वैज्ञानिक प्रेम चंद पाण्डेय की जीवनी | Biography of Prem Chand Pandey in Hindi

डॉ॰ प्रेम चंद पाण्डेय (Prem Chand Pandey) एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री हैं। उनका कार्य क्षेत्र महासागरीय विज्ञान, वायुमण्डलीय विज्ञान, सुदूर संवेदी उपग्रह, अंटार्कटिक और जलवायु परिवर्तन से संबंधित रहा है।

प्रो प्रेम चंद पाण्डेय राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र के फाउन्डर डायरेक्टर हैं। प्रो पाण्डेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में भी काम कर चुके हैं।

वैज्ञानिक प्रेम चंद पाण्डेय की जीवनी | Biography of Prem Chand Pandey in Hindi
वैज्ञानिक प्रेम चंद पाण्डेय इमेज

प्रेम चंद पांडे का महासागर विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान, समुद्री बर्फ और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान माना जाता है।

विज्ञान में प्रो प्रेम चंद्र पाण्डेय के कई अहम योगदान के कारण उन्हें अनेकों सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए। आईए भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रेम चंद पाण्डेय की जीवनी (Prem Chand Pandey ki jivani) संक्षेप में जानते हैं।

वैज्ञानिक प्रेम चंद पाण्डेय की जीवनी – Biography of Prem Chand Pandey in Hindi

प्रेम चंद पाण्डेय प्रारम्भिक जीवन

प्रो प्रेम चंद पाण्डेय का जन्म 10 अगस्त 1945 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत (वर्तमान में उत्तरप्रदेश राज्य में) आजमगढ़ के पास रामापुर गाँव में हुआ था। प्रेम चंद पाण्डेय माता पिता ने उन्हें बड़े ही लाड़ प्यार से पाला।

डॉ॰ प्रेम चंद पाण्डेय की शिक्षा दीक्षा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई। उन्होंने तत्कालीन इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की परीक्षा पास की। उसके बाद उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।

इसी दौरान उन्होंने इलक्ट्रोनिक्स भौतिकी में सूक्ष्म तरंग से संबंधित शोधकार्य भी कीये। उन्होंने अपनी पी एच डी भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही भौतिकी-माइक्रोवेव पर शोध के लिए प्राप्त की।

करियर

उच्च शिक्षा प्राप्ति की बाद डॉ॰ प्रेम चंद पाण्डेय 1960 में अपनी कैरियर की शुरुआत डीएवी डिग्री कॉलेज, आजमगढ़ में एक लेक्चरर के रूप में की। करीब दो साल तक लेक्चरर के रूप में सेवा देने के बाद डॉ पाण्डेय इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जुड़ गये।

यहाँ माइक्रोवेव अनुसंधान प्रयोगशाला में उन्होंने एक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के सदस्य के रूप में 1968 से 1972 तक कार्य किया।

प्रेमचंद पांडे ने भौतिकी-माइक्रोवेव पर शोध करते हुये 1972 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद वे केंद्रीय जल और विद्युत अनुसंधान स्टेशन, खडकवासला में एक शोध अधिकारी के रूप में काम करने लगे।

जहाँ उन्होंने 1973 से 1977 तक काम किया। सन 1977 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़ गए। यहाँ उन्होंने 1977 से लेकर 1997 तक काम किया।

इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद में काम करते हुए वे वरिष्ठ वैज्ञानिक पद तक पहुंचे। उन्होंने नासा के एक लैब में अपर एटमॉस्फियर रिसर्च सैटेलाइट और सीसैट कार्यक्रमों में एक शोध सहयोगी के रूप में भी कार्य किया।

सन 1997 में उन्हें राष्ट्रीय अंटार्कटिक औमहासागर अनुसंधान केंद्र(NCAOR), गोवा का निदेशक बनाया गया।

इस दौरान उनका राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR)/पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), गोवा की स्थापना में अहम योगदान रहा तथा वे इसके संस्थापक निदेशक रहे।

इस दौरान उन्होंने अनेकों कदम और पहल की जिससे आज राष्ट्रीय अंटार्कटिक और महासागर अनुसंधान केंद्र(NCAOR) को विश्व पहचान मिल सकी।

अगस्त 2005 में राष्ट्रीय अंटार्कटिक और महासागर अनुसंधान केंद्र, गोवा से सेवानिवृत्ति के बाद वे पुनः आई आई टी खड़गपुर में एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवा देने लगे।

इस दौरान डॉ पाण्डेय का महासागरों, नदियों, वायुमंडल और भूमि विज्ञान केंद्र (कोरल) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका रही। डॉ पाण्डेय सन 2012 से 2017 तक आई आई टी भुवनेश्वर से विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में जुड़े रहे।

इस दौरान जलवायु परिवर्तन के लिए एक Innovation केंद्र के साथ पृथ्वी, महासागर और जलवायु विज्ञान स्कूल की स्थापना में उनका अहम रोल रहा। 

आई आई टी भुवनेश्वर जुड़कर उन्होनें महासागर, नदी, वायुमंडल, पृथ्वी, अंतरिक्ष विज्ञान और जलवायु विज्ञान क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। सन 2017 में वे एमेरिटस प्रोफेसर के रूप में आईआईटी खड़गपुर पुनः वापस आ गये।

योगदान

डॉ प्रेम चंद्र पाण्डेय का महासागरों, नदियों, वायुमंडल और भूमि विज्ञान केंद्र (कोरल) की स्थापना में अहम भूमिका रही।

साथ ही उनका राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), गोवा की स्थापना में भी अहम भूमिका रही।

आई आई टी भुवनेश्वर से जुड़कर उन्होंने वहाँ जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक Innovation केंद्र के साथ पृथ्वी, महासागर और जलवायु विज्ञान स्कूल की स्थापना में अपना सहयोग दिया।  

प्रो पाण्डेय का मुरली मनोहर जोशी जी के पहल पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ‘केदारेश्वर बनर्जी सेंटर ऑफ एटमॉस्फेरिक एंड ओशन स्टडीज (KBCAOS ) की स्थापना में अहम भूमिका रही।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस संकाय की स्थापना के फलसरूप वायुमंडलीय और महासागर विज्ञान अध्ययन की शुरुआत हुई। आज यह संस्थान अपना पूर्ण रूप ले चुका है।

इस प्रकार अपने कैरियर के दौरान उन्होनें वायुमंडल, पृथ्वी, अंतरिक्ष विज्ञान, जलवायु विज्ञान, महासागर और नदी क्षेत्र में कई अहम योगदान दिया।

सम्मान व पुरस्कार

प्रो प्रेम चंद्र पाण्डेय को देश के अनेकों प्रतिष्ठित संस्थान ने अपना फ़ेलो और मानद उपाधि देकर सम्मानित किया।

वे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इलाहाबाद, द इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, बैंगलोर फ़ेलो (1997), इंडियन रिमोट सेंसिंग सोसाइटी, इंडिया मौसम विज्ञान सोसायटी, इंडियन जियोफिजिकल यूनियन और कई अन्य संस्थानों के फेलो हैं।

उन्हें पूर्वांचल विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश द्वारा डी.एस.सी की उपाधि प्रदान की गई। प्रो प्रेम चंद्र पाण्डेय को विज्ञान में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • वर्ष 1985 – नासा द्वारा ‘सर्टिफिकेट ऑफ रिकग्निशन एंड कैश अवार्ड’ से सम्मानित
  • वर्ष 1987 – हरिओम आश्रम प्रेरिट द्वारा ‘डॉ विक्रम साराभाई पुरस्कार एण्ड गोल्ड मेडल
  • वर्ष 1989 – उत्कृष्ट वैज्ञानिक योगदान के लिए ‘शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’
  • वर्ष 2001 – ‘भारत गौरव पुरस्कार’ इंडिया इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसाइटी के द्वारा
  • वर्ष 2002 – उत्तरप्रदेश सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा ‘विज्ञान गौरव पुरस्कार’
  • वर्ष 2004 – ‘श्री ओम प्रकाश भसीन पुरस्कार, विज्ञान में योगदान के लिए’
  • वर्ष 2007 – ‘प्रसिद्ध खोसला राष्ट्रीय पुरस्कार’ आई आई टी रुरकी द्वारा
  • वर्ष 2007 – भारतीय भूभौतिकीय संघ द्वारा ‘प्रो.के.आर.रामनाथन मेमोरियल गोल्ड मेडल’

उपलब्धियां

डॉ प्रेम चंद्र पांडे समुंद विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान के क्षेत्र में काम करते हुए अनेकों उपलब्धियां हासिल की। माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में उनके शोध योगदान को कई प्रसिद्ध पुस्तकों में जगह मिली। 

उनके 33 शोध पत्रिकाओं में से करीब 100 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, उनमें से 23 शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुए।

इसके अलावा प्रो पाण्डेय ने करीब 9 पुस्तकों की रचना और सम्पादन भी किया। उन्होंने अपने कैरियर में अनेकों पीएच.डी. छात्रों का मार्गदर्शन किया।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

  1. प्रो प्रेम चंद पाण्डेय कौन थे?

    प्रो पाण्डेय इसरो से जुड़े भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे।

  2. डॉ प्रेम चंद पाण्डेय का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

    प्रो प्रेम चंद पाण्डेय का जन्म 10 अगस्त 1945 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत में आजमगढ़ के पास रामापुर गाँव में हुआ था।

  3. डॉ प्रेम चंद पाण्डेय का किस क्षत्रे में योगदान रहा?

    उनका कार्य क्षेत्र महासागरीय विज्ञान, वायुमण्डलीय विज्ञान, सुदूर संवेदी उपग्रह, अंटार्कटिक और जलवायु परिवर्तन से संबंधित रहा है।

  4. प्रो पाण्डेय को पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा कौन सी उपाधि दी गई।

    प्रो पाण्डेय को पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई।

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