मुल्कराज आनंद जीवनी, जीवन परिचय, पत्नी, योगदान, रचित पुस्तकें, सम्मान व पुरस्कार – Biography Of Mulk Raj Anand In Hindi
मुल्कराज आनंद कौन थे – About Mulk Raj Anand in hindi
मुलक राज आनंद भारत के प्रसिद्ध अंग्रेजी के लेखक थे। मुल्क राज आनंद ने अपने उपन्यासों और लघु कथाओं के द्वारा विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बनायी। उन्हें परंपरागत भारतीय समाज में अछूत और अत्यंत ही निर्धन लोगों के जीवन चित्रण के लिए जाना जाता है।
मुलक राज आनंद भारत में इंडो-एंग्लियन कथाओं के अग्रदूतों में से एक थे। अंग्रेजी साहित्य जगत में अमूल्य योगदान और देश का नाम रोशन करने के भारत सरकार ने उन्हें देश के सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया।
मुल्कराज आनंद ने जहाँ देश में व्याप्त छुआछूत पर अपने उपन्यास “अनटचेबल” में खुलकर लिखा। वहीं उन्होंने बाल मजदूरी पर भी अपने उपन्यास ‘कुली’ में बहुत ही मार्मिक चित्रण किया। अगर आप गूगल पर निमिनलिखित के वारें में सर्च कर रहे हैं तो यह लेख आपकी मदद कर सकता है।
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मुल्कराज आनंद का जीवन परिचय संक्षेप में short note on mulk raj anand
पूरा नाम | – मुल्कराज आनंद (Mulk raj anand) |
जन्म तिथि व स्थान | – 12 दिसंबर 1905 पेशावर, वर्तमान पाकिस्तान |
मुल्क राज आनद के पिता | – लालचंद |
मुल्क राज आनद के माता | – ईश्वर कौर |
पत्नी का नाम | – शिरिन वाजिफादर |
प्रसिद्ध रचना | – कुली, अछूत (अनटचेबल), द कुली आदि। |
मुल्कराज आनंद जीवनी और प्रारम्भिक जीवन : mulk raj anand biography in hindi
मुल्कराज आनंद का जन्म ब्रिटिश भारत में वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर में 12 दिसंबर 1905 ईस्वी को हुआ। था। वे एक सधरण ताम्रकार परिवार से आते थे। उनके पिता का नाम लालचंद थे जो सेना में नौकरी करते थे। उनके माता जी ईश्वर कौर एक गृहणी महिला थी।
शिक्षा दीक्षा
मुल्कराज आनंद अपनी आरंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कालेज की पढ़ाई अमृतसर के खालसा कॉलेज से की। जहाँ से उन्होंने 1924 में स्नातक की डिग्री हासिल की। उसके बाद वे आगे की पढ़ाई के इंग्लैंड चले गए। इंगलेंड के कैम्ब्रिज तथा लंदन विश्वविद्यालय में उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण की।
उन्होंने लंदन में 1929 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त किए। पी एच डी की उपाधि प्राप्त करने के बाद वे लीग ऑफ नेशंस स्कूल ऑफ इंटेलेक्चुअल को-ऑपरेशन जिनेवा में कुछ दिनों तक अध्यापन का कार्य किया। इस दौरन द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा।
उन्होंने लंदन में बीबीसी के लिए एक पटकथा लेखक के रूप में भी काम किया। उस बक्त भारत के आजादी के लड़ाई भी जोरों पर थी। फलतः मुल्कराज आनंद भारत की स्वतंत्रा के लिए जारी संघर्ष से प्रभावित होकर 1946 में स्वदेश वापस आ गए।
योगदान
स्वदेश वापसी के बाद आजादी की लड़ाई में भी भाग लिया। उसके बाद वे मुंबई में अध्यापन का कार्य करने लगे। उन्होंने 1948 से 1966 तक करीब 18 वर्षों तक देश के कई विश्वविद्यालयों में अपना योगदान दिया।
वे कुछ वर्षों तक वे ललित कला अकादमी और लोकायत ट्रस्ट के भी अध्यक्ष रहे। इसके अलावा वे कुतुब पब्लिशर्स के निदेशक और ‘मार्ग’ पत्रिका की स्थापना भी की। मूलराज आनंद को बचपन से लिखने का शौक था।
मुल्क राज आनंद को पंजाबी और हिंदुस्तानी मुहावरों को अंग्रेजी में सम्मिलित करने वाले पहले लेखकों में माने जाते हैं। मूलराज जी की लेखन करियर की शुरुआत इंग्लैंड में पी एच डी के बाद शुरू हो गई। इंगलेंड में टीएस एलियट की पत्रिका ‘क्राइटेरियन‘ में उनकी संक्षिप्त समीक्षा प्रकाशित होती थी।
पारिवारिक जीवन – mulk raj anand family
कहा जाता है की मुल्क राज आनंद में 1938 में इंगलेंड के एक अभिनेत्री कैथलीन वैन गेल्डर से शादी कर लिया। कहते हैं की मुल्क राज आनद और उनकी पहली पत्नी कैथलीन वैन गेल्डर के साथ उनका दाम्पत्य जीवन ज्यादा दिन तक नहीं चल सका।
फलतः दोनों का शादी के करीब 10 साल बाद 1948 में तलाक हो गया। बाद में मुल्क राज आनंद में सन 1950 में ‘शिरीन वाजिबदार‘ के साथ शादी की। ‘शिरीन वाजिबदार‘ एक शास्त्रीय नृतयगना, कोरियोग्राफर और प्रशिक्षक थी।
मुल्कराज आनद के प्रमुख उपन्यास
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक मुल्क राज आनंद द्वारा रचित ‘अछूत‘ उपन्यास उनकी कालजयी रचना मानी जाती है। इस पुस्तक में उन्होंने भारत में व्याप्त अछूत समस्या के ऊपर बेबाक रूप में अपनी राय रखी है। अस्पृश्यता की समस्या भारत में सदिओं से रही है।
अनटचेबल में उन्होंने आज से दशकों पहले पंजाव की एक समस्या पर केंद्रित करते हुए उन्होंने इस पुस्तक की रचना की थी। कहा जाता है की अस्पृश्यता की समस्या की तरफ लोगों को ध्यान आकर्षित करने और उसे दूर करने के उद्देश्य से उन्होंने गांधी जी के सलाह पर इस पुस्तक की रचना की थी।
उनके इस उपन्यास को लोगों ने मुक्त कंठ से सराहना की। कहते हैं की अछूत (अनटचेबल्स) की भूमिका अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध लेखक ई एम फ़ोर्स्टर ने लिखी थी। उनका दूसरा सबसे चर्चित युगांतकारी उपन्यास ‘द कुली’ रहा।
इसमें उन्होंने मजदूरों की दुर्दशा के बारें में बड़े ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया है। मुल्क राज आनंद कुली समरी की बात की जाय तो यह उपन्यास हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के एक गरीब किशोर को केंद्रित कर लिखा गया है।
जो अपने जीवन आपन करने के लिए मुंबई जाता है। जहाँ उन्हें कई तरह की आर्थिक और सामाजिक परेशानी से जूझते हुए दिखया गया है। भले ही यह ब्रिटिश भारत में घटित घटना पर आधारित है। लेकिन आज के प्रीपेक्ष में भी यह बात एक दम खड़ी उतरती है।
उनके द्वारा रचित प्रसिद्ध उपन्यासों के नाम हैं।
- द लॉस्ट चाइल्ड The Lost Child (1934)
- अनटचेबल (अछूत 1935),
- द विलेज (The Village )-1939,
- द कुली,(1936)
- टू लीव्स एंड अ बड,( Two Leaves and a Bud)-(1937)
- अक्रॉस द ब्लैक वॉटर्स (1940)
- द सोर्ड एंड द स्किल The Sword and the Sickle (1942)
- द विग हार्ट The Big Heart (1945)
- द प्राइवेट लाइफ ऑफ ऐन इंडियन प्रिंस (1953)
- द रोड The Road (1961)
- द डेथ ऑफ ए हीरो The Death of a Hero (1964)
- द मॉर्निंग फेस’ (1968)
- द ओल्ड ओमन एण्ड द काउ the old woman and the Cow (1960)
मुल्क राज आनंद की कहानियाँ – Mulk Raj Anand Short Stories list
- द लॉस्ट चाइल्ड एंड अदर स्टोरीज़,
- द बार्बर ट्रेड यूनियन एंड अदर स्टोरीज,
- भारतीय परियों की कहानियां,
- ट्रैक्टर और मकई देवी और अन्य कहानियां,
- रिफ्लेक्शंस ऑन द गोल्डन बेड एंड अदर स्टोरीज,
- द पावर ऑफ डार्कनेस एंड अदर स्टोरीज,
- मोर इंडियन फेयरी टेल्स,
- लाजवंती और अन्य कहानियां,
- आँसू और हँसी के बीच,
मुल्क राज आनद का पहला उपन्यास – Mulk Raj Anand first novel
मुल्कराज जी का उपन्यास “अनटचेबल” (अछूत) जो सन 1935 ईस्वी में प्रकाशित हुआ था। यह उनका पहला उपन्यास माना जाता है, जिसमें उन्होंने देश में फैली छुआछूत समस्या खुलकर वर्णन है।
साथ ही उन्होंने समाज में फैले वाल मजदूरी पर भी खुलकर लिखा। मुल्कराज आनद ने अपने दूसरे उपन्यास “कुली” में बाल श्रमिक का बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है।
मुल्कराज आनद का निधन – mulk raj anand death
प्रसिद्ध उपन्यासकार मुल्कराज आनद का 28 सितंबर 2004 को करीब 98 वर्ष के उम्र में महाराष्ट्र के पुणे में निधन हो गया। मुल्कराज आनंद जीवन के अंतिम क्षण तक साहित्य सृजन में लगे रहे।
सम्मान व पुरस्कार
मुल्कराज आनद को भारत के चार्ल्स डिकेन के नाम से भी पुकारा जाता है। मुल्क राज आनंद को कुछ विद्वान अंग्रेजी भाषा का प्रेमचंद भी कहते हैं। कहा जाता है की भारतीय समाज का जैसा चित्रण प्रेमचंद के उपन्यास में और जयशंकर प्रसाद की कहानियों में दृष्टि गोचर होता है।
ठीक वैसा ही समाजिक कुंठा अंग्रेज़ी के लेखक मुल्क राज आनंद के उपन्यास में दिखाई पड़ता है। साहित्य सृजन में उत्कृष्ट योगदान हेतु मुल्क राज आनंद को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। इसके लिए उन्हें कई सम्मान व पुरस्कार की प्राप्ति हुई।
- वर्ष 1967 – भारत का प्रसिद्ध नागरिक पुरस्कार ‘पद्म भूषण’
- वर्ष 1968 – साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित
इस लेख से संबंधी प्रश्न – FAQ
मुल्क राज आनंद को साहित्य अकादमी अवार्ड कब मिला था?
मुल्क राज आनंद को साहित्य अकादमी अवार्ड 1971 में मिला था?
मुल्क राज आनंद का जन्म कब हुआ था?
मुल्क राज आनंद का जन्म 12 दिसंबर 1905 पेशावर, वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था।
मुल्क राज आनंद के पिता क्या करते थे?
मुल्कराज आनद के पिता का नाम लाल चंद्र था, वे सेना में नौकरी करते थे।
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