Shanti Swarup Bhatnagar Award: शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भारत में सर्वोच्च बहुविषयक विज्ञान पुरस्कार माना जाता है। इसकी शुरुआत प्रसिद्ध रसायनज्ञ और दूरदर्शी शांति स्वरूप भटनागर के नाम पर रखा गया है।
शांति स्वरूप भटनागर एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक थे। उनका जन्म 21 फरवरी, 1894 को भेरा, पंजाब प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब पंजाब, पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता का नाम परमेश्वरी सहाय भटनागर था।
उनकी मृत्यु 1 जनवरी, 1955 को नई दिल्ली, में हुई थी। उन्हें वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के संस्थापक निदेशक होने के गौरव प्राप्त है।
उनके सम्मान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार भारत में सर्वोच्च बहुविषयक विज्ञान पुरस्कारों में से एक है।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की शुरुआत – Shanti Swarup Bhatnagar Award in Hindi
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की गिनती भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के अग्रणी पुरस्कारों में की जाती है। इन पुरस्कारों की शुरुआत भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. शांति स्वरूप भटनागर के नाम शुरू हुई थी।
वैज्ञानिक शांति स्वरूप भटनागर का विज्ञान में अहम योगदान के अलावा भारत में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की स्थापना 1958 में हुई थी। यह पुरस्कार विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान और भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को आगे बढ़ाने वाले भारतीय शोधकर्ताओं के असाधारण वैज्ञानिक कार्यों को पहचानने के लिए प्रदान किया जाता है।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार श्रेणी
यह पुरस्कारों भारत में विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान करने वाले वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाता है। भारत में विज्ञान का सर्वोच्च सम्मान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को प्रतिवर्ष दिया जाता है।
यह पुरस्कार जैविक विज्ञान, रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग विज्ञान, पृथ्वी, वायुमंडल, महासागर और ग्रह विज्ञान, गणितीय विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रदान किया जाता है।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार की राशि
विज्ञान के इस प्रसिद्ध पुरस्कार में से एक इस पुरस्कार में नकद राशि प्रदान की जाती है। इसके तहद प्रत्येक पुरस्कार विजेता वाईगीनीक को 5,00,000 रुपये (पांच लाख रुपये) का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए पात्रता
विज्ञान के इस प्रतिष्ठित पुरस्कारों पाने के लिए एक वैज्ञानिक को सबसे पहले भारत का नागरिक होना चाहिए। उनका वैज्ञानिक अनुसंधान कार्य उत्कृष्ट योगदान होना चाहिए।
यह पुरस्कार युवा और होनहार वैज्ञानिक को प्रोत्साहित करने के लिए लिए प्रदान किया जाता है। इस कारण से इस पुरस्कार पाने वाले वैज्ञानिक की आयु 45 वर्ष से कम होनी चाहिए।
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार का इतिहास
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भारत का सर्वोच्च वैज्ञानिक सम्मान है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
इसका नाम प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और दूरदर्शी डॉ. शांति स्वरूप भटनागर के नाम पर रखा गया है। जिन्होंने आजादी के बाद भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शांति स्वरूप भटनागर कौन थे (Shanti Swarup Bhatnagar in Hindi)
डॉ. शांति स्वरूप भटनागर की गिनती भारत के एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में होती है। वे भारत के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के संस्थापक निदेशक थे। आगे चलकर वे इस संस्थान के प्रथम महानिदेशक बने।
उन्हें मात्र बारह वर्षों में बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएँ स्थापित कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल किया था। उनके प्रयास के फलस्वरूप भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी बुनियादी ढांचे के निर्माण और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी नीतियों को तैयार करने सफलता मिली।
डॉ. भटनागर ने भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर आसनी रहकर देश की सेवा की। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पहले अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। वे भारत सरकार में शिक्षा मंत्रालय के सचिव और सरकार के शैक्षिक सलाहकार रहे।
इसके अलावा उन्होंने प्राकृतिक संसाधन और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय के पहले सचिव तथा परमाणु ऊर्जा आयोग के सचिव के रूप में भी योगदान दिया। उनका भारत के राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।
विज्ञान में योगदान
इन महत्वपूर्ण पदों के अलावा डॉ. भटनागर ने मैग्नेटोकैमिस्ट्री और इमल्शन के भौतिक रसायन विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पूरे विश्व में उनके शोध कार्य को व्यापक रूप से मान्यता मिली और उन्हें कई सम्मान से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1936 में उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (ओबीई) सम्मान से सम्मानित किया गया। वर्ध 1941 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें नाइट की उपाधि प्रदान की। रॉयल सोसाइटी, लंदन ने वर्ष 1943 में अपना फ़ेलो चुना। भारत सरकार ने 1954 में उन्हने पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया। .
यह विभिन्न वैज्ञानिक विषयों में 45 वर्ष से कम आयु के उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है, जो यह पुरस्कार भारत में स्वदेशी अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 45 वर्ष से कम उम्र के वैज्ञानिक को दिया जाता है।