धनबाद का इतिहास और जिले की विस्तृत जानकारी – Information about Danbad History in hindi
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धनबाद का इतिहास बड़ा ही रोचक है। धनबाद भारत के झारखंड राज्य में स्थति प्रसिद्ध जिला है। झारखंड का यह जिला कभी धान की खेती के लिए अबाद था।
लेकिन अव यह कोयले के खान के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। झारखंड का औद्योगिक जिला धनबाद आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत ही समृद्ध कहलाता है। यहाँ कई ख्याति प्राप्त औद्योगिक तथा अन्य संस्थान अवस्थित हैं।
भारत के झारखंड राज्य में स्थित धनबाद को ब्लैक डायमंड सिटी यह काला हीरा भी कहते हैं। यहाँ पाए जाने वाले विशाल कोयले का भंडार इस क्षेत्र को समृद्ध बनाते हैं।
धनबाद के बारे में जानकारी – Informatgion About Danbad In Hindi
धनबाद प्रसिद्ध है कोयले के मायनिग के लिए। यहाँ 100 से भी ज्यादा बड़े-बड़े मायनिंग केंद्र हैं। इस केंद्र से प्रचुर मात्रा में कोयले का खनन किया जाता है। जिसे देश के कोने-कोने में निर्यात किया जाता है। जहाँ तक घनवाद जिले की बात है तो घनवाद जिले का इतिहास 1965 से शुरू होता है।
अंग्रेजी शासन काल में यह मानभूम जिले का उपजिला हुआ करता था। बाद में मानभूम जिले से पृथक का एक जिला बनाया गया था। धनबाद जिला, झारखंड राज्य के चौबीस जिलों में सबसे महत्वपूर्ण जिला है।
इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी धनबाद शहर में स्थित है। यह रांची के बाद झारखंड का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला जिला कहलाता है।
जिले में व्यापक कोयला खनन उद्योग के कारण धनबाद को भारत की कोयला राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। धनबाद में गैंगवार का खूनी इतिहास भी रहा है जहाँ वर्चस्व को लेकर झरप भी होती रही है।
धनबाद जिले का इतिहास
राज्य पुनःनिर्माण आयोग के सिफारिस पर इसका दूसरा भाग घनवाद के रूप में तत्कालीन बिहार राज्य का अंग बना। वर्तमान में बिहार से झारखंड के रूप में एक अलग राज्य बनने से धनवाद, झारखंड का एक जिला है।
धनबाद जिला कब बना
इतिहास के अनुसार झारखंड जिले में अंग्रेजों के समय से ही पुलिस मुख्यालय मौजूद था। 1956 में धनबाद एक अलग जिला बनने के बाद इसमें दो अनुमंडल धनबाद और बाघमारा का गठन किया गया।
जब धनवाद का गठन हुआ तब इस जिले की भौगोलिक स्थित कुछ इस प्रकार थी। इसकी लंबाई, उत्तर से दक्षिण तक 43 मील तथा चौड़ाई पूर्व से पश्चिम तक 47 मील तक फैली हुई थी। बाद में इस जिले से बोकारो जिला का गठन हुआ।
धनबाद जिले में कितने प्रखंड है
धनबाद जिले में कुल 10 प्रखंड हैं। इनके नाम धनबाद, बलियापुर, निरसा, कलियासोल, गोविंदपुर, तोपचांची, औबाघमारा, एग्यारकुंड टुंडी और पूर्वी टुंडी हैं। इस जिले में अंचलों की कुल संख्या 11 हैं।
इस जिले के झरिया अनुमंडल में एक भी प्रखण्ड नहीं है। वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर धनबाद की जनसंख्या 2,684,487 लाख के करीब है।
मानभूम का इतिहास
अंग्रेजी शासनकाल में 9 स्टेट को मिलाकर मानभूम जिला का गठन किया गया। कहते हैं की अंग्रेजों ने सन 1988 में सरायपुर, टुंडी, नगरकियारी, पांड्रा, धालभूम, कतरासगढ़, भलाईडीह, अंबिकापुरम और शिमलापाल आदि स्थानों को सम्मिलित कर मानभूम जिला बनाया।
आजादी के बाद जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तब 1956 में मानभूम दो भागों में विभक्त हो गया। इसका सबसे बड़ा भाग पश्चिम बंगाल का हिस्सा बना जो आज पुरुलिया जिला कहलाया और दूसरा भाग धनबाद के नाम से बिहार के एक प्रसिद्ध जिला बना।
धनबाद जिले से अलग जिले का गठन
घनवाद का एक स्वतंत्र जिले के रूप में गठन के करीब 25 साल बाद सन 1991 में धनबाद को काटकर बोकारो जिला का निर्माण हुआ। धनबाद से कटकर बोकारो का एक नए जिले बनने से अब धनवाद को कुल क्षेत्रफल 2959 वर्ग किमी रह गया है।
मिस्टर लुबी से जुड़ा है धनवाद का इतिहास
कहते हैं की घनवाद जिले का नाम एक अंग्रेज अधिकारी ने रखा था। मिस्टर लुबी उस बक्त धनबाद जिले के अपर उपायुक्त हुआ करते थे। माना जाता है की उन्होंने ही पहल कर इसका नाम धनबाद (Dhanbad) रखा।
इससे पूर्व धनबाद जिले का नाम धनबाइद कहलाता था। आज भी मिस्टर लुबी के नाम से घनवाद में एक सड़क है, जिसे लुबी सकुर्लर रोड से जाना जाता है।
कोयले से जुड़ा है धनबाद का इतिहास
धनबाद भारत के झारखंड राज्य का सबसे बड़ा कोयला खनन क्षेत्र है। यह पूरे विश्व में कोयले की खानों के लिये जाना जाता है। साथ ही धनवाद में कई ख्याति प्राप्त औद्योगिक और शैक्षणिक संस्थान मौजूद हैं।
कभी धान के खेती के लिए प्रसिद्ध यह इलाका आज कोयला खनन के लिए विश्व-विख्यात है। धनवाद में कोयले की अनेकों खदानें हैं। इन खदानों में कोयला के अलाबा अन्य खनिज भी प्रचुर मात्रा में उपलव्ध हैं।
धनबाद का पुराना नाम
आजादी के बाद धनबाद मानभूम जिला का एक हिस्सा था। सन 1965 ईस्वी में मानभूम जिला से अलग होकर धनबाद बिहार का एक अलग जिला बना। इस जिले का शेष भाग पुरुलिया जिला के नाम से पश्चिम बंगाल का हिस्सा बना।
धनबाद के पास पर्यटन स्थल की जानकारी
खदानों के साथ-साथ यहाँ कई दर्शनीय स्थान भी हैं। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल में पानर्रा जो पाण्डेश्वर महादेव के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही इस जिले का खुर्दचारक खुर्द गर्म पानी के झरनों के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ के पारसनाथ पहाड़ी और तोपचांची तालाब देखने योग्य है। धनबाद के कुछ पर्यटन स्थल के नाम : –
- भटिंडा फॉल – यह फॉल पिकनिक मनाने के लिए शहर से कुछ दूर पर स्थित सुंदर फॉल है।
- मैथन डैम – झारखंड के धनबाद में स्थित यह के प्रसिद्ध डैम है।
- तोपचांची झील- पारस नाथ पहाड़ी की तराई में अवस्थित यह एक अत्यंत ही सुंदर जगह है।
- पंचेत बांध – यह धनबाद स्टेशन से कुछ दूरी पर दामोदर नदी बना झारखंड का एक प्रसिद्ध डैम है।
- बिरसा मुंडा पार्क धनबाद – शहर के एक मात्र सबसे सुंदर पार्क जिसे महान स्वतंत्रा सेनानी बिरसा मुंडा की स्मृति में विकसित किया गया है।
धनबाद जिला कब बना है?
राज्य पुनर्निर्माण आयोग की सिफारिश के आधार पर दिनांक 24 दिसंबर 1965 धनबाद मानभूम से कटकर एक अलग जिला बना। वर्तमान में इसमें 11 अनुमंडल और 10 प्रखण्ड हैं।
धनबाद का दूसरा नाम क्या है?
भारत के राज्य झारखंड में स्थित धनबाद को देश की कोयला राजधानी कहा जाता है। क्योंकि यहाँ कई कोयले की खान मौजूद हैं जहाँ प्रचुर मात्रा में कोयले का उत्पादन किया जाता है।
धनबाद क्यों प्रसिद्ध है?
धनबाद को भारत का कोयले के राजधानी कहा जाता है। यहाँ सैकड़ों कोयले के मायनिंग केंद्र हैं। जहाँ से पूरे भारत में कोयले की आपूर्ति होती है।
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विशेष जानकारी धनबाद जिला सरकारी वेबसाईट से प्राप्त की जा सकती है।
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