पी सी महालनोबिस की जीवनी | PC Mahalanobis Biography in Hindi

पी सी महालनोबिस की जीवनी | PC Mahalanobis Biography in Hindi

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पी.सी. महालनोबीस भारत के प्रथम गणितज्ञ वैज्ञानिक हुए जिनका सांख्यिकी के क्षेत्र में विशेष योगदान माना जाता है। उनका पूरा नाम प्रशांत चन्द्र महालनोबीस था। सांख्यिकी को पी.सी. महालनोबीस के कारण विश्व में एक अलग पहचान मिली।

उन्होंने सांख्यिकी का उपयोग कई महत्वपूर्ण समस्या के हल करने में किया। चाहे बाढ़ का आकलन की बात हो अथवा हीराकुंड बांध व दामोदर घाटी परियोजना की, उन्होंने सांख्यिकी का भरपूर उपयोग किया।

P.C. Mahalanobis ने गणित के सांख्यिकी को एक व्यवहारिक रूप दिया। उनके अहम प्रयास के कारण ही कोलकाता में ‘‘इंडियन इन्स्टीच्यूट ऑफ स्टेटिस्टिकल रिसर्च’’ की स्थापना संभव हो सकी।

उनके प्रयास के परिणाम स्वरूप ही भारत के विश्वविद्यालयों में सांख्यिकी को एक अलग विषय के रूप में स्थान मिला। वे सांस्कृतिक कार्यकर्मों में भी बढ़ चढ़कर भाग लेते थे। कहा जाता है की कुछ दिनों तक वे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के सचिव भी रहे।

पी सी महालनोबिस की जीवनी | PC MAHALANOBIS BIOGRAPHY IN HINDI
Scientist PC Mahalanobis Biography in Hindi

उनकी याद में हर वर्ष उनके जन्म दिवस को भारत में ‘सांख्यिकी दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। आईए भारत के इस महान गणितज्ञ पी.सी. महालनोबीस की जीवनी, उनका प्रारम्भिक जीवन, कैरियर, योगदान, सम्मान व पुरस्कार के बारें में विस्तार से जानते हैं।

प्रशान्त चन्द्र महालनोबिस की जीवनी – PC Mahalanobis Biography in Hindi

प्रारम्भिक जीवन

प्रसिद्ध सांख्यिकी वैज्ञानिक पी.सी. महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रबोध चंद्र तथा माता जी का नाम निरोदबासिनी था।

उनके पिता प्रबोध चंद्र महान समजसुधारक राजाराम मोहन राय से बहुत ही प्रभावित थे। वे ब्रह्म समाज के कार्यकर्मों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। पी.सी. महालनोबिस की प्रारम्भिक शिक्षा कोलकाता के ही एक स्कूल में हुई।

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उसके बाद उन्होंने कलकता के ही प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। यहाँ पर जगदीश चन्द्र बोस, सारदा प्रसन्न दास और प्रफुल्ल चन्द्र रॉय जैसे महान वैज्ञानिक उनके प्रोफेसर थे।

स्नातक करने के बाद उच्च शिक्षा एक लिए इंगलेंग गए जहाँ उन्होंने कैम्ब्रिज के किंग्स कॉलेज से उच्च शिक्षा की पढ़ाई पूरी की। तत्पश्चात वे अपने देश भारत लौट आए। उसके बाद उनकी मुलाकात निर्मला कुमारी से हुई। बाद में वे दोनों परिणय सूत्र में बंध गए।

पी.सी. महलानोबिस की खोज 

पी.सी. महलानोबिस का नाम एक महान वैज्ञानिक और व्यावहारिक सांख्यिकीविद् की सूची में सम्मिलित है। डॉ प्रशांतचन्द्र महालनोबीस प्रथम भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने अपने दम पर सांख्यिकी को विश्व में एक अलग पहचान दी।

उन्होंने सांख्यिकीय माप के लिए नई विधि की खोज की जो ‘महालनोबिस दूरी‘ के नाम से प्रसिद्ध है।

योगदान

भारत में सांख्यिकीय विज्ञान के विकास में पी.सी. महलानोबिस का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उन्होंने भारत में कई सांख्यिकी संस्थान की स्थापना में योगदान किया। इस संस्थान के द्वारा बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण में सहयोग मिला।

उन्होंने सांख्यिकी की मदद से नदियों में आने वाली बाढ़ का आकलन किया। हीराकुंड बांध व दामोदर घाटी परियोजना में उन्होंने सांख्यिकी की मदद ली।

भारतीय सांख्यिकी संस्थान’ की स्थापना

उनके प्रयास के कारण ही कोलकाता स्थित  ‘‘इंडियन इन्स्टीच्यूट ऑफ स्टेटिस्टिकल रिसर्च’’ की स्थापना हुई। बाद में सन 1959 में इसे ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ का दर्जा प्रदान किया गया।

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कलकता के इस संस्थान में मुख्य रूप से सांख्यिकी की पढ़ाई की जाती है। कोलकाता के अलावा इस संस्थान की शाखाएं बैंगलोर, हैदराबाद, दिल्ली, पुणे, कोयंबटूर, चेन्नई और झारखंड के गिरिडीह में स्थित हैं।

लेकिन इसका मुख्यालय कोलकाता ही रखा गया है।  इसके अलावा उनका देश के द्वितीय पंचवर्षीय योजनाओं में भी अहम योगदान रहा।

सम्मान व पुरस्कार

सांख्यिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पी.सी. महालनोबीस को कई सम्मान व पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • वर्ष 1944 – ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा वेल्डन मेडल प्रदान किया गया।
  • वर्ष 1945 – लंदन स्थित प्रसिद्ध संस्था रॉयल सोसाइटी ने अपना फ़ेलो नियुक्त किया।
  • वर्ष 1950 – ‘इंडियन साइंस कांग्रेस’ के अध्यक्ष पद के लिए चुना गया।
  • वर्ष 1957 – इनके चयन अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान के मानद अध्यक्ष के रूप में हुआ।

भारत सरकार ने देश में विज्ञान के लिए उनके अहम योगदान को देखते 1968 में उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक समान पद्म विभूषण से सम्मानित किया। सन 1968 में ही उन्हें महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

निधन

पी.सी. महलानोबिस का सत्तर वर्ष की उम्र में 28 जून 1972 को निधन हो गया। उम्र के इस पराव में भी वे अपने अनुसंधान के प्रति उतने ही सक्रिय थे।

अपने निधन के पहले तक वे भारत सरकार के कैबिनेट के मानद सांख्यिकीय सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। आज महान वैज्ञानिक पी.सी. महलानोबिस हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन उनके योगदान को आने वाली भारत की पीढ़ी हमेशा याद रखेगी।

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‘सांख्‍यि‍की दिवस’

डॉ महालनोबिस के सम्मान में हर वर्ष सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है। डॉ महालनोबिस का सांख्यिकीय माप में विशेष योगदान रहा है। उनके द्वारा खोज की गई एक सांख्यिकीय माप जो महालनोबिस दूरी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

उनका सांख्‍यि‍की विकास तथा भारत के द्वितीय पंचवर्षीय योजना में अहम योगदान माना जाता है। देश की तरक्की में कारगर उनकी योजना ‘महालनोबिस मॉडल‘ के नाम से जाना गया।

भारत के महान वैज्ञानिक पीसी महालनोबिस को भारत का व्यावहारिक सांख्यिकीविद् माना जाता है। जिन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं में योगदान डेक्कर भारत के आर्थिक नियोजन में अग्रणी एवं महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उनके योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्म दिन 29 जून को पूरे भारत में सांख्‍यि‍की दिवस के रूप में मनाई जाती है। 

Q. sankhyiki ke pita kaun hai

Ans. महालनोबिस को भारतीय सांख्यिकी का पिता कहा जाता है।

भारतीय योजनाओं के निर्माता महालनोबिस क्यों कहा जाता है

उनका भारत में सांख्‍यि‍की के विकास तथा देश के द्वितीय पंचवर्षीय योजनाओं में अहम योगदान रहा। इसी कारण से उन्हें देश के आर्थिक नियोजन के निर्माता भी कहा जाता है।


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