्न – बांसवाड़ा से पावागढ़ कितना किलोमीटर है
उत्तर – बांसवाड़ा से पावागढ़ 180 किलोमीटर है।
आपको चंपानेर पावागढ़ का इतिहास ( Pavagadh History in Hindi ) जरूर अच्छा लगा होगा, अपने कमेंट्स से अवगत कराएं।
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