C R RAO BIOGRAPHY IN HINDI – सी. आर. राव का पूरा नाम डॉ. कल्यामपुडी राधाकृष्ण राव (Calyampudi Radhakrishna Rao) है। उनकी गिनती भारत के महान सांख्यिकी (Statistics) वैज्ञानिक में होती है।
उनके द्वारा खोज कीये गए ‘क्रेमर-राव फार्मूला’ और ‘थ्योरी राव-ब्लैकवेल सिद्धान्त’ (Rao Blackwell Theorem) ने उन्हें विश्व प्रसिद्ध कर दिया। उनके इस सिद्धांत का उपयोग सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में किया जाता है।
उनका यह थ्योरी किसी काम को योजनाबद्ध तरीके से संपादित करने और किसी चीज का सटीक अनुमान लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान में अमेरिका के पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में वे प्रोफेसर एमेरिटस हैं।
सी. आर. राव को अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सहित दुनियाँ के कई देशों ने अनेकों सम्मान व पुरस्कार से अलंकृत किया। आईये इस लेख में वैज्ञानिक सी आर राव का जीवन परिचय (Biography of C R Rao in Hindi) विस्तार से जानते हैं।
वैज्ञानिक सी आर राव की जीवनी – C R Rao Biography in Hindi
प्रारम्भिक जीवन
डॉ. कल्यामपुडी राधाकृष्ण राव की गिनती भारत के प्रसिद्ध सांख्यिकी वैज्ञानिक के रूप में की जाती है। महान वैज्ञानिक सी. आर. राव (C.R. Rao) का जन्म 10 सितम्बर 1920 को कर्नाटक के हाडागली नामक स्थान पर हुआ था।
डॉ. कल्यामपुडी राधाकृष्ण राव के पिता का नाम दरैस्वामी नायडू था। उनके पिता सरकारी नौकरी में पुलिस निरीक्षक के पद पर तैनात थे। उनकी माता का नाम लक्ष्मीकांतम्मा थी।
उनके पिता जी तो नौकरी के कारण व्यस्त रहा करते थे। लेकिन माँ का उनके ऊपर ज्यादा प्रभाव था। माँ तरके सुबह सुबह जगा देती और वे अपने आलस्य को छोड़कर लैम्प जलाकर पढ़ाई के लिए बैठ जाता।
cr rao ka jeevan parichay और शिक्षा दीक्षा
बचपन से ही सी आर राव अत्यंत ही मेधावी थे। गणित के कठिन सवाल को भी वे बिना कागज कलम के उत्तर बता देते थे। उनके पिता जी की नौकरी और ट्रांसफर के कारण उनका स्कूल और पढ़ाई का स्थान भी बदलता रहा।
सी. आर. राव (C.R. Rao) ने अपने आरंभिक शिक्षा आँध्रप्रदेश के गुडूर से की। वहाँ दो साल पढ़ाई करने के बाद आगे की शिक्षा नुज़विद में हुई। वहाँ से उनके पिता का फिर ट्रांसफर नंदीगामा नामक जगह पर हुआ।
कुछ साल उन्होंने नंदीगामा के स्कूल से पढ़ाई की। बचपन से ही उन्हें गणित खासकर सांख्यिकी में विशेष रुचि थी। यही कारण रहा की उन्होंने सांख्यिकी (Statistics) को अपना प्रिय विषय बनाया।
आगे चलकर इसी क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने का निर्णय लिया। सन 1931 में उनके पिता पुलिस की सर्विस से रिटाइर हो गए। रिटाइर होने के बाद उनके पिता ने अपने बच्चों को अच्छा एजुकेशन देने के लिए आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम में बस गए।
अपने प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होनें हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। उनके बाद वे विशाखापत्तनम के श्रीमती ए वी एन कॉलेज से गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान विषयों के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की।
तत्पश्चात उन्होंने आंध्र यूनिवर्सिटी से गणित में स्नातक और स्नातकोतर की डिग्री हासिल की।
कोलकाता में सांख्यिकी पर शोध – ABOUT C R RAO IN HINDI
इस क्रम में सांख्यिकी ने उनका ध्यान खूब खिचा। उस बक्त कोलकाता सांख्यिकी (Statistics) की पढ़ाई और शोध के लिए भारत में सबसे प्रसिद्ध स्थान था।
क्योंकि ‘‘इंडियन इन्स्टीच्यूट ऑफ स्टेटिस्टिकल रिसर्च’’ कोलकाता में ही स्थित था। इस रिसर्च केंद्र की स्थापना का श्रेय भारत के महान सांख्यिकी वैज्ञानिक पी.सी. महालनोबीस को जाता है।
सी. आर. राव (C.R. Rao) सांख्यिकी की विशेष पढ़ाई के लिए कोलकाता आ गये। उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी से सांख्यिकी में एम् ए की परीक्षा पास की तथा गोल्ड मेडलिस्ट रहे।
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डॉक्टरेट के लिए इंगलेंड गमन
उसके बाद वे उच्च शिक्षा से लिए इंगलेंड चले गये। इंगलेंड में उन्होंने कैम्ब्रिज विश्व-विधालय के अंतर्गत किंग्स कॉलेज में प्रवेश लिया।
यहाँ पर उन्होंने प्रो रोनाल्ड फिशर के निर्देशन में सांख्यिकी पर शोध करते हुए सन 1965 में पी एच डी(डॉक्टरेट) की डिग्री प्राप्त की।
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सी आर राव का पारिवारिक जीवन
वैज्ञानिक सी. आर. राव की धर्मपत्नी का नाम भार्गवी थी। भार्गवी भी एक विदूसी महिला थी। उनकी पत्नी भार्गवी इतिहास और मनोविज्ञान दो विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी।
उन्होंने इतिहास में मास्टर डिग्री बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से तथा मनोविज्ञान में इलिनोइस विश्वविद्यालय, यूएसए से प्राप्त की थी। उन्होंने कई वर्षों तक मनोविज्ञान के प्रोफेसर के रूप में भी अपना योगदान दिया।
कैरियर
अपने पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सांख्यिकी को अपने कैरियर के रूप में चुना। इस प्रकार डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉ. सी. आर. राव कलकत्ता स्थित ‘भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) में एक प्रोफेसर के रूप में काम करने लगे।
यहाँ पर वे कड़ी मेहनत और लगन के साथ अपने शोध में लगे रहे। इसी दौरान उनके जीवन में नया मोड़ आया। उन्हें इंगलेंड के कैम्ब्रिज विश्वविधालय द्वारा मानव विज्ञान और पुरातत्व संग्रहालय में पर चल रहे एक परियोजना पर शोध करने के लिए आमंत्रित किया गया।
उस शोध को पूरा होने के बाद वे पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से जुड़ गये। इस विश्वविधालय में उन्होंने करीब 8 वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। उसके बाद सी आर राव पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में सांख्यिकी के एबरली प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हो गए।
इस यूनिवर्सिटी में उन्होंने ‘सेंटर फॉर मल्टीवेरिएट एनालिसिस’ के डायरेक्टर के पद पर काम किया। इस दौरान उन्होंने सांख्यिकी (Statistics) के कई सिद्धांत का प्रतिपादन कर उल्लेखनीय योगदान दिया।
योगदान
महान वैज्ञानिक सी. आर. राव का सांख्यिकी (Statistics) के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने अनुमान के सिद्धांत अर्थात ‘Theory of Estimation’ की खोज के द्वारा विश्व मे अपनी पहचान बनाई।
उन्होंने सांख्यिकी (Statistics) पर विशेष शोध करते हुए सटीक अनुमान लगाने के लिए जो फार्मूला दिया वह ‘क्रेमर-राव फार्मूला’ के नाम से विश्व प्रसिद्ध हुआ।
साथ ही उन्होंने ज्ञात अनुमानों में भी सबसे सटीक अनुमान कैसे लगाया जाय उसके लिए भी उन्होंने एक सिद्धांत दिया। उनका यह सिद्धांत ‘राव-ब्लैकवेल सिद्धान्त’ (Rao Blackwell Theorem) के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
जापान के टोक्यो स्थित ‘द एशियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट’ की स्थापना में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। व्यपार जगत से जुड़ी समस्या के निपटारा हेतु भी उन्होंने सराहनीय काम कीये। इसके लिए उन्होंने ‘मल्टीवैरियेट एनेलिसिस’ का सिद्धांत दिया।
सम्मान व पुरस्कार
भारत में पैदा हुए सी आर राव एक महान गणितज्ञ और सांख्यिकीविज्ञानी है। उन्होंने अपना अधिकांश समय अमेरिका में गुजर। उनके द्वारा सांख्यिकीय के क्षेत्र में कीये गए कार्य को कई क्षेत्रों में उपयोग किया गया है।
गणित और सांख्यिकी (Statistics) में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई देशी और विदेशी सम्मान से सम्मानित किया गया। विश्व भर के कई प्रसिद्ध विश्वविधालय द्वारा उन्हें 35 से ज्यादा मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली।
सन 1967 में इंगलेंड की रायल सोसायटी ने अपना फैलो(सदस्य) मनोनीत किया। भारत सरकार ने उन्हें 1968 में ‘पद्म भूषण पुरुस्कार, तथा 2001 में पद्म विभूषण से अलंकृत किया।
यह भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान माना जाता है। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा सन 1969 में उन्हें ‘मेघनाद साहा पदक, प्रदान किया गया।
1993 भारतीय विज्ञान कांग्रेस द्वारा प्रसिद्ध ‘महालनोबिस शताब्दी स्वर्ण पदक’ से सम्मानित किया गया। सन 2002 में अमेरिकी सरकार ने उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में USA का प्रसिद्ध समान ‘राष्ट्रीय विज्ञान पदक’ प्रदान किया।
उन्हें सन 2013 में विश्व प्रसिद्ध नॉवेल पुरस्कार के लिए भी उनका नाम भेजा गया था। भारत सरकार ने इस महान वैज्ञानिक के सम्मान में ‘सीआर राव पुरस्कार’ की स्थापना की।
प्रोफेसर सी.आर. राव का 100वां जन्म दिवस
वर्ष 2020 में प्रोफेसर सी.आर. राव का 100 वें जन्म दिन पर सम्मानित किया गया। अपने सम्बोधन में डीएसटी सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा –
“पद्म विभूषण प्रोफेसर सी.आर. राव 70 साल पहले डेटा के विज्ञान पर काम कर रहे थे और अपने समय से बहुत आगे थे, वह न केवल एक वैज्ञानिक हैं बल्कि एक संस्था निर्माता भी हैं, देश और दुनिया हमेशा प्रोफेसर राव के आंकड़ों के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान के लिए ऋणी रहेगी”
credit – pib.gov.in
यह पुरस्कार सांख्यिकी (Statistics) के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए दो वर्ष में एक बार प्रदान किया जाता है। महान वैज्ञानिक सी आर राव का जीवन परिचय ( C R RAO BIOGRAPHY IN HINDI )जरूर अच्छी लगी होगी, अपने सुझाव से अवगत कराएं ।
सी आर राव ने गणित में क्या योगदान दिया?
गणितज्ञ सी. आर. राव का Statistics के क्षेत्र में अहम योगदान रहा। उन्हें अनुमान के सिद्धांत अर्थात ‘Theory of Estimation’ की खोज के लिए जाना जाता है।
सी आर राव का जन्म कब और कहां हुआ था?
सी आर राव का जन्म 10 सितम्बर 1920 को भारत के कर्नाटक राज्य में हुआ था।
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