उत्तराखंड का इतिहास की जानकारी – Uttarakhand ka itihas in hindi
उत्तराखंड का इतिहास की बात करें तो इस क्षेत्र का इतिहास वैदिककालीन है। हिमालय की तराई में बसा उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है। यहाँ के खूबसूरत पहाड़, घाटियां, इस स्थल को और भी मनोरम बनाती है।
यह प्रदेश पर्यटन के दृष्टि के साथ-साथ अध्यातम की दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस राज्य की जितनी तारीफ की जाय कम हैं। उत्तराखंड की खूबसूरती को शब्दों की सीमा में नहीं बांधा जा सकता।
यहाँ बहने वाली गंगा और यमुना करोड़ों भारतीय के आस्था का प्रतीक है। इस लेख में उत्तराखंड का इतिहास (Uttarakhand ka itihas in hindi ) का संक्षेप में वर्णन करने की कोसिश की गई है।
उत्तराखंड में पर्यटन की संभावनाओं का और भी तेजी से विकास हुआ है। राज्य और केंद्र सरकार दोनों मिलकर यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है।
उत्तराखंड का इतिहास इन इंदी – Uttarakhand history in Hindi
उत्तराखंड का इतिहास अति पौराणिक माना जाता है। इस भूमि पर देवताओं ने जनकल्याण हेतु अवतरित लिए। आईए इस लेख में उत्तराखंड का इतिहास को संक्षेप में जानने की कोसिस करते हैं।
उत्तराखंड का प्राचीन इतिहास – Uttarakhand ka prachin itihas
इतिहासकार मानते है की यह प्रदेश हूण, शक, नाग, खस आदि जातियाँ का निवास स्थल रहा है।
इस प्रदेश के गुफाओं में अंकित भीती चित्र, इनके कुछ स्थलों पर हुई खुदाई से प्राप्त हजारों साल पुरानी नर कंकाल, मिट्टी के बर्तन, धातुओं के टुकड़े प्रागैतिहासिक काल की तरफ इशारा करती है।
उत्तराखंड का आध्यात्मिक इतिहास
इस प्रदेश का इतिहास वैदिक कालीन माना जाता है। वैदिक संस्कृति के अनेकों प्रसिद्ध तीर्थस्थल इस बात का सबूत है। यहाँ के कुछ मंदिरों को महाभारत काल के माने जाते हैं। सदियों से यह भू-भाग ऋषियों और तपस्वियों की तपन स्थली रही।
यह सिर्फ साधु-महात्मा की तोपभूमि ही नहीं वल्की देवताओं की भी प्रिय भूमि रही है। इस कारण इस प्रदेश को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं की उत्तराखंड के त्रियुगी-नारायण नामक स्थान पर ही भगवान शंकर ने सती पार्वती से शादी किया।
सदियाँ से ही यह स्थल हिन्दू धर्म के तीर्थ स्थल केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के लिए प्रसिद्ध है। माना जाता है की उत्तराखंड के पौड़ी जिले के
मन्सार नामक स्थल पर ही माता सीता धरती में समाई थी। यह भी माना जाता है की इसी स्थल पर भगवान शंकर ने देवता को असुरों के हाथों युद्ध में परास्त होते देख भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था।
उत्तराखंड धरती ही सती अनसूया की जिन्होंने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को अपने यहाँ बालक के रूप में अवतरण के लिए मजवूर कर दिया था।
पौराणिक ग्रंथों में उत्तरांचल का कुमायूं, मानसखंड के नाम से जाना जाता था। हिन्दी धर्म ग्रंथों के अनुसार उत्तरी हिमालय का क्षेत्र सिद्ध गन्धर्व, यक्ष, किन्नर की धरती और यहाँ के राजा कुबेर का वर्णन मिलता है।
कुबेर की राजधानी के रूप में बद्रीनाथ से ऊपर अलकापुरी नामक स्थल का वर्णन मिलता है।
उत्तराखंड का मध्यकालीन इतिहास – history of uttrakhand in hindi
मध्य काल में इस प्रदेश पर चंद्र वंशी राज्याओं ने शासन किया। इतिहासिक तथ्यों से ज्ञात होता है की इस प्रदेश का केदार खंड कई छोटे -छोटे राज्यों(किलों) में विभक्त था।
सन 1790 ईस्वी में नेपाल के गोरखाओं ने चढ़ाई कर अपने अधीन कर लिया। आगे चलकर ब्रिटिश सरकार ने इस प्रदेश के भू भाग को नेपाली गोरखा सेना हो हराकर अपने अधिकार ने ले लिया।
उत्तराखंड राज्य गठन का इतिहास
उत्तराखंड का इतिहास की आजादी के बाद की बात की जाय तो यह भू-भाग भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अहम हिस्सा था। लेकिन इस भू-भाग के लोग अलग राज्य की मांग के लिए समय-समय आंदोलन करते रहे।
फलतः उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के तहद उत्तर प्रदेश से अलग एक नए राज्य की स्वीकृति प्रदान की गई। देहरादून, कुमायूं, गढ़वाल, हरिद्वार के क्षेत्रों को मिलकर एक नया राज्य उतरांचल का गठन हुआ।
इस उत्तरांचल राज्य का बाद में नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। जिसकी चर्चा आगे की गई है।
उत्तराखंड का राजनैतिक इतिहास – history of Uttarakhand in Hindi
उत्तराखंड की स्थापना 9 नवंबर 2000 को भारत के 27 वें राज्य के रूप में हुई। जब सन 2000 ईस्वी में इस राज्य का गठन हुआ तब इसका नाम उतरांचल रखा गया।
राज्य के गठन के समय इस में 13 जिले 70 विधानसभा सीट और 5 लोक सभा सीटें थी। उत्तराखंड की स्थापना के साथ ही इसकी राजधानी देहरादून बनाई गई। लोगों का मांग है की चूंकि उत्तरांचल एक पहाड़ी राज्य है।
इस कारण इसकी राजधानी भी मैदानी क्षेत्र को छोड़कर पहाड़ी क्षेत्रों में ही बनाई गया। इस कारण से उत्तराखंड की प्रस्तावित नई राजधानी चमौली जिले का गैरसैंण नामक स्थान है। इस राज्य उच्च न्यायालय नैनीताल में स्थापित किया गया।
उत्तराखंड के नाम परिवर्तन का इतिहास
प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में भी इस क्षेत्र का उल्लेख उतराखंड के रूप में ही मिलता है। इस कारण से यहाँ के लोगों ने उत्तरांचल का आम परिवर्तित कर उत्तराखंड करने की मांग की।
लोगों के विरोध और जन भावना का सम्मान करते हुए सरकार ने 2007 में उत्तरांचल का नाम परिवर्तित कर उत्तराखंड करने का फैसला किया। फलतः इससे संबंधित विधेयक पारित किया गया।
इस प्रकार उत्तरांचल का नाम अपने गठन के मात्र 7 वर्षों के अंदर ही जनवरी 2007 में उत्तराखंड कर दिया गया। इस राज्य की सीमाएं तिब्बत, नेपाल, पश्चिम, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश को छूती है।
उत्तराखंड में कुल कितने हवाई अड्डे हैं?
वर्तमान में उत्तराखंड में कुल 5 हवाई अड्डे हैं, इसके नाम हैं।
1. देहरादून का जौलीग्रांट हवाई अड्डा,
2. उधम सिंह नगर स्थित पंतनगर हवाई अड्डा,
3. चमोली का गोचर हवाई अड्डा,
4. उत्तरकाशी का चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा,
5. पिथौरागढ़ स्थित नैनी सैनी हवाई अड्डा ।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(f.a.q)
उत्तराखंड का निर्माण कैसे हुआ?
इस क्षेत्र के वर्षों के आंदोलन के फलस्वरूप उत्तराखंड का सन 2000 मे एक अलग राज्य के रूप में निर्माण हुआ।
उत्तराखंड के अंतिम राजा कौन थे?
उत्तराखंड के अंतिम राजा कुमाऊं क्षेत्र के आनंद सिंह को माना जाता है।
उत्तराखंड की सीमा कितने राज्यों से लगती है?
उत्तराखंड की सीमा की बात करें तो इसकी सीमा दो राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तरप्रदेश से लगती है।
उत्तराखंड पहले क्या था?
उत्तराखंड का पहले नाम उत्तरांचल था, यह पहले उत्तरप्रदेश का एक अहम भाग था। सन 2000 में यह उत्तरप्रदेश से पृथक राज्य बना।
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