अशोक चक्र (पदक) शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। अशोक चक्र को (Ashok Chakra Award) शांतिकाल में असाधारण वीरता, अदम्य साहस या बलिदान के लिए प्रदान किया जाता है।
भारत के सबसे बड़े सम्मान अशोक चक्र को भारतीय सैनिकों और असैनिकों दोनों को युद्ध के मैदान के अलावा किसी विशिष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इस चक्र को जीवित अथवा मरणोपरांत दोनों अवस्था में प्रदान किया जा सकता है।
भारत के राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान साल में दो बार गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दी जाती है। 2021 तक कुल 98 लोगों को अशोक चक्र (पदक) से सम्मानित किया जा चुका है। आइए इस लेख में अशोक चक्र (पदक) के बारें में विस्तार से जानते हैं।
अशोक चक्र पुरस्कार का इतिहास (Ashok Chakra Award in Hindi)
अशोक चक्र पुरस्कार की शुरुआत 04 जनवरी 1952 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा की गई थी। जब इसकी शुरुआत हुई तब इसे अशोक चक्र क्लास-वन के नाम से जाना जाता था।
करीब 12 साल के बाद 27 जनवरी 1967 को शांति के समय (पीस टाइम) का सबसे ऊंचा वीरता पुरस्कार का नाम परिवर्तित कर अशोक चक्र कर दिया गया। अशोक चक्र को सेना अथवा आम पब्लिक को साल में दो बार प्रदान किया जा सकता है।
राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान असाधारण वीरता अथवा अदम्य साहस के कार्यों के लिए जीवित अथवा मरणोपरांत दिया जाता है।
अशोक चक्र (पदक) सम्मान की पात्रता:
अशोक चक्र (पदक) भारतीय सैनिकों और असैनिकों को अदम्य साहस अथवा जांबाजी अथवा बहादुरी के विशिष्ठ कार्यों अथवा आत्म-बलिदान करने वालों को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है।
यह सम्मान युद्ध के मैदान में दुश्मन का मुकाबला करना शामिल नहीं है। निम्नलिखित केटेगरी के व्यक्ति अशोक चक्र (पदक) पाने के पात्र होंगे :-
पात्रता की शर्ते:
अशोक चक्र की पात्रता की बात करें तो यह सम्मान शांतिकाल में अदम्य साहस अथवा जांबाजी अथवा बहादुरी के विशिष्ठ कार्यों के प्रदर्शन अथवा जान न्योछावर करने वालों को प्रदान किया जाता है ।
इस सम्मान से सम्मानित होने वाले व्यक्ति के लिए ,लड़ाई के मैदान में दुश्मन का मुकाबला करना शामिल नहीं होता है। इसे जीवित या मरणोपरांत दोनों दशा में प्रदान किया जा सकता है।
अशोक चक्र पदक की बनावट-
सुनहरी चमक व 1.38 इंच का व्यास वाला अशोक चक्र पदक की बनावट गोलाकार होती है। इस मेडल के बीच में भारत का राष्ट्रचिन्ह अशोक स्तम्भ की प्रतिकृति उत्कीर्ण होती है, जिसके चारों ओर कमल- फूलों की बेल बना होता है।
अशोक चक्र (पदक) के पीछे वाले हिस्से पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में ‘अशोक चक्र’ शब्द उत्कीर्ण होता है। इन हिंदी व अंग्रेजी के शब्दों के मध्य कमल के दो फूल अंकित होते हैं।
अशोक चक्र पदक का रिबन :
अशोक चक्र (पदक) को हरे रंग के रिवन के साथ धारण किया जाता है। इस हरे रंग के पट्टी के मध्य में नारंगी रंग की एक सीधी रेखा बनी होती है जो इसके रिवन को दो बराबर हिस्सों में बांटती है।
अशोक चक्र बार:
यदि कोई अशोक चक्र विजेता दुबारा बहादुरी का ऐसे ही कोई कारनामे करता है और उसे फिर से यह चक्र प्राप्त होता है। तब उनके बहादुरी के इस कारनामे को सम्मानित करने के लिए इस चक्र के साथ एक बार लगा दिया जाता है।
अशोक चक्र विजेता को मिलने वाली सुबिधाएं-
मासिक भत्ता –
अशोक चक्र के लिए दिये जाने वाले सम्मान राशि की बात करें तो वर्ष 2017 से यह भत्ता 12000 रुपया प्रति माह हो गया है। इसमें यह भी जाननी जरूरी है की जितनी बार यह पदक प्राप्त होगा उतनी बार यह राशि बढ़ती जायेगी।
इसके अलावा राज्य सरकार भी अपने तरफ से एक मुश्त सम्मान राशि प्रदान करती है। इसमें प्रदान की जाने वाली राशि अलग-अलग राज्यों द्वारा अलग हो सकती है।
अन्य सुविधाएं
इसके अलावा अशोक चक्र (पदक) पाने वालों को रेलवे की तरफ से ट्रेन में सफर फ्री होती है। उन्हें हवाई जहाज में भी किराये में रियायत दी जाती है। इन्हें मिलने वाले पेंशन पर भी सरकार द्वारा टैक्स नहीं लिया जाता है।
इसके अतिरिक्त वीरता मेडल पाने वाले सैनिक का सम्मान में राज्य सरकार द्वारा भी इन्हें कई तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
अशोक चक्र विजेता की लिस्ट 2023
अशोक चक्र प्राप्तकर्ताओं की सूची | वर्ष |
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सुहास बिस्वास | 1952 |
बचित्तर सिंह | 1952 |
नर बहादुर थापा | 1952 |
सुंदर सिंह | 1956 |
जे चित्निस | 1957 |
पीएम रमन | 1957 |
जोगिंदर सिंह | 1957 |
एरिक जेम्स टकर | 1958 |
जयश बाजीराव सकपाल | 1958 |
सायरस आदि पिठावाला | 1958 |
खरिका बहादुर लिनीबू | 1962 |
मैन बहादुर राई | 1962 |
जिया लाल गुप्ता | 1965 |
जस राम सिंह | 1969 |
उमेद सिंह मेहरा | 1972 |
गुरुनाम सिंह | 1974 |
सायरस आदि पिठावाला | 1981 |
जेनाडी स्ट्रेकलोव | 1984 |
यूरी मल्यशेव | 1984 |
चेरिंग मुटुप | 1985 |
निर्भय सिंह | 1985 |
भवानी दत्त जोशी | 1985 |
राम प्रकाश रोपेरिया | 1985 |
जसबीर सिंह रैना | 1985 |
भुकंत मिश्र | 1985 |
राकेश शर्मा | 1985 |
नीरजा भनोट | 1987 |
रणधीर प्रसाद वर्मा | 1991 |
संदीप संखला | 1992 |
राकेश सिंह | 1993 |
निलकंठन जयचंद्रन नायर | 1994 |
राजीव कुमार जुनेजा | 1995 |
सुज्जन सिंह | 1995 |
हर्ष उदय सिंह गौर | 1995 |
अर्जुन सिंह जसरोटिया | 1996 |
पुनीथा नाथ दत्त | 1997 |
शांति स्वरूप राणा | 1997 |
सुधीर कुमार वालिया | 2000 |
कमलेश कुमारी | 2001 |
सुरिंदर सिंह | 2002 |
रामबीर सिंह तोमर | 2002 |
त्रिवेनी सिंह | 2004 |
संजोग छेत्री | 2004 |
राधाकृष्णन नायर हर्षन | 2007 |
चुनी लाल | 2007 |
वसंत वेनुगोपाल | 2007 |
दिनेश रघुरमन | 2008 |
मोहित शर्मा | 2009 |
बहादुर सिंह बोहरा | 2009 |
हेमंत करकरे | 2009 |
विजय सालस्कर | 2009 |
अशोक कमते | 2009 |
तुकाराम ओंबले | 2009 |
गजेंद्र सिंह बिष्ट | 2009 |
संदीप उन्निकृष्णन | 2009 |
मोहन चंद शर्मा | 2009 |
जोजन थॉमस | 2009 |
आर. पी. डिएन्ग्दोह | 2009 |
राजेश कुमार | 2010 |
डी. श्रीराम कुमार | 2010 |
लैशराम ज्योतिन सिंह | 2011 |
नवदीप सिंह | 2012 |
नीरज कुमार सिंह | 2014 |
मुकुंद वरदराजन | 2014 |
मोहन गोस्वामी | 2015 |
हवलदार हंगपन दादा | 2016 |
ज्योति प्रकाश निराला | 2017 |
लांस नायक नजीर अहमद वानी | 2019 |
एएसआई बाबू राम | 2022 |
इन्हें भी पढ़ें: परमवीर प्राप्तकर्ता की सूची 1952 से जनवरी 2024 तक
अशोक चक्र पदक (FAQs):
स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक कितने लोगों को अशोक चक्र प्रदान किए गए हैं।
इसकी स्थापना से लेकर 2022 तक कुल 98 लोगों को अशोक चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।
अशोक चक्र से सम्मानित प्रथम भारतीय महिला कौन थी?
अशोक चक्र (पदक) से सम्मानित होने वाली प्रथम भारतीय महिला नीरजा भनोट है। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें अपनी 1986 में प्लेन हाईजैक में अद्भुत साहस का परिचय देते हुए अपनी जान देकर आतंकियों से 360 लोगों की जान बचाई थी।