ई.सी.जॉर्ज सुदर्शन (Indian-American physicist E. C. George Sudarshan)महान भारतीय-अमेरिकी भौतिक विज्ञानी थे। उनका पूरा नाम एन्नाक्कल चांडी जॉर्ज सुदर्शन (Ennackal Chandy George Sudarshan ) था।
उन्होंने प्रकाश से भी तेज गति से गमन करने वाली कण ‘टचयोन’ (Tachyon) की खोज की थी। ईसीजी सुदर्शन एक प्रशंसित भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी थे।वीक फोर्स से संबंधित वी-ए थ्योरी पर किया गया उनका कार्य सराहनीय रहा।
उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टीन(Einstein) के उस सिद्धांत को चुनौती दी जिसमें कहा गया था की द्रव्यमान (mass) के साथ कुछ भी प्रकाश से तेज गमन नहीं कर सकता।
भारत के केरल राज्य में जन्में यह महान वैज्ञानिक बाद में अमेरिका की नागरिकता लेकर वहीं बस गए। 86 वर्ष की अवस्था में उनका अमेरिका में निधन हो गया। विज्ञान के अलावा उन्होंने दर्शन और धर्म के क्षेत्र में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
सैंट थॉमस क्रिस्टिंस परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी उन्होंने ईसाई धर्म छोड़ वेदांती मार्ग को अपनाया। डॉ सुदर्शन लंबे समय तक ह्यूस्टन स्थित श्री मीनाक्षी मंदिर के एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य भी रहे।
आइए इस महान वैज्ञानिक ई. सी. जी. सुदर्शन की जीवनी, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा दीक्षा, योगदान और सम्मान व पुरस्कार के बारें में विस्तार से जानते हैं :-
ई.सी.जॉर्ज सुदर्शन की जीवनी – Biography of E. C. George Sudarshan in Hindi
पूरा नाम | एननेकल चांडी जॉर्ज सुदर्शन (Ennackal Chandy George Sudarshan) | |
जन्म स्थान | केरल भारत | |
जन्म तिथि | 16 सितंबर 1931 | |
पेशा | भौतिक विज्ञानी, प्रोफेसर व लेखक | |
योगदान | ‘टचयोन’ की खोज (Tachyon discovered by Indian) | |
सम्मान व पुरस्कार | पद्म विभूषण, सी वी रमन पुरस्कार, बोस पदक, थर्ड वर्ल्ड अकादमी ऑफ साइंसेज अवॉर्ड, ICTP का दिराक पदक आदि | |
निधन | 13 मई 2018 (अमेरिका) |
प्रारम्भिक जीवन
महान भारतीय भौतिकशास्त्री ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन का जन्म 16 सितम्बर 1931 को केरल में हुआ था। इनका जन्म केरल के कोट्टायम जिले के पल्लम गांव में एक सैंट थॉमस क्रिस्टिंस ईसाई परिवार में हुआ था।
उनके पत्नी का नाम भामती सुदर्शन है। उन्हें एलेक्स और अशोक नामक दो बच्चे हैं। सुदर्शन साहब बचपन से पढ़ने लिखने में अत्यंत ही तेज थे। बचपन में ही अपने माँ से उन्होंने गणित का सामान्य ज्ञान हासिल कर लिया था।
उनके अंदर बचपन से गणित के प्रति उनकी रुचि जागृत हो गई थी। लेकिन बड़े होने के बाद उनका प्रेम भौतिक विज्ञान के साथ हो गया।
शिक्षा दीक्षा
ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन की प्रारम्भिक शिक्षा अपने गाँव के स्कूल में हुई। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उनका नामांकन कोट्टायम के सीएमएस कॉलेज में हुई। कहते हैं की स्कूल जाने के लिए उन्हें रोज मीलों पैदल ही जाना पड़ता था।
सीएमएस कॉलेज से इंटर पास करने के बाद उनका एडमिसन मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में हो गई। इसी मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने सन 1951 में से ग्रैजूएशन तक की पढ़ाई की।
उसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से स्नातकोत्तर किया। स्नातकोत्तर(P.G.) के बाद वे ‘टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान’ से जुड़ गए और कुछ दिनों तक यहीं पर उन्होंने अपना अनुसंधान किया। उसके बाद वे अमेरिका के प्रसिद्ध शहर न्यूयार्क चले गए।
अमेरिका में उन्होंने ‘रॉबर्ट मर्शक’ के सानिध्य में पीएचडी(डॉक्टरेट) के लिए शोध किया। फलतः सन 1958 में उन्होंने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर’ से पीएचडी(डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की।
उन्होंने प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ‘जूलियन स्चेविंगर’ के सानिध्य में रहकर अपना शोध किया। इन्ही के निर्देशन में उन्होंने पोस्ट-डाक्टरेट की डिग्री भी हासिल की।
कैरियर
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन कुछ दिनों तक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से जुड़े रहे। यहाँ उन्हें महान वैज्ञानिक ‘डॉ होमी जहांगीर भाभा’ के साथ काम करने का मौका मिला।
‘टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ में काम करते हुए उनकी मुलाकात विश्व के महान वैज्ञानिक ‘पॉल ए. एम. डिराक, से हुई। इन वैज्ञानिक से मिलकर जॉर्ज सुदर्शन बहुत प्रभावित हुए।
बाद में वे अमेरिका चले गए और वहाँ की नागरिकता लेकर अमेरिका में ही वे शोध व अध्यापन करने लगे। इस प्रकार महान भारतीय वैज्ञानिक डॉ सुदर्शन ने टेक्सास विश्वविद्यालय में 40 वर्षों तक प्रोफेसर के रूप में काम किया।
उपलब्धियां
उन्हें प्रकाश से भी तेज गमन करने वाले कणों की खोज के लिए जाना जाता है। इन कणों का ‘टचयोन’ (Tachyon) नाम दिया गया। उन्होंने अपने शोध से यह साबित किया की नाभिक के भीतर कणों के बीच आकर्षण शाक्ति बहुत ही क्षीण होती है।
इसके अलावा ‘Quantum Zeno Paradox’ क्वांटम ऑपटिक्स व ‘क्वांटम कंप्यूटेशन’ से संबंधित नियम प्रतिपादित कीये। उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत ‘वेक्टर माइनस एक्सियल वेक्टर’ या V-A के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इस सिद्धांत के द्वारा परमाणु और उसके नाभिक को नए सिरे से पूरी तरह समझने और अध्ययन करने में मदद मिली।
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9 बार नॉवेल पुरस्कार के लिए नामित
वैज्ञानिक ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन को कई बार नॉवेल पुरस्कार के लिए भेजा गया। साल वर्ष 2005 में भी उनका नाम अन्य वैज्ञानिकों के साथ फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।
लेकिन भौतिकी के लिए उस साल का भी नोवेल पुरस्कार अन्य वैज्ञानिक को नसीव हुआ। इस प्रकार विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार के लिए जॉर्ज सुदर्शन का 9 बार नाम भेजा गया। लेकिन वे इस प्रसिद्ध पुरस्कार से वंचित रह गए।
ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन का योगदान
सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में डॉ सुदर्शन का अमूल्य योगदान माना जाता है। उन्होंने भौतिक शस्त्र के कई आयामों को छुआ। जिसमें प्रकाशिय संबद्धता और सुदर्शन-ग्लौबर निरूपण, टेक्योन, क्वांटम शून्य प्रभाव, विवृत क्वांटम निकाय और प्रचक्रण-सांख्यिकी प्रमेय आदि प्रसिद्ध हैं।
सम्मान व पुरस्कार पुरस्कार
भारत सरकार द्वारा 1976 में ‘पद्ध भूषण‘ तथा 2007 में ‘पद्म विभूषण‘ प्रदान किया गया। उन्हें सन 1970 में सी वी रमन पुरस्कार और 1977 में बोस पदक से सम्मानित किया था। सन 1985 में उन्हें ‘थर्ड वर्ल्ड अकादमी ऑफ साइंसेज अवॉर्ड’ न नवाजा गया।
सन 2006 में वे मायोराना पदक तथा 2010 में आईसीटीपी(ICTP) का दिराक पदक से सम्मानित हुए। इसके साथ ही उन्हें केरल सरकार की तरफ से केरल शस्त्र पुरस्कार और द स्टेट अवॉर्ड ऑफ लाइफटाइम अकोमप्लिशमेंट्स इन साइंस 2013 प्रदान किया गया।
इसके अलावा डॉ सुदर्शन को नौ बार नोबेल पुरस्कार(Novel Prize) के लिए भी निमित किया गया। लेकिन इसके बावजूद पुरस्कार से वंचित रह गए। भले ही उन्हें नॉवेल पुरस्कार नहीं मिल सका लेकिन उनकी उपलब्धियों को कम करके नहीं आँका जा सकता।
निधन – ECG Sudarshan death
भारतीय अमेरिकी भौतिकशास्त्री ई सी जॉर्ज सुदर्शन का 13 मई 2018 को अमेरिका में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार अमेरिका में ही टेक्सास स्थित आस्टिन में किया गया।
अपने 86 वर्ष के लंबे जीवन काल में उन्होंने भौतिक विज्ञान के कई पहलू और राज से प्रदा उठाया। भौतिक विज्ञान में ई सी जॉर्ज सुदर्शन के योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल -F. A. Q.
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टचयोन’ की खोज किसने की? (Who invented tachyon particle)
महान भारतीय भौतिकशास्त्री ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन ने ‘टचयोन’ की खोज की थी। यह कण प्रकाश से भी तेज गति से गमन करने में सक्षम माना जाता है।
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ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन के पत्नी का नाम क्या है? (ECG Sudarshan wife)
महान वैज्ञानिक ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन के पत्नी का नाम भामती सुदर्शन है। उन्हें बच्चे के नाम एलेक्स और अशोक हैं।
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ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन क्यों प्रसिद्ध हैं? (e. c. George Sudarshan known for)
भारतीय वैज्ञानिक ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन ‘टचयोन’ की खोज के लिए जाने जाते हैं। जो प्रकाश से भी तेज विचरण करता है।
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‘V-A’ सिद्धांत (Theory) क्या है? What’s v-a theory.
कभी कभार परमाणु का क्षय होने लगता है। तब उनके नाभिक छोटे-छोटे नाभिकों और अन्य कणों में पृथक हो जाता है। यह प्रक्रिया एक सिद्धांत पर काम करता है। इसी सिद्धांत को ‘वेक्टर माइनस एक्सियल वेक्टर’ या ‘V-A कहा जाता है।
है.
ई.सी.जॉर्ज सुदर्शन की जीवनी ( BIOGRAPHY OF E. C. GEORGE SUDARSHAN IN HINDI) जरूर अच्छी लगी होगी। मोटीभेसन हेतु कमेंट्स जुरुर करें।
बाहरी कड़ियाँ (External links)
भारतीय मूल के वैज्ञानिक ई.सी. जॉर्ज सुदर्शन का निधन
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