वैज्ञानिक अरुण कुमार शुक्ला की जीवनी | Arun Kumar Shukla biography in Hindi

प्रो अरुण कुमार शुक्ला (Arun Kumar Shukla biography in Hindi) भारत के प्रसिद्ध संरचनात्मक जीव विज्ञानी हैं। उन्होंने स्ट्रक्चरल बायोलॉजी, सेल्युलर सिग्नलिंग, फार्माकोलॉजी मेम्ब्रेन प्रोटीन, जी प्रोटीन-युग्मित रिसेप्टर्स (GPCRs) में विशेषज्ञयता हासिल की है।

वैज्ञानिक अरुण कुमार शुक्ला जी-प्रोटीन युग्मित रिसेप्टर्स (GPCRs) की संरचना, कार्य व माड्यूलेशन क्षेत्र में शोधकार्य के लिए जाने जाते हैं। प्रोफेसर अरुण कुमार शुक्ला ने तीन नोबेल पुरस्कार विजेताओं के अधीन काम करते हुए चिकित्सकीय रूप से निर्धारित दवाओं और बीमारियों के बीच संबंधों का गहन अध्ययन किया।

उन्होंने न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ novel therapeutics को डिजाइन करने के लिए जीपीसीआर कार्यों को संशोधित करने के लिए novel strategies की पहचान की। कानपुर के प्रोफेसर डा. शुक्ला ने जीपीसीआर की संरचना, कार्य और विनियमन को समझने के लिए गहन अध्ययन किया।

अरुण कुमार शुक्ला की जीवनी – Arun Kumar Shukla biography in Hindi

डॉ अरुण कुमार शुक्ला का जी-प्रोटीन-युग्मित रिसेप्टर्स (GPCRs) के सक्रियण, सिग्नलिंग और विनियमन की वर्तमान समझ के लिए उत्कृष्ट योगदान रहा है। उन्होंने अपने अनुसंधान से जीपीसीआर सिग्नलिंग के पहले के अज्ञात प्रतिमानों से अवगत कराया है।

वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर (IIT Kanpur ) में जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग में Joy-Gill Chair professor हैं। उन्होंने जी-प्रोटीन युग्मित रिसेप्टर्स (जीपीसीआर) की संरचना, कार्य पर गहन शोध किया।

2014 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर में सहायक प्रोफेसर के रूप में शामिल होने से पहले शुक्ला उत्तरी कैरोलिना के ड्यूक विश्वविद्यालय में एक रिसर्च एसोसिएट और सहायक प्रोफेसर में रूप में कार्य किया।

वर्ष 2022 में प्रोफेसर अरुण कुमार शुक्ला को खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उन्हें आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. एके चतुर्वेदी ने प्रादन किया। खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार विज्ञान के प्रतिष्ठित सम्मान में से एक है।

इसके पहले प्रो शुक्ला को उनके उत्कृष्ठ कार्य के लिए 2021 में भारत के विज्ञान के प्रसिद्ध शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार प्रदान किया गया। वे कई प्रसिद्ध संस्थान के फ़ेलो भी हैं। आईए इस लेख में वैज्ञानिक प्रो अरुण कुमार शुक्ला की जीवनी के बारें में संक्षेप में जानते हैं।

वैज्ञानिक अरुण कुमार शुक्ला की जीवनी | Arun Kumar Shukla biography in Hindi

अरुण कुमार शुक्ला का जीवन परिचय

जन्म 

वैज्ञानिक अरुण कुमार शुक्ला का जन्म 01 नवंबर 1981 को भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के कुशीनगर में हुआ था।

शिक्षा दीक्षा

अरुण कुमार शुक्ला ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से अपनी बी.एससी. तक की शिक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी में अपनी मास्टर डिग्री(एमएससी) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से प्राप्त किया। तत्पश्चात वे डॉक्टरेट के लिए जर्मनी चले गए।

जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट में प्रसिद्ध 1988 के नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक हार्टमुट मिशेल के मार्गदर्शन में बायोफिजिक्स में पीएचडी (डॉक्टरेट) की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद उन्होंने बायोफिज़िक्स में ही पोस्ट-डॉक्टरेट भी किया।

पोस्ट-डॉक्टरेट के लिए डॉ शुक्ला ने ड्यूक विश्वविद्यालय के नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट जे लेफकोविट्ज़ और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ब्रायन कोबिल्का के निर्देशन में किया।

करियर

प्रो अरुण कुमार शुक्ला का नाम भारतीय संरचनात्मक जीवविज्ञानी की सूची में शामिल है। कहा जाता है की पोस्ट-डॉक्टरेट के बाद डॉ शुक्ला ने अपने करियर की शुरुआत ड्यूक विश्वविद्यालय USA में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में किया।

उन्होंने अमेरिका के ड्यूक विश्वविद्यालय, उत्तरी कैरोलिना में मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। उसके बाद वे स्वदेश भारत वापस आ गए। भारत वापस आने के बाद Arun Kumar Shukla IIT Kanpur से जुड़ गए।

वर्तमान में वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग संकाय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। साथ ही वे GPCR जीवविज्ञान की प्रयोगशाला के प्रमुख हैं।

योगदान

जीपीसीआर शरीर की लगभग हर प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन रिसेप्टर्स की संरचना, कार्य और विनियमन पर डॉ. शुक्ला ने अच्छी तरह शोध किया है। दवाओं के उपचारात्मक प्रभाव इन जीपीसीआर रिसेप्टर्स के माध्यम से ही होता है।

डॉ. शुक्ला ने शोध द्वारा स्पष्ट किया है कि बीमारियों के साथ चिकित्सकीय रूप से निर्धारित दवा शरीर में जीपीसीआर रिसेप्टर्स के कामकाज को कैसे नियंत्रित करती है।

प्रो अरुण कुमार शुक्ला प्रोटीन-युग्मित रिसेप्टर पर व्यापक अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध हैं। डॉ शुक्ल के शोध द्वारा बेहतर दवा प्रभावकारिता हेतु इन रिसेप्टर्स के आसान विनियमन के लिए विकसित किया गया है।

उन्होंने IIT Kanpur के वैज्ञानिकों की एक दल को भी नेतृत्व किया। जिनके द्वारा विकसित नैनो मशीन द्वारा जीवित कोशिकाओं के अंदर होने वाली क्रियाओं के अध्ययन में मदद मिल सकती है।

इनके द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल बजार में उपलबद्ध कई दवाओं जैसे कि ओल्मेसार्टन, फेक्सोफेनाडाइन, प्रोपेनोलोल और मेटोप्रोलोल और टेल्मिसर्टन के साथ किया जा रहा है।

सम्मान व पुरस्कार

प्रो शुक्ला डीबीटी वेलकम ट्रस्ट इंडिया एलायंस के वरिष्ठ फेलो हैं। उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वर्ण जयंती फैलोशिप के प्राप्तकर्ता भी हैं। प्रो अरुण कुमार शुक्ला भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और भारतीय विज्ञान अकादमी के भी फेलो हैं।

बायो-साइंसेज में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय बायोसाइंस अवार्ड प्रदान किया गया। इसके अलावा उन्हें भारत में विज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी प्रदान किया गया।

यह पुरस्कार उन्हें 2021 में जैविक विज्ञान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। उन्हें मिले पुरस्कारों की सूची।

  • वर्ष 2017 – बी एम बिड़ला विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित
  • वर्ष – 2017- EMBO यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड
  • वर्ष 2016 – NASI-यंग साइंटिस्ट प्लेटिनम जुबली अवार्ड (NASI) द्वारा
  • वर्ष 2018 – सीडीआरआई अवार्ड
  • वर्ष 2018 – भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा शकुंतला आमिर चंद पुरस्कार,
  • वर्ष 2021 – शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार
  • वर्ष 2022 – खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार
  • वर्ष 2023 – जीवन विज्ञान में इंफोसिस पुरस्कार

प्रो अरुण कुमार शुक्ला CONTACT DETAILS :-

जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग,
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर
कल्याणपुर, कानपुर – 208016, उत्तर प्रदेश,

संपर्क जानकारी:
ईमेल: arshukla[at]iitk.ac.in
फ़ोन: (91) 512-259-4251
फैक्स: (91) 512-259-4010

आपको वैज्ञानिक अरुण कुमार शुक्ला की जीवनी ( Arun Kumar Shukla biography in Hindi) जरूर अच्छी लगी होगी, अपने सुझाव से अवगत करायें।

F.A.Q

प्रो अरुण कुमार शुक्ला कौन हैं?

डा. अरुण शुक्ला कानपुर स्थित IIT के बायोलाजिस्ट प्रोफेसर हैं। जिन्हें जीपीसीआर की संरचना, कार्य और विनियमन पर गहन शोध के लिए जाना जाता है।

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