एमके वेनु बाप्पू की जीवनी | Bopgraphy of MK Vainu Bappu in Hindi

एमके वेनु बाप्पू की जीवनी | Bopgraphy of MK Vainu Bappu in Hindi

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मनाली कालात वेणु बाप्पू (MK vainu bappu in hindi) की गिनती भारत के जाने-माने खगोलशास्त्री के रूप में होती है। भारतीय खगोलशास्त्री एम.के. वेणु बप्पू  का नाम एक पुच्छल तारे से भी जोड़ कर देखा जाता है।

भारतीय खगोलशास्त्री (Indian astronomer ) Manali Kallat Vainu Bappu को father of indian astronomy कहा जाता है।

हार्डवर्ड विश्व विध्यालय में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर एक नए धूमकेतु की खोज की। इस धूमकेतु का नाम ‘Bappu-Bok-Newkirk’ नाम दिया गया। इन्होंने एक खगोलीय सिद्धांत का भी प्रतिपादन किया।

जो बाप-विल्सन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। इसकी मदद से किसी तारे की चमक तथा उसकी दूरी आसानी से मालूम करने में मदद मिली। भारत के इस खगोल वैज्ञानिक ने नाम पर एक प्रसिद्ध वेधशाला स्थापित है।

इन्ही के नाम पर भारत की सबसे विशाल दूरदर्शी का नाम रखा गया है। इस विशाल दूरदर्शी की लंबाई करीब 2.35 मीटर है। एम.के. वेणु बाप्पू (M.K. VAINU BAPPU ) भारत में खगोल विज्ञान के शिक्षा को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई।

एमके वेनु बाप्पू की जीवनी – Biography of MK Vainu Bappu in Hindi

प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा-दीक्षा

एम.के. वेणु बाप्पूका जन्म 10 अगस्त 1927 ईस्वी में चेन्नई (मद्रास) में हुआ था। बचपन से ही वेणु बप्पू पढ़ने-लिखें में बहुत तेज थे। खगोल विज्ञान के क्षेत्र में वेणु बप्पू की अभिरुचि अपने पिता से विरासत में प्राप्त हुई थी।

उनके पिता मनाली काकुझी हैदराबाद शहर में स्थित वेधशाला में एक सहायक के पद पर आसीन थे। वे अपने पिता ही बहुत ही प्रभावित थे। उनके पिता ने एम.के. वेणु बाप्पू के अंदर खगोल विज्ञान के रुचि जगाने का काम किया।

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वेणु बप्पू पढ़ाई में तो तजे थे ही साथ ही वे अपने स्कूल के खेल-कूद तथा वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। इसके अलाबा बचपन से ही उनके अंदर कला और साहित्य के प्रति भी असीम लगाव था।

एम.के. वेणु बाप्पू की जीवनी | BIOGRAPHY OF MK VAINU BAPPU IN HINDI
भारत के महान खगोलशास्त्री

प्रारम्भिक शिक्षा भारत में ग्रहण करने के बाद वे उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए वे हारवर्ड चले गए। हारवर्ड में उन्हें कई प्रसिद्ध खगोल विज्ञानी के साथ काम करने का मौका मिला। इन खगोल शास्त्री ने उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला।

कोडईकनाल वेधशाला में नौकरी

उच्च शिक्षा प्राप्ति के बाद एम.के. वेणु बाप्पूसाहब सन् 1953 ईस्वी में स्वदेश वापस लौट आए। भारत आकार उन्होंने नौकरी की खोज करने लगे। वे कुछ दिनों तक उत्तर प्रदेश सरकार के तत्वाधान में वाराणसी वेधशाला से भी जुड़े रहे।

बाद में सन 1960 में कोडेकनाल वेधशाला से जुड़ गये। कोडईकनाल में उन्होंने कई साल तक डायरेक्टर के पद में रहते हुए अतुलनीय कार्य किया। कोडईकनाल वेधशाला के आधुनिकीकरण के लिए उन्होंने कई कदम उठाये।

इसके लिए उन्होंने एक शक्तिशाली टेलिस्कोप का निर्माण कर वेधशाला में स्थापित किया। एम.के. वेणु बाप्पूकी प्राकृतिक सुंदरता से भी गहरा लगाव था। तभी तो इन्होंने कोडईकनाल और कवालूर वेधशालाओं के चारों तरफ खूबसूरत पेड़-पौधे और सुन्दर फूलों की झाड़ियाँ लगवाईं।

इससे इन वेधशालाओं की सुंदरता में अनुपम वृद्धि हुई। तमिलनाडु के कवलुर वेधशाला का निर्माण इन्हीं के मार्गदर्शन में हुआ।

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पुच्छल तारे की खोज ( Vainu Bappu comet in Hindi )

उन्होंने अपने अनुसंधान के द्वारा एक विशेष प्रकार के पुच्छल तारे की खोज की। यह पुच्छल तारा Bappu-Bok-Newkirk के नाम से जाना गया। इस पुच्छल तारे के खोज के कारण इनका नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया।

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एम.के. वेणु बाप्पू के अन्य योगदान (Contribution of Dr. Venu Babbu in Hindi )

बंगलौर में भरतीय खगोल भौतिकी संस्थान की स्थापना का श्रेय वेणु बप्पू को ही जाता है। उन्हीं के देख-रेख में येलगिरी के पास कवालूर में एक नई वेधशाला बनाने के लिए स्थान के चुनाव किया गया था।

वेणु बप्पू की देख-रेख में ही 2.34 मी दर्पण के व्यास वाला देश का सबसे बड़ा टेलिस्कोप का निर्माण शुरू हुआ था। यह टेलिस्कोप एसिया महादेश में स्थित सबसे बड़ा टेलीस्कोप माना जाता है।

इस टेलिस्कोप का उपयोग सन 1986 ईस्वी में हेली के धूमकेतु (पुच्छल तारे) के अध्ययन के लिए भी किया गया था। कहते हैं की हेली का धूमकेतु कई दशक के बाद दिखाई देता है।

सम्मान व पुरस्कार

एम.के. वेणु बाप्पूने भारत में खगोलशास्त्र को वैज्ञानिक रूप देने में अहम भूमिका निभाई। खगोलविज्ञान में अहम योगदान के लिए बपपु साहब को कई सम्मान से सम्मानित किया गया।

वे सन 1979 में अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमिक यूनियन के अध्यक्ष रहे। सन 1981 में भारत सरकार ने उन्हें पद्धभूषण से अलंकृत किया।

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एम.के. वेणु बाप्पू का निधन

इस महान वैज्ञानिक का निधन 19 अगस्त सन् 1982 ईस्वी में म्यूनिख में हुई। अपनी लगन और मेहनत के बल पर इन्होंने एक खगोल विज्ञानी के रूप में अहम मुकाम हासिल किया।

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आज भी उनके द्वारा प्रतिपादित उन्होंने बप्पू विल्सन सिद्धांत प्रतिपादित किया जो तारों की दीप्ति से दूरी पता करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

वेणु बप्पू वेधशाला (Vainu Bappu observatory in Hindi )

वेणु बप्पू वेधशाला भारत का एक प्रसिद्ध खगोलीय वेधशाला है। इस वेधशाला का संचालन भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के द्वारा होता है। इस वेधशाला में जाने के लिए पूर्वानुमाती जरूरी है।

वेणु बप्पू वेधशाला भारत के तमिलनाडु राज्य में तिरुपत्तूर जिले के जावड़ी पहाड़ियों में कवलूर नामक स्थान पर स्थित है। इस वेधशाला की स्थापना का श्रेय 1970 के दौरान वेणु बप्पू को जाता है।

बाद में इस वेधशाला का नाम उन्ही के नाम पर वेणु बप्पू वेधशाला (VBO) हो रखा गया। इस वेधशाला की गिनती एशिया की सबसे अच्छी वेधशालाओं में की जाती है।

उपसंहार

उन्होंने खगोल क्षेत्र में महती योगदान के द्वारा विश्व में भारत को गौरान्वित करने का काम किया। इस प्रकार Dr venu bappu का नाम पूरे दुनियाँ में एक महान खगोलज्ञ के रूप प्रसिद्ध हो गया।

खगोल विज्ञान के क्षेत्र में इस महान वैज्ञानिक के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्हें आधुनिक भारतीय खगोल विज्ञान का जनक के रूप में हमेशा याद किया जायेगा।  

हमें आशा है की एम.के. वेणु बाप्पू ( BIOGRAPHY OF MK VAINU BAPPU IN HINDI ) के बारें में जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।

लोगों ने पूछा (F. A. Q )

  1. भारतीय खगोल विज्ञान के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?

    एम.के. वेणु बाप्पू (Manali Kallat Vainu Bappu) को भारतीय खगोल विज्ञान के जनक कहा जाता है।

Amit

Amit

मैं अमित कुमार, “Hindi info world” वेबसाइट के सह-संस्थापक और लेखक हूँ। मैं एक स्नातकोत्तर हूँ. मुझे बहुमूल्य जानकारी लिखना और साझा करना पसंद है। आपका हमारी वेबसाइट https://nikhilbharat.com पर स्वागत है।

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