महान वैज्ञानिक यशपाल की जीवनी | Yashpal Biography in Hindi

महान वैज्ञानिक यश पाल की जीवनी | YASHPAL BIOGRAPHY IN HINDI
महान वैज्ञानिक यश पाल की जीवनी | YASHPAL BIOGRAPHY IN HINDI

महान वैज्ञानिक यशपाल की जीवनी (scientist Yashpal biography in Hindi)

प्रो यश पाल भारत के महान वैज्ञानिक और शिक्षाविद थे। ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन‘ (ISRO) की एक प्रसिद्ध इकाई ‘स्पेश एप्लीकेशन सेंटर’ (SAC) के चेयरमेन के रूप में उनका अहम योगदान रहा।

उन्होंने अपना कैरियर ‘मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च‘ से आरंभ किया था। उन्होंने ‘भारत जन ज्ञान विज्ञान जत्था’ से जुड़कर विज्ञान की बातों को आम जन की भाषा में लोगों तक पहुचाया।

उन्होंने टीवी पर प्रसारित होने वाले विज्ञान धारावाहिक ‘टर्निंग प्वाइंट’ से खूब नाम कमाया। वे इस धारावाहिक के करीब 150 एपिसोड में होस्ट कीये। इस धारावाहिक के जरिये वे दर्शकों को विज्ञान से जुड़े सवालों का सरल भाषा में रोचक तरीके से जवाब देते।

उनका यह कार्यक्रम इतना लोकप्रिय हुया की यश पाल साहब के नाम बच्चा-बच्चा के जुवान पर हो गया। वे बच्चों के बीच स्काईलैब अंकल के नाम से मशहूर हो गए।

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अपने कैरियर में उन्होंने साइंस, एस्ट्रोफिजिक्स और शिक्षा में सुधार के क्षेत्र में अहम काम किये। उन्हें कॉस्मिक किरणों पर शोध, भारतीय शिक्षा में सुधार तथा समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

महान वैज्ञानिक यश पाल की जीवनी | YASHPAL BIOGRAPHY IN HINDI
महान वैज्ञानिक यशपाल की जीवनी | YASHPAL BIOGRAPHY

आईए इस लेख के जरिये भारत के महान वैज्ञानिक यशपाल की जीवनी (YASHPAL BIOGRAPHY IN HINDI ) विस्तार से जानते हैं।

प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा व कैरियर

प्रो यशपाल(Professor Yashpal) का प्रारम्भिक जीवन बहुत ही उतार चढ़ाव भरा रहा। यशपाल साहब का जन्म 26 नवंबर 1926 को पाकिस्तान स्थित पंजाब में चेनाब नदी के पूर्वी तट पर बसे एक शहर झांग में हुआ था।

उनके पिता अंग्रेजों के शासन काल में बलूचिस्तान के क्वेटा में सरकारी नौकरी में थे। इस प्रकार प्रो यश पाल की आरंभिक शिक्षा क्वेटा के एक स्कूल में हुई। कहा जाता है की 1935 के विनाशकारी भूकंप में क्वेटा शहर पूरी तरह तबाह हो गया था।

उस बक्त यश पाल की उम्र महज 10 साल की थी। भूकंप के दौरान वे क्वेटा में ही थे तथा सौभाग्य से ध्वस्त मकान के मलबे से सुरखित बचाये गए। उसके बाद उनके पिता का तवादल मध्यप्रदेश के जबलपुर में हो गया।

वे अपने पिता के साथ  जबलपुर आ गए। यह वहीं दौर था जब भारत में आजादी की लड़ाई अपने चरम पर थी। वे स्कूलों में गांधी जी व अन्य स्वतंरता सेनानी के बारें में सुना करते थे। वे भारत के स्वतंरता सेनानी से काफी प्रभावित थे।

शिक्षा

उन्होंने जबलपुर से हाई स्कूल की परीक्षा पास की। तत्पश्चात्य उनके पिताजी बदली होकर दिल्ली आ गए। फलतः उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोतर की डिग्री हासिल की।

1958 में उन्होंने मैसेचुएट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलॉजी से फिजिक्स में ही पीएचडी की उपाधि हासिल की।  सन 1947 में जब भारत आजाद हुआ उस बक्त वे दिल्ली में ही थे।

देश भारत और पाकिस्तान के रूप में दो टुकड़ों में बंट गया। लेकिन उन्होंने भारत में ही रहना पसंद किया।

कैरियर

एम. एस-सी. की पूरी करने के बाद यश पाल साहब मुंबई आ गए। यहाँ आकार वे ‘Tata Institute of Fundamental Research (TIFR) से जुड़ गए। यहाँ पर वे कॉस्मिक किरण और कण भौतिकी में शोध कार्य करने लगे।

उस दौरान इसी संस्थान में महान वैज्ञानिक प्रो देवेंद्र लाल और बर्नार्ड पीटर्स जैसे दो साथी उन्हें मिले। उन्होंने (TIFR) में रहते हुए कई उल्लेखनीय शोधकार्य कीये। इस संस्थान में वे 20 साल तक जुड़े रहे।

प्रो यश पाल की प्रतिभा से प्रेरित होकर भारत सरकार ने उन्हें 1983-84 में योजना आयोग(प्लानिंग कमीशन) का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया। सन 1984 से लेकर 1986 तक वे भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव के पद पर रहे।

वे सन 1986 से 1991 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमेन रहे। सन 2007 से 2012 तक प्रो यशपाल जेएनयू के चांसलर के पद पर भी रहे

पारिवारिक जीवन – सन 1954 में यश पाल साहब वैवाहिक वंधन में बंध गए। उनकी पत्नी का नाम निर्मल है। उन्हें राहुल और अनिल नामक दो वेटे हैं।

SAC स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का प्रथम डॉयरेक्टर

उन्हें ‘स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का प्रथम डॉयरेक्टर‘ बने। उस बक्त एक दौर था जब भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम पर जोरो से काम चल रहा था। लक्ष्य था भारत के गाँव-गाँव तक टेलीविजन कार्यक्रमों का प्रसारण पहुचाना।

लेकिन उसी दौर में भारत के महान अंतरिक्ष विज्ञानी विक्रम साराभाई का आकस्मिक निधन हो गया। फलतः सतीश धवन को अंतरिक्ष आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।

विक्रम साराभाई के सपनों को साकर करने के लिए अहमदाबाद में सन 1972 में स्पेश एप्लीकेशंस सेंटर की स्थापना की गई। जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के अनुप्रयोगों से देश की आम लोगों को लाभ पहुचाना था।

इसके लिए ‘सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (एसआईटीई)‘ कार्यकर्म की शुरूआत किया गया। सतीश धवन ने एसआईटीई कार्यक्रम को तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए उद्देश्य यश पाल साहब को आमंत्रित किया गया।

इस प्रकार उन्हें 1973 में स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुया। उन्हें स्पेश एप्लीकेशंस सेंटर के निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया। 

प्रो यश पालजी (yashpal ji) ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। उन्होंने अपने 1000 से ज्यादा लोगों के टीम का अगुआई करते हुए रात दिन मेहनत की। इसका परिणाम यह हुआ की एक साल के अंदर देश के सूदर गाँव तक टेलीविजन कार्यक्रम प्रसारित होने लगा।

लोग घर बैठे टीवी पर मनोरंजन से लेकर शिक्षा, कृषि, पशुपालन, स्वास्थ्य पर आधारित ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देखने लगे।इस प्रकार भारत के वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया की उनके पास भी क्षमता है।

उन्होंने उपग्रह का देश में शिक्षा संचार और विकास के लिए व्यापक रूप उपयोग कर दुनियाँ को दिखाया।

UNISPACE-II सम्मेलन में भाग लेना

प्रो यश पाल के निर्देशन में एसआईटीई की सफलता के बाद उनका नाम पूरे विश्व में फैला गया। उनकी उपलब्धियों की पूरे विश्व में सराहना होने लगी।

सन 1982 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव जेवियर पेरेज डे कूएलर ने UNISPACE-II  में भाग लेनें के लिए उन्हें आमंत्रित किया। इस प्रकार वे वियना (आस्ट्रिया) में द्वितीय सुंयक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNISPACE-II ) में भाग लेकर भारत को गौरान्वित किया। 

शिक्षा के विकास में प्रो यश पाल का योगदान

भारतीय शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन कर उसमें अमूल्य सुधार लाने में प्रो यश पाल का अहम योगदान रहा। 1986 में तत्कालीन राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)’ का चेयरमैन नियुक्त किया गया।

उन्होंने यूजीसी के चेयरमेन की जिम्मेदारी को एक चुनौती की तरह लिया। यूजीसी चेयरमैन के पद संभालने के बाद प्रो यश पाल ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन के लिए कई अहम फैसले लिए।

नई दिल्ली स्थित ‘इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर’, पुणे स्थित ‘इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स‘ और ‘इंफार्मेशन एंड लायब्रेरी नेटवर्क‘ (Information and Library Network) की स्थापना का श्रेय प्रो यश पाल को ही जाता है।

यशपाल कमेटी – Yashpal committee

भारत सरकार ने सन 1993 में बच्चों की शिक्षा में सुधार और ओबरबर्डन के मुद्दे पर एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी प्रो यशपाल की अध्यक्षता में ही गठित की गई थी।

कमेटी ने सरकार के पास जो रिपोर्ट दी उसका नाम था, लर्निंग विथाउट बर्डन। इसमें उन्होंने बच्चों पर किताव का बोझ कम करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विकास हेतु कई सुझाव दिये।

टीवी धारावाहिक ‘टर्निंग प्वाइंट से मिली लोकप्रियता

टेलीविजन कार्यक्रम के जरिये विज्ञान के प्रचार-प्रसार में यश पाल जी का व्यापक योगदान रहा। इसके लिए उन्होंने ‘भारत जन ज्ञान-विज्ञान जत्था’ से अपने आप को जोड़ा।

उसके बाद वे एनसीएसटीसी-नेटवर्क के महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस’ के हिस्सा बने। उनकी लोकप्रियता उस बक्त और बढ़ गई जब वे टेलीविजन के प्रसिद्ध धारावाहिक ‘टर्निंग प्वाइंट; का होस्ट करने लगे।

इस कार्यक्रम के जरिये वे देश भर से छात्रों और बुद्धिजीवी लोगों के द्वारा भेजे गए विज्ञान के सबाल का सरल शब्दों में जवाव देते। यह कार्यक्रम इतना लोकप्रिय हुआ की वे एक वैज्ञानिक के साथ-साथ शिक्षाविद के रूप में देशभर में प्रसिद्ध हो गए।

साथ ही वे टेलिविज़न धारावाहिक ‘मानव की विकास’ में भी अपने आवाज से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। इसके अलावा वे ‘भारत की छाप’, ‘तर-रम-तू’ और ‘रेस टू सेव दि प्लैनेट’ जैसे चर्चित टीवी सीरियल में भी नजर आए।

सूर्य ग्रहण आदि आकाशीय घटनाओं के दौरान टीवी पर लाइव होकर अपने एक अलग अंदाज में लोगों को बताते नजर आए। 

इन्हें भी पढ़ें – हिन्दी लेखक यशपाल का जीवन परिचय (yashpal writer in hindi)

सम्मान व पुरस्कार

  • प्रो यश पाल को विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए।
  • सन 1976 में भारत सरकार ने प्रो यश पाल को पद्म भूषण से सम्मानित किया।
  • वर्ष 1980 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सम्मान ‘मारकोनी फेलोशिप’ प्राप्त हुआ।
  • 2009 में प्रो यश पाल को उनेस्को द्वारा सिद्ध कलिंग पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • भारत सरकार ने 2013 में उन्हें देश का सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से अलंकृत किया।

निधन – yashpal death

उम्र के अंतिम पड़ाव में आकार प्रो यश पाल काफी विमार रहने लगे। फलतः भारत के मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रोफेसर यश पाल का 25 जुलाई 2017 को दिल्ली से सटे नोएडा में निधन हो गया।

उन्होंने अपने 90 बर्ष के जीवन काल में विज्ञान से जुड़े विभिन्न कार्यों के द्वारा लोगों की मदद की। विज्ञान के क्षेत्र में उनके अहम योगदान भूलने योग्य नहीं है।

प्रो यश पाल निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट किया था।

‘‘प्रोफेसर यशपाल के निधन से दुखी हूं। हमने एक वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद खो दिया, जिन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना बहमूल्य योगदान दिया है।’’

महान वैज्ञानिक यशपाल की जीवनी ( (about biography of yashpal in hindi) जरूर अच्छी लगी होगी, अपने कमेंट्स से अवगत करायें। विशेष जानने के लिए yashpal wikipedia in hindi पर जा सकते हैं।

प्रो यशपाल का जन्म कहाँ हुआ था? yashpal ka janm kahan hua tha

उनका जन्म 26 नवंबर 1926 को वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब में चेनाब नदी के पूर्वी तट पर झांग नामक स्थान पर हुआ था।


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