Satyendra Nath Bose Biography in Hindi – सत्येन्द्रनाथ बोस का जीवन परिचय

Satyendra Nath Bose Biography in Hindi – सत्येन्द्रनाथ बोस का जीवन परिचय

Facebook
WhatsApp
Telegram

Satyendra Nath Bose Biography in Hindi – महान भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस सांख्यिकी भौतिकी में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। वे एक उत्कृष्ट गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री थे। उन्हें बोस-आइन्सटीन स्टैटिस्टिक्स के आविष्कारक कहा जाता है।

सत्येन्द्र नाथ बोस (SATYENDRA NATH BOSE) महान वैज्ञानिक आइन्सटीन से अत्यंत प्रभावित थे। वे हमेशा आइन्सटीन को अपना गुरु मानते थे। इन्हें भारत का आइंस्टीन (bharat ka Einstein) कहा जा सकता है।

गणित के सांख्यिकी के क्षेत्र में अनुसंधान के बाद उन्होंने सबसे पहले अपने शोध पत्र को दुनियाँ के महान वैज्ञानिक आइन्सटीन के पास ही भेजा था। उनके शोध को पढ़कर महान वैज्ञानिक आइन्सटीन बहुत प्रभावित हुए थे।

बाद में उनका यही शोध बोस-आइन्सटीन सांख्यिकी के नाम से दुनियाँ में प्रसिद्ध हुआ। भौतिक शास्त्र के प्रत्येक छात्र बोसान नामक अणु से परिचित होंगे।क्रिस्टल विज्ञान की दुनियाँ में उनका विशेष योगदान रहा।

विज्ञान के छात्र जानते हैं भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु  बोसॉन और फर्मियान होते हैं। इसमें ‘बोसान’ नाम महान भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस के नाम पर ही रखा गया है। 4 जून 2022 को गूगल ने सत्येन्द्र नाथ बोस को डूडल बनाकर समाननित किया।

SATYENDRA NATH BOSE BIOGRAPHY IN HINDI - सत्येन्द्रनाथ बोस का जीवन परिचय , प्रारम्भिक जीवन, कैरियर, जीवनी
SATYENDRA NATH BOSE BIOGRAPHY IN HINDI – सत्येन्द्रनाथ बोस का जीवन परिचय

आइये सत्येन्द्र नाथ बोस का जीवन परिचय शीर्षक वाले इस लेख में उनके उनके जीवनी के वारे में विस्तार से जानते हैं।

सत्येन्द्रनाथ बोस का जीवन परिचयSATYENDRA NATH BOSE IN HINDI

जन्म व प्रारंभिक जीवन

महान भौतिकशास्त्री और गणितज्ञ सत्येन्द्र नाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 ईस्वी में पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में हुआ था। उनके पिता का नाम सुरेन्द्र नाथ बोस था। जो भारतीय रेलवे में उच्च पद पर तैनात थे।

उनके माता का नाम अमोदिनी रायचौधुरी था। बोस साहब अपने सात भाइयों में सबसे बड़े थे। उनकी शादी उषाबती बोस से हुई थी।

सत्येन्द्रनाथ बोस का जीवन परिचयशिक्षा दीक्षा

सत्येन्द्रनाथ बोस बचपन से ही पढ़ने में अत्यंत ही मेधावी थे। अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर सदैव ही अपने क्लास में प्रथम आते थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर के ही पास वाले स्कूल में हुई थी। बाद में उन्होंने न्यू इंडियन स्कूल और फिर हिंदू स्कूल में हाई स्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की।

READ  प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक कमला कांत पांडे की जीवनी | Biography of Kamla Kant Pandey in Hindi

विज्ञान व गणित में उनकी बचपन से ही रुचि थी। एकबार उनको जब गणित के पेपर में 100 से 100 मार्क्स आया था। तब मार्क्स को देखकर उनके क्लास टीचर ने भविष्यवाणी की थी की एक दिन यह लड़का जरूर बड़ा आदमी बनेगा।

सत्येन्द्रनाथ बोस के अंदर एक सवाल को कई तरीके से हल करने की अद्भुत प्रतिभा थी। हाई स्कूल के बाद उच्च शिक्षा के लिए उनका नामांकन कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कालेज में हुआ।

यहाँ पर उन्हें महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस और प्रफुल्ल चन्द्र राय के क्लास में पढ़ने का मौका मिल। कलकता महाविध्यालय से उन्होंने सन 1915 ईस्वी में M. Sc की परीक्षा उत्तीर्ण की। एम एस सी की परीक्षा में इन्होंने पूरे कलकत्ता विश्वविद्यालय में पहला स्थान प्राप्त किया।

सत्येंद्र नाथ बोस के “कैरियर” बारे में

सत्येंद्र नाथ बोस भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध महान हुए। लेकिन उनके पास डाक्टरेट की उपाधि नहीं थी। जो एक प्रोफेसर के लिए जुरुरी होता है। इस कारण शुरुआती दिनों में उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ा।

उन्हें ढाका विश्वविद्यालय में नियुक्ति के लिए विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन का सिफारिस पत्र प्रस्तुत करना पड़ा। तब जाकर सन् 1916 ईस्वी में उनकी नियुक्ति ढाका विश्वविद्यालय में भौतिकी विज्ञान के अध्यापक के रूप में हुई।

सन् 1945 ईस्वी में बोस साहब ढाका से कलकत्ता आ गए। यहाँ इन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हो गए। सन् 1956 ईस्वी में उन्हें रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतीनेकेतन के विश्वभारती महाविद्यालय में कुलपति के पद पर नियुक्त किया गया। 

जीवन में नया मोड़

सत्येन्द्रनाथ बोस दिन-रात ने विषय के अनुसंधान में लगे रहते। सन 1916 ईस्वी में प्रोफेसर और सन् 1923 ईस्वी में रीडर के पद पर पहुचने के बाद बोस ने अपने अनुसंधान पर आधारित एक शोधपत्र तैयार किया।

जिसका विषय था “प्लांक्स लॉ एण्ड लाइट क्वांटम“। लेकिन जब इस शोधपत्र को उन्होंने एक विदेशी पत्रिका (ब्रिटिश जर्नल) में प्रकाशन हेतु भेजा। विदेशी पत्रिका ने उनके शोध पत्र को प्रकाशित करने से मना कर दिया।

READ  भारत के महान रसायनज्ञ टी.आर. शेषाद्री की जीवनी | Biography of TR Seshadri in Hindi

यहाँ तक की विदेशी के साथ-साथ भारतीय पत्रिका भी उनके शोध पत्र के प्रकाशन से मुँह फेर लिया। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्हें अपने शोधकार्य पर पूरा भरोसा था। उन्होंने अपने शोधपत्र को महान वैज्ञानिक आइन्सटीन के पास भेजा। यहीं से उनके जीवन में नया मोड़ आया।

बोस का नाम आइन्सटीन से जुड़ना

आइन्सटीन ने उनके शोध-पत्र को को पढ़ा और उनके कार्य से बहुत ही प्रभावित हुए। महान वैज्ञानिक आइन्सटीन ने बोस को पत्र लिख कर उनके शोधपत्र की सराहना की। साथ ही उनके शोधपत्र का जर्मन भाषा में अनुवाद किया।

महान वैज्ञानिक आइन्सटीन का नाम उस शोध पत्र से जुडते ही विश्व के कई पत्र-पत्रिका में उनका शोधपत्र प्रकाशित हुआ। इसके बाद सत्येन्द्रनाथ बोस का नाम पूरे दुनियाँ में प्रसिद्ध हो गया।

इस प्रकार सत्येन्द्र नाथ बोस का नाम महान वैज्ञानिक आइन्सटीन के नाम के साथ सदा के लिए जुड़ गया। अपने विदेश यात्रा के दौरान इन्होंने आइन्सटीन से मुलाकात भी की। भारत के इस महान वैज्ञानिक बोस को मैडम क्यूरी के साथ भी काम करने का मौका मिला।

सत्येन्द्र नाथ बोस का गणित में योगदान

भारत मे क्रिस्टल विज्ञान की दुनियाँ में बोस का उल्लेखनीय योगदान दिया माना जाता है। इसके लिए उन्होंने crystal Lab का निर्माण करवाया। सत्येन्द्र नाथ बोस की खोज गणित के सांख्यिकी पर आधारित था।

बाद में उन्होंने गणित के सांख्यिकी से सम्बद्ध इस शोधपत्र को प्रकाशन के लिए भेज। इस शोधपत्र को भी संपादक मंडल ने छापने से मना कर दिया था। बाद में बोस ने इस शोधपत्र को भी आइन्सटीन के पास भेजा।

आइन्सटीन ने इनके शोध पत्र में कुछ संशोधन किया। उसके बाद उनका शोध पत्र ‘जीट फर फिजिक’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ। उनका यह आविष्कार बोस-आइन्सटीन सांख्यिकी अर्थात बोस-आइंस्टीन स्टेटिस्टिक्स और बोस-आइंस्टीन कंडनसेट के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

उन्होंने महान भारतीय वैज्ञानिक मेधनाथ साहा के साथ मिलकर गैसों की स्थिति से संबंधित समीकरण विकसित किये। इस प्रकार इस महान वैज्ञानिक ने कई उपलब्धियां को अपने नाम

READ  वैज्ञानिक के. सिवन की जीवनी | K Sivan Biography in Hindi jivani

सम्मान व पुरस्कार

सत्येन्द्र नाथ बोस को लंदन के रॉयल सोसाइटी अपना फैलो(सदस्य) मनोनीत किया। विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए सन 1958 ईस्वी में भारत सरकार ने उन्हें “पद्म विभूषण” से अलंकृत किया।

सन 1959 में उन्हें भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय प्रोफेसर‘ की उपाधि से अलंकृत किया। यधपि सत्येन्द्र नाथ बोस को नोबेल पुरस्कार नहीं मिल सका लेकिन उनका योगदान किसी नोबेल प्राप्तकर्ता वैज्ञानिक से कम नहीं था।

रवींद्र नाथ टैगोर ने इस महान वैज्ञानिक को समर्पित करते हुए इस पुस्तक लिखी जिसका शीर्षक था – “विश्व परिचय“। वे “इंडियन फिजिकल सोसाइटी” और “नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के प्रेसीडेंट” भी रहे।

सत्येन्द्र नाथ बोस वैज्ञानिक के साथ-साथ राजनेता भी थे। भारत सरकार ने उन्हें राज्य सभा के सदस्य चुना। वे सन 1952 से 1956 तक राज्य सभा के सदस्य रहे।  

भारत सरकार ने उनके सम्मान में सन 1986 में कलकता में ‘एस अन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज‘ की स्थापना की।

उनकी स्मृति में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रतिवर्ष “सत्येन्द्र नाथ स्मारक पुरस्कार” प्रदान किया जाता है। सत्येंद्र नाथ बोस के सम्मान में प्रतिवर्ष विज्ञान के छात्रों को एसएन बोस स्कॉलरशिप (sn bose scholarship) प्रदान किया जाता है। Google ने सत्येन्द्र नाथ बोस को 4 जून 2022 को डूडल बनाकर समाननित किया।

निधन

कहते हैं की जीवन के अंतिम पराव में उन्होंने सन्यासी की तरह जीवन व्यतीत करने लगे। महान वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस का 4 जनवरी 1974 को कलकत्ता में निधन हो गया। 

अपने जीवन का 80 वर्ष विज्ञान के लिए को समर्पित करने वाले इस महान वैज्ञानिक के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आपको सत्येन्द्र नाथ बोस बायोग्राफी (SATYENDRA NATH BOSE BIOGRAPHY IN HINDI ) जरूर अच्छी लगी होगी। अपने कमेंट्स से अवगत करायें।

Amit

Amit

मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

Leave a Comment

Trending Posts