अशोक चक्र (पदक) शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 1952-2024 तक पूरी जानकारी

अशोक चक्र (पदक) शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार

अशोक चक्र (पदक) शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। अशोक चक्र को (Ashok Chakra Award) शांतिकाल में असाधारण वीरता, अदम्य साहस या बलिदान के लिए प्रदान किया जाता है।

भारत के सबसे बड़े सम्मान अशोक चक्र को भारतीय सैनिकों और असैनिकों दोनों को युद्ध के मैदान के अलावा किसी विशिष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इस चक्र को जीवित अथवा मरणोपरांत दोनों अवस्था में प्रदान किया जा सकता है।

भारत के राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान साल में दो बार गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दी जाती है। 2021 तक कुल 98 लोगों को अशोक चक्र (पदक) से सम्मानित किया जा चुका है। आइए इस लेख में अशोक चक्र (पदक) के बारें में विस्तार से जानते हैं।

अशोक चक्र पुरस्कार का इतिहास (Ashok Chakra Award in Hindi)

अशोक चक्र पुरस्कार की शुरुआत 04 जनवरी 1952 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा की गई थी। जब इसकी शुरुआत हुई तब इसे अशोक चक्र क्लास-वन के नाम से जाना जाता था।

करीब 12 साल के बाद 27 जनवरी 1967 को शांति के समय (पीस टाइम) का सबसे ऊंचा वीरता पुरस्कार का नाम परिवर्तित कर अशोक चक्र कर दिया गया। अशोक चक्र को सेना अथवा आम पब्लिक को साल में दो बार प्रदान किया जा सकता है।

राष्ट्रपति द्वारा यह सम्मान असाधारण वीरता अथवा अदम्य साहस के कार्यों के लिए जीवित अथवा मरणोपरांत दिया जाता है।

अशोक चक्र (पदक) सम्मान की पात्रता:

अशोक चक्र (पदक) भारतीय सैनिकों और असैनिकों को अदम्य साहस अथवा जांबाजी अथवा बहादुरी के विशिष्ठ कार्यों अथवा आत्म-बलिदान करने वालों को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है।

यह सम्मान युद्ध के मैदान में दुश्मन का मुकाबला करना शामिल नहीं है। निम्नलिखित केटेगरी के व्यक्ति अशोक चक्र (पदक) पाने के पात्र होंगे :-

सेना, नौसेना और वायु सेना, किसी भी रिजर्व सेना, प्रादेद्गिाक सेना, नागरिक सेना और कानूनी रूप से गठित अन्य आर्म फोर्स के किसी भी रैंकों के अफसर, जवान, महिला व पुरुष इस सम्मान के पात्र हो सकते है।
इसके अलावा सेनाओं की नर्सिंग सेवाओं के कर्मचारी, पुलिस फोर्स, केन्द्रीय पैरा-मिलिट्री फोर्स और रेलवे सुरक्षा वल के कर्मचारी, अथवा समाज के प्रत्येक क्षेत्र के सभी स्त्री व पुरुष इस सम्मान के पात्र हो सकते हैं।

पात्रता की शर्ते:

अशोक चक्र की पात्रता की बात करें तो यह सम्मान शांतिकाल में अदम्य साहस अथवा जांबाजी अथवा बहादुरी के विशिष्ठ कार्यों के प्रदर्शन अथवा जान न्योछावर करने वालों को प्रदान किया जाता है ।

इस सम्मान से सम्मानित होने वाले व्यक्ति के लिए ,लड़ाई के मैदान में दुश्मन का मुकाबला करना शामिल नहीं होता है। इसे जीवित या मरणोपरांत दोनों दशा में प्रदान किया जा सकता है।

अशोक चक्र पदक की बनावट-

सुनहरी चमक व 1.38 इंच का व्यास वाला अशोक चक्र पदक की बनावट गोलाकार होती है। इस मेडल के बीच में भारत का राष्ट्रचिन्ह अशोक स्तम्भ की प्रतिकृति उत्कीर्ण होती है, जिसके चारों ओर कमल- फूलों की बेल बना होता है।

अशोक चक्र (पदक) के पीछे वाले हिस्से पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में ‘अशोक चक्र’ शब्द उत्कीर्ण होता है। इन हिंदी व अंग्रेजी के शब्दों के मध्य कमल के दो फूल अंकित होते हैं।

अशोक चक्र पदक का रिबन :

अशोक चक्र (पदक) को हरे रंग के रिवन के साथ धारण किया जाता है। इस हरे रंग के पट्टी के मध्य में नारंगी रंग की एक सीधी रेखा बनी होती है जो इसके रिवन को दो बराबर हिस्सों में बांटती है।

अशोक चक्र बार:

यदि कोई अशोक चक्र विजेता दुबारा बहादुरी का ऐसे ही कोई कारनामे करता है और उसे फिर से यह चक्र प्राप्त होता है। तब उनके बहादुरी के इस कारनामे को सम्मानित करने के लिए इस चक्र के साथ एक बार लगा दिया जाता है।

अशोक चक्र विजेता को मिलने वाली सुबिधाएं-

मासिक भत्ता –

अशोक चक्र के लिए दिये जाने वाले सम्मान राशि की बात करें तो वर्ष 2017 से यह भत्ता 12000 रुपया प्रति माह हो गया है। इसमें यह भी जाननी जरूरी है की जितनी बार यह पदक प्राप्त होगा उतनी बार यह राशि बढ़ती जायेगी।

इसके अलावा राज्य सरकार भी अपने तरफ से एक मुश्त सम्मान राशि प्रदान करती है। इसमें प्रदान की जाने वाली राशि अलग-अलग राज्यों द्वारा अलग हो सकती है।

अन्य सुविधाएं

इसके अलावा अशोक चक्र (पदक) पाने वालों को रेलवे की तरफ से ट्रेन में सफर फ्री होती है। उन्हें हवाई जहाज में भी किराये में रियायत दी जाती है। इन्हें मिलने वाले पेंशन पर भी सरकार द्वारा टैक्स नहीं लिया जाता है।

इसके अतिरिक्त वीरता मेडल पाने वाले सैनिक का सम्मान में राज्य सरकार द्वारा भी इन्हें कई तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

अशोक चक्र (पदक) शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार

अशोक चक्र विजेता की लिस्ट 2023

अशोक चक्र प्राप्तकर्ताओं की सूचीवर्ष
सुहास बिस्वास 1952
बचित्तर सिंह1952
नर बहादुर थापा1952
सुंदर सिंह1956
जे चित्निस1957
पीएम रमन1957
जोगिंदर सिंह1957
एरिक जेम्स टकर1958
जयश बाजीराव सकपाल1958
सायरस आदि पिठावाला1958
खरिका बहादुर लिनीबू1962
मैन बहादुर राई1962
जिया लाल गुप्ता1965
जस राम सिंह1969
उमेद सिंह मेहरा1972
गुरुनाम सिंह1974
सायरस आदि पिठावाला1981
जेनाडी स्ट्रेकलोव1984
यूरी मल्यशेव1984
चेरिंग मुटुप1985
निर्भय सिंह1985
भवानी दत्त जोशी1985
राम प्रकाश रोपेरिया1985
जसबीर सिंह रैना1985
भुकंत मिश्र1985
राकेश शर्मा1985
नीरजा भनोट1987
रणधीर प्रसाद वर्मा1991
संदीप संखला1992
राकेश सिंह1993
निलकंठन जयचंद्रन नायर1994
राजीव कुमार जुनेजा1995
सुज्जन सिंह1995
हर्ष उदय सिंह गौर1995
अर्जुन सिंह जसरोटिया1996
पुनीथा नाथ दत्त1997
शांति स्वरूप राणा1997
सुधीर कुमार वालिया2000
कमलेश कुमारी2001
सुरिंदर सिंह2002
रामबीर सिंह तोमर2002
त्रिवेनी सिंह2004
संजोग छेत्री2004
राधाकृष्णन नायर हर्षन2007
चुनी लाल2007
वसंत वेनुगोपाल2007
दिनेश रघुरमन2008
मोहित शर्मा2009
बहादुर सिंह बोहरा2009
हेमंत करकरे2009
विजय सालस्कर2009
अशोक कमते2009
तुकाराम ओंबले2009
गजेंद्र सिंह बिष्ट2009
संदीप उन्निकृष्णन2009
मोहन चंद शर्मा2009
जोजन थॉमस2009
आर. पी. डिएन्ग्दोह2009
राजेश कुमार2010
डी. श्रीराम कुमार2010
लैशराम ज्योतिन सिंह2011
नवदीप सिंह2012
नीरज कुमार सिंह2014
मुकुंद वरदराजन2014
मोहन गोस्वामी2015
हवलदार हंगपन दादा2016
ज्योति प्रकाश निराला2017
लांस नायक नजीर अहमद वानी2019
एएसआई बाबू राम2022

इन्हें भी पढ़ें: परमवीर प्राप्तकर्ता की सूची 1952 से जनवरी 2024 तक

अशोक चक्र पदक (FAQs):

स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक कितने लोगों को अशोक चक्र प्रदान किए गए हैं।

इसकी स्थापना से लेकर 2022 तक कुल 98 लोगों को अशोक चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।

अशोक चक्र से सम्मानित प्रथम भारतीय महिला कौन थी?

अशोक चक्र (पदक) से सम्मानित होने वाली प्रथम भारतीय महिला नीरजा भनोट है। उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें अपनी 1986 में प्लेन हाईजैक में अद्भुत साहस का परिचय देते हुए अपनी जान देकर आतंकियों से 360 लोगों की जान बचाई थी।




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