10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार | Indian scientists and their inventions in Hindi

10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार | Indian scientists and their inventions in Hindi
10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार | Indian scientists and their inventions in Hindi

10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार – Indian scientists and their inventions in Hindi

यहाँ जिन सभी 10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार की चर्चा की गई है, उन्होंने अभूतपूर्व आविष्कारों के माध्यम से विश्वभर में भारत का नाम रौशन किया है। भारत में कई प्रभावशाली वैज्ञानिकों ने जन्म लिये हैं।

Contents
10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार – Indian scientists and their inventions in HindiIndian scientists and their inventions in Hindi1. डॉ. विक्रम साराभाई2. डॉ. सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर3. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम4. डॉ. सी.वी. रमन5. डॉ. होमी जहांगीर भाभा6. डॉ. हरगोबिंद खुराना7. डॉ. जगदीश चंद्र बोस8. डॉ. प्रफुल्ल चंद्र रे9. डॉ. श्रीनिवास रामानुजन10. गणितज्ञ नीना गुप्ता10 भारतीय वैज्ञानिक के नाम और उनके अविष्कारों की जानकारी – Indian Scientists Name in Hindiअक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (F.A.Q )भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक किसे माना जाता है?1983 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार किसने जीता?रमन प्रभाव क्या है?टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना का श्रेय किसे दिया जाता है?समापन (conclusion)

जिनका विश्व को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन वैज्ञानिकों ने नए सिद्धांत विकसित कर और नई तकनीकों का आविष्कार कर दुनिया पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।

क्योंकि भारत प्राचीन काल से ज्ञान और विज्ञान का केंद्र रहा है। गणित से लेकर विज्ञान तक भारत के वैज्ञानिक ने अपना परचम लहराया। चाहे भौतिकी विज्ञान की बात हो चिकित्सा विज्ञान की भारतीय वैज्ञानिक का योगदान सराहनीय रहा है।

आइये 10 भारतीय वैज्ञानिक के नाम और उनके अविष्कारों की सूची के बारें में विस्तार से जानते हैं।

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10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार | Indian scientists and their inventions in Hindi
10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार

Indian scientists and their inventions in Hindi

1. डॉ. विक्रम साराभाई

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक डॉ. विक्रम साराभाई को कहा जाता है। डॉ. विक्रम साराभाई एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे। उन्ही के प्रयास से वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना हुई थी।

उन्होंने देश के विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग पर वल दिया। उनका मानना था की देश के विकास और लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

इन्हीं के नेतृत्व में भारत में अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट का पृथ्वी की कक्षा में सफलता पूर्वक स्थापित किया था।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : – डॉ. विक्रम साराभाई की जीवनी खोज और योगदान

2. डॉ. सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर

डॉ. एस. चंद्रशेखर एक प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी खगोल विज्ञानी थे। उन्होंने तारों की सैद्धांतिक संरचना और उनके विकास पर अनुसंधान के लिए जाना जाता है। उन्होंने “चंद्रशेखर लिमिट” की खोज की थी।

उनके इस खोज के लिए वर्ष 1983 में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उनका जन्म अभिजीत भारत के वर्तमान पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। बाद में वे संयुक्त राज्य अमेरिका के में शिकागो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बने।

उन्होंने अपने शोध कार्य करते हुए खगोल विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : – डॉ. सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर का सम्पूर्ण जीवन परिचय

3. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

भारतीय वैज्ञानिक के नाम की सूची में कलाम साहब का नाम सर्वोपरि है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे। उनका भारत में नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के विकास में अहम योगदान माना जाता है। उन्हें रोहिणी उपग्रह के सफल प्रक्षेपण का श्रेय दिया जाता है।

मिसाइल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के कारण उन्हें “भारत का मिसाइल मैन” कहा जाता है। एक निर्धन परिवार मे जन्म लेकर वे अखवार बेचने से लेकर राष्ट्रपति तक का सफर तय किया।

डॉ कलाम 2005 में भारत के राष्ट्रपति बने और 2007 तक इस पद पर रहे। भारत को परमाणु सम्पन्न देश बनाने में कलाम साहब का अहम योगदान रहा। उन्हीं के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1998 में पोखरण में अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मिसाइल में से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

4. डॉ. सी.वी. रमन

डॉ. सी.वी. रमन की गिनती भारतीय के एक महान भौतिक विज्ञानी के रूप में की जाती है। डॉ सी.वी. रमन को प्रकाश के प्रकीर्णन पर उल्लेखनीय कार्य के लिए जाना जाता है।

उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन पर शोधकार्य किया और फोटोन कणों के वितरण से संबंधित अहम बातों से विश्व को अवगत कराया। डॉ. सी.वी. रमन की महत्वपूर्ण खोज ‘रामन प्रभाव’ (‘ रमन इफेक्ट ’) जिसे उन्हें विश्व प्रसिद्ध बना दिया।

इस खोज के कारण क्रिस्टल की आंतरिक संरचना, के अध्ययन में काफी मदद मिली। भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में अमूल्य योगदान और खोज के लिए उन्हें 1930 ईस्वी में नोवेल पुरस्कार प्रदान किया गया। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 1929 ईस्वी में इंगलेंड के सबसे बड़े सम्मान ‘सर’ की उपाधि प्रदान की। 

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : डॉ. सी.वी. रमन का सम्पूर्ण जीवन परिचय

5. डॉ. होमी जहांगीर भाभा

डॉ होमी जहांगीर भाभा एक प्रसिद्ध भारतीय भौतिक वैज्ञानिक थे। उन्होंने परमाणु भौतिकी के क्षेत्र में देश की अहम शोध के लिए जाने जाते हैं। डॉ. होमी जे. भाभा को देश के प्रथम परमाणु रिएक्टर और परमाणु कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।

डॉ. भाभा ने वर्ष 1945 में भारत के अग्रणी शोध संस्थानों में से एक टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) की स्थापना की थी। भारत में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना का श्रेय डॉ भाभा को जाता है। डॉ भाभा को भारत में “परमाणु कार्यक्रम का जनक” कहा जाता है।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : डॉ. होमी जहांगीर भाभा का जीवन परिचय और योगदान

6. डॉ. हरगोबिंद खुराना

डॉ. हर गोबिंद खुराना एक जाने माने भारतीय-अमेरिकी जैव रसायनशास्त्री थे,  उनका आणविक जीव विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। हरगोविन्द खुराना ने सर्वप्रथम DNA के राज से प्रदा उठाया था।

साथ ही उन्होंने डी.एन. तथा आर.एन.ए. को संश्लेषित तरीकों से विकसित करने की विधि खोजी थी। उन्हें सबसे पहले कृत्रिम जीन के संश्लेषण पर शोध करते हुए दुनियाँ को कई रहस्य से अवगत कराया। उन्हें 1968 ईस्वी में मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला।

जीन इंजीनियरिंग की नींव रखने में भी हरगोबिंद खुराना का अहम योगदान रहा। खुराना साहब प्रथम वैज्ञानिक थे  जिन्होंने प्रोटीन के संश्लेषण में न्यूक्लिटाइड की भूमिका को प्रदर्शित किया था।

उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को विज्ञान को समर्पित का दिया और  400 से भी अधिक उनके शोधपत्र प्रकाशित हुए।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : डॉ. हरगोबिंद खुराना का जीवन परिचय

7. डॉ. जगदीश चंद्र बोस

डॉ जगदीश चंद्र बोस का विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए जाना जाता हा। वे एक वनस्पति विज्ञानी थे, जिन्होंने  भौतिकी और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया।

उन्होंने दुनियाँ को सबसे पहले सिद्ध कर दिखाया था की पौधे में भी जान होती है। उन्हें भी सुख दुख का अहसास होता है। जहर के प्रभाव से उनमें भी उत्तेजना होती है और उनी उनकी मृत्यु हो सकती है।

उन्होंने पेड़-पौधे की संवेदनशीलताओं को प्रमाणित करने के लिए क्रेस्कोग्राफ (crescograph)   नामक एक यंत्र का अविस्कार किया। कहा जाता है की रेडियो का अविस्कार उन्होंने मार्कोनी से 2 साल पहले ही कर दिया था।

लेकिन मार्कोनी ने उनसे पहले इसे पेटेंट करा लिया जिससे इसका श्रेय मार्कोनी को चला गया।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : डॉ. जगदीश चंद्र बोस का सम्पूर्ण जीवन परिचय और अविस्कार

8. डॉ. प्रफुल्ल चंद्र रे

डॉ प्रफुल्ल चंद्र रे भारत के एक महान रसायन विज्ञानी थे। रसायन विज्ञान में  व्यापक योगदान के कारण उन्हें भारत में रसायन उद्योग का जनक कहा जाता है। वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर थे।

उनका कार्बनिक रसायन के अलावा फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में अहम योगदान रहा। उन्होंने बंगाल कैमिकल और फार्मास्युटिकल वर्क्स की शुरुआत की थी।

उन्होंने देश के युवा रसायन विज्ञानी छात्रों को प्रोत्साहित करने का काम किया और उनके लिए कई अनुसंधन केन्द्र की स्थापना की। डॉ. प्रफुल्ल चंद्र रे ने अपने शोध का संकलन एक पुस्तक के रूप में किया।

उनके पुस्तक का नाम “हिस्ट्री ऑफ हिन्दू कैमिस्ट्री”  के नाम से जाना जाता है।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : डॉ. प्रफुल्ल चंद्र रे का सम्पूर्ण जीवन परिचय

9. डॉ. श्रीनिवास रामानुजन

डॉ. श्रीनिवास रामानुजन की गिनती एक महान भारतीय गणितज्ञ में की जाती है। उनका गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उन्होंने संख्या सिद्धांत, अनंत श्रृंखला और गणितीय विश्लेषण के क्षेत्र दुनियाँ को विशेष रूप मसे अवगत कराया।

गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को “गणित का जादूगर” माना जाता है। उनके अंदर गणित के सवाल को अनेकों तरीके से सुलझाने की अद्भुत क्षमता थी।

यही कारण है की श्रीनिवास रामानुजन को “Man who knew Infinity ” के नाम से जाना जाता हैं। उनके द्वारा प्रतिपादित शोध, प्रेमय और सूत्र अनेकों देशी विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : डॉ. श्रीनिवास रामानुजन का सम्पूर्ण जीवन परिचय

10. गणितज्ञ नीना गुप्ता

नीना गुप्ता की गिनीति दुनियाँ के प्रसिद्ध गणितज्ञ व शिक्षाविद में की जाती है। पश्चिम बंगाल की कोलकाता के एक विश्व विध्याल में तैनात गणितज्ञ नीना गुप्ता ने गणित से जुड़ी ऐसी गुत्थी को सुलझा दिया जिसके लिए  पिछले 70 सालों से गणितज्ञ परेशान और लगा हुआ था।

मैथ्स जीनियस के रूप में गणितज्ञ नीना गुप्ता अद्भुत कारनामा करते हुए  सिद्ध कर दिया की लड़कियां भी लड़कों से किसी भी कीमत में कम नहीं है। उन्होंने कम्यूटेटिव बीजगणित और बीजगणितीय ज्यामिति में उल्लेखनीय योगदान दिया।

गणित में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए  2021 में उन्हें रामानुजन पुरस्कार से अलंकृत किया गया। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली गणितज्ञ नीना गुप्ता भारत की दूसरी तथा दुनियाँ की तीसरी महिला हैं।

विस्तार से जानने के लिए पढ़ें : गणितज्ञ नीना गुप्ता की सम्पूर्ण जीवनी

10 भारतीय वैज्ञानिक के नाम और उनके अविष्कारों की जानकारी – Indian Scientists Name in Hindi

1.डॉ. विक्रम साराभाईभारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक
2.डॉ. सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखरचंद्रशेखर लिमिट की खोज
3.डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलामस्वदेशी (SLV) विकसित करने श्रेय
4.डॉ. सी.वी. रमनरमन प्रभाव की खोज
5.डॉ. होमी जहांगीर भाभाभारत में परमाणु ऊर्जा रिएक्टर की स्थापना का श्रेय
6.डॉ. हरगोबिंद खुरानान्यूक्लिक एसिड में न्यूक्लियोटाइड का क्रम तथा जीन का पता लगाना
7.डॉ. जगदीश चंद्र बोसक्रेस्कोग्राफ का अविस्कार
8.डॉ. प्रफुल्ल चंद्र रेनए यौगिक मर्क्यूरस नाइट्राइट की खोज
9.डॉ. श्रीनिवास रामानुजनसंख्या सिद्धांत का प्रतिपादन
10.गणितज्ञ नीना गुप्ताबीजगणित की कई दशक पुरानी पहेली को सुलझाया

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (F.A.Q )

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक किसे माना जाता है?

डॉ. विक्रम साराभाई को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है।

1983 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार किसने जीता?

डॉ एस चंद्रशेखर ने वर्ष 1983 में भौतिकी विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।

रमन प्रभाव क्या है?

रमन प्रभाव प्रकाश की आवृत्ति में परिवर्तन है जो अणुओं द्वारा बिखरने पर होता है। इसकी खोज भारतीय भौतिक विज्ञानी डॉ. सी.वी. रमन 1929 में की थी।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना का श्रेय किसे दिया जाता है?

डॉ. होमी जे. भाभा को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने इस संस्थान की स्थापना 1945 में की थी।

समापन (conclusion)

आपको 10 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम और उनके आविष्कार (Indian scientists and their inventions in Hindi) शीर्षक से जुड़ी जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी। इसमें सुधार के लिए कमेंट्स करें।

इन्हें भी पढ़ें : भारत के 20 प्रसिद्ध गणितज्ञ की जीवनी

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