दत्तात्रेय रामचन्द्र कापरेकर (D.R. KAPREKAR) भारत के जाने माने गणितज्ञ थे। मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में बात की जाय अथवा संख्या सिद्धांत की डी.आर. कापरेकर का योगदान सराहनीय रहा है।
गणित अक्सर विधार्थी के लिए एक कठिन विषय होता है। लेकिन डी.आर. कापरेकर के लिए गणित के कठिन प्रश्न भी एक खेल था। वे गणित के कठिन से कठिन सवालों को चुटकियों में हल कर देते थे।
इस प्रकार वे मनोरंजात्मक गणित के क्षेत्र में जाने माने गणितज्ञ बन गए। दत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर के द्वारा खोजे गए सिद्धांत ‘कापरेकर स्थिरांक‘ के लिए ये पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गये। साथ ही इन्होंने कापरेकर संख्या और डेमलो संख्या की खोज की थी।
लेकिन दुख की बात यह है की उन्हें अपने देश में ख्याति और सम्मान तब मिला जब अमेरिका के बैज्ञानिक मार्टिन गार्डनर ने इनके बारे में चर्चा की। बाद में इनके अनेकों शोधपत्र प्रकाशित हुए और गणित की पहेली सुलझाने के क्षेत्र में पूरे दुनियाँ में प्रसिद्ध हो गये।
गणित में योगदान के लिए उन्हें “गणितानंद” के नाम से जाना गया। आईए इस लेख में इस महान गणितज्ञ डी.आर. कापरेकर की जीवनी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
गणितज्ञ डी.आर. कापरेकर की जीवनी – DR Kaprekar Biography in Hindi
बचपन और प्रारंभिक जीवन
दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर का जन्म 17 जनवरी 1905 ईस्वी में दाहनु नामक स्थान पर हुआ था। उनका जन्म स्थान दाहनु महाराष्ट्र में मुंबई के पास है।
दत्तात्रय रामचन्द्र कापरेकर के पिता का नाम रामचन्द्र और उनकी माता का नाम जानकी बाई थी। जब कापरेकर जी की उम्र मात्र 8 वर्ष की थी तभी उनकी माता जी का निधन हो गया।
उनके पिता ने बड़े प्यार से उनकी परवरिश की। उनके पिता क्लर्क थे तथा वे विद्वान और ज्योतिष के अच्छे जानकार थे। डॉ कापरेकर ने ज्योतिष का ज्ञान अपने पिता से सीखा।
इस दौरान उन्हें पिता के साथ ज्योतिष की जटिल समस्याएँ को हल करने के लिए संख्याओं का उपयोग करके जोड़ गुना करनी पड़ती थीं। यही कारण रहा की गणित के क्षेत्र में कारपेकर की रुचि बढ़ती गई।
वे गणित की पहेली और सवाल को सुलझाने में घंटों दिमाग लगाते। साथ ही गणित के गणनाएँ को हल करने के लिए छोटा और आसान तरीका ढूढने का हमेशा प्रयास करते रहते।
शिक्षा दीक्षा
आपकी माध्यमिक स्कूल तक शिक्षा मुंबई के पास ठाणे के एक स्कूल से हुई। उसके बाद आपने आगे की पढ़ाई पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज से सम्पन्न हुई। आपने मुंबई विश्वविध्यालय से 1927 में स्नातक की डिग्री हासिल की।
ग्रेजुएसन के बाद इनकी नियुक्ति अध्यापक पद पर हो गई। हालांकि आगे की पढ़ाई उनकी पूरी न हो सकी लेकिन फिर भी उन्हों गणित के संख्या सिद्धांत पर मन लगाकर काम किया। इस प्रकार कारपेकर ने मनोरंजनात्मक गणित के क्षेत्र में महती ख्याति प्राप्त कर ली।
उनकी प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की अपनी कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने गणित में उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘रैंगलर आर. पी. परांजपे गणितीय पुरस्कार’ से सम्मानित हुए थे।
करियर –
स्नातक के बाद वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। उनकी नयुक्ति महाराष्ट्र में नासिक के पास शिक्षा के रूप में हुई। अपने अध्यापन के दौरान भी वे खाली समय में गणित के सवालों के हल करने के नए तरीके ढूंढते रहते।
डी.आर. कापरेकर का गणित के क्षेत्र में योगदान
डी आर कापरेकर ने आवर्ती दशमलव, जादू वर्ग और पूर्णांक गणित पर काफी काम किया। वे गणित के जटिल समस्याओं और गणितीय पहेलियों को हल करने हेतु घण्टों प्रयास करते रहते थे।
डॉ कापरेकर ने बड़े पैमाने पर संख्या सिद्धांत पर काम किया। उन्होंने संख्या सिद्धांत में कई परिणामों को खोजा और संख्याओं के विभिन्न गुणों का उल्लेख किया।
डी.आर. कापरेकर की खोज
कापरेकर संख्या (Kaprekar number)
वर्ष 1946 ईस्वी में इन्होंने कापरेकर संख्या (Kaprekar number) की खोज की। गणित के क्षेत्र में कापरेकर अंक उस पूर्ण धनात्मक संख्या को कहते हैं। जिनके वर्ग को दो भागो में बीभक्त कर जोड़ने पर वही नंबर प्राप्त होता है।
कापरेकर स्थिरांक (Kaprekar constant)
क्या आप जानते हैं 6174 संख्या कापरेकर स्थिरांक के नाम से जानी जाती है। इस संख्या की विशेषता के वारें में सबसे पहले पता डी आर कापरेकर ने ही लगया था।
इसी कारण से ही 6174 संख्या को कापरेकर स्थिरांक के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार गणित के क्षेत्र में डॉ कापरेकर का अहम योगदान रहा। इसके साथ ही इन्होंने देवलाली या सेल्फ नंबर, डेमलो संख्या और हर्षद संख्या की भी खोज की।
मार्टिन गार्डनर ने की उनकी काम की प्रशंसा
शुरू में डॉ कापरेकर के गणित में उनके कामों को उतनी सराहना नहीं मिली। उनके लेख छोटे-मोटे पत्रिका में छपते रहते। लेकिन जब प्रसिद्ध विद्वान मार्टिन गार्डनर ने गणित में उनके कार्य के बारे में जाना तो वे बहुत ही प्रभावित हुए।
उन्होंने सन 1975 में एक अमेरिकीन पत्रिका मैथेमेटिकल गेम्स फॉर साइंटिफिक के कॉलम मे जब डॉ कापरेकर के कार्यों का उल्लेख किया। तब जाकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली।
निधन
महान गणितज्ञ कापरेकर का सन 1988 में निधन हो गया। गणित के संख्या सिद्धांत के विषय में उनके अहम योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा। आपको दत्तात्रेय रामचंद्र कापरेकर की जीवनी (DR Kaprekar biography in Hindi ) जरूर अच्छी लगी होगी, अपने सुझाव से अवगत करायें।
डी.आर. कापरेकर कौन थे?
डी.आर. कापरेकर भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ थे। मनोरंजतमक गणित में उनका अहम योगदान माना जाता है।
गणितज्ञ डी.आर. कापरेकर का जन्म कहाँ हुआ था?
डी.आर. कापरेकर का जन्म महाराष्ट्र के दाहनु में 17 जनवरी 1905 को हुआ था।
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