छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन परिचय, इतिहास, वीरता की कहानी
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वीर शिवाजी (Veer Shivaji Maharaj ) स्वतंत्र मराठा साम्राज्य के संस्थापक माने जाते हैं। जब भारत पर मुगलों का शासन था और भारत की जनता मुगलों के आतंक से आतंकित थी। छत्रपति शिवाजी का इतिहास अत्यंत ही गौरवपूर्ण रही है।
जब देश दासता की गहरी निंद्रा में डूबा हुआ था। तब वीर शिवाजी ने दासता और मुगलों के अत्याचार की विरुद्ध बगावत करके प्रसुप्त देशवासियों को गहरी नींद से जगाने का काम किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने प्रथम दुर्ग जिसका नाम तोरण दुर्ग था मात्र 19 वर्ष की आयु में जीता था।
शिवाजी महाराज के जन्म के समय भारत में घोर संकट का दौर चल रहा था। उस समय दिल्ली के गद्दी पर मुगल सम्राट औरंगजेब का शासन था। औरंगजेब की कट्टरता की छाया तले पूरे भारत में मुसलमानों की धार्मिक कट्टरता चरम सीमा पर थी।
हिन्दू समुदाय के ऊपर तरह-तरह के अत्याचार हो रहे थे। हिन्दू समुदाय के लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए विवश किया जा रहा था। चारों ओर भय का साम्राज्य छाया हुआ था। उस दौरान छत्रपती शिवाजी महाराज का प्रादुर्भाव हुआ। चलिये छत्रपती शिवाजी महाराज के बारे में विस्तार से जानते हैं।
वीर शिवाजी का जीवन परिचय – chhatrapati shivaji ka jivan parichay
शिवाजी का जन्म पुणे के पास शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवाजी का जन्म सन 1627 ईस्वी में शाहजी की धर्मपत्नी जीजाबाई की कोख से एक बालक का जन्म हुआ। जो आगे चलकर छत्रपती शिवाजी महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुए।
उनके पिता शाहजी बीजापुर के बादशाह के यहाँ उच्च पद पर थे। Veer Shivaji की जन्म के बाद उनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया। तत्पश्चात शिवाजी की माता जीजाबाई ने शिवनेरी दुर्ग छोड़कर पुणे में रहने लगी।
उनका लालन-पालन उनके संरक्षक दादा कोंडदेव तथा स्वामी रामदास के सनिध्य में हुआ। वीर शिवाजी के उच्च चरित्र निर्माण में उनकी माता जीजाबाई ने जी-जान लगा दी।
इस प्रकार बाल्यकाल से उनके अंदर शौर्य व उत्साह कूट-कूट कर भरा हुआ था। वे बचपन से ही मलयुद्ध, बरछे-भाले एवं धनुष-बान चलाने में महारथ हासिल कर लिये थे। शिवाजी बचपन में अपने बालक मंडली के साथ मिलकर कृतिम युद्ध का खेल खेला करते थे। शिवाजी महाराज की कुल चार पत्नियां थी।
छत्रपति शिवाजी का इतिहास – Chhatrapati Shivaji Maharaj History In Hindi
चूंकि उनके पिता शाहजी बीजापुर के बादशाह के यहॉं उच्च पद पर तैनात थे। इसीलिए उनके पिता की इच्छा थी की वीर शिवाजी भी अपने बहादुरी के बल पर कोई उच्च पद प्राप्त करें। लेकिन वीर शिवाजी के मन में कुछ और ही चल रहा था।
कहते हैं की शिवाजी जी ने मात्र 19 वर्ष की उम्र में कई दुर्गों पर अधिकार कर लिया था। छत्रपती शिवाजी महाराज ने मात्र 19 बर्ष की आयु में अपनी शक्ति बढ़ानी शुरू कर दी।
उन्होंने अपना स्थानीय मित्रों की सहायता से सैन्य दस्ता तैयार कर तोरण दुर्ग पर अपना अधिकार कर लिया। इस प्रकार शिवाजी महाराज ने पहला किला तोरण दुर्ग जीता बाद में वे बीजापुर के अन्य दुर्गों पर धावे बोलने लगे।
दो वर्ष के अंदर ही सिंहगढ़, पुरंदर इत्यादि दुर्गों पर अधिकार कर लिया। 1659 ईस्वी में बीजापुर के सुल्तान ने अपने सैनिकों को सेनापति अफजल खान के नेतृत्व में वीर शिवाजी को दमन करने के लिए भेजा। लेकिन छत्रपती शिवाजी महाराज ने युद्ध में उन्हें परास्त कर उनका वध कर दिया।
शिवाजी का मुगल सेना के साथ युद्ध
उसके बाद मुगल सम्राट औरंगजेब ने अपने सेनानायक को छत्रपती शिवाजी महाराज से युद्ध करने के लिए भेजा। वीर शिवाजी अपनी छोटी सी सेना द्वारा मुगलों से डटकर मुकाबला किया। अपनी छोटी सेना के साथ पहाड़ों में छिपकर शिवाजी ने मुगलों से छापामार युद्ध प्रणाली से युद्ध किया।
इस प्रकार उन्होंने औरंगजेब की मंसूबों पर कई बार पानी फेर दिया। लेकिन उसके कुछ दिन बाद मुगल सेनापति मिर्जा जयसिंह ने अपने विशाल सेना के द्वारा शिवाजी के अनेक दुर्ग पर कब्जा कर लिया।
वीर शिवाजी की कहानी – veer shivaji ki kahani
शिवाजी को 1 मई 1666 को मुगल सम्राट औरंगजेब के दरबार में उपस्थित होना पड़ा। असल में औरंगजेब ने एक चाल के तहद शिवाजी को जयसिंह द्वारा अपने पास बुलाया। वहाँ उनका उचित सम्मान नहीं किया गया। उलटे ही उन्हें बंदी बनाकर नजरबंद कर लिया गया।
अतः वे अत्यंत क्रुद्ध हो गये। उन्हें औरंगजेव की चाल समझ में आ गयी। औरंगजेब उन्हें बंदी बनवा कर जान से मार डालना चाहते हैं। उस परिस्थिति में उन्होंने अपना बुद्धि और विवेक से काम लिया।
एक दिन वह बड़े ही चालाकी से चकमा देकर मुगल दरबार से निकल भागे। अपना सिर का बाल कटबाकर वे काशी और जगन्नाथपुरी होते हुए रायगढ़ पहुचे।
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक – shivaji maharaj rajyabhishek
सन 1674 ईस्वी में रायगढ़ के दुर्ग में वीर शिवाजी का पूरे सम्मान के साथ राज्याभिषेक हुआ। इस राज्याभिषेक के बाद वे छत्रपति कहलाये। अब वीर शिवाजी धीरे-धीरे शक्तिशाली हो चुके थे।
कुछ समय बाद मुगलों से युद्ध छिड़ा। उन्होंने हर बार मुगल सेना को छापामारी युद्ध के माध्यम से परास्त किया।
शिवाजी महाराज मृत्यु
यह वह दौर था जब हिन्दू राजा मुगल शासकों के छत्र छाया में पल रहे थे। बहुतों ने दस्ता स्वीकार कर उनकी प्रशंसा मे लीन होकर उनकी कृपा पर जीवित थे।
इस विषम परिस्थिति में Chhatrapati Shivaji Maharaj ने अपने शौर्य पराक्रम के द्वारा हिन्दू समुदाय और हिन्दुत्व की रक्षा की थी। लेकिन दुर्भाग्यबस सन 1880 ईस्वी में मात्र 53 बर्ष की आयु उनकी मृत्यु हो गयी।
वीर शिवाजी को उनके अमूल्य योगदान के लिए हमेश याद किए जाएंगे। आपको छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन परिचय, इतिहास, वीरता की कहानी (Chhatrapati Shivaji Maharaj history in hindi ) शीर्षक वाला लेख जरूर अच्छा लगा होगा अपने सुझाव से अवगत करायें।
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प्रश्न – शिवाजी के गुरु कौन थे
शिवाजी महाराज वचपन से अपनी माता से धार्मिक कथाओं के साथ वीर योद्धाओं की कहानियाँ सूना करते। प्रसिद्ध सन्त स्वामी रामदास शिवाजी के गुरु थे।