वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी | Biography of G Satheesh Reddy in Hindi

वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी | BIOGRAPHY OF G SATHEESH REDDY IN HINDI
वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी | BIOGRAPHY OF G SATHEESH REDDY IN HINDI

जी सतीश रेड्डी (G Satheesh Reddy ) भारत के प्रतिष्ठित एयरोस्पेस वैज्ञानिक हैं। जी सतीश रेड्डी का पूरा नाम गुंद्रा(Gundra ) सतीश रेड्डी है। सन 2018 में उन्हें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का चेयरमैन बनाया गया। वर्तमान में भारत सरकार में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार हैं।

उन्होंने हमेशा रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में स्वदेशी विकास पर वल दिया। डॉ जी सतीश रेड्डी को भारत में नेविगेशन, उन्नत एवियोनिक्स और मिसाइल प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास के लिए जाना जाता है।

वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी | BIOGRAPHY OF G SATHEESH REDDY IN HINDI
वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी | BIOGRAPHY OF G SATHEESH REDDY IN HINDI

डॉ रेड्डी ने अग्नि वी प्रोजेक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका अदा की थी। डॉ रेड्डी को रॉकेट मैन भी कहा जाता है। डॉ रेड्डी का नाम देश के अग्रणी एयरोस्पेस वैज्ञानिकों में लिया जाता है।

डॉ. रेड्डी को देश में प्रौद्योगिकी विकास, वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा देने और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अनेक सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें अंतरिक्ष में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2021 में आर्यभट्ट पुरस्कार प्रदान किया गया।

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डॉ जी रेड्डी का नौवहन और वैमानिकी प्रौद्योगिकी में भी उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। उनका चौथी पीढ़ी के हल्के लडाकू विमान तेजस का विकास में भी योगदान रहा है।

अनुसंधान केंद्र के निदेशक के रूप में उन्होंने रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई अहम रक्षा परियोजनाओं पर काम किया। आईए इस लेख में वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी और योगदान के बारें में संक्षेप में जानते हैं।

वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी – Biography of G Satheesh Reddy in Hindi

पूरा नाम गुंद्रा सतीश रेड्डी
जन्म तिथि 01 जुलाई 1963
जन्म स्थान महिमालुरू, आंध्रप्रदेश, भारत
पत्नी का नाम पद्मावती
भाई का नाम गुंद्रा श्रीनिवासुलु रेड्डी

जी सतीश रेड्डी का जन्म व प्रारंभिक जीवन

वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी का जन्म 01 जुलाई 1963 में आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिला अंतर्गत महिमालुरू नामक स्थान में हुआ था। गाँव के एक किसान परिवार में पैदा हुए जी सतीस रेड्डी ने अपने सतत मेहनत और लगन के बल पर सफलता की ऊंचाई को छुआ।

कहा जाता की उनकी आरंभिक शिक्षा से लेकर 10 वीं तक की पढ़ाई गाँव के ही सरकारी स्कूल से हुई। उन्होंने जवाहरलाल नेहरु प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अनन्तपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में B.Tech की डिग्री प्राप्त की।

आगे चलकर वे जवाहरलाल नेहरु प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हैदराबाद से MS और Ph.D की डिग्री हासिल की।

कैरियर

अपना पढ़ाई पूरी करने के बाद वे सन 1986 में रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL), हैदराबाद से जुड़ गए। एक युवा नेविगेशन वैज्ञानिक के रूप में सतत कार्य करते हुए आगे बढ़ते रहे।

इस दौरान उन्होंने संस्थान की कई महत्वपूर्ण नियुक्तियों की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला। उनके कार्यों को देखते हुए 2014 में उनकी पदोन्नती विशिष्ट वैज्ञानिक के रूप में हुई।

सन 2015 में भारत सरकार ने उन्हें रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और डीडीआर एंड डी का सचिव बनाया।

उपलब्धियां

सन 2018 में उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। भारत सरकार ने उन्हें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) का अध्यक्ष बनाया।

अगस्त 2018 में इनकी नियुक्त रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष के रूप में दो साल के लिए किया गया था।

लेकिन अगस्त 2020 में भारत सरकार ने इनके योगदान को देखते अगस्त 2022 तक के लिए इनके कार्यकाल को बढ़ा दिया। इस दौरान वे डीओडीआरडी के सचिव भी बने रहेंगे।

योगदान

डॉ जी सतीस रेड्डी को मिसाइल सिस्टम पर अनुसंधान और उन्हें विकसित करने के लिए भी जाना जाता है। उनका एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों और उद्योगों के विकास में सतत योगदान रहा है।

भारत में एवियनिक्स सिस्टम डॉ जी सतीश रेड्डी की मार्गदर्शन में ही तैयार किया गया था। डॉ रेड्डी के निर्देशन में भारत में पहला एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल मिशन शक्ति का परीक्षण सफल रहा।

इसके अलावा वे एयर डिफेन्स सिस्टम BVRAM अस्त्र, आकाश, दुनिया की सबसे लंबी दूरी की गन ATAGS, एंटी-रेडिएशन मिसाइल, स्मार्ट एयर फील्ड हथियार और स्मार्ट बम के विकास में शामिल रहे।

इसके अलावा  हाइपरसोनिक और क्वांटम तकनीकों के विकास में भी इनका योगदान रहा। आरसीआई(RCI) के डायरेक्टर के पद पर रहते हुए उन्होंने कई तकनीकी प्रणालियों के विकास में योगदान दिया।

उन्होंने मिसाइलों और सामरिक प्रणालियों के महानिदेशक के पद को भी सुशोभित किया।

इस पद पर रहते हुए इन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, जमीन से हवा, हवा से जमीन पर मार करने वाले, हवा से हवा में मार करने वाले और लम्बी दूरी की गाइडेड Bomb के लिए विभिन्न प्रकार की मिसाइलों के विकास में योगदान दिया।

अग्नि वी के विकास में अहम योगदान

डॉ जी सतीश रेड्डी का भारत प्रथम इंटरकॉनिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल मिशन अग्नि-वी के विकास में अहम योगदान दिया। वे ‘मिसाइल हब ऑफ इंडिया‘ के नाम से प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स को भी लीड कर रहें हैं।

उनके नेतृत्व में हवा में तैर रहे नए खतरे ड्रोन से निपटने के तकनीक पर काम चल रहा है। डीआरडीओ एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी जल्द ही सशस्त्र बलों को सौंपेंगी।

कोविड महामारी के लड़ाई में योगदान

वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी के मार्गदर्शन में डीआरडीओ की टीम ने कोरोना महामारी से लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। इस कोरोना काल में उनकी टीम ने रात दिन मेहनत की है।

उनके निर्देशन में कोविड से लड़ने हेतु करीव 50 प्रौद्योगिकियों का विकास और करीव 75 उत्पादों को 100 उद्योगों में स्थानांतरित किया गया है।

पुरस्कार व सम्मान

देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों द्वारा डॉ रेड्डी को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधियों प्रदान की गई। वे पिछले 100 वर्षों के दौरान पहले भारत वैज्ञानिक हैं जिन्हें रॉयल एरोनॉटिकल सोसायटी, लंदन द्वारा मानद फैलोशिप और सिल्वर मेडल प्रदान किया गया।

इसके अलावा रॉयल एयरोनॉटिकल सोसाइटी ने रक्षा क्षेत्र में उनके योगदान को स्वीकृति प्रादन की। उन्हें अमेरिका के प्रतिष्ठित संस्थान अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स द्वारा मिसाइल प्रणाली पुरस्कार प्रदान किया गया।

उन्हें इंजीनियरिंग में उत्कृष्टता के लिए IEI-IEEE (USA) पुरस्कार भी प्रदान किया गया। इसके अलावा इन्हें निम्नलिखित प्रमुख पुरस्कार प्रदान कीये गए।

  • वर्ष 2013 – होमी जे भाभा स्मृति स्वर्ण पदक भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएसन द्वारा
  • वर्ष 2013- मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया पुरस्कार
  • वर्ष 2015 – नेशनल सिस्टम्स गोल्ड मेडल
  • वर्ष 2015 – रॉयल एरोनॉटिकल सोसायटी (RAeS) द्वारा रजत पदक
  • वर्ष 2016 – नेशनल डिज़ाइन अवार्ड
  • वर्ष 2016 – नेशनल एरोनॉटिकल प्राइज़
  • वर्ष 2019 – AIAA मिसाइल सिस्टम अवार्ड
  • वर्ष 2021 – आर्यभट्ट पुरस्कार

वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी को आर्यभट्ट पुरस्कार

साथ ही 09 अक्टूबर 2021 को डॉ जी सतीश रेड्डी को एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) के द्वारा प्रतिष्ठित आर्यभट्ट पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उन्हें भारत में ऐस्ट्रनॉटिक्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया गया।

इन्हें भी पढ़ें –

F.A.Q

  1. डॉ जी सतीश रेड्डी कौन हैं?

    जी सतीश रेड्डी (G Satheesh Reddy ) भारत के प्रतिष्ठित एयरोस्पेस वैज्ञानिक हैं। वर्तमान में वे डीआरडीओ के अध्यक्ष हैं।

  2. डॉ जी सतीश रेड्डी को आर्यभट्ट पुरस्कार कब मिला?

    डॉ जी सतीश रेड्डी को 2021 में आर्यभट्ट पुरस्कार प्रदान किया गया।

  3. डॉ जी सतीश रेड्डी डीआरडीओ के अध्यक्ष कब बने?

    प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ जी सतीश रेड्डी को भारत सरकार ने 2018 में डीआरडीओ के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया।


पाठकगण आपको वैज्ञानिक जी सतीश रेड्डी की जीवनी (BIOGRAPHY OF G SATHEESH REDDY IN HINDI) जरूर अच्छी लगी होगी।


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