आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी – खोज, जीवन परिचय, Biography of Ananda Mohan Chakrabarty in hindi

आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी - Biography Of Ananda Mohan Chakrabarty In Hindi Jivani

आनंद मोहन चक्रवर्ती (Ananda Mohan Chakrabarty) एक Indian-American microbiologist थे। भारत में जन्में इस महान वैज्ञानिक ए.एम. चक्रवर्ती (को हाइड्रोकार्बनों पर शोध करने के लिए जाना जाता है। उन्हें जैविक सुपरबग का जनक कहा जाता है।

कहते हैं की समुन्द्र में जब जहाज के द्वारा बड़े-बड़े टैंकों में तेल भरकर एक देश से दूसरे देश तक ढोया जाता है। तब इस दौरान कई बार तेल का रिसाव टैंकों से होकर समुद्र के जल के सतह पर फैल जाता है।

इस तेल के रिसाव के कारण समुन्द्र का जल प्रदूषित हो जाता है। समुन्द्री जल के प्रदूषण के कारण इसमें रहने वाले समुन्द्री जीव जन्तु पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। यहाँ तक की प्रदूषित जल के संपर्क में आकार कुछ समुन्द्री जीव बीमार और मर जाते हैं।

आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी - Biography Of Ananda Mohan Chakrabarty In Hindi Jivani
आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी

समुन्द्री पौधे नष्ट होने लगते हैं। भारत के इस महान वैज्ञानिक आनंद मोहन चक्रवर्ती ने इस समस्या का समाधान खोज निकाला। इस प्रकार लाखों समुन्द्री जीव और वनस्पति को उन्होंने नष्ट होने से बचा लिया।

जैविक सुपरबग’ के जनक प्रोफेसर आनंद मोहन चक्रवर्ती ने अमेरिका के शिकागो में एक प्रसिद्ध विश्व विध्यालय में प्रोफेसर के रूप में कई वर्षों तक सेवा दी। उन्होंने स्वीडन स्थित स्टॉकहोम पर्यावरण संस्थान से भी जुड़े। 

आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी – Biography of Ananda Mohan Chakrabarty in Hindi

आनंद मोहन चक्रवर्ती (A.M. CHAKRABARTY) का जन्म 4 अप्रेल सन 1938 ईस्वी में कलकता के पास सैनथिया(Sainthia ) नामक एक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री सत्य दास चक्रबर्ती तथा माता का नाम सस्थी वाला मुखर्जी था।

इनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। ये अपने साथ भाई बहन में सबसे छोटे थे। इनके पिता का अपना कारोबार था। इनके पिता बच्चे के शिक्षा के प्रति अत्यंत ही जागरूक थे। बचपन से ही आनंद मोहन चक्रवर्ती पढ़ने में अत्यंत ही तेज दिमाग के थे।

उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने ही गाँव सैनथिया में प्राप्त की। बाद में उनका नामांकन बैलूर मठ के रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर में कराया। ताकी उन्हें अनुशासनयुक्त जीवन के साथ उच्च शिक्षा मिल सके।

चक्रवर्ती साहब ने वहाँ के अनुशासन में रह कर पूरी ही मनोयोग से हाईस्कूल तक की शिक्षा ग्रहण की। तत्पश्चात उन्होंने सन 1958 ईस्वी में कलकत्ता के सेंट जेवियर कॉलेज से स्नातक किया।

स्नातक के बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से M.Sc और बाद में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आनंद मोहन चक्रवर्ती साहब ने प्रोफेसर एस.सी. राय के मार्गदर्शन में अणु आनुवांशिकी पर शोध किया।

ए.एम. चक्रवर्ती का योगदान (Anand Mohan chakrabarty superbug)

ए.एम. चक्रवर्ती ने अपने अनुसंधान में पाया की सुडोनोमास वर्ग का जीवाणु हाइड्रोकार्बनों के अणुओं का भक्षण करते हैं। हाइड्रोकार्बन असल में हाइड्रोजन और कार्बन के यौगिक को कहा जाता है। खनिज तेल भी इसी तरह के यौगिकों का एक मिश्रण होता है।

उन्होंने पाया की सुडोनोमास नामक जीवाणु समुद्र की सतह पर तैरते हुए तेल को पी जाते हैं। इस कारण हाइड्रोकार्बन की मात्रा समुद्र के जल की सतह पर कम हो जाते हैं। फलतः समुद्री जल का प्रदूषण स्तर कम जाता है। इस प्रकार समुद्री जीव जन्तु और पेड़-पौधों की नुकसान से रक्षा होती है

डॉ चक्रवर्ती ने सुडोनोमास जीवाणुओं के वर्ग से मिलता-जुलता एक नए जीवाणु वर्ग की खोज की थी। उनके इस खोज के द्वारा इस बहुत बड़ी समस्या का निदान संभव हो सका। क्योंकि ये जीवाणु समुद्र के जल सतह पर मौजूद  हाइड्रोकार्बनों को खत्म कर देते हैं।

इस प्रकार सन 1971 में उन्हें विशिस्ट पहचान मिली जब उन्होंने हाइड्रोकार्बन को हजम करने वाली जीवाणु वर्ग (oil eating bacteria Pseudomonas) की खोज की। यह Oil eating bacteria को superbug के नाम से भी जाना जाता है।

हाइड्रोकार्बन खाने वाली जीवाणु की खोज

इनका शोध अनवरत यूं ही चलता रहा। तत्पश्चात चक्रवर्ती साहब अमेरिका चले गये। अमेरिका के शिकागो में में उनकी नियुक्ति एक प्रोफेसर के रूप में हुई। एक प्रोफेसर के रूप में उन्होंने सन 1989 तक अपनी सेवा दी।

अमेरिका में रहते हुए उन्होंने अमेरिकी नागरिकता भी ले ली। इसी क्रम में उन्होंने प्रोफेसर आई.सी. गुणसालस के मार्गदर्शन में मौलिक्यूलर जेनेटिक्स पर अनुसंधान किया।

इन्होंने अपने शोध में यह पाया की ये जीवाणु प्रजनन करने की क्षमता रखते हैं। इस तरह एक ऐसा जीवाणुओं का खोज हुआ जो हाइड्रोकार्बन को नष्ट करने में सक्षम था।

ए.एम. चक्रवर्ती जी द्वारा खोज किया गया जीवाणु हाइड्रोकार्बनों को परिवर्तित कर खाने योग्य बना देता है। जिसे समुद्री जीव-जन्तु बिना किसी नुकसान के आसानी से ग्रहण कर सकते हैं।

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सम्मान व पुरस्कार (anand mohan chakrabarty awards )

अपने अहम योगदान और सफलता के कारण उनकी प्रसिद्धि पूरे विश्व में फैल गई। आनंद मोहन चक्रवर्ती ने शोध के द्वारा भारत का नाम रौशन किया। भारत सरकार ने सन 2007 में आनंद मोहन चक्रवर्ती को पदमश्री सम्मान से सम्मानित किया।

आनंद मोहन चक्रवर्ती का निधन

इस भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक Prof. Chakraborty का 82 वर्ष की अवस्था में 10 जुलाई सन 2020 में अमेरिका में निधन हो गया। विज्ञान में इस महान खोज के लिए वे हमेशा याद किये जाएंगे।

आपको आनंद मोहन चक्रवर्ती की जीवनी (Biography Of Ananda Mohan Chakrabarty In Hindi ) जरूर अच्छी लगी होगी अपने सुझाव से अवगत करायें

F.A.Q

  1. आनंद चक्रवर्ती की सबसे उल्लेखनीय खोज क्या है?

    आनंद चक्रवर्ती की सबसे उल्लेखनीय खोज स्यूडोमोनास, “एक तेल खाने वाला बैक्टीरिया” है। जीसे “सुपरबग” के नाम से जाना जाता है। उन्होंने इसकी खोज सन 1971 ईस्वी में किया।

  2. स्यूडोमोनास पुतिदा की खोज किसने की?

    स्यूडोमोनास एक एक तेल खाने वाला बैक्टीरिया है। इसकी खोज प्रो आनंद चक्रवर्ती ने की थी।

  3. आनंद मोहन चक्रवर्ती को किसके लिए पहला अमेरिकी पेटेंट प्राप्त हुआ था?

    आनंद मोहन चक्रवर्ती एक प्रसिद्ध माइक्रोबायोलॉजिस्ट थे। उन्हें जिन्होंने 1981 में स्यूडोमोनास, “एक तेल खाने वाला बैक्टीरिया” जीसे “सुपरबग” कहते हैं पर पहला अमेरिकी पेटेंट प्राप्त हुआ था।

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