कितना कारोबार जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक – जीएसटी यह एक इनडायरेक्ट टैक्स है जो हमारे देश भारत में प्रॅाडक्ट और सर्विस की सप्लाई पर सरकार द्वारा लगता है। जीएसटी (GST) का फुलफोरम (Goods and Services Tax) होता है।
भारत सरकार ने वर्ष 2017 में GST (Goods and Services Tax) की पूरे देश में सुरुआत की थी। लेकिन अभी भी बहुत लोगों को पता नहीं है की कितना कारोबार जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक होता है।
जीएसटी सभी व्यापारियों, सर्विस प्रोवाइडर और वस्तु निर्माता पर लागू है। लेकिन GST तभी दय होगा जब किसी बिजनेस का टोटल टर्नओभर की लिमिट सरकार द्वारा तय लिमिट से अधिक हो जाती है।
इस नियम के तहद किसी भी व्यपार के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी है। क्योंकि जीएसटी रजिस्ट्रेशन के बिना कोई भी व्यपारी अपना कारोबार नहीं कर सकता।
इस लेख में जीएसटी पंजीकरण के प्रकार, जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज, जीएसटी रजिस्ट्रेशन फीस, दुकानदार के लिए जीएसटी नियम, जीएसटी पंजीकरण के लाभ तथा जीएसटी के दायरे से बाहर किसे रखा जा सकता है, विस्तार से जानेंगे।
कितना कारोबार जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक है जाने
भारत सरकार द्वारा कितना कारोबार जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक है यह फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है। जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की लिमिट बढ़ाने या यथावत रखने का फैसला राज्य सरकार पर निर्भर है।
साथ ही उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों को जीएसटी सीमा को बढ़ाने-घटाने का अधिकार दी गई है। इस कारण से भारत के विभिन्न राज्यों में जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक कारोबार की लिमिट भी अलग है।
इसके लिए राज्यों को दो भागों में बांटा गया है पहला सामान्य श्रेणी (Normal Category) और दूसरा विशेष श्रेणी (Special category)।
सामान्य राज्यों में
कारोबारी का सालाना टर्न ओभार | – 40 लाख रुपए |
सेवाओं पर जीएसटी की सीमा | – 20 लाख रुपए |
विशेष राज्यों में (पहाड़ी और उत्तरपूर्व राज्य)
कारोबारी का सालाना टर्न ओभार | – 20 लाख रुपए |
सेवाओं पर जीएसटी की सीमा | – 10 लाख रुपए |
दुकानदार के लिए जीएसटी नियम
सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आने वाले राज्यों के जब किसी दुकानदार का सालाना Turnover अगर 40 लाख रुपए से ज्यादा है तो उसके लिए GST में registration जरूरी है। सेवा क्षेत्र (Service Sector) से जुड़े कारोबारी के लिए यह सीमा 20 लाख रुपए निर्धारित है।
जैसा की हम जानते हैं की विशेष श्रेणी (Special category) वाले राज्यों में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्य आते हैं। इस राज्य के दुकानदार के लिए GST Registration से छूट की सीमा 20 लाख रुपये है।
भारत के इन राज्यों में सेवा क्षेत्र के दुकानदार के लिए यह सीमा 10 लाख रुपए निर्धारित की गई है। अब हम जानते हैं की जीएसटी का पंजीकरण के कितने प्रकार हैं।
जीएसटी पंजीकरण के प्रकार (Types of GST in Hindi)
जीएसटी पंजीकरण (GST registration) के कई प्रकार हैं। जीएसटी रजिस्ट्रेशन की स्पेशल कैटेगरी में भारत में बिजनेस करने वाले नॅार्मल टैक्सपेयर आता है। जबकि कंपोजिशन स्कीम में 1.5 करोड़ से ऊपर टर्न ओभार वाले कारोबारी आते हैं।
केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के जीएसटी अलग अलग तरह से होते हैं आइए नीचे जीएसटी के प्रकार को समझते हैं।
जीएसटी कितने प्रकार के होते है (Types of GST in Hindi)
केंद्र के हिस्से वाला GST टैक्स | – CGST(Central Goods and Service Tax) |
राज्य के हिस्से का GST टैक्स | – SGST(State Goods and Service Tax) |
केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से का टैक्स | – UGST या UTGST (Union Territory Goods and Services Tax) |
केंद्र और राज्य दोनों के हिस्सों का टैक्स | – IGST(Integrated Goods and Service Tax) |
जीएसटी पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज
GST registration के लिए कई दस्तावेजों की जरूरत पड़ती हैं। जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, एड्रेस और आईडी प्रूफ प्रमाण पत्र, बैंक अकाउंट डिटेल, दुकान का पता आदि होना जरुरी है। जीएसटी पंजीकरण सत्यापन के लिए यह कागजात आवश्यक है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन फीस
वर्तमान में GST में Registration पर सरकार की तरफ से कोई फीस नहीं है। कोई भी कारोबारी GST Portal पर जाकर अपने जरूरी दस्तावेज के साथ Online रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया द्वारा अप्लाइ कर सकता है।
जीएसटी पंजीकरण के लाभ (Benefits of GST in Hindi)
जीएसटी के फायदे की बात करे तो यह कारोबार के टर्न ओभार और राज्यों पर निर्भर है। क्योंकि कुछ राज्यों में 20 लाख से ऊपर की कमाई करने वाले कारोबारी को जीएसटी (GST) भरना अनिवार्य है।
इससे नीचे कमाई करने वाले जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। इसका फायदा छोटे और मध्यम कारोबारी को व्यपार बढ़ाने में मिल रहा है।
जीएसटी पंजीकरण संख्या क्या है
जीएसटी पंजीकरण के बाद एक युनीक नंबर कारोबारी को प्राप्त होता है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर GSTIN नंबर या जीएसटी नंबर के नाम से जाना जाता है। GSTIN नंबर 15 अंकों वाला एक विशेष नंबर होता है।
जो कारोबारी को जीएसटी पंजीकरण के बाद प्राप्त होता है। जीएसटी नंबर के 15 डिजिट में पैन नंबर भी शामिल होता है। यह युनीक नंबर दुकानदारों को जीएसटी संबंधी टैक्स भुगतान और रिटर्न दाखिल करने में काम आता है।
इस नंबर की मदद से टैक्स विभाग कारोबारी के कारोबार तथा टैक्स भुगतान संबंधी जानकारी का निगरानी करता है। 15 अंकों वाली जीएसटी नंबर के पहले दो डिजिट राज्य का कोड होते हैं।
निष्कर्ष
जीएसटी से जुड़ी हुए जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी विशेष जानकारी के लिए भारत सरकार की अफिशल वेबसाईट –पर जीएसटी के बारें में लैटस्ट जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
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F.A.Q
जीएसटी नंबर कौन कौन ले सकता है?
40 लाख से अधिक के सालाना टर्न ओभार वाले कारोबारी जीएसटी नंबर लेना अनिवार्य है। कुछ राज्यों में यह सीमा 20 लाख रुपये है।