हवा महल का इतिहास और जानकारी, हवा महल जयपुर का इतिहास, जयपुर के हवामहल का इतिहास, Hawa Mahal Jaipur History and Information In Hindi, Hawa Mahal Jaipur History in Hindi, Hawa Mahal Jaipur information in Hindi,
हवा महल भारत के प्रसिद्ध राज्य राजस्थान के जयपुर में स्थित एक राजसी-महल है। हवा महल की गिनती देश के प्राचीन राज महलों में की जाती है। बिना किसी ठोस नींव के यह इमारत एक अजूबा की तरह 87 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है।
हवा महल की ऊंचाई अपने मुख्य आधार से करीब ऊंचाई 87 फीट है। हवा महल का मतलब एक ऐसा महल से है जिसमें हमेशा ताजी और ठंडी हवा आती रहती हो।
बाहर से देखने में यह महल मुकुट या मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखता है। कहा जाता है की हवा महल के निर्माणकर्ता राजा सवाई प्रताप सिंह, भगवान कृष्ण के परम भक्त थे।
शायद इसी कारण हवा महल का निर्माण उन्होंने भगवान कृष्ण के मुकुट के सादृश्य किया। आज हवा महल की गिनती जयपुर के सबसे पहली पसंद वाली स्थलों में होती है।
इसकी स्थापत्य सुंदरता और लोकप्रियता से प्रभावित होकर इस ऐतिहासिक संरचना को संरक्षण प्रदान करने हेतु यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया रुचि दिखाई। वर्तमान में यह महल राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग के नियंत्रण और संरक्षण में है।
हवा महल की जानकारी – Hawa mahal information in Hindi
हवा महल के झरोखे की संख्या | 953 झरोख. |
हवा महल का निर्माणकर्ता | महाराजा सवाई प्रताप सिंह |
हवा महल का निर्माण काल | वर्ष 1799 |
हवा महल की ऊंचाई | 50 मीटर |
हवा महल के वास्तुकार | लाल चंद उस्तादी |
वास्तु शैली | इस्लामी, मुगल और राजपूत |
खुलने का समय | सुबह 9:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक |
हवा महल जयपुर का इतिहास – Hawa Mahal Jaipur History in Hindi
हवा महल का इतिहास करीब 120 वर्ष पुराना है। गुलावी नगरी की पहचान हवामहल निर्माण कछवाहा राजपूत राजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा सन 1799 ईस्वी में करवाया गया था।
कहा जाता है की जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने खेतड़ी महल की संरचना से इस खूबसूरत महल का निर्माण का फैसला किया। हवा महल का निर्माण सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में हुआ था।
उस काल में पर्दा प्रथा का सक्त चलन था। इसी कारण से हवा महल का निर्माण किया गया ताकि शाही महिलायें हवा महल के झरोकों से सड़क का नजारा देख सकें।
पांच मंजिला हवा महल के डिजाइनकार लाल चंद उस्ताद थे। उन्होंने सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में हवा महल का डिजाइन तैयार किया।
हवा महल की वास्तुकला
लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बना यह महल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। बिना किसी ठोस नींव पर खड़ा यह अनूठा महल पिरामिड आकार का दिखाता है।
हवा महल राजस्थान की राजधानी जयपुर में देखने के लिए सबसे प्रसिद्ध इतिहासिक इमारत है। हवा महल के निर्माण में इस्लामी, मुगल और राजपूत वास्तुशैली का शानदार समन्वय देखने को मिलता है।
इस महल की गुंबददार छतरियां, फूलों के पैटर्न, कमल के रूपांकनों वाले खंभे जहाँ राजपूत शैली को दर्शाते हैं। वहीं किले के भव्य मेहराबों इस्लामिक शैली से प्रभावित दिखता है।
हवा महल करीब 50 मीटर ऊंचा है, जिसमें पांच मंजिल हैं। हवा महल में 953 खिड़कियाँ बनी हैं जो मधुमक्खी की छत्ते की तरह दृष्टिगोचर होती है।
इनके खिड़कियाँ की बनावट इस प्रकार है की खिड़की से सीधे ठंडी हवा कमरे मे प्रवेश करती है। वास्तुकला का सुंदर नमूना हवा महल में पाँच मंजिल हैं। इसकी ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियाँ नहीं बनी है बल्कि रैंप बने हुए हैं।
क्योंकि शाही महिलाओं को पालकियों के द्वारा रैंप के रास्ते ले जाना आसान होता था। हवा महल के ऊपरी मंजिल तक रैम्प के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
हवा महल की मंजिलों के नाम
जयपुर के प्रसिद्ध हवा महल की मंजिलों के नाम इस प्रकार हैं। प्रथम तल शरद मंदिर, दूसरी तल रत्न मंदिर, तीसरी मंजिल विचित्र मंदिर, चौथी तल प्रकाश मंदिर और पांचवीं मंजिल हवा मंदिर कहलाता है।
यह महल राधा और भगवान कृष्ण को समर्पित है। हवा महल के अंदर तीन छोटे मंदिर गोवर्धन कृष्ण मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर मौजूद हैं। हवा महल का निर्माण सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में किया गया था।
इसी कारण से इसमें बाहर से कोई प्रवेश द्वार नहीं बना है। इसमें प्रवेश सिटी पैलेस की तरफ से होता है। हवा महल की झरोखे से शहर का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है।
हवा महल में बनी गुलाबी रंग की बालकनियों और जालीदार खिड़कियों मंत्रमुग्ध करती है।
हवा महल के बारे में रोचक तथ्य – Hawa mahal facts in Hindi
- हवा महल का निर्माण राजपूत राजाओं द्वारा रानियाँ के लिए बनवाया गया था। ताकि शाही महिलाएं किसी खास अवसर पर नीचे होने वाले दृश्य को झरोखों से देख सकें।
- हवा महल की विशेषता है की गर्मियों के दिनों में भी यह ठंडा रहता है। इनमें बनी 953 छोटी-छोटी खिड़कियां इस प्रकार बनी है की कमरे में हमेशा हवा आते रहती है।
- गुलाबी शहर जयपुर में स्थित हवा महल का निर्माण सन 1799 में सवाई प्रताप सिंह द्वारा कराया था। हवा महल राजस्थान की राजधानी जयपुर की पहचान है।
- हवा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। उन्होंने इस अजूबा महल के निर्माण के लिए डिजाइन तैयार किया था। जिसमें राजपुताना और इस्लामी वास्तुकला का संगम है।
- हवा महल पिरामिड के समान नीचे से ऊपर की तरफ दिखाता है। इसके ऊपरी मंजिल तक पहुचने के लिए सीढ़ी नहीं बल्कि रैम्प बना हुआ है।
- हवा महल को रंग विरंगी लाइट से सजाया गया है। शाम के समय पूरा महल रंगीन रोशनी में बड़ा ही सुंदर दिखाता है। अन्य महलों तरह हवा महल में प्रवेश के लिए सामने कोई प्रवेश द्वार नहीं बना है।
हवा महल के आसपास के दर्शनीय स्थल
- सिटी पैलेस
- जयपुर चिड़ियाघर
- जंतर मंतर
- जयपुर का जल महल
- रामबाग पैलेस
- आमेर का कीला
- गोविंद देव जी मंदिर
- अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
- गुड़िया संग्रहालय
- सेंट्रल पार्क जयपुर
- बिरला मंदिर जयपुर
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हवा महल का नाम हवा महल क्यों रखा गया
हवा महल का अर्थ है हवा का महल। जयपुर के इस प्रसिद्ध महल में 953 छोटे-छोटे सुंदर झरोखे बने हैं। इस महल में पांच मंजिल हैं जिसके अलग अलग नाम हैं। इस इमारत के ऊपरी मंजिल का नाम हवा महल है। क्योंकि गर्मी के दिनों में भी इसके झरोखों से ठंडी हवा का अनुभव होता है। यही कारण है की इस महल के ऊपरी मंजिल के नाम पर पूरे इमारत को हवा महल कहा जाता है।
हवामहल का निर्माण किसने और कब करवाया
हवामहल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने 1799 ईस्वी में करवाया था।
हवा महल(‘पैलेस ऑफ विंड’) के नाम से प्रसिद्ध यह स्मारक जयपुर की पहचान है। जिसमें रानियों के लिए बने इस महल में 953 खिड़कियां और झरोखे बने हैं।
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बाहरी कड़ियाँ (External links)
Hawa mahal history in Hindi – क्या आप जानते हैं हवा महल दुनिया की ऐसी इमारत है जो बिना किसी नींव के खड़ी है? ऐसे ही कुछ रोचक तथ्यों से जुड़ा हुआ है हवा महल