प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक कमला कांत पांडे की जीवनी | Biography of Kamla Kant Pandey in Hindi

कमला कांत पांडे की जीवनी |

कमला कांत पांडे का नाम भारत के महान कृषि वैज्ञानिक के रूप में लिया जाता है। इन्होंने पौधों की जेनेटिक्स पर उल्लेखनीय शोध किया। उन्होंने अवगत कराया की पौधे के जीन उनके गुणों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने पौधों की ब्रीडिंग की नई तकनीक को विकसित किया। पौधे के सेल्फ पोलीनेशन और क्रास पोलीनेशन में उन्होंने महारत हासिल कर ली । कृषि विज्ञान के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय योगदान के द्वारा इन्होंने सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध अर्जित की।

कमला कांत पांडे की जीवनी - Biography of Kamla Kant Pandey in Hindi
कमला कांत पांडे की जीवनी |

वैज्ञानिक कमला कांत पांडे का नाम आज दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पादप आनुवंशिकीविदों में सुमार हैं। वे न्यूजीलैंड में वस गये हैं। वर्तमान में वे न्यूजीलैंड के जेनेटिक्स यूनिट, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग में प्रमुख के पद पर तैनात हैं।

आइये इस महान वैज्ञानिक कमला कान्त पांडे की जीवनी, योगदान और उनके पुरस्कार और सम्मान के बारें में जानते हैं।

कमला कांत पांडे की जीवनी – Biography of Kamla Kant Pandey in Hindi

प्रारम्भिक जीवन

महान कृषि वैज्ञानिक कमलाकांत पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 01 दिसंबर 1926 ईस्वी में हुआ था।
इनका प्रारम्भिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से ही हुई। तत्पश्चात वे जोनपुर हाईस्कूल से हाईस्कूल की परीक्षा पास की।

कृषि वैज्ञानिक कमलाकांत पांडे | KAMLA KANT PANDEY IN HINDI
कमला कान्त पांडे पौधे में पोलीनेशन क्रिया पर शोध के लिए प्रसिद्ध

बचपन से ही इनकी रुचि कृषि विज्ञान में था। कृषि विज्ञान में इनके लगन और प्रतिभा क देखकर इनके टीचर बहुत ही प्रभावित रहते थे। उन्होंने कहा था कमला कान्त पांडे एक दिन बहुत बड़ा वैज्ञानिक बनेगा।

भारत मे अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए लंदन चा गये। डॉ पांडे लंदन प्रदर्शनी छात्रवृत्ति पाने वाले पहले भारतीय कृषि स्नातक छात्र थे। लंदन में उन्होंने पादप आनुवंशिकी पर शोध करने के लिए ‘जॉन इन्स इंस्टीट्यूट ‘से जुड़ गए।

लंदन विश्व विध्यालय से इन्होंने सन् 1954 ईस्वी में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त किया। उसके बाद वे न्यूजीलैंड में अनुसंधान करने लगे और वहाँ की नागरिकता ग्रहण कर ली।

कमलाकांत पांडे का योगदान

इन्होंने लंदन विश्व-विध्यालय से डाक्टरेट की उपाधि ग्रहण करने के बाद न्यूजीलैंड में शोध करने लगे। कमलाकांत पांडे ने पौधों की जेनेटिक्स से संबंधित अनेकों शोध किये।

उन्होंने अपने शोध के माध्यम से दुनियाँ को बताया की पौधे में उपस्थित जीन उनके गुणों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपने शोध को सिद्ध करने के लिए इन्होंने सन 1975 में एक पौधे के जीन को दूसरे पौधे में प्रविष्ट कराया।

पौधों की ब्रीडिंग के इस तकनीक से बेहद ही चौंकाने वाले नतीजे प्राप्त हुए। न्यूजीलैंड सहित पूरे दुनियाँ में उनके इस आविष्कार को सराहा गया। डॉ पांडे द्वारा पादप प्रजनन में एक क्रांतिकारी तकनीक की खोज के कारण उनका नाम समूचे विश्व में प्रसिद्ध हो गया।

न्यूजीलैंड में इस खोज को “न्यू जोसेन्डर द्वारा सबसे महत्वपूर्ण खोज के रूप में सराहा गया।

जीन की प्रकृति पर शोध

महान कृषि वैज्ञानिक कमलाकांत पांडे ने पौधे के जीन की प्रकृति को विकिरणों के माध्यम से भी बदलने पर शोध किया। इन्होंने पौधों के सेल्फ पोलीनेशन और क्रास पोलीनेशन पर भी अनेकों अनुसंधान किये।

उन्होंने “एस-जीन” के तंत्र को बदलने के लिए विकिरण तकनीक का भी इस्तेमाल करते हुए एक पौधे के प्रजनन व्यवहार में बदलाव लाया। उन्होंने अपने शोध से दिखाया की बिना मक्खियां के द्वारा भी अब पार-परागण हो सकता है।

उन्होंने अपने अनुसंधान द्वारा एक तकनीक का विकास किया जिससे क्रॉस-परागण वाले पौधों को अब स्व-परागण संभव है। मधुमक्खियां अब पार-परागण के लिए आवश्यक नहीं हैं।

उन्होंने पौधे में पाए जाने वाले “सुपर-जीन” का गहन अध्ययन किया। उन्होंने अपने शोध में पाया की पौधा का स्व-परागण या क्रॉस-परागण इसी “एस-जीन” द्वारा नियंत्रित होता है।

डॉ पांडे में अपने शोध में पाया की फूलों के पौधों के विकास में ‘सुपर-जीन‘ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। “सुपर-जीन” पौधों में रसायनों का उत्पादन करता है जो पौधों के प्रजनन व्यवहार को प्रभावित करने के लिए उत्तरदायी है।

कृषि वैज्ञानिक कमलाकांत पांडे | KAMLA KANT PANDEY IN HINDI
पादप वैज्ञानिक कमला कान्त पांडे- पौधे के ‘सुपर जीन’ पर अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध

इस प्रकार इन्होंने दुनियाँ को कृषि विज्ञान से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत कराया। पौधों के जाति निर्धारण और ‘एस. जीन‘ पर किये गये इनके कार्य काफी प्रशंसनीय रहे।

अपनी बहुमूल्य खोजों और तकनीकों के अलावा, उन्होंने जानवरों में कशेरुक विकास के सिद्धांत को भी सामने रखा है।कृषि विज्ञान में किये गए डॉ. पांडे के योगदानों हमेशा सराहनीय रहा।

पुरस्कार व सम्मान

कृषि विज्ञान में इनके अहम योगदान के कारण लंदन के प्रसिद्ध विज्ञान संस्थान द्वारा अपना सदस्य (फैलो)  नियुक्त किया गया। सन 1966 ईस्वी में उन्हें लंदन की ‘लिनियन सोसाइटी‘ द्वारा अपना फेलो चुना गया।

यह सम्मान किसी भी कृषि वैज्ञानिक के लिए एक उच्च सम्मान माना जाता है। सन 1970 ईस्वी में उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा डी.एस.सी. की मानद उपाधि प्रदान की गई।

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