सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी खगोलशास्त्री के रूप में पहचान रखते हैं। उन्हें ‘White Dwarf’ नामक तारे पर शोध करने तथा ‘चन्द्रशेखर लिमिट’ (Subrahmanyan Chandrasekhar limit ) के लिए जाना जाता है।
भौतिकी के क्षेत्र में की गई शोध हेतु उन्हें सन 1983 में विलियम ए फाउलर के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया। सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर महान नॉवेल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन के भतीजे थे जिन्हें 1930 में भौतिकी के लिए नॉवेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
उनके अनुसंधान से ब्रह्मांड के बारे में कई अनसुलझे राज को समझने में मदद मिली। सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने बतलाया की अगर तारे का आकार चंद्रशेखर लिमिट से आगे बढ़ने पर टूट जाता है।
आईए इस लेख में सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर ( Subrahmanyan Chandrasekhar in Hindi ) के बारें में विस्तार से जानते हैं।
महान खगोल वैज्ञानिक सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर की जीवनी – Subrahmanyan Chandrasekhar In Hindi
पूरा नाम | सुब्रम्हण्यम चंद्रशेखर |
जन्म तिथि व स्थान | 19 अक्टूबर, 1910 लाहौर |
पिता का नाम | सी.एस. अय्यर |
माता का नाम | सीता बालकृष्णन |
प्रसिद्ध | चंद्रशेखर लिमिट की खोज के कारण |
सम्मान | नॉवेल पुरस्कार से सम्मानित |
पत्नी का नाम | ललिता (Lalitha chandrasekhar) |
सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर का प्रारम्भिक जीवन
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर 1910 को तत्कालीन ब्रिटीश भारत के लाहौर मे हुआ था। आजादी के बाद लाहौर पाकिस्तान का भाग है। सुब्रह्मण्याम चंद्रशेखर (Dr S Chandrasekhar) के पिता का नाम सी.एस. अय्यर थे।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर के पिता लाहौर स्थित उत्तर पश्चिम रेलवे में डिप्टी ऑडिटर जनरल के पद पर तैनात थे। उनकी माता का नाम सीता बालकृष्णन थी। उनकी पत्नी का नाम ललिता चंद्रशेखर (Lalitha Chandrasekhar) था।
शिक्षा
डॉ. सुब्रह्मण्याम चंद्रशेखर शुरू से ही पढ़ने में बड़े प्रतिभावान थे। डॉ. सुब्रह्मण्याम चंद्रशेखर की प्रारम्भिक शिक्षा मद्रास में हुई।
अपनी प्रारम्भिक शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसिडेंसी कालेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। अपने स्कूल जीवन से ही उन्होंने शोध करना शुरू कर दिया था।
कम उम्र में उपलब्धि
मात्र 18 साल की उम्र में डॉ. एस चंद्रशेखर का प्रथम शोधपत्र ‘इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स’ में प्रकाशित हुआ था। स्नातक की डिग्री हासिल करने तक सुब्रह्मण्यम चंद्र शेखर का कई शोधपत्र प्रसिद्ध हो चुका था। उनके शोध-पत्र विश्व के कई विख्यात पत्र-पत्रिकाओं में छप चुके थे।
यहाँ तक की उनके शोधपत्र को इंगलेंड के रॉयल सोसायटी में भी लोगों द्वारा पढ़ा गया। क्योंकि प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी में इनके शोध पत्र को स्थान मिला। इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करना बहुत बड़ी बात थी।
डॉ. एस चंद्रशेखर का खगोल विज्ञान में योगदान – Subrahmanyan Chandrasekhar contributions
स्नातक के बाद वे और भी अधिक लग्न और कड़ी मेहनत से अपने अनुसंधान में लग गए। 25 की उम्र पार करते-करते इनकी गिनती प्रसिद्ध खगोल भौतिक वैज्ञानिक के रूप में होने लगी।
उनके इस शोध से खगोल वैज्ञानिक को तारों के वायुमंडल को समझने में मदद मिला। साथ ही उन्होंने आकाश गंगा, रोटेटिंग प्लूइड मास तथा आकाश के नीलेपन पर भी अपने शोध द्वारा कई महत्वपूर्ण जानकारी दी।
ब्लेक हॉल की राज से पर्दा उठाया
उन्होंने बहुत ही कम उम्र में ब्लेक हॉल के राज से पर्दा उठाया। उन्होंने तारों के गिरने और लुप्त के बारें में गहन अध्ययन कर उनके गुत्थी का समझा।
सफेद बौने तारे अर्थात व्हाइट ड्वार्फ स्टार के बारें में उनका शोध बहुत लोकप्रिय हुआ। हालांकि उनके शोध का सर आर्थर एडिंगटन द्वारा शुरू में खिल्ली उड़ाई गई। लेकिन बाद में उनके तथ्य को स्वीकार किया गया।
उन्होंने अपने शोध में बताया की एक निश्चित द्रव्यमान के बाद ये तारे टूट कर ब्लेक हॉल में तब्दील हो जाते हैं। क्योंकि एक निश्चित मास प्राप्ति के बाद इन तारों के भार में बढ़ोतरी संभव नहीं है।
उन्होंने अपना शोध 11 जनवरी 1935 को लंदन की प्रसिद्ध रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में जमा भी किया। उन्होंने अपने अनुसंधान में बताया की एक निश्चित द्रव्यमान (मास) के बाद तारे सिकुड़ कर बहुत भारी हो जाएंगे। इस तरह उन तारों का अंत हो जायेगा।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर की खोज – discovery invention
इनकी खोज की बात की जाय तो उन्होंने तारों और ग्रहों पर अपने अनुसंधान के दौरान एक प्रसिद्ध खोज की। उनका यह खोज चंद्रशेखर लिमिट’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
उन्होंने ‘White Dwarf’ नामक तारे पर शोध करते हुए बताया की तारे का आकार ‘चन्द्रशेखर लिमिट’ (Subrahmanyan Chandrasekhar limit ) से अधिक होने पर उसमें विस्फोट हो जाता है।
अमेरिका की नागरिकता
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर सन 1937 में अमेरिका की नागरिकता लेकर वहीं पर अपना अनुसंधान करने लगे। विदेश में बसने के बावजूद भी उनका अपने देश से प्रेम खत्म नहीं हुआ।
वे हमेशा भारत के उत्थान के बारें में सोचते रहते थे। महान गणितज्ञ रामानुजन से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने मद्रास में ‘रामानुजम इंस्टीच्यूट ऑफ मैथिमैटिक्स’ की स्थापना में काफी सहयोग किया।
सम्मान व पुरस्कार
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर लगभग बीस साल तक एस्ट्रोफिजिकल जर्नल के एडिटर के रूप में काम किया। वे एक खगोल शास्त्री के साथ एक अच्छे गणितज्ञ भी थे। विज्ञान में अमूल्य योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया।
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर नोबेल पुरस्कार (Subrahmanyan chandrasekhar nobel prize in hindi)
भौतिक विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें सन 1983 में विश्व प्रसिद्ध नॉवेल पुरस्कार मिला। इसके अलावा उन्हें निम्नलिखित पुरस्कार मिले :-
- सन 1944 में इंगलेंड के रॉयल सोसाइटी ने अपना फ़ेलो बनाया।
- भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक समान ‘पदम् विभूषण’
- भारतीय विज्ञान अकादमी द्वारा सन 1961 में ‘रामानुजन पदक’
- कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने गणित में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘एडम्स पुरस्कार’
डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् चंद्रशेखर का निधन
डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् चंद्रशेखर जीवन-पर्यंत अपने अनुसंधान में लगे रहे। डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् चंद्रशेखर का शिकागो में 22 अगस्त 1995 को 84 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
आज वे हमारे बीच नहीं रहे लेकिन खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (F.A.Q)
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Q.डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् चंद्रशेखर किस लिए प्रसिद्ध हैं। (what is Subrahmanyan Chandrasekhar famous for )
Ans. डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् चंद्रशेखर खगोल क्षेत्र में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने चंद्रशेखर लिमिट का पता लगाया।
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चंद्रशेखर सीमा किसका मात्रक है?
किसी स्थायी श्वेत बौने नक्षत्र का अधिकतम सम्भावित द्रव्यमान चन्द्रशेखर सीमा (Subrahmanyan Chandrasekhar limit ) के नाम से जाना जाता है।
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सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को कब नोबेल पुरस्कार मिला?
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर दुनियाँ के प्रसिद्ध खगोलशास्त्रि (astrophysicist) हैं। उन्हें खगोलशास्त्र में योगदान के 1983 में विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
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एस चंद्रशेखर ने किसकी खोज की थी?
एस चंद्रशेखर ने चन्द्रशेखर लिमिट की खोज की थी। अपने इस खोज के कारण वे विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक के रूप में प्रसिद्ध हुए।
इन्हें भी पढ़ें – नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय सूची
बाहरी कड़ियाँ (External links)
- S. Chandrasekhar | Biography, Awards, & Facts | Britannica
- Chandrasekhar Subrahmanyan | Home – Vigyan Prasar
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