भारत पर 17 बार महमूद गजनवी के आक्रमण का संक्षिप्त परिचय, कारण और प्रभाव

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण Mahmood ghaznavi ke aakraman

महमूद गजनवी के आक्रमण का संक्षिप्त परिचय – महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया और भारत को लूटा। इस लेख में भारत पर आक्रमण के उनके कारण, प्रभाव और परिणाम का विस्तार से वर्णन किया गया है।

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महमूद गजनवी कौन था who was sultan Mahmud ghaznavi

महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण और उसके प्रभाव के बारें में जानने से पहले महमूद गजनवी के जीवन परिचय के बारें मे जानते हैं। आखिर महमूद गजनवी कौन था। महमूद गजनवी अफगानिस्तान के गजनी का रहने वाला था।

तुर्क मूल का मोहम्मद गजनवी अपने समकालीन तुर्कों की तरह ही पूरब में सुन्नी इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सफल हुआ। इन्हें महमूद गजनी या गजनवी के नाम से जाना जाता था। मात्र 27 वर्ष की उम्र में सुल्तान की उपाधि पाने वाला गजनी का वह पहला शासक था।

भारत पर इस्लामिक आक्रामण की सुरुआत मुहम्मद बिन कासिम (Muhammad bin Qasim) के सिन्ध पर आक्रमण से ही माना जाता है। लेकिन गजनवी के बाद इसकी स्थायी शुरुआत मानी जाती है।

उन्होंने 1018 में मथुरा और कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार शासक से अधीनता स्वीकार करवाई। उन्होंने मथुरा में मंदिर को तोडा और वहाँ से कीमती सामान लूट कर अपने साथ ले गए।

1020 ईस्वी में उन्होंने चंदेल शासक को हराने के लिए कालिंजर पर आक्रमण किया। उसके बाद उन्होंने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर मंदिर को तोड़कर कीमती सामान लूटकर अपने घोड़ों और ऊँट पर लाद कर अपने देश गजनी ले गए।

भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण महमूद गज़नवी को भारत के इतिहास में लुटेरे कहा जाता है।

वह एक आक्रांता था जिसने हजारों निर्दोषों के नरसंहार का जघन्य पाप किया। 1730 ईस्वी में महमूद गजनवी की मृत्यु हो गई।

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण  Mahmood ghaznavi ke aakraman
महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण Mahmood ghaznavi ke aakraman

महमूद गजनवी के आक्रमण का संक्षिप्त परिचय 

  1. प्रथम आक्रमण (1001 ई.)
  2. दूसरा आक्रमण (1001-1002ई)
  3. तीसरा आक्रमण (1004 ई.)
  4. चौथा आक्रमण (1005 ई.)
  5. पाँचवा आक्रमण (1007 ई.)
  6. छठा आक्रमण (1008 ई.)
  7. सातवाँ आक्रमण (1009 ई.
  8. आठवाँ आक्रमण (1010 ई.)
  9. नौवा आक्रमण (1013 ई
  10. दसवाँ आक्रमण (1013 ई
  11. गहरवाँ आक्रमण (1015 ई)
  12. बारहवाँ आक्रमण (1018 ई.):-
  13. तेरहवाँ आक्रमण (1020 ई.)
  14. चौदहवाँ आक्रमण (1021 ई.
  15. पन्द्रहवाँ आक्रमण (1024 ई.)
  16. सोलहवाँ आक्रमण (1025 ई
  17. सत्रहवाँ आक्रमण (1027 ई.)

भारत पर महमूद गजनवी के 17 आक्रमण का इतिहास (Mahmood ghaznavi ke aakraman)

महमूद गजनवी का भारत पर पहला आक्रमण

गजनी का शासक महमूद गजनवी भारत की धन-संपत्ति से काफी आकर्षित थे। महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण करना 10001 में प्रारंभ किया जो सिलसिला लगातार चलता रहा।

फलतः लूटने के लिए 17 बार महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण हुआ। महमूद गजनवी का प्रथम आक्रमण उतना सफल नहीं रहा।

महमूद गजनवी का भारत पर दूसरा आक्रमण

वर्ष 1001-1002 के बीच महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण दुबारा फिर हुआ। इस दौरान उन्होंने भारत को खूब लूटा और पेशावर के कुछ भागो पर अपना आधिपत्य जमा कर वापस चला गया।

उस बक्त महमूद गजनवी के आक्रमण का सामना करने वाला भारतीय शासक जयपाल था। राजा जयपाल के साथ महमूद गजनवी का भयंकर युद्ध हुआ। लेकिन जयपाल की हार हुई।

कहा जाता है की उन्होंने महमूद गजनवी को ढेर सारे धन देकर उनसे मुक्ति पाई। लेकिन वे अपने इस अपमान को सहन नहीं कर सके और आत्मदाह कर ली।

महमूद गजनवी का भारत पर तीसरा आक्रमण

उसका भारत पर तीसरा आक्रमण 1004 ई. में हुआ था। जिसमें उसका मुकवला राजा वाजिरा (वजीराम) से हुआ था। कहा जाता है की महमूद गजनवी के भय से उन्होंने सिन्धु नदी के किनारे जंगल में शरण ले लिया और बाद में उनकी मृत्यु हो गई।

महमूद गजनवी का भारत पर चौथा आक्रमण

गजनवी ने चौथा आक्रमण 1005 ई में किया जिसमें उन्होंने खूब लुटपाट की। इस दौरान उन्होंने भटिण्डा के शासक आनन्दपाल और मुल्तान के शासक दाऊद को हराया।

महमूद गजनवी का भारत पर पाँचवा आक्रमण

उनका पाँचवा आक्रमण जयपाल के पौत्र सुखपाल के विरुद्ध 1007 ई.में हुआ। उन्होंने पंजाब ओहिन्द में जयपाल के पौत्र सुखपाल को नियुक्त किया था।

बाद में सुखपाल ने उनकी अधीनता मानने से इनकार कर दिया और अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी। तब महमूद ग़ज़नवी ने ओहिन्द पर चढ़ाई कर उसका राजपाट छिन लिया और उसे बन्दी बना लिया।

महमूद गजनवी का भारत पर छठा आक्रमण

इसका छठा आक्रमण (1008 ई.) में आनंदपाल के विरुद्ध हुआ था। इसमें उन्होंने दिल्ली, अजमेर, ग्वालियर, उज्जैन आदि संयुक्त सेना को पराजित किया था।

महमूद गजनवी का भारत पर सातवाँ आक्रमण

इस आक्रमण के दौरान उन्होंने अलवर के नारायणपुर पर विजय प्राप्त की। कहा जाता है की इस हमले के दौरान नगरकोट के ज्वाला देवी मंदिर को भी निशान बनाकर लुटपाट की गई थी।

भारत पर महमूद गजनवी का आठवाँ आक्रमण

अपने आठवाँ आक्रमण जो 1010 ई. के आसपास हुआ था। इसमें महमूद गजनवी नें मुल्तन के शासक दाऊद को हरा कर हमेशा के लिए उसे अपने अधीन कर लिया।

भारत पर महमूद गजनवी का 9 वां आक्रमण

गजनवी ने अपने नौवा आक्रमण 1013 ई. में किया। इस दौरान उन्होंने ने थानेश्वर पर हमला किया।

महमूद गजनवी का भारत पर 10 वां आक्रमण

इनका दसवाँ आक्रमण 1013 ई. में नन्दशाह पर हुआ। नंदशाह को हिन्दूशाही शासक आनन्दपाल ने नई राजधानी बनाई थी। जब गजनवी का आक्रमण हुआ उस बक्त वहां का शासक त्रिलोचनपाल था।

जो वहाँ से भाग कर कश्मीर में शरण ले लिया। इस अभियान के दौरान गजनवी ने नन्दशाह में खूब लूटपाट की।

महमूद गजनवी द्वारा भारत पर 11 वां आक्रमण

गजनवी का 1015 में भारत पर ग्यारहवाँ आक्रमण हुआ। इस दौरान उन्होंने कश्मीर के शासक भीमपाल के विरुद्ध किया। जिसमें भीमपाल की पराजय हुई।

महमूद गजनवी द्वारा भारत पर 12 वां आक्रमण

उन्होंने अपना बारहवाँ आक्रमण 1018 ई. में कन्नौज पर किया। इस दौरान उन्होंने बुलंदशहर महाबन के शासक को पराजित किया।

इस दौरान कहते हैं की कन्नौज के शासक राज्यपाल ने युद्ध में पराजित होने के भय से पहले ही समर्पण कर दिया। उसके इस तरह आत्मसमर्पण करने से कालिंजर का चंदेल शासक गुस्सा होकर कन्नौज पर चढ़ाई कर दिया और राज्यपाल को जान से मार दिया।

महमूद गजनवी के 13 आक्रमण

अपने तेरहवाँ आक्रमण जो 1020 ई. में गजनवी द्वारा हुआ थ। इस दौरान उन्होंने  बुंदेलखण्ड, किरात तथा लोहकोट को निशान बनाया।

महमूद गजनवी द्वारा भारत पर 14 वां आक्रमण

महमूद गजनवी का भारत पर चौदहवाँ आक्रमण (1021 ई. में हुआ था। अपने इस आक्रमण के दौरान गजनवी ने ग्वालियर तथा कालिंजर को चढ़ाई की।

महमूद गजनवी द्वारा भारत पर 15 वां आक्रमण

उन्होंने भारत पर अपना पन्द्रहवाँ आक्रमण 1024 ई. में किया। उन्होंने इस दौरान लोदोर्ग (जैसलमेर), चिकलोदर (गुजरात) और अन्हिलवाड़ (गुजरात) को निशान बनाया और विजय दर्ज की।

महमूद गजनवी के 16 आक्रमण

अपने सोलहवाँ आक्रमण में महमूद गजनवी का सोमनाथ पर आक्रमण हुआ। महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर 1025 में आक्रमण किया। उन्होंने गुजरात के सोमनाथ मंदिर को निशाना बनाते हुए सोमनाथ में खूब तोड़फोड़ की।

महमूद गजनवी का अंतिम आक्रमण (17th attack of Mahmud Ghazni)

महमूद गजनवी का भारत पर अंतिम और 17 वां आक्रमण 1027 में हुआ। इसमें उन्होंने मुल्तान के तटवर्ती क्षेत्रों के जाटों को निशाना बनाते हुए उसे पराजित किया।

कहा जाता है की अपने आखिरी आक्रमण के दौरान महमूद गजनवी मलेरिया से पीड़ित हो गये इस प्रकार 1030 ईस्वी में इसकी मृत्यु हो गई |

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण

बस्ताव में महमूद गजनवी भारत पर अधिकार करने नहीं आया था। वह भारत के समृद्धि के बारे में जानता था। इसी कारण से अपना खजाना भरने के लिए गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया और वापस चला गया।

इससे प्रतीत होता है की महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण यहाँ की संपत्ति को सिर्फ लूटना था। जबकि कुछ इतिहासकार का मानना यह भी थे की गजनवी भारत में इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए भी आया था।

लेकिन इरादा नेक नहीं होने के कारण वे भारत के हिंदुओं के बीच इस्लाम धर्म के प्रति आकर्षण के वजाय घृणा का को बढ़ावा दे गया। अपने आक्रमण में उनका सिर्फ एक ही मतलब रहा भारत से अपार संपत्ति को लूटकर गजनी ले जाना।

भारत पर आक्रमण के समय उनका का सामना राजा जयपाल, आनंदपाल जैसे राजा से हुआ। उन्होंने अपने जीवनकाल में दिल्ली, कन्नौज, मथुरा, कांगड़ा, थानेश्वर, कश्मीर, ग्वालियर, मालवा, बुंदेलखंड और पंजाब पर आक्रमण किया। इस क्रम ने उन्होंने गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर सबसे बड़ा आक्रमण किया।

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के प्रभाव

कुछ इतिहासकारों के अनुसार महमूद गजनवी भारत के अकूत भंडार पाने की लोभ ने उसे एक लुटेरा बना दिया। कहते हैं की भारत पर आक्रमण का उसका उद्देश्य सिर्फ लूटना ही नहीं बल्कि भारत में इस्लाम धर्म का प्रचार भी कारण था।

इसी कारण से उन्होंने हरवर्ष भारत पर चढ़ाई का प्रण लिया था। लेकिन उनकी विध्वंसात्मक नीति और नरसंहार ने हिन्दुओं में इस्लाम के प्रति नफरत के वीज बोने का काम किया।

उनके द्वारा मूर्तियों और मंदिरों के विध्वंस के कारण भारतीय कला, वास्तुकला और मूर्तिकला को बहुत हानी हुई। पंजाब के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया जाय तो उसके राज्य का भारत में ज्यादा विस्तार नहीं हो सका।

लेकिन उसके इस आक्रमण से दूसरे देश के लोगों को भारत के राजाओं की सैन्य शक्ति का आकलन, उसकी दुर्वलता, और आपसी फुट का पता चल गया।

साथ ही भारत से बहुत अधिक मात्रा मे धन का दूसरे देश में जाना आर्थिक स्थिति भी कमजोर हुई। इसके अलावा महमूद गजनवी के इन आक्रमणों से भारत के राजवंश और भी दुर्बल हो गए। इसका प्रभाव हुआ की भारत की धरती पर मुस्लिम आक्रमनकारियों के लिए द्वार खुल गया।

F.A.Q महमूद गजनवी प्रश्नोत्तरी

महमूद गजनवी कौन था उसने भारत पर आक्रमण क्यों और कब किया?

महमूद गजनवी अफगानिस्तान के गजनी का शासक था। उसने भारत पर 1001 से लेकर 1027 तक करीब 17 बार आक्रमण किया। इनके आक्रमण का मकसद भारत को लूटना था।

महमूद गजनवी ने भारत पर कितने आक्रमण किए ?

गजनी के शासक सुल्तान महमूद गजनवी ने भारत पर कुल 17 बार आक्रमण किया था और यहाँ से ढेर सारे हीरे, मोती, जवाहरात अपने देश ले गए। 

महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण करना कब प्रारंभ किया ?

महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण करना 1001 में प्रारंभ किया और 1027 तक हरसाल आक्रमण करता रहा। इस दौरान उन्होंने काफी धन लूट कर अपने देश ले गए।

महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कब किया था ?

महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण 1027 ईस्वी मे  किया था। जब उसने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था तब वहाँ 5000 भक्त पूजा कर रहे थे। उन्होंने हजारों आदमी को कत्ल कर मंदिर से कीमती समान लूट कर अपने साथ ले गया।

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण का उद्देश्य क्या था ?

कुछ इतिहासकारों के अनुसार भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण का उद्देश्य भारत से अपार संपत्ति लूटकर अपने देश ले जाना था। इसके अलावा महमूद गज़नवी का उद्देश्य भारत में साम्राज्य विस्तार और इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार कारण था।

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