डॉ हरगोविंद खुराना कौन थे (Dr Hargobind Khorana in Hindi)–
डॉ हरगोविंद खुराना (Scientist dr. Hargobind khorana ) की गिनती भारत के महान वैज्ञानिक में की जाती है। जीव विज्ञान के क्षेत्र में उनके आविष्कार नें उन्हें विश्व के महान वैज्ञानिक बना दिया।
बायोटेक्नोलाजी अर्थात जीन इंजीनियरिंग की नींव रखने में उनका अहम योगदान माना जाता है। हरगोविन्द खुराना ने ही सर्वप्रथम DNA पर से प्रदा उठाया था। उन्होंने डी.एन. तथा आर.एन.ए. को संश्लेषित तरीकों से निर्माण करने की खोज की थी।
डा. हरगोविंद खुराना ने विज्ञान की दुनिया में सबसे पहला कृत्रिम जीन बनाने वाले वैज्ञानिक हैं। विज्ञान की दुनियाँ में उनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। अपनी खोज से उन्होंने विश्व पटल पर भारत का नाम ऊँचा किया।
विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार उन्हें प्राप्त हुआ। जीवनभर वे विज्ञान की सेवा करते रहे। अपने जीवनकाल में उनके 400 से भी ज्यादा शोधपत्र प्रकाशित हुए।
वे पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने सफलतापूर्वक प्रोटीन संश्लेषण में न्यूक्लिटाइड की भूमिका का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने खोजों के द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया।
उन्होंने 1966 में अमेरिकी नागरिकता ग्रहण कर ली। विज्ञान की उम्र भर सेवा करते हुए वर्ष 2011 में उनकी मृत्यु हो गई। आईए एक लेख में Dr Hargobind Khorana Biography in Hindi विस्तार से जानते हैं।
हरगोविंद खुराना की जीवनी एक झलक
पूरा नाम | डॉ हरगोविंद खुराना |
जन्म तिथि | 9 जनवरी सन 1922 |
जन्म स्थान | अखंड भारत के पंजाव प्रांत(अव पाकिस्तान) |
माता पिता का नाम | पिता का नाम – पिता गणपत राय खुराना |
योगदान | जीन और न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम की खोज |
प्रसिद्धि | एक वैज्ञानिक के रूप में |
पुरस्कार | 1968 में चिकित्सा का नॉवल पुरस्कार |
निधन | 9 नवम्बर 2011 |
डॉ हरगोविंद खुराना का जीवन परिचय – Biography of Dr Hargobind Khorana in Hindi
महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना का जन्म अखंड भारत के पंजाव प्रांत में 9 जनवरी सन 1922 में हुआ था। इस महान वैज्ञानिक का बचपन अपने ही गाँव पंजाब के राजपुर में बीता, आजादी के बाद यह स्थान पाकिस्तान में चला गया।
हरगोविंद खुराना के पिता का नाम गणपत राय खुराना था जो ब्रिटिश प्रसासन में पटवारी का काम करते थे। खुराना साहब अपने पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। घर की आर्थिक दशा कुछ खास अच्छी नहीं थी। बचपन में ही डॉ खुराना जी के पिता की मृत्यु हो गयी।
पिता की मृत्यु के बाद उनके बड़े भाई ने उनका देख-भाल किया।
हरगोबिन्द खुराना की शिक्षा
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में ही सम्पन्न हुई। बचपन से ही हरगोविंद खुराना पढ़ने में बहुत तेज थे। अपने कुशाग्र बुद्धि के कारण उन्होंने कई छात्रवृत्तियाँ भी प्राप्त की। डॉ खुराना ने उच्च शिक्षा लाहौर के डी ए वी कालेज से प्राप्त की।
उस बक्त वे अपने गाँव से एक मात्र पढ़ें लिखे व्यक्ति थे। उन्होंने लाहौर के डी ए वी कालेज से बी ए प्रथम श्रेणि से पास किया। उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे इंगलेंड चले गये।
इंगलेंड के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से इन्होंने प्रोफेसर रॉजर जे.एस. बियर के संरक्षण में अनुसंधान किया और पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की। पी-एच.डी. की डिग्री के बाद वे सन 1948 में भारत वापस आ गये।
यहाँ वे नोकरी की तलाश में लग गये। लेकिन कहा जाता है की उन्हें नोकरी नहीं मिली और फिर से विदेश जाकर अनुसंधान करने लगे। जब उन्हें नॉवेल पुरस्कार मिला और भारत आए तब उनका जोरदार स्वागत हुआ था।
पारिवारिक जीवन (Dr Hargobind Khorana wife)
हरगोविंद खुराना की शादी सन 1952 में स्विट्जरलैंड मूल की एक महिला वैज्ञानिक से हुआ। डॉ खुराना की पत्नी का नाम एस्थर एलिजाबेथ सिब्लर थी। कहा जाता है की खुराना साहब की एस्थर एलिजाबेथ सिब्लर से मुलाकात स्विट्जरलैंड के स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी में अध्यापन के दौरान हुई थी।
बाद में उन दोनों ने सन 1952 में शादी के बंधन में बंध गए। उनका दाम्पत्य जीवन बड़ा ही सुखद रहा। डॉ खुराना की पत्नी अपने पति के मनोभावों को समझती थीं। उन्हें तीन संतान हुई जिनके नाम जूलिया एलिज़ाबेथ, एमिली और डेव रॉय था।
करियर (Hargobind Khorana life and achievements)
इंगलेंड से पी एच डी हासिल करने के बाद अपने देश भारत आये। यहाँ पर उन्होंने नौकरी करनी चाही। इसके लिए उन्होंने वंगलुरु दिल्ली सहित कई संस्थानों में अर्जी दी। लेकिन कहीं से भी उनके मन मुताबिक पद का ऑफर नहीं आया।
इस कारण उन्हें थोड़ी निराशा हुई। गुस्सा होकर वे दुबारा इंगलेंड चले गए। वहाँ वे 1952 तक केंब्रिज विश्वविद्यालय में लार्ड अलेक्जेंडर टाड के साथ काम किया। तत्पश्चात उन्हें कनाडा से बुलावा आया, जहां ब्रिटिश कोलंबिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में अपना सेवा देने लगे।
हरगोविंद खुराना का योगदान (Hargobind Khorana contribution)
कृतिम जीन बनाने वाले विश्व के पहले वैज्ञानिक
सन 1952 ईस्वी में डॉ हरगोविंद खोराना, इंगलेंड से कनाडा चले गये। कनाडा में उन्हें कोलम्बिया विश्विद्यालय में जैव रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति हुई। कनाडा में भी उन्होंने अपना अनुसंधान जारी रखा।
उन्होंने आनुवाँशिकी के क्षेत्र में अनुसंधान किये और सफल रहे। डी.एन.ए की संरचना को समझने के कारण कई पैतृक विमारी का निदान संभव हो सका। वे विज्ञान की दुनियाँ में कृतिम जीन बनाने वाले विश्व के पहले वैज्ञानिक कहलाये।
आनुवंशिकी पर शोध
उसके बाद वे अमेरिका आ गये। यहाँ पर शोध करते हुए उन्होंने जीन की डिकोडिंग की अर्थात DNA की कई राज से पर्दा उठाया साथ ही प्रोटीन संश्लेषण पर उल्लेखनीय योगदान दिया।
बाद में खुराना साहब ने अमेरिका की नागरिकता ग्रहण कर ली और वहीं वस गए। वहीं विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय अमेरिका में अनुसंधान करते हुए विश्व प्रसिद्ध नॉवेल पुरस्कार मिला।
जीन इंजीनियरिंग की नींव
डा. खुराना को बायोटेक्नोलाजी अर्थात जीन इंजीनियरिंग की नींव रखने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने सहयोगी के साथ मिलकर डीएनए(DNA) अणु की संरचना से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी।
उन्होंने अपने शोध से स्पष्ट किया की डीएनए, प्रोटीन का संश्लेषण किस प्रकार से करता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी अपने शोध द्वारा पता लगाया कि डीएनए में मौजूद न्यूक्लियोटाइड्स की स्थिति तय करता है की कौन सा अमिनो अम्ल का निर्माण होगा।
उन्होंने बताया की इसी अमिनो अम्लों में ही आनुवंशिकता का मूल रहस्य छिपा रहता है। इस प्रकार उन्होंने अपने शोध के माध्यम से जीन इंजीनियरिंग यानी कि बायोटेक्नोलाजी की नींव रखने में योगदान दिया।
हरगोविंद खुराना की खोज
उन्होंने अमरीका में प्रसिद्ध वैज्ञानिक नारेन बर्ग के साथ कृत्रिम जीवन पर शोध किया। इन्होंने डी.एन.ए. और आर.एन.ए. को कृत्रिम तरीके से विकसित करने विधि की खोज की।
उनकी खोज बिभिन्न कई प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुआ। इस प्रकार वे अपने शोध के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गये।
सम्मान व पुरस्कार
जीवविज्ञान के क्षेत्र में अपने शोध कार्यों के कारण डॉ खुराना को ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री ग्रुप ऑफ कामनवेल्थ रिसर्च औरगेनाइजेशन का अध्यक्ष चुना गया था।
हरगोविन्द खुराना को 1950 के दशक में भारत में कोई ढंग की नौकरी नहीं मिली। लेकिन जब वे पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गये। तब सन् 1969 ईस्वी में भारत आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया था।
- डॉ खुराना को पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस की मानक उपाधि प्रदान की गई।
- उन्हें प्रोफेसर इंस्टीट्युट ऑफ पब्लिक सर्विस’ कनाडा द्वारा सन 1960 में स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
- उन्हें कनाडा के ‘मर्क एवार्ड’ से भी अलंकृत किया गया।
- भारत सरकार द्वारा डा हरगोविंद खुराना को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- आगे चलकर उन्हें डैनी हैनमैन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
- सन 1968 ईस्वी में इन्हें लॉस्कर फेडरेशन पुरस्कार तथा लूसिया ग्रास हारी विट्ज पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।
हरगोविंद खुराना नोबेल प्राइज (Dr Hargobind Khorana Nobel prize in Hindi)
हरगोविंद खुराना को डीएनए के ऊपर शोध करने के लिए चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला। डॉ हरगोविंद खुराना को नोबेल पुरस्कार सन 1968 ईस्वी में मिला था।
वर्ष 1968 में चिकित्सा का नॉवल पुरस्कार उन्हें मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू हॉली के साथ संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। उनके इस खोज से पैतृक बीमारी के पता लगाने और उनके इलाज में मददगार साबित हुआ।
डॉ हरगोविन्द खुराना की मृत्यु (Death of Dr Hargobind Khorana)
अपने सम्पूर्ण जीवन को डॉ हरगोविंद खुराना ने विज्ञान के लिए समर्पित कर दिया। महान वैज्ञानिक डॉ हरगोविन्द खुराना का 89 वर्ष की उम्र में 9 नवम्बर 2011 को अमेरिका में निधन हो गया।
F.A.Q (गूगल पर पूछे जाने वाले प्रश्न)
-
प्रश्न- हरगोविंद खुराना ने किस चीज की खोज की थी
उत्तर-महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम और जीन की खोज के लिए जाना जाता है।
-
प्रश्न-हरगोविंद खुराना को किस आविष्कार के लिए सम्मानित किया गया
उत्तर- हरगोविंद खुराना को जीन और न्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम के आविष्कार के लिए सम्मानित किया गया।
-
प्रश्न-डॉ हरगोविंद खुराना को नोबेल पुरस्कार कब मिला
उत्तर-डॉ हरगोविंद खुराना को 1968 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
-
प्रश्न-डॉ हरगोविंद खुराना का जन्म कब हुआ?
उत्तर- प्रसिद्ध वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना का जन्म 9 जनवरी 1922 में ब्रिटिश भारत के रायपुर गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है।
आपको हरगोविंद खुराना का जीवन परिचय (Dr Hargobind Khorana in Hindi) शीर्षक के नाम से संकलित जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी।
इन्हें भी पढ़ें –